छंद MCQ Quiz - Objective Question with Answer for छंद - Download Free PDF
Last updated on May 29, 2025
Latest छंद MCQ Objective Questions
छंद Question 1:
इनमें से कौन-सा छंद वर्णिक है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 1 Detailed Solution
इनमें से छंद वर्णिक है- सवैया
Key Pointsसवैया-
- सवैया एक सम वर्णिक छंद है जो किसी की प्रशंसा में लिखा जाता है।
- इस छंद में, प्रत्येक छंद सामान्य छंद की लंबाई का एक-चौथाई है।
- प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं।
- उदाहरण-
- लोरी सरासन संकट कौ,
- सुभ सीय स्वयंवर मोहि बरौ।
- नेक ताते बढयो अभिमानंमहा,
- मन फेरियो नेक न स्न्ककरी।
Important Points
छंद | परिभाषा | उदाहरण |
वर्णिक | जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या 'वर्ण-वृत' कहते हैं। | घनाक्षरी, रोला, छप्पय, कुंडलिया, इंद्रवज्रा छंद, उपजाति छंद, मालिनी छंद आदि हैं। |
Additional Informationसोरठा छंद -
- यह अर्धसम मात्रिक छंद है । यह दोहे का उल्टा होता है।
- इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11 -11 मात्राएँ एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13 -13 मात्राएँ होती हैं ।
- इसमें तुक प्रथम और तृतीय चरण के अंत में अर्थात मध्य में होता है। इसके सम चरणों में जगण नहीं होता ।
- उदाहरण-
- कपि करि हृदय विचार, दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार, लीन्हि हरषि उठिकर गहउ।।
- कपि करि हृदय विचार, दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
बरवै छन्द-
- बरवै छंद एक ‘अर्द्धसममात्रिक छंद’ होता है। इसमें चार चरण होते है।
- इसके प्रथम चरण तथा तृतीय चरण में 12-12 मात्राएँ और द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण में 7-7 मात्राएँ होती है।
- उदाहरण-
- चम्पक हरवा अंग मिलि, अधिक सुहाय।
- जानि परै सिय हियरे, जब कुंभिलाय।।
- प्रेम प्रीति को बिरवा, चले लगाय।
- सियाहि की सुधि लीजो, सुखी न जाय।।
छप्पय छंद-
- यह एक संयुक्त मात्रिक छंद होता है।
- इसका निर्माण मात्रिक छंद के रोला छंद और उल्लाला छंद के योग से होता है।
- छप्पय छंद में 6 चरण होते हैं। पहले के चार चरणों में 24 मात्राएँ और बाद के दो चरणों में 26-26 या 28-28 मात्राएँ होती हैं।
- उदाहरण-
- जिसकी रज में लोट-पोट कर बड़े हुए हैं।
- घुटनों के बल सरक-सरक कर खड़े हुए हैं।।
- परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाये।
- जिसके कारण धूल-भरे हीरे कहलाये।।
- हम खेले कूदे हर्षयुत, जिसकी प्यारी गोद में।
- हे मातृभूमि ! तुमको निरख मग्न क्यों न हों मोद में।।
छंद Question 2:
घनाक्षरी कौन-सा छंद है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 2 Detailed Solution
घनाक्षरी छंद है- वार्णिक
Key Pointsघनाक्षरी:-
- यह एक वार्णिक छंद है,
- जिसके चार पद होते हैं, प्रत्येक पद में चार चरण होते हैं
- पहले तीन चरण में 8-8 वर्ण और चौथे चरण में 7 या 8 या 9 वर्ण होते हैं ।
- अंतिम चरण में वर्णो की संख्या के आधार पर घनाक्षरी के प्रकार का निर्माण होता है।
उदाहरण-
- नैनों में अंगार भरो, कर में कटार धरो,
बढ़ चलो बेटों तुम, बैरियों को मारने।
Important Points
- छंद के तीन भेद किए गए हैं-
- वर्णिक छंद
- मात्रिक छंद
- मुक्त छंद
Additional Information
छंद | परिभाषा | उदाहरण |
वर्णिक | जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या 'वर्ण-वृत' कहते हैं। | घनाक्षरी, रोला, छप्पय, कुंडलिया, इंद्रवज्रा छंद, उपजाति छंद, मालिनी छंद आदि हैं। |
मात्रिक | मात्रिक छन्दों में केवल मात्राओं की व्यवस्था होती है किंतु लघु और गुरु का क्रम निर्धारित नहीं होता हैं। | इनमें चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि मुख्य हैं। |
मुक्त | काव्य में प्रयोग होने वाला ऐसा छन्द जिसमे वर्णो तथा मात्राओं का कोई बंधन नहीं होता है, ऐसे छन्द को मुक्त छन्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार जिन छन्दों को स्वतंत्र रूप से लिखा जाता है। | आज नदी बिलकुल उदास थी। बादल का वस्त्र पड़ा था। |
छंद Question 3:
सोलह मात्राओं वाला छंद कौन-सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 3 Detailed Solution
सोलह मात्राओं वाला छंद है- चौपाई
Key Pointsचौपाई:-
- इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
- प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
- चरण के अन्त में जगण (I I S) अथवा तगण (S I I) नहीं होना चाहिए,
- अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।
उदाहरण -
- सुनि शिशु रुदन परम प्रिय बानी।
- संभ्रम चलि आईं सब रानी।
- हरषित जहँ तहँ धाईं दासी।
- आनंद मगन सकल पुरबासी।
Additional Information
दोहा:-
उदाहरण-
घनाक्षरी:-
उदाहरण-
रोला:-
उदाहरण -
|
छंद Question 4:
छंद कितने प्रकार के होते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 4 Detailed Solution
छंद प्रकार के होते हैं- 3
Key Points
- छंद के तीन भेद किए गए हैं-
- वर्णिक छंद
- मात्रिक छंद
- मुक्त छंद
Important Points
छंद | परिभाषा | उदाहरण |
वर्णिक | जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या 'वर्ण-वृत' कहते हैं। | घनाक्षरी, रोला, छप्पय, कुंडलिया, इंद्रवज्रा छंद, उपजाति छंद, मालिनी छंद आदि हैं। |
मात्रिक | मात्रिक छन्दों में केवल मात्राओं की व्यवस्था होती है किंतु लघु और गुरु का क्रम निर्धारित नहीं होता हैं। | इनमें चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि मुख्य हैं। |
मुक्त | काव्य में प्रयोग होने वाला ऐसा छन्द जिसमे वर्णो तथा मात्राओं का कोई बंधन नहीं होता है, ऐसे छन्द को मुक्त छन्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार जिन छन्दों को स्वतंत्र रूप से लिखा जाता है। | आज नदी बिलकुल उदास थी। बादल का वस्त्र पड़ा था। |
Additional Information
छंद:-
उदाहरण- जय हनुमान ग्यान गुन सागर। I I I I S I S I I I S I I जय कपीस तिहुँ लोक उजागर। I I I S I I I S I I S I I राम दूत अतुलित बलधामा। S I S I I I I I I I S S अंजनि पुत्र पवन सुत नामा। S I I S I I I I I I S S |
छंद Question 5:
रोला और उल्लाला से मिलकर कौन-सा छंद बनता है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 5 Detailed Solution
रोला और उल्लाला से मिलकर छंद बनता है- छप्पय
Key Pointsछप्पय छंद-
- यह एक संयुक्त मात्रिक छंद होता है।
- इसका निर्माण मात्रिक छंद के रोला छंद और उल्लाला छंद के योग से होता है।
- छप्पय छंद में 6 चरण होते हैं। पहले के चार चरणों में 24 मात्राएँ और बाद के दो चरणों में 26-26 या 28-28 मात्राएँ होती हैं।
- उदाहरण-
- घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध।
- बाहर का बक हंस है, हंस घरेलू गिद्ध
- हंस घरेलू गिद्ध , उसे पूछे ना कोई।
- जो बाहर का होई, समादर ब्याता सोई।
- चित्तवृति यह दूर, कभी न किसी की होगी।
- बाहर ही धक्के खायेगा , घर का जोगी।।
Additional Informationकुंडलिया-
- कुंडलिया छंद एक मिश्रित छंद है जो दोहा और रोला के संयोग से बना है।
- इसके छह चरण होते हैं और प्रत्येक चरण में 24 मात्राएं होती हैं।
- कुंडलिया के पहले दो चरण दोहे के और शेष चार चरण रोला के होते हैं।
- पहले एक दोहा और बाद में दोहा के चौथे चरण से यदि एक रोला रख दिया जाए तो वह कुंडलिया छंद बन जाता है।
उदाहरण -
- घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध।
- बाहर का बक हंस है, हंस घरेलू गिद्ध
- हंस घरेलू गिद्ध , उसे पूछे ना कोई।
- जो बाहर का होई, समादर ब्याता सोई।
- चित्तवृति यह दूर, कभी न किसी की होगी।
- बाहर ही धक्के खायेगा , घर का जोगी।।
भुजंगी छंद-
- यह एक वर्णिक छंद है, जिसमें प्रत्येक चरण में 11 वर्ण होते हैं।
- इसकी वर्ण विन्यास योजना 122*3 + 12 है।
- यह चार चरणों का छंद है, जिसमें दो-दो अथवा चारों चरणों में समतुकांतता रखी जाती है।
उदाहरण -
-
तुम्हें साँवरे जिंदगी सौंप दी
-
किया प्यार औ बन्दगी सौंप दी ।
-
बसाया तुम्हें प्राण में है पिया
-
बनाया तुम्हें रौशनी का दिया ।।
कवित्त छन्द -
- यह दण्डक श्रेणी का वर्णिक सम छंद होता है।
- इसके प्रत्येक चरण में 31 वर्ण होते हैं।
- इसमें लघु-गुरु आदि के नियम लागू नहीं होते हैं, केवल वर्णों की संख्या को गिना जाता है।
- इसमें 16,15 पर यति तथा अंतिम वर्ण गुरु (ऽऽ) होता है।
- इसे ’मनहरण’ या घनाक्षरी भी कहते हैं।
- इसमें 8, 8, 8, 7 वर्णों पर यति रखने का विधान होता है।
उदाहरण -
- हरित हरित हार, हेरत हियो हेरात – 16 वर्ण
- हरि हाँ हरिन नैनी, हरि न कहूँ लहाँ। – 15 वर्ण
- बनमाली ब्रज पर, बरसत बनमाली,
- बनमाली दूर दुख, केशव कैसे सहौं।
Top छंद MCQ Objective Questions
दोहा मात्रिक छंद है। इसके विषम तथा सम चरण में क्रमशः ________ मात्राएँ होती है।
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदोहा मात्रिक छंद है। इसके विषम तथा सम चरण में क्रमशः 13, 11 मात्राएँ होती है। अन्य सभी विकल्प असंगत है।
Key Points
- दोहा मात्रिक छंद है। इसके विषम तथा सम चरण में क्रमशः 13, 11 मात्राएँ होती है।
Additional Informationदोहा:-
- यह एक प्रकार का मात्रिक छंद है। दोहा में चार चरण होते हैं।
- पहले और तीसरे चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं।
- चरण के अन्त में यति होती है। इसके पहले और तीसरे चरणों के आदि में जगण नहीं होना चाहिए।
- दूसरे व चौथे चरण के अन्त में 1 लघु अवश्य होना चाहिए।
उदाहरण -
- मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय।
SS I I S S I S S S S I I S I = 13 + 11 = 24
जा तन की जाँई परे, श्याम हरित दुति होय॥ - S I I S S S I S S I I I I I I S I = 13 + 11 = 24
सोरठा के द्वितीय और चतुर्थ चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर '13' है।
Key Points
- सोरठा एक अर्द्धसम मात्रिक छंद है।
- इसके विषम चरणों चरण में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
- विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।
उदाहरण-
।।। ।ऽ। ।ऽ। ऽ। ऽऽ ऽ ऽऽ
हरहराति लहराति, सहस जोजन चलि आवै।।
Additional Information
- छन्द जिस रचना में मात्राओं और वर्णों की विशेष व्यवस्था तथा संगीतात्मक लय और गति की योजना रहती है, उसे ‘छन्द’ कहते हैं।
- ऋग्वेद के पुरुषसूक्त के नवम् छन्द में ‘छन्द’ की उत्पत्ति ईश्वर से बताई गई है।
- लौकिक संस्कृत के छम्दों का जन्मदाता वाल्मीकि को माना गया है।
- आचार्य पिंगल ने ‘छन्दसूत्र’ में छन्द का सुसम्बद्ध वर्णन किया है, अत: इसे छन्दशास्त्र का आदि ग्रन्थ माना जाता है।
- छन्दशास्त्र को ‘पिंगलशास्त्र’ भी कहा जाता है।
- हिन्दी साहित्य में छन्दशास्त्र की दृष्टि से प्रथम कृति ‘छन्दमाला’ है।
शिल्पगत आधार पर दोहे से उलटा छंद है
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFशिल्पगत आधार पर दोहे से उल्टा छंद सोरठा है।
दोहे का उल्टा सोरठा
- दोहा एक अर्थ सम मात्रिक छंद है।
- दोहे के प्रथम एवं तृतीय चरण में 13-13 मात्रायें एवं दूसरे तथा चौथे चरण में 11-11 मात्रायें होती हैं।
I I S S S S I S
कथनी मीठी खांड-सी,
I I S I I S S I
करनी विष की लोए।
I I S I I I I S I S
कथनी तजि करनी करें ,
I I S I I I I S I
विष से अमरित होय।
- सोरठा एक अर्थ सम मात्रिक छंद है।
- सोरठा के प्रथम एवं तृतीय चरण में 11-11 और दूसरे तथा चौथे चरण में 13-13 मात्रायें होती हैं।
I I I I I I I I S I
निज मन मुकुर सुधार।
S I I I I I I S I I I
श्री गुरु चरण सरोज रज,
S S I I I I S I
जो दायक फल चार।
I I S I I I I I I I I I
बरनौ रघुवर विमल जस
Important Points दोहा का उदाहरण -
- मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय।
जा तन की जाँई परे, श्याम हरित दुति होय॥
- करौ कुबत जग कुटिलता, तजौं न दीनदयाल।
दुःखी होहुगे सरल हिय, बसत त्रिभंगीलाल॥
- रकत ढुरा, ऑसू गए, हाड़ भयेउ सब संख।
धनि सारस होइ, गरि भुई, पीड समेटहि पंख॥
- मो सम दीन न दीन हित, तुम समान रघुवीर ।
अस विचारि रघुवंश मनि, हरहु विषम भवभीर॥
सोरठा का उदाहरण -
- जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन।
करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥
- रहिमन हमें न सुहाय, अमिय पियावत मान विनु।
जो विष देय पिलाय, मान सहित मरिबो भलो।।
- तुलसी-सूर-विहारि-कृष्णभट्ट-भारवि-मुखाः।
भाषाकविताकारि-कवयः कस्य न सम्भता:॥
- जानि गौरि अनुकूल, सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल, मूल बाम, अंग फरकन लगे।।
Additional Information मात्रिक छन्द -
चौपाई |
|
रोला |
|
हरिगीतिका |
|
दोहा |
|
सोरठा |
|
उल्लाला |
|
छप्पय |
|
बरवै |
|
गीतिका |
|
वीर |
|
कुण्डलिया |
|
अर्द्धसम मात्रिक का छंद है
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFअर्द्धसम मात्रिक का छंद है, दोहा।
अन्य सभी विकल्प असंगत है।
Key Points
- छंद की परिभाषा:- किसी काव्य, वाच्य, पंक्ति में यति, गति, तुक, विराम द्वारा जो गेयता उत्पन्न की जाती है, उसे छंद कहते है।
- अर्थात यति, गति, तुक, विराम के विधान द्वारा उत्पन्न गेयता ही छंद है।
- दोहा में 4 चरण होते है, 13,11 मात्राओं की यति होती है।
- दोहा का उल्टा सरोठा होता है।
- अन्य विकल्प और उनकी मात्रा:-
छंद | मात्रा |
रोला (सम मात्रिक ) | 4 चरण, 24 मात्रा |
चौपाई (सम मात्रिक ) | 4चरण, 16 मात्रा |
कुण्डलिया (विषम मात्रिक मात्रिक ) | 6 चरण 2 दोहा 4 रोला |
Important Points
- कुण्डलिया- कुण्डलिया के प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं।
- दोहा और रोला के मेल से बना छंद कुण्डलिया कहलाता है।
- इसके 6 चरण होते हैं, पहले दो चरण दोहा और बाकी रोला होते हैं।
- दोहे के पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएं और दूसरे तथा चौथे चरण में 11-11 मात्राएं होती हैं।
Additional Informationमात्रिक छंद के भेद -
- सम मात्रिक छंद
- अर्द्ध-सममात्रिक छंद
- विषम मात्रिक छंद
परिभाषा-
- सममात्रिक छंद - जिन छंदों के चारों चरणों की मात्राएं और वर्ण एक जैसे होते हैं, उन्हें सममात्रिक छंद कहते हैं।
- चौपाई (इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं होती है)
- रोला (इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएं होती हैं)
- अर्द्ध-सम मात्रिक छंद - जिन छंद के पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे चरणों की मात्राओं या वर्णों में समानता हो, वे अर्द्धसम मात्रिक छंद कहलाते हैं।
- दोहा (इसके विषम चरण में 13 मात्राएं एवं सम चरण में 11 मात्राएं होती हैं)
- सोरठा (इसके विषम चरण में 11 मात्राएं एवं सम चरण में 13 मात्राएं होती हैं)
- विषम मात्रिक छंद - जिन छंद में चार से अधिक छ: चरण हो, और वह एक-समान न हो, तो वे विषम मात्रिक छंद कहलाते हैं।
- कुण्डलिया (यह दोहा + रोला को जोड़कर बनता है)
- छप्पय (यह रोला + उल्लाला को जोड़कर बनता है)
दोहा और रोला छंद को क्रम से मिलाने पर कौन सा छंद बनता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFइस प्रश्न का सही विकल्प कुण्डलियाँ छन्द होगा।
अत: सही विकल्प 2 होगा।
- दोहा और रोला छन्द के मेल से बना छन्द कुण्डलियाँ छन्द है।
Key Points
-
कुण्डलियाँ छन्द - दोहा और रोला के मेल से बना हुआ छन्द।
-
एक दोहा(13,11) तथा दो रोला(11,13) या फिर सोरठा(11, 13) का संयुक्त मात्रिक छंद।
- 6 पंक्तियाँ, प्रथम पंक्ति का प्रथम शब्द, अंतिम पंक्ति का अंतिम शब्द, समान होना अनिवार्य।
-
उदाहरण- मानव के हित के लिए, करना है संग्राम।
कहा वीर हनुमान से, दाता जिसके राम।
जामवंत का ज्ञान, पवन पूत हनुमान सुने।
राह नहीं आसान, सीता मां की खोज का।
जीवन इक संगीत, सुने गान बस एक ही।
हार तथा फिर जीत, हाथ तेरे सब मानव।
दामिनि दमक रही घन मांही I
खस के प्रति जथा स्थिर नाही II
इन पंक्तियों में कौन-सा छंद है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFदामिनि दमक रही घन मांही I
खस के प्रति जथा स्थिर नाही II
इन पंक्तियों में छंद है - चौपाई अन्य सभी विकल्प असंगत है।
Key Pointsपंक्ति -
- दामिनि दमक रही घन मांही I
S I I I I I I S I I S S = 16 मात्राएं
- खस के प्रति जथा स्थिर नाही II
I I S I I I S I I I S S = 16 मात्राएं
(सभी चरणों में 16 मात्राएं है अत: यहाँ पर चौपाई छंद है।)
Important Pointsचौपाई:-
- इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
- प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
- चरण के अन्त में जगण (I I S) अथवा तगण (S I I) नहीं होना चाहिए,
- अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।
उदाहरण -
- बिनु पग चले सुने बिनु काना।
I I I I I S I S I I S S = 16 मात्राएं - कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
- तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
- गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥
Additional Information
सवैदा:-
उदाहरण -
दोहा -
उदाहरण -
सोरठा:-
उदाहरण -
|
छंद का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFछंद का सर्वप्रथम उल्लेख मिलता है - ऋग्वेद
Key Points
- ऋग्वेद संसार का सबसे पुराना धर्मग्रंथ है।
- छंद का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- तथा ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद के मन्त्रों में छंदों का प्रयोग हुआ है।
- छंद का विधिवत् वर्णन पिंगल ऋषि के ग्रन्थ 'छन्दशास्त्र' में मिलता है।
Important Points
वेद | जानकारी |
ऋग्वेद |
ऋग्वेद सबसे पुराना ज्ञात वैदिक संस्कृत ग्रंथ है।जिसकी रचना संस्कृत के प्राचीन रूप में लगभग 1500 ईसा पूर्व में हुई थी, जो अब भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में है। जिसमें मन्त्रों की संख्या 10627 है। |
सामवेद | सामवेद एक वेद है जिसमें गायन के लिए निश्चित मंत्र हैं. इसमें यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के समय गाये जाने वाले मंत्रों का संकलन है। |
यजुर्वेद | हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है - इसमें ऋग्वेद के 663 मंत्र पाए जाते हैं। |
अथर्ववेद | हिन्दू धर्म के चार मुख्य वेदों में से एक है और इसका महत्वपूर्ण स्थान है। अथर्ववेद को ऋग्वेद के बाद की वेदांत अवस्था माना जाता है। इसमें मन्त्रों के साथ विभिन्न प्रायोगिक उपयोग, उपचार, सुरक्षा और संपदा के लिए प्रार्थनाएं, व्याधि निवारण, वशीकरण और प्रभावशाली मंत्र आदि दिए गए हैं। |
Additional Information
छंद:-
उदाहरण- जय हनुमान ग्यान गुन सागर। I I I I S I S I I I S I I जय कपीस तिहुँ लोक उजागर। I I I S I I I S I I S I I राम दूत अतुलित बलधामा। S I S I I I I I I I S S अंजनि पुत्र पवन सुत नामा। S I I S I I I I I I S S |
'सोरठा छंद' की विषम पंक्तियों में कितनी मात्राएँ होती हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF'सोरठा छंद' की विषम पंक्तियों में मात्राएँ होती हैं - 11
Key Pointsसोरठा छंद -
- यह अर्धसम मात्रिक छंद है । यह दोहे का उल्टा होता है।
- इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11 -11 मात्राएँ एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13 -13 मात्राएँ होती हैं ।
- इसमें तुक प्रथम और तृतीय चरण के अंत में अर्थात मध्य में होता है। इसके सम चरणों में जगण नहीं होता ।
- जैसे -
- कपि करि हृदय विचार, दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
- ।। ।। ।।। ।ऽ। ऽ। ऽ।ऽ ऽ। ।।
- जनु असोक अंगार, लीन्हि हरषि उठिकर गहउ।।
- ।। ।ऽ। ऽऽ। ऽ। ।।। ।।।। ।।।
Additional Informationदोहा छंद-
- यह अर्धसममात्रिक छंद होता है। ये सोरठा छंद के विपरीत होता है।
- इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
- इसमें चरण के अंत में लघु (।) होना जरूरी होता है।
- जैसे:-
- राम नाम मणि दीप धरि, जीह देहरी द्वार ।
- S I S I I I S I I I S I S I S S I
- तुलसी भीतर बाहिरहु , जो चाहसि उजियार ।।
किस छंद के प्रत्येक चरण मे 16 मात्राएँ होती है?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFचौपाई छंद के प्रत्येक चरण मे 16 मात्राएँ होती है।
Key Pointsचौपाई:-
- इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
- प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
- चरण के अन्त में जगण (I I S) अथवा तगण (S I I) नहीं होना चाहिए,
- अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।
उदाहरण -
- बिनु पग चले सुने बिनु काना।
I I I I I S I S I I S S = 16 मात्राएँ - कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
- तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
- गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥
Important Points रोला-
- यह एक सम मात्रिक छंद है। इसमें 24 मात्राएँ होती हैं,
- अर्थात विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ।
- 11वीं व 13 वीं मात्राओं पर यति अर्थात विराम होता है।
हरिगीतिका-
- हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
- इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
- अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है।
उल्लाला-
- यह एक मात्रिक छंद होता हैं।
- इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 के क्रम से 28 मात्राएं होती हैं।
- इसके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
Additional Information
प्रकार | परिभाषा | उदाहरण |
छंद | वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ''छन्द'' कहलाती है। | रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप। यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप॥ (दोहा) |
छंद कितने प्रकार के होते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
छंद Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFछंद प्रकार के होते हैं- 3
Key Points
- छंद के तीन भेद किए गए हैं-
- वर्णिक छंद
- मात्रिक छंद
- मुक्त छंद
Important Points
छंद | परिभाषा | उदाहरण |
वर्णिक | जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या 'वर्ण-वृत' कहते हैं। | घनाक्षरी, रोला, छप्पय, कुंडलिया, इंद्रवज्रा छंद, उपजाति छंद, मालिनी छंद आदि हैं। |
मात्रिक | मात्रिक छन्दों में केवल मात्राओं की व्यवस्था होती है किंतु लघु और गुरु का क्रम निर्धारित नहीं होता हैं। | इनमें चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि मुख्य हैं। |
मुक्त | काव्य में प्रयोग होने वाला ऐसा छन्द जिसमे वर्णो तथा मात्राओं का कोई बंधन नहीं होता है, ऐसे छन्द को मुक्त छन्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार जिन छन्दों को स्वतंत्र रूप से लिखा जाता है। | आज नदी बिलकुल उदास थी। बादल का वस्त्र पड़ा था। |
Additional Information
छंद:-
उदाहरण- जय हनुमान ग्यान गुन सागर। I I I I S I S I I I S I I जय कपीस तिहुँ लोक उजागर। I I I S I I I S I I S I I राम दूत अतुलित बलधामा। S I S I I I I I I I S S अंजनि पुत्र पवन सुत नामा। S I I S I I I I I I S S |