छंद MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for छंद - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 14, 2025

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Latest छंद MCQ Objective Questions

Top छंद MCQ Objective Questions

छंद Question 1:

सगण में कितने लघु और गुरु वर्ण होते हैं?

  1. IIS
  2. III
  3. ISS
  4. ISI

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : IIS

छंद Question 1 Detailed Solution

सगण में लघु और गुरु वर्ण होते हैंIIS

Key Points

  • संस्कृत और हिंदी छंदशास्त्र में वर्णों की मात्राओं के आधार पर छंद की विभिन्न गणों या समूहों का निर्धारण किया जाता है।
    • "सगण" भी इन्हीं गणों में से एक है।
  • सगण में दो लघु (II) और एक गुरु (S) वर्ण होता है,
  • छंदों में वर्णों की मात्रा को गणों में बांटा गया है
    • गणों के नाम ये हैं- मगण, यगण, रगण, सगण, तगण, जगण, भगण, नगण

Important Pointsगणों की सूची और याद करने का नियम-

क्रम संख्या गण का नाम  सूत्रीय नाम संरचना (मात्राएँ)
यगण (य) यमाता  1-2-2 (ISS)
मगण (मा)  मातारा  2-2-2 (SSS)
तगण (ता) ताराज  2-2-1 (SSI)
रगण (रा)  राजभा 2-1-2 (SIS)
जगण (ज)  जभान  1-2-1 (ISI)
भगण (भा)  भानस 2-1-1 (SII)
नगण (न) नसल 1-1-1 (III)
सगण (स) सलगा  1-1-2 (IIS)

Additional Information

  • गणों को आसानी से याद करने के लिए एक सूत्र बनाया गया है - यमाताराजभानसलगा
  • इस सूत्र के पहले आठ वर्णों में आठ गणों के नाम हैं
  • सूत्र के आखिरी दो वर्ण 'ल' और 'ग' लघु और गुरु मात्राओं के सूचक हैं
  • गुरु का चिन्ह S अथवा लघु चिन्ह (1) अथवा (-) है। गुरु को 'ग' तथा लघु का 'ल' कहा जाता है। 
  • उदाहरण -
    • स्मरा (स्म) = लघु
    • सम () = लघु
    • जाति (जा) = गुरु

छंद Question 2:

दोहा और रोला को क्रम से मिलाने पर कौन-सा छंद बनता है?

  1. हरिगीतिका
  2. कुण्डलिया
  3. सवैया
  4. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : कुण्डलिया

छंद Question 2 Detailed Solution

दोहा और रोला को क्रम से मिलाने पर छंद बनता है - कुण्डलिया

Key Points

  • कुण्डलिया छंद दोहा-रोला छंदों के योग से बनता है।  
  • कुंडलियाँ एक विषम मात्रिक छंद होता है।
  • यह दोहा-रोला छंदों के योग से बनता है। 
  • पहले एक दोहा और बाद में दोहा के चौथे चरण से यदि एक रोला रख दिया जाए तो वह कुंडलिया छंद बन जाता है। 

उदाहरण - 

  • रत्नाकर सबके लिए, होता एक समान।
  • बुद्धिमान मोती चुने, सीप चुने नादान॥
  • सीप चुने नादान,अज्ञ मूंगे पर मरता।
  • जिसकी जैसी चाह,इकट्ठा वैसा करता।
  • ‘ठकुरेला’ कविराय, सभी खुश इच्छित पाकर।
  • हैं मनुष्य के भेद, एक सा है रत्नाकर॥

Additional Informationहरिगीतिका-

  • हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
  • अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है।

उदाहरण-

  • श्री राम चंद्र कृपालु भजमन, हरण भव भय दारुणम् ।
  • नवकंज लोचन कंज मुख कर, कंज पद कन्जारुणम ॥
  • कंदर्प अगणित अमित छवि नव, नील नीरज सुन्दरम ।
  • पट्पीत मानहु तडित रुचि शुचि, नौमि जनक सुतावरम ॥

सवैया:-

  • सवैया एक सम वर्णिक छंद है
  • जो किसी की प्रशंसा में लिखा जाता है।
  • इस छंद में, प्रत्येक छंद सामान्य छंद की लंबाई का एक-चौथाई है।
  • प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। 

उदाहरण-

  • राम सदा करता सबके मनभावन पूर्ण सजे सपने रे।
  • नाम रटो मन से भजके सच हों सब चाह भरे सपने रे।
  • प्रेम जगा मन में करले उसका तप हार नहीं सपने रे।
  • जीत सदा रहती मन में बसके बस योग मिला अपने रे।

छंद Question 3:

'सोरठा छंद' की विषम पंक्तियों में कितनी मात्राएँ होती हैं ? 

  1. 11
  2. 22
  3. 12
  4. 13

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 11

छंद Question 3 Detailed Solution

'सोरठा छंद' की विषम पंक्तियों में मात्राएँ होती हैं - 11

Key Pointsसोरठा छंद -

  • यह अर्धसम मात्रिक छंद है । यह दोहे का उल्टा होता है।
  • इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11 -11 मात्राएँ एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13 -13 मात्राएँ होती हैं ।  
  • इसमें तुक प्रथम और तृतीय चरण के अंत में अर्थात मध्य में होता है। इसके सम चरणों में जगण नहीं होता ।
  • जैसे -
    • कपि करि हृदय विचार, दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
    • ।।     ।।   ।।।    ।ऽ।      ऽ।      ऽ।ऽ     ऽ।  ।।
    • जनु असोक अंगार, लीन्हि हरषि उठिकर गहउ।।
    • ।।    ।ऽ।      ऽऽ।     ऽ।     ।।।    ।।।।     ।।।

Additional Informationदोहा छंद-

  • यह अर्धसममात्रिक छंद होता है। ये सोरठा छंद के विपरीत होता है।
  • इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • इसमें चरण के अंत में लघु (।) होना जरूरी होता है। 
  • जैसे:- 
    • राम  नाम मणि  दीप धरि, जीह देहरी द्वार । 
    • S I   S I   I  I   S I   I I   S I  S I S  S I  
    • तुलसी भीतर बाहिरहु , जो चाहसि उजियार ।।    

छंद Question 4:

छंद में नियमित वर्ण या मात्रा पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है, इस रुकने के स्थान को क्या कहते हैं?

  1. यति
  2. विषम
  3. तुक
  4. मुक्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : यति

छंद Question 4 Detailed Solution

छंद में नियमित वर्ण पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है। इसे "यति" कहा जाता है।Key Points 

प्रकार  परिभाषा 
यति छंद में नियमित वर्ण पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है। यति कहलाता है।
पद या चरण छंद के प्रत्‍येक पंक्ति को चरण या पद कहते हैं।
गति छंद के पढ़ने के प्रवाह या लय को गति कहते हैं। 
तुक छंद के चरणों के अंत में आने वाले समान वर्णों को तुक कहते हैं।

Additional Information -

छंद- अक्षर, अक्षरों, की संख्‍या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति, गति आदि से सम्‍बन्धित विशिष्‍ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है। 

छंद के मुख्‍यत: तीन भेद है। 

छंद  परिभाषा
मात्रिक जिन छंदों की योजना मात्राओं के आधार पर की जाती है, उसे मात्रिक छंद कहते हैं। जैसे- चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि। 
वर्णिक वर्णों की गणना पर आधारित छंद वर्णिक छंद कहलाते हैं। जैसे- शालिनी, इन्‍द्रवज्रा, उपजाति, वंशस्‍थ आदि।   
मुक्‍तक जिस छंद में मात्राओं तथा वर्णों की निश्चित संख्‍या को बन्‍धन न मानकर भावाभिव्‍यक्ति को ही प्रमुखता दी जाय, उसे मुक्‍तक छंद कहते हैं।

छंद Question 5:

चौपाई के तीसरे चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं?

  1. 14
  2. 15
  3. 16
  4. 11

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 16

छंद Question 5 Detailed Solution

चौपाई के तीसरे चरण में 16 मात्राएँ होती हैं

Key Pointsचौपाई:-

  • इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
  • प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
  • चरण के अन्त में जगण (I I S) अथवा तगण (S I I) नहीं होना चाहिए,
  • अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।

उदाहरण -

  • बिनु   पग  चले   सुने   बिनु   काना।
    I I     I I    I S    I S     I I    S S  = 16 मात्राएँ
  • कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
  • तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
  • गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥

Important Pointsदोहा -

  • यह अर्धसममात्रिक छंद होता है। ये सोरठा छंद के विपरीत होता है।
  • इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • इसमें चरण के अंत में लघु (।) होना जरूरी होता है। 

रोला-

  • यह एक सम मात्रिक छंद है। इसमें 24 मात्राएँ होती हैं,
  • अर्थात विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ। 
  • 11वीं व 13 वीं मात्राओं पर यति अर्थात विराम होता है।

हरिगीतिका-

  • हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
  • अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है। 

उल्लाला-

  • यह एक मात्रिक छंद होता हैं।
  • इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 के क्रम से 28 मात्राएं होती हैं।
  • इसके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।

Additional Information 

प्रकार परिभाषा उदाहरण
छंद वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ''छन्द'' कहलाती है। रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप।
यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप॥ (दोहा)

छंद Question 6:

किस छंद के प्रत्येक चरण मे 16 मात्राएँ होती है?

  1. चौपाई
  2. रोला
  3. हरिगीतिका
  4. उल्लाला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : चौपाई

छंद Question 6 Detailed Solution

चौपाई छंद के प्रत्येक चरण मे 16 मात्राएँ होती है

Key Pointsचौपाई:-

  • इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
  • प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
  • चरण के अन्त में जगण (I I S)  अथवा तगण (S I I)  नहीं होना चाहिए,
  • अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।

उदाहरण -

  • बिनु   पग  चले   सुने   बिनु   काना।
    I I     I I    I S    I S     I I     S S  = 16 मात्राएँ
  • कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
  • तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
  • गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥

Important Points रोला-

  • यह एक सम मात्रिक छंद है। इसमें 24 मात्राएँ होती हैं,
  • अर्थात विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ। 
  • 11वीं व 13 वीं मात्राओं पर यति अर्थात विराम होता है।

हरिगीतिका-

  • हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
  • अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है। 

उल्लाला-

  • यह एक मात्रिक छंद होता हैं।
  • इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 के क्रम से 28 मात्राएं होती हैं।
  • इसके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।

Additional Information

प्रकार परिभाषा उदाहरण
छंद वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ''छन्द'' कहलाती है। रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप।
यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप॥ (दोहा)

छंद Question 7:

छंद कितने प्रकार के होते हैं?

  1. 3
  2. 2
  3. 5
  4. 4

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 3

छंद Question 7 Detailed Solution

छंद प्रकार के होते हैं- 3

Key Points

  • छंद के तीन भेद किए गए हैं-
    • वर्णिक छंद
    • मात्रिक छंद
    • मुक्त छंद

Important Points

छंद परिभाषा  उदाहरण 
वर्णिक जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या 'वर्ण-वृत' कहते हैं।  घनाक्षरी, रोला, छप्पय, कुंडलिया, इंद्रवज्रा छंद, उपजाति छंद, मालिनी छंद आदि हैं।
मात्रिक  मात्रिक छन्दों में केवल मात्राओं की व्यवस्था होती है  किंतु लघु और गुरु का क्रम निर्धारित नहीं होता हैं।  इनमें चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि मुख्य हैं।
मुक्त काव्य में प्रयोग होने वाला ऐसा छन्द जिसमे वर्णो तथा मात्राओं का कोई बंधन नहीं होता है, ऐसे छन्द को मुक्त छन्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार जिन छन्दों को स्वतंत्र रूप से लिखा जाता है।  आज नदी बिलकुल उदास थी।
बादल का वस्त्र पड़ा था।

Additional Information

छंद:-

  • अक्षर, अक्षरों की संख्या, मात्रा, गणना, यति, गति को क्रमबद्ध तरीके से लिखना छंद कहलाती हैं।
  • छंद शब्द ‘चद’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है – खुश करना। 
  • ​छंद के प्रकार - मात्रिक छंद, वर्णिक छंद, वर्णिक वृत छंद, उभय छंद, मुक्त या स्वच्छन्द छंद।

उदाहरण-

               जय हनुमान ग्यान गुन सागर। 

                 I I   I I S I  S I    I I   S I I

               जय कपीस तिहुँ लोक उजागर। 

                 I  I   I S I   I I   S I   I S I I

               राम दूत अतुलित बलधामा। 

               S I   S I    I I I I    I I S S

               अंजनि पुत्र पवन सुत नामा।

               S I I   S I  I I I   I I   S S

छंद Question 8:

'वसंततिलका' छंद में कितने वर्ण होते हैं?

  1. 46
  2. 54
  3. 50
  4. 14
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : 14

छंद Question 8 Detailed Solution

'वसंततिलका' छंद में 14 वर्ण होते हैं।

  • इसका दूसरा नाम सिंहोन्नता है, यह शक्वरी जाति का वर्णिक सम छंद होता है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 14 वर्ण होते हैं, जो क्रमशः तगण, भगण, जगण, जगण व गुरु - गुरु के रूप में लिखे जाते है।
  •  इसमें यति प्रत्येक चरण के अन्त में होती है।
  • उदाहरण-
    • सौभाग्य है व्यथित-गोकुल के जनों का।
      जो पाद-पंकज यहाँ भवदीय आया।
      है भाग्य की कुटिलता वचनोपयोगी।
      होता यथोचित नहीं यदि कार्य्यकारी॥

छंद Question 9:

किस छंद में 26 मात्राएँ होती है तथा 14-12 पर यति होता है ?

  1. वीर छंद 
  2. सोरठा छंद 
  3. गीतिका छंद
  4. छप्पय छंद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : गीतिका छंद

छंद Question 9 Detailed Solution

गीतिका छंद में 26 मात्राएँ होती है तथा 14-12 पर यति होता है

Key Points

  • गीतिका छंद में चार चरण होते हैं,
  • तथा इसके प्रत्येक चरण में 14 तथा 12 के क्रम में कुल 26 मात्राएँ पाई जाती हैं
  • तथा इसके चरणों के अंत मे गुरु स्वर और लघु स्वर होते हैं।

उदाहरण-

  • खोजते हैं साँवरे को,हर गली हर गाँव में।
  • ऽ ।  ऽ  ऽ ऽ । ऽ ऽ । ।  । ऽ  । । ऽ ।  ऽ
  • आ मिलो अब श्याम प्यारे,आमली की छाँव में।।
  • आपकी मन मोहनी छवि,बाँसुरी की तान जो।
  • गोप ग्वालों के शरीरोंं,में बसी ज्यों जान वो।।

Additional Information

छंद परिभाषा उदाहरण
वीर  छंद दो पदों के चार चरणों में रचा जाता है जिसमें यति 15-16 मात्रा पर नियत होती है. छंद में विषम चरण का अंत गुरु (ऽ) या लघुलघु (।।) या लघु लघु गुरु (।।ऽ) या गुरु लघु लघु (ऽ ।।) से तथा सम चरण का अंत गुरु लघु (ऽ।) से होना अनिवार्य है. इसे आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहते हैं पहिल बचनियाँ है माता की, बेटा बाघ मारि घर लाउ
आजु बाघ कल बैरी मारिउ, मोर छतिया की दाह बताउ।।
बिन अहेर के हम ना जावैं, चाहे कोटिन करो उपाय
जिसका बेटा कायर निकले, माता बैठि-बैठि पछताय।।

सोरठा

 यह भी अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। यह दोहा का विलोम है, इसके प्रथम व तृतीय चरण में 11-11 और द्वितीय व चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती है

 जो सुमिरत सिधि होई, गननायक करिवर बदन।
करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि राशि शुभ-गुन सदन॥

छप्पय यह एक संयुक्त मात्रिक छंद होता है। इसका निर्माण मात्रिक छंद के रोला छंद और उल्लाला छंद के योग से होता है। छप्पय छंद में 6 चरण होते हैं।  पहले के चार चरणों में 24 मात्राएँ और बाद के दो चरणों में 26-26 या 28-28 मात्राएँ होती हैं। नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।
नदिया प्रेम-प्रवाह, फूल -तो मंडन है।
बंदी जन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद है, बलिहारी इस वेश की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही,सगुण मूर्ति सर्वेश की।।

छंद Question 10:

लघु, गुरु के क्रम को बनाये रखने के लिए किसका प्रयोग होता है?

  1. यति
  2. गति
  3. तुक
  4. गण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गति

छंद Question 10 Detailed Solution

लघु, गुरु के क्रम को बनाये रखने के लिए गति का प्रयोग होता है

Key Points

  •  लघु () और गुरु () के क्रम को बनाये रखने के लिए "गति" का प्रयोग होता है।
  • गति का आशय है- लघु और गुरु मात्राओं के विशेष क्रम जिसमें काव्य की लय और ताल संरक्षित रहती है।

Important Points

  • छंद के विविध प्रकार के अंग होते हैं जो इसे व्यवस्थित और संरचित करते हैं।

यह अंग हैं-

  • वृत्त -
    • छंद के कुल मिला कर कितने वर्ण या मात्रा हैं, इसे निर्धारित करता है। इसमें छंद की लंबाई तय होती है।
  • मात्रा -
    • लघु (।) और दीर्घ (ऽ) के अनुपात को समझना इसमें आता है।
  • गण -
    • छंद के अंतर्गत एक समूह होता है जिसमें तीन वर्ण होते हैं, जैसे: यमाता रा जभान सलगा आदि।
  • यति -
    • छंद में रुकने के स्थान को यति कहते हैं। यह सही स्थान पर थोड़ा ठहराव देता है।
  • गति -
    • पद्य के पाठ में जो बहाव होता है, उसे गति कहते हैं
  • तुक -
    • पाठ के अंत में मेल खाने वाले वर्णों का क्रम, जैसे कविता में तुकांत पंक्तियाँ।
  • क्रम-
    • वर्ण या मात्राओं की स्थायी और नियमित व्यवस्था को छंद क्रमानुसार होना चाहिए।
  • लय- 
    • छंद का ताल (लय) संतुलित और सुसंगठित होना आवश्यक है।

Additional Information 

प्रकार परिभाषा उदाहरण
छंद वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना ''छन्द'' कहलाती है।

निसि न होई जो आपना, दीनबंधु सुकुमार।

सुर नर मुनि सब कहँ सकल, सुखमय हैं संसार।।

(सोरठा)

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