हिन्दी भाषा और उसका विकास MCQ Quiz - Objective Question with Answer for हिन्दी भाषा और उसका विकास - Download Free PDF
Last updated on Jun 12, 2025
Latest हिन्दी भाषा और उसका विकास MCQ Objective Questions
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 1:
बाबा नागार्जुन किस भाषा के लेखक थे?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 1 Detailed Solution
बाबा नागार्जुन 'मैथिली' भाषा के लेखक थे।
Key Points बाबा नागार्जुन-
- जन्म- 30 जून 1911 को वर्तमान मधुबनी जिले के सतलखा में हुआ था।
- इनके पिता का नाम गोकुल मिश्र और माता का नाम उमा देवी था।
- नागार्जुन के बचपन का नाम 'ठक्कन मिसर' था।
- नागार्जुन का असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिन्दी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं।
- नागार्जुन को भारत के आइंस्टीन के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने शून्यवाद के विचार को आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत की तरह प्रतिपादित किया था।
नागार्जुन की प्रमुख रचनाएं-
- युगधारा (1943)
- सतरंगे पंखों वाली (1949)
- प्यासी पथराई आँखें (1962)
- तालाब की मछलियाँ (1974)
- तुमने कहा था (1980)
- खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980)
- हजार-हजार बाँहों वाली (1981)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 2:
इनमें से कौन सी बोली पश्चिमी हिन्दी के अन्तर्गत नहीं आती है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 2 Detailed Solution
बघेली बोली पश्चिमी हिन्दी के अन्तर्गत नहीं आती है।
- यह बोली पूर्वी हिंदी की है।
Key Pointsपूर्वी हिंदी-
- तीन शाखाएँ हैं -
- अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी।
- अवधी-
- अवधी अर्धमागधी प्राकृत की परंपरा में है।
- यह अवध में बोली जाती है।
- इसके दो भेद हैं - पूर्वी अवधी और पश्चिमी अवधी।
- अवधी को बैसवाड़ी भी कहते हैं।
- तुलसी के रामचरितमानस में अधिकांशत: पश्चिमी अवधी मिलती हैं और जायसी के पदमावत में पूर्वी अवधी।
- बघेली-
- बघेली बघेलखंड में प्रचलित है।
- यह अवधी का ही एक दक्षिणी रूप है।
- छत्तीसगढ़ी-
- छत्तीसगढ़ी पलामू (झारखण्ड) की सीमा से लेकर दक्षिण में बस्तर तक और पश्चिम में बघेलखंड की सीमा से उड़ीसा की सीमा तक फैले हुए भूभाग की बोली है।
- इसमें प्राचीन साहित्य नहीं मिलता।
- वर्तमान काल में कुछ लोकसाहित्य रचा गया है।
Important Pointsपश्चिमी हिन्दी-
- इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है।
- इसके अंतर्गत पाँच बोलियाँ हैं -
- खड़ी बोली, हरियाणवी, ब्रज, कन्नौजी और बुंदेली।
- बांगरू -
- यह पंजाब के दक्षिण पूर्व में बोली जाती है।
- कन्नौजी-
- कन्नौजी गंगा के मध्य दोआब की बोली है।
- इसके एक ओर ब्रजमंडल है और दूसरी ओर अवधी का क्षेत्र।
- यह ब्रजभाषा से इतनी मिलती जुलती है कि इसमें रचा गया जो थोड़ा बहुत साहित्य है वह ब्रजभाषा का ही माना जाता है।
- बुंदेली-
- बुंदेली बुंदेलखंड की उपभाषा है।
- बुंदेलखंड में ब्रजभाषा के अच्छे कवि हुए हैं जिनकी काव्यभाषा पर बुंदेली का प्रभाव है।
Additional Informationहिंदी की बोलियाँ-
- हिन्दी की अनेक बोलियाँ (उपभाषाएँ) है-
- जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, हड़ौती,भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुमाउँनी, मगही आदि प्रमुख हैं।
- हिन्दी की बोलियाँ और उन बोलियों की उपबोलियाँ हैं जो अपने में एक बड़ी परंपरा, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं।
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 3:
वेदों की रचना किस भाषा में हुई है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 3 Detailed Solution
- वेदों की रचना वैदिक संस्कृत भाषा में हुई है।
Key Points
संस्कृत साहित्यिक भाषा की दो धाराओं का उल्लेख प्राप्त होता है -
- वैदिक - ऋग्वेद आदि वेदों की भाषा है, जिनकी रचना पाणिनीय व्याकरण के पूर्व हो चुकी थी। अर्थात् जिन्हे पाणिनि ने व्याकरण ग्रन्थ का आधार माना था। इसके अन्तर्गत वेद, आरण्यक, ब्राह्मण और उपनिषद आते हैं।
- लौकिक - पाणिनीय व्याकरण के पश्चात् की रचनाओं को इसके अन्तर्गत रखते हैं। रामायण को लौकिक संस्कृत का प्रथम तथा आदिकाव्य माना जाता है। इसके अन्तर्गत रामायण, महाभारत, नाटक, काव्य, कथा आदि आते हैं।
Important Points
लौकिक साहित्य के विकास के पश्चात् वेदों के मन्त्रों का अर्थावधान कठिन हो गया था। यास्क के अनुसार वेदों के अर्थ ग्रहणार्थ ही वेदाङ्गों का विकास हुआ। वेदाङ्ग से तात्पर्य होता है - वेदों का अङ्ग। वेदों के छः अङ्ग माने गये हैं -
- शिक्षा को उच्चारण का विज्ञान कहते हैं। इनका विस्तार प्रातिशाख्यों में प्राप्त होता है तथा प्रत्येक वेद के अलग अलग प्रातिशाख्य होते हैं जो उनके उच्चारण विधि का वर्णन करते हैं।
- कल्प का अर्थ होता है इसमें वेदों विधान। इसमें मुख्यतः वेदों में वर्णित वैदिक कर्मकाण्ड और यज्ञ - संबन्धी विधान का प्रतिपादन किया जाता है। इसके अन्तर्गत धर्मसूत्र, श्रौत्रसूत्र, गृह्यसूत्र आदि आते हैं।
- व्याकरण को वेदों का मुख कहा गया है। इसमें प्रकृति - प्रत्यय, पदों की व्युत्पत्ति आदि का वर्णन हुआ है।
- निरुक्त का अर्थ होता है निर्वचन करना। इसका मुख्य प्रयोजन है वैदिक शब्दों का अर्थ व्यवस्थित रूप से समझाना। यास्क विरचित निघण्टु ही एक मात्र निरुक्त ग्रन्थ है, जिसमें पाच अध्यायों में वैदिक शब्दों का संग्रह प्राप्त होता है।
- ज्योतिष काल का निर्धारण करता है। इसका प्रयोग वैदिक यज्ञों के संपादन के लिए होता है। वैदिक यज्ञ काल विशेष की अपेक्षा रखते हैं, जिनका निर्धारण ज्योतिष के माध्यम से होता है।
- छन्द पद्यमय वेदों के मन्त्रों के उचित उच्चारण में सहायक होता है।
इन वेदाङ्गों का महत्त्व बताते हुये ही इन्हें वेदों का अङ्ग कहा गया है -
छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते
ज्योतिषामयनं चक्षुर्निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते।
शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम्
तस्मात्सांगमधीत्यैव ब्रह्मलोके महीयते॥
अर्थ - छन्दःशास्त्र वेद के पाद स्थानी है। कल्प ग्रन्थ वेद के हाथ, ज्योतिष नेत्र निरुक्त श्रोत्र, शिक्षा नासिका और व्याकरण वेद के मुख के समान है। जैसे हस्तादि शरीराङ्ग शरीर के उपकारक है, हस्तादि के होने से व्यक्ति कर्म करने में समर्थ हो पाता है, वैसे ही वेदाङ्ग भी वेद के उपकारक हैं। वेदाङ्ग को जानने वाला विद्वान् ही वेदार्थ करने में समर्थ हो सकता है।
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 4:
कौन-सी भाषाएँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 4 Detailed Solution
हिन्दी, मराठी, संस्कृत भाषाएँ देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं।
Key Pointsदेवनागरी लिपि-
- देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कुछ विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं।
- संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, नेपाली, तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं।
- इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं।
- अधितकतर भाषाओं की तरह देवनागरी भी बायें से दायें लिखी जाती है।
- देवनागरी लिपि, जिसमें 14स्वर और 33 व्यञ्जन सहित 47 प्राथमिक वर्ण हैं।
- इसका विकास ब्राम्ही लिपि से हुआ
Additional Informationतमिल-
- तमिल एक लिपि है जिसमें तमिल भाषा लिखी जाती है।
- इसके अलावा सौराष्ट्र, बडगा, इरुला और पनिया आदि भाषाएँ भी तमिल लिपि में लिखी जाती हैं।
- यह लिपि भारत और श्रीलंका में तमिल भाषा को लिखने में प्रयोग की जाती है।
लेप्चा-
- लेप्चा पूर्वी नेपाल, पश्चिमी भूटान और भारत के सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग में रहने वाली जनजाति है।
- इस जाति द्वारा बोली जाने वाली भाषा को ही लेप्चा भाषा कहते हैं।
- सिक्किम में प्रचलित लेप्चा भाषा की अपनी लिपि है।
मुंडारी-
- उत्तरी
मुंडा भाषा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड के छोटा नागपुर के पठार में बोली जाती है। - इसमें कुर्कू, संथाली, मुंडारी, भूमिज और हो भाषाएं शामिल हैं।
- इसमें संथाली की अपनी लिपि है लेकिन मुंडारी और भूमिज की लिपि नहीं है।
- दक्षिण मुंडा भाषाएं मध्य ओडिशा एवं आंध्र प्रदेश और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्र में बोली जाती है।
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 5:
इनमें से किस राज्य की मुख्य राजभाषा हिंदी नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 5 Detailed Solution
असम राज्य की मुख्य राजभाषा हिंदी नहीं है।
- छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश व झारखंड की राज्य की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- असम में असमिया मुख्य राजभाषा है।
- असमिया लिपि मूलत: ब्राह्मी का ही एक विकसित रूप है।
- असम में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ बांग्ला, हिन्दी, बोडो, नेपाली।
असमिया साहित्य का मूल रूप मुख्यत: तीन लेखकों द्वारा निर्मित हुआ -
- चंद्रकुमार अग्रवाल (1858-1938)
- लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ (1858-1938)
- हेमचंद्र गोस्वामी (1872-1928)
Key Pointsअन्य विकल्प -
छत्तीसगढ़
- यहाँ की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- छत्तीसगढ़ी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में बोली जाने वाली भाषा है।
- छत्तीसगढ़ी २ करोड़ लोगों की मातृभाषा है।
- इसकी लिपि देवनागरी है।
- छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ ओड़िया, बांग्ला, तेलुगु।
हिमाचल प्रदेश
- यहाँ की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- हिमाचल प्रदेश में बोले जाने वाली भाषा का नाम पहाड़ी है।
- हिमाचल प्रदेश में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ पंजाबी, नेपाली, कश्मीरी, डोगरी।
झारखंड
- यहाँ की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- झारखंड प्रदेश में क्षेत्रीय भाषा के रूप में मुख्यतः नागपुरी, खोरठा, पंचपरगानिया व कुरमाली है।
- झारखंड प्रदेश में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ सन्थाली, बांग्ला, उर्दू, ओड़िया।
Additional Information
क्षेत्र | मुख्य राजभाषा |
अंडमान एवं निकोबार | बांग्ला |
केरल | मलयालम |
बिहार | हिन्दी |
गोवा | कोंकणी |
गुजराती | गुजराती |
दिल्ली | हिन्दी |
लद्दाख | लद्दाखी |
लक्षद्वीप | मलयालम |
मध्य प्रदेश | हिन्दी |
ओड़ीसा | ओड़िया |
पंजाब | पंजाबी |
राजस्थान | हिन्दी |
सिक्किम | नेपाली |
तमिलनाडु | तमिल |
उत्तराखण्ड | हिन्दी |
पश्चिम बंगाल | बांग्ला |
उत्तर प्रदेश | हिन्दी |
तेलंगना
|
तेलुगु |
त्रिपुरा | बांग्ला |
पुद्दुचेरी | तमिल |
नागालैंड | नागा |
महाराष्ट्र | मराठी |
मणिपुर | मणिपुरी |
मेघालय | खासी |
मिजोरम | मिजो |
कर्नाटक | कन्नड |
जम्मू-कश्मीर | कश्मीरी |
आंध्र प्रदेश | तेलुगु |
Top हिन्दी भाषा और उसका विकास MCQ Objective Questions
“ब्राम्ही” से किस लिपि की उत्पत्ति हुई है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF‘देवनागरी’ , यहाँ सही विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- देवनागरी भारत, नेपाल, तिब्बत और दक्षिण पूर्व एशिया की लिपियों के ब्राह्मी लिपि परिवार का हिस्सा है।
- अत: सही विकल्प 1 'देवनागरी' है।
Additional Information
अन्य विशेष
लिपि |
उत्पत्ति |
खरोष्ठी |
इसे विदेशी उद्गम लिपि यानी अरामाइक और सीरियाई लिपि से विकसित माना जाता है। |
गुरमुखी |
इसमें पंजाबी भाषा लिखी जाती है। इसकी उत्पत्ति सारदा लिपि अथवा देवनागरी दोनों से मानी जाती है। |
कैथी |
कैथी लिपि का उपयोग मद्यकालीन भारत में उत्तर भारत क्षेत्र में किया जाता था। |
हिन्दी भाषा की कितनी उपभाषाएँ हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से "पाँच" हिन्दी भाषा की उपभाषाएँ हैं।
Key Points
- हिंदी भाषा का विकास शौरसेनी, मागधी और अर्धमागधी अपभ्रंशों से पाँच उपभाषाओं-
- पश्चिमी हिंदी, पहाड़ी, राजस्थानी, बिहारी और पूर्वी हिंदी के रूप में हुआ है।
- इन उपभाषाओं से विभिन्न बोलियाँ विकसित हुईं।
Important Pointsबोली -
- एक छोटे क्षेत्र में बोली जानेवाली भाषा बोली कहलाती है। बोली में साहित्य रचना नहीं होती है।
उपभाषा -
- अगर किसी बोली में साहित्य रचना होने लगती है और क्षेत्र का विकास हो जाता है,
- तो वह बोली न रहकर उपभाषा बन जाती है।
भाषा-
- साहित्यकार जब उस भाषा को अपने साहित्य के द्वारा परिनिष्ठित सर्वमान्य रूप प्रदान कर देते हैं,
- तथा उसका और क्षेत्र विस्तार हो जाता है तो वह भाषा कहलाने लगती है।
Additional Information
उपभाषा | बोलियाँ | मुख्य क्षेत्र |
---|---|---|
राजस्थानी | मारवाड़ी(पश्चिमी राजस्थानी),
जयपुरी या ढुँढाड़ी(पूर्वी राजस्थानी), मेवाती (उत्तरी राजस्थानी), मालवी(दक्षिणी राजस्थानी), |
राजस्थान |
पश्चिमी हिन्दी | (आकार बहुला)कौरवी या खड़ी बोली,बाँगरू या हरियाणवी
(ओकार बहुला)ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली |
हरियाणा, उत्तर प्रदेश |
पूर्वी हिन्दी | अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी | मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश |
बिहारी | भोजपुरी, मगही | बिहार, उत्तर प्रदेश |
पहाड़ी | पहाड़ी, कुमाऊँनी, गढ़वाली | उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश |
'भाषा संवर्धिनी सभा' कहाँ स्थापित की गई थी?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर अलीगढ़ है।
- अलीगढ़ में 1877 में भाषा संवर्धिनी सभा बनी।
- 'भाषा संवर्धिनी सभा' के संस्थापक बाबू तोताराम थे।
Key Points
बाबू तोताराम
- इनका जन्म अलीगढ़ के नगला सिंह में 1847 में हुआ।
- हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए 'भारत-बंधु' पत्र निकाला।
- भारतवर्षीय नेशनल एसोसिएशन का गठन किया।
- 1894 में सार्वजनिक पुस्तकालय की नींव डाली जिसका नाम लायल लाइब्रेरी रखा गया।
- इन्होंने 11 ग्रंथों की रचना की।
- 7 दिसंबर 1902 में तोताराम का निधन हो गया।
निम्नलिखित में से कौन सी भाषा पश्चिमी हिंदी से संबंध रखती है ?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFनिम्नलिखित में से बाँगरू पश्चिमी हिंदी से संबंधित है।
Key Points
- पश्चिमी हिंदी का विकास शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ है।
- पश्चिमी हिंदी की बोलियां-ब्रजभाषा,कन्नौजी,बुंदेली,कौरवी/खड़ी बोली,हरियाणवी(जाटू, बाँगरू),दक्खिनी।
- पूर्वी हिंदी का विकास अर्धमागधी से हुआ है।
- पूर्वी हिंदी की बोलियां-अवधि,बघेली,छत्तीसगढ़ी।
Additional Information
- शौरसेनी अपभ्रंश के अंतर्गत राजस्थानी हिंदी,पहाड़ी हिंदी,पश्चिमी हिंदी आती है।
- राजस्थानी हिंदी की बोलियां-मारवाड़ी,मालवी,मेवाती,जयपुरी।
- पहाड़ी हिंदी की बोलियां-कुमाउँनी,गढ़वाली।
- बिहारी हिंदी की बोलियां-भोजपुरी,मगही,मैथिली।
"संसार की कोई लिपि यदि सर्वाधिक पूर्ण है, तो वह एकमात्र देव नागरी है।" यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF"संसार की कोई लिपि यदि सर्वाधिक पूर्ण है, तो वह एकमात्र देव नागरी है।" यह कथन आइजक पिटमेन का है।
Key Points
आइजक पिटमैन -
- पिटमैन ने 'शीघ्रलिपि' फोनोग्राफी का अनुसंधान किया था उनका मानना था कि संसार की कोई लिपि यदि सर्वाधिक पूर्ण है तो वह एकमात्र देवनागरी है।
- यदि संसार की कोई लिपि सर्वाधिक पूर्ण है, तो वह एकमात्र देवनागारी है।
Important Points
देवनागरी लिपि -
- भारतीय उपमहाद्वीप में प्रयुक्त प्राचीन ब्राह्मी लिपि पर आधारित है।
- बाएँ से दाएँ लिखी जाती है।
- प्राचीन भारत में पहली से चौथी शताब्दी ई. तक इसे विकसित किया गया।
- इसमें 47 वर्ण है जिसमे 14 स्वर और 33 व्यंजन होते।
- यह एक ध्वन्यात्मक वैज्ञानिक लिपि है।
- इसमें वर्ण को जैसा लिखा जाता है वैसा का वैसा उच्चारण किया जाता है।
- इसमें प्रत्येक वर्ण पर शिरोरेखा को लगाई जाती है।
Additional Information
ब्लूमफील्ड –
- ब्लूमफील्ड कहते हैं कि किसी भाषिक रूप का अर्थ "वह स्थिति जिसमें वक्ता उसका इस्तेमाल करता है' तथा 'वह अनुक्रिया जो उससे श्रोता में उत्पन्न होती है' में निहित होता है। ऐसी स्थिति में किसी भाषिक रूप के अर्थ कोक ठीक-ठीक तभी बतलाया जा सकता है जब उसका सम्बंध किसी ऐसी चीज से हो,जिसकी हमें वैज्ञानिक जानकारी हो।
विलियम जोन्स –
- 1784 ई.में "बंगाल एशियाटिक सोसाइटी" की स्थापना की जिससे भारत के इतिहास, पुरातत्व, विशेषकर साहित्य और विधिशास्त्र संबंधी अध्ययन की नींव पड़ी।
- यूरोप में उसी ने संस्कृत साहित्य की गरिमा सबसे पहले घोषित की।
- कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम के अनुवाद ने संस्कृत और भारत संबंधी यूरोपीयदृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी।
इनमें से कौन-सी बोली अर्धमागधी अपभ्रंश से निकली है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर बघेली है।
- बघेली भारत के बघेलखण्ड क्षेत्र में बोली जाती है।
- बघेले राजपूतों के आधार पर रीवा तथा आसपास का क्षेत्र बघेलखंड कहलाता है वहीं की बोली को बघेली या बघेलखंडी कहलाती हैं।
Key Points
अपभ्रंश और आधुनिक भारतीय भाषाएँ -
- शौरसेनी
- पश्चिमी हिन्दी (ब्रजभाषा, खड़ी बोली, बांगरु, कन्नौजी, बुंदेली),
- गुजराती,
- राजस्थानी (मेवाती, मारवाड़ी, मालवी, जयपुरी)
- अर्धमागधी
- पूर्वी हिन्दी (अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी)
- मागधी
- बिहारी (भोजपुरी, मैथिली, मगही), बंगला, उड़िया, असमिया
- खस
- पहाड़ी हिन्दी
- पैशाची
- लहंदा, पंजाबी
- ब्राचड़
- सिन्धी
- महाराष्ट्री
- मराठी
देवनागरी अंक कितने होते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFदेवनागरी अंक दस होते है।
Key Points
- इसमें दस संकेतों का उपयोग होता है। (०, १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९)
Important Points
देवनागरी;-
|
निम्नलिखित बोलियों में से कौन - सी बोली उत्तर प्रदेश में सामान्यत: नहीं बोली जाती?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में उचित उत्तर ‘मैथिली’ है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- मैथिली बोली उत्तर प्रदेश में सामान्यत: नहीं बोली जाती है।
- मैथिली- मैथिली मुख्य रूपर से भारत के बिहार राज्य और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की भाषा है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगती है।
अन्य विकल्प -
अवधी |
अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश के "अवध क्षेत्र" (लखनऊ, रायबरेली, सुल्तानपुर, बाराबंकी, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, अयोध्या, जौनपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशाम्बी, अम्बेडकर नगर, गोंडा,बस्ती, बहराइच,बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती तथा फतेहपुर) में बोली जाती है। |
ब्रजभाषा |
हिन्दी की एक उपभाषा है जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में बोली जाती है। इसके अलावा यह भाषा हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश के कुछ जनपदों में भी बोली जाती है। |
खड़ी बोली |
यह वह भाषा है जो मोटे तौर पर आज की मानक हिन्दी का एक पूर्वरूप है। भाषाविज्ञान की दृष्टि से इसे आदर्श (स्टैंडर्ड) हिंदी, उर्दू तथा हिंदुस्तानी की आधार स्वरूप बोली होने का गौरव प्राप्त है। किन्तु 'खड़ी बोली' से आपस में मिलते जुलते अनेक अर्थ निकाले जाते हैं। |
Additional Information
बोली- बोली भाषा का प्रारंभिक रूप कहलाती है। यह एक सीमित क्षेत्र तक बोली जाती है। अर्थात भाषा के क्षेत्रीय रूप को बोली कहते हैं। जब एक ही भाषा अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह से बोली जाती है, तो उसे बोली कहते हैं। |
पूर्वी हिन्दी के अन्तर्गत कौन-सी बोली नहीं आती है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर भोजपुरी है।
- भोजपुरी भाषा का नामकरण बिहार राज्य के आरा ज़िले में स्थित भोजपुर नामक गाँव के नाम पर हुआ है।
- भोजपुरी भाषा 1000 से अधिक साल पुरानी भाषा है।
- भोजपरी की उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुआ है।
- भोजपुरी भाषा की प्रधान बोलियाँ -
- आदर्श भोजपुरी
- पश्चिमी भोजपुरी
- 'मघेसी' तथा 'थारु'
Key Points
पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी-
- पूर्वी हिंदी में तीन बोलियाँ आती हैं -
- अवधी
- बघेली
- छत्तीसगढ़ी
- पश्चिमी हिन्दी की पाँच बोलियाँ हैं -
- खड़ी बोली
- हरियाणवी
- ब्रजभाषा
- कन्नौजी
- बुंदेली
इनमें से किस राज्य की मुख्य राजभाषा हिंदी नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
हिन्दी भाषा और उसका विकास Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFअसम राज्य की मुख्य राजभाषा हिंदी नहीं है।
- छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश व झारखंड की राज्य की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- असम में असमिया मुख्य राजभाषा है।
- असमिया लिपि मूलत: ब्राह्मी का ही एक विकसित रूप है।
- असम में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ बांग्ला, हिन्दी, बोडो, नेपाली।
असमिया साहित्य का मूल रूप मुख्यत: तीन लेखकों द्वारा निर्मित हुआ -
- चंद्रकुमार अग्रवाल (1858-1938)
- लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ (1858-1938)
- हेमचंद्र गोस्वामी (1872-1928)
Key Pointsअन्य विकल्प -
छत्तीसगढ़
- यहाँ की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- छत्तीसगढ़ी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में बोली जाने वाली भाषा है।
- छत्तीसगढ़ी २ करोड़ लोगों की मातृभाषा है।
- इसकी लिपि देवनागरी है।
- छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ ओड़िया, बांग्ला, तेलुगु।
हिमाचल प्रदेश
- यहाँ की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- हिमाचल प्रदेश में बोले जाने वाली भाषा का नाम पहाड़ी है।
- हिमाचल प्रदेश में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ पंजाबी, नेपाली, कश्मीरी, डोगरी।
झारखंड
- यहाँ की मुख्य राजभाषा हिंदी है।
- झारखंड प्रदेश में क्षेत्रीय भाषा के रूप में मुख्यतः नागपुरी, खोरठा, पंचपरगानिया व कुरमाली है।
- झारखंड प्रदेश में बोली जाने वाली अन्य भाषाएँ सन्थाली, बांग्ला, उर्दू, ओड़िया।
Additional Information
क्षेत्र | मुख्य राजभाषा |
अंडमान एवं निकोबार | बांग्ला |
केरल | मलयालम |
बिहार | हिन्दी |
गोवा | कोंकणी |
गुजराती | गुजराती |
दिल्ली | हिन्दी |
लद्दाख | लद्दाखी |
लक्षद्वीप | मलयालम |
मध्य प्रदेश | हिन्दी |
ओड़ीसा | ओड़िया |
पंजाब | पंजाबी |
राजस्थान | हिन्दी |
सिक्किम | नेपाली |
तमिलनाडु | तमिल |
उत्तराखण्ड | हिन्दी |
पश्चिम बंगाल | बांग्ला |
उत्तर प्रदेश | हिन्दी |
तेलंगना
|
तेलुगु |
त्रिपुरा | बांग्ला |
पुद्दुचेरी | तमिल |
नागालैंड | नागा |
महाराष्ट्र | मराठी |
मणिपुर | मणिपुरी |
मेघालय | खासी |
मिजोरम | मिजो |
कर्नाटक | कन्नड |
जम्मू-कश्मीर | कश्मीरी |
आंध्र प्रदेश | तेलुगु |