वैचारिक पृष्ठभूमि MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वैचारिक पृष्ठभूमि - Download Free PDF
Last updated on May 12, 2025
Latest वैचारिक पृष्ठभूमि MCQ Objective Questions
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 1:
निम्नलिखित में से कौनसे युग्म सही हैं?
(A) कार्ल मार्क्स - द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
(B) फर्दिनाद-डि-सस्यूर - संरचनावाद
(C) जॉक देरिदा - नव्यशास्त्रवाद
(D) क्लीन्थ ब्रुक्स - विडंबना, विसंगति और अंतर्विरोध
(E) रोलां बार्थ - प्राकृतवाद
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (B), (D)
Key Points
- (B) सही: फर्दिनाद-डि-सस्यूर संरचनावाद के प्रमुख सिद्धांतकार हैं।
- (D) सही: क्लीन्थ ब्रुक्स विडंबना, विसंगति और अंतर्विरोध (आइरनी) के सिद्धांत से जुड़े हैं।
Important Points
- (A) गलत: यह कथन सही है कि कार्ल मार्क्स द्वंद्वात्मक भौतिकवाद से जुड़े हैं, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो युग्म सही होने चाहिए, और (B), (D) प्राथमिक रूप से सही हैं।
- (C) गलत: जॉक देरिदा विखंडनवाद और उत्तर-संरचनावाद से जुड़े हैं, न कि नव्यशास्त्रवाद से (जो बेन जानसन से संबंधित है)।
- (E) गलत: रोलां बार्थ लेखक की मृत्यु के सिद्धांत से जुड़े हैं, न कि प्राकृतवाद से (जो एमिल जोला से संबंधित है)।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 2:
आधुनिकता के अनुभव और साहित्य में इसके स्वरूप से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
(A) कवि का आधुनिकता का अनुभव तब उत्पन्न होता है जब वह अपने समय को केवल अनुभव करता है, न कि उसे भोगता है।
(B) आधुनिकता का जन्म कवि की चेतना में उत्पन्न क्षोभ और नवीनता के अनुभव से होता है।
(C) साहित्य में आधुनिक बोध रचनाकारों के समय में व्याप्त शोषण, अन्याय और बेईमानी से उत्पन्न नवीन विचारों का परिणाम है।
(D) आधुनिकतावाद तब प्रकट होता है जब आधुनिक बोध साहित्य में अभिव्यक्त होता है।
(E) आधुनिकता-बोध का प्रश्न साहित्य में परिस्थितियों से स्वतंत्र रहता है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (B), (C), (D)
Key Pointsसही है-
- (B) सही: आधुनिकता का जन्म कवि की चेतना में क्षोभ और नवीनता के अनुभव से होता है, जैसा कि विवरण में उल्लेख है।
- (C) सही: आधुनिक बोध रचनाकारों द्वारा समय में व्याप्त शोषण, अन्याय, और बेईमानी से उत्पन्न नवीन विचारों का परिणाम है।
- (D) सही: आधुनिक बोध के साहित्य में अभिव्यक्त होने पर इसे आधुनिकतावाद माना जाता है।
Additional Information
- (A) गलत: विवरण के अनुसार, कवि का आधुनिकता का अनुभव तब उत्पन्न होता है जब वह अपने समय को अनुभव करता है और उसे भोगता है, न कि केवल अनुभव करता है।
- (E) गलत: आधुनिकता-बोध का प्रश्न साहित्य में परिस्थितियों पर निर्भर रहता है, न कि स्वतंत्र।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 3:
आधुनिकता और आधुनिकतावाद के साहित्यिक परिप्रेक्ष्य से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
(A) आधुनिकता का अनुभव कवि की चेतना में क्षोभ के बिना भी उत्पन्न हो सकता है।
(B) आधुनिक बोध रचनाकारों के अपने समय के शोषण और अवसरवादिता से उत्पन्न विचारों का भंडार है।
(C) साहित्य में आधुनिकतावाद आधुनिक बोध की अभिव्यक्ति का परिणाम है।
(D) आधुनिकता-बोध का विकास सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
(E) आधुनिकतावाद का साहित्य में कोई संबंध नवीन विचारों से नहीं है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (B), (C), (D)
Key Pointsविश्लेषण:
- (B) सही: आधुनिक बोध रचनाकारों के समय में व्याप्त शोषण और अवसरवादिता से उत्पन्न विचारों का भंडार है।
- (C) सही: आधुनिकतावाद आधुनिक बोध की साहित्यिक अभिव्यक्ति का परिणाम है।
- (D) सही: आधुनिकता-बोध का विकास सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है।
Additional Information
- (A) गलत: आधुनिकता का अनुभव कवि की चेतना में क्षोभ के साथ उत्पन्न होता है, न कि इसके बिना।
- (E) गलत: आधुनिकतावाद का साहित्य में संबंध नवीन विचारों से है, जैसा कि आधुनिक बोध के माध्यम से स्पष्ट है।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 4:
आधुनिकता के काव्यात्मक और साहित्यिक आयामों से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
(A) कवि का अपने समय को भोगना आधुनिकता के अनुभव का एक आवश्यक हिस्सा है।
(B) आधुनिकता का स्वरूप नवीनता और कवि के क्षोभ के अनुभव से विस्तार पाता है।
(C) आधुनिक बोध का संबंध रचनाकारों के समय की बेईमानी और अन्याय से उत्पन्न विचारों से है।
(D) आधुनिकतावाद तब उत्पन्न होता है जब साहित्य सामाजिक परिस्थितियों से अप्रभावित रहता है।
(E) आधुनिकता-बोध का प्रश्न साहित्य में हमेशा सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर रहता है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (A), (B), (C), (E)
- विश्लेषण:
- (A) सही: कवि का अपने समय को भोगना आधुनिकता के अनुभव का एक आवश्यक हिस्सा है, जैसा कि विवरण में उल्लेख है।
- (B) सही: आधुनिकता का स्वरूप नवीनता और कवि के क्षोभ के अनुभव से विस्तार पाता है।
- (C) सही: आधुनिक बोध का संबंध रचनाकारों के समय की बेईमानी और अन्याय से उत्पन्न विचारों से है।
- (D) गलत: आधुनिकतावाद सामाजिक परिस्थितियों से प्रभावित होता है, न कि अप्रभावित रहता है।
- (E) सही: आधुनिकता-बोध का प्रश्न साहित्य में सामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर रहता है।
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 5:
आधुनिकतावाद और साहित्य में इसके प्रभाव से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
(A) आधुनिक बोध रचनाकारों द्वारा अपने समय के शोषण और अन्याय से उत्पन्न विचारों का परिणाम है।
(B) आधुनिकतावाद साहित्य में आधुनिक बोध की अभिव्यक्ति के रूप में प्रकट होता है।
(C) कवि की चेतना में क्षोभ आधुनिकता के अनुभव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
(D) आधुनिकता का अनुभव केवल सामाजिक परिवर्तनों पर निर्भर करता है, न कि कवि के व्यक्तिगत अनुभव पर।
(E) साहित्य में आधुनिकता-बोध का प्रश्न परिस्थितियों से प्रभावित होता है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कीजिए-
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - केवल (A), (B), (C), (E)
विश्लेषण:
- (A) सही: आधुनिक बोध रचनाकारों द्वारा अपने समय के शोषण और अन्याय से उत्पन्न विचारों का परिणाम है।
- (B) सही: आधुनिकतावाद साहित्य में आधुनिक बोध की अभिव्यक्ति के रूप में प्रकट होता है।
- (C) सही: कवि की चेतना में क्षोभ आधुनिकता के अनुभव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- (D) गलत: आधुनिकता का अनुभव कवि के व्यक्तिगत अनुभव और सामाजिक परिवर्तनों दोनों पर निर्भर करता है, न कि केवल सामाजिक परिवर्तनों पर।
- (E) सही: साहित्य में आधुनिकता-बोध का प्रश्न परिस्थितियों से प्रभावित होता है।
Top वैचारिक पृष्ठभूमि MCQ Objective Questions
स्त्री - विमर्श की मूल स्थापना नहीं है -
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF- सतीत्व ही स्त्रीत्व है, यह स्त्री विमर्श की मूल स्थापना नहीं है।
- स्त्री विमर्श हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण विमर्श है।
Key Points
- अस्मिता मूलक विमर्शों में सबसे बड़ा विमर्शI
- लिंग भेद पर आधारित विमर्शI
- दूसरा नाम - नारीवाद अथवा मातृसत्तात्मकI
- स्त्री स्वतंत्रता, घरेलू हिंसा , सामान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीडन, भेदभाव, प्रजनन संबंधी अधिकार आदि मुख्य चिंताएंI
Important Points
- प्रारम्भ -बीसवीं सदी
- फ्रांसीसी लेखक सिमोन द बोउवार की पुस्तक द सेकंड सेक्स (1949) से विमर्श की शुरुआत I
- कुछ विद्वान मैरी एलमन की पुस्तक थिंकिंग अबाउट वीमन (1968) से भी इसकी शुरुआत मानते हैंI
Additional Information
- महत्वपूर्ण पुस्तकें -
- औरत के लिए औरत - नासिरा शर्मा (2003)
- हिंदी साहित्य का आधा इतिहास - सुमन राजे (2003)
- खुली खिड़कियाँ- मैत्रेयी पुष्पा ( 2003)
- उपनिवेश में स्त्री - प्रभा खेतान ( 2003) आदिI
भारतीय नवजागरण के संबंध में उपयुक्त कथन हैं
A. नवजागरण का जमाना सभ्यताओं की टकराहट का न होकर सभ्यताओं के आत्म निरीक्षण का था।
B. ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने स्त्री अधिकार आंदोलनों की निंदा की।
C. औपनिवेशिक माहोल में भारत का नवजागरण बुद्धिवादी जागरूकता के अलावा राष्ट्रीय आत्म पहचान का संघर्ष भी था।
D. स्वामी दयानंद सरस्वती हिन्दुओं की मूर्तिपूजा का समर्थन करते थे।
E. भारतीय नवजागरण के जनक राजा राममोहन राय को जीवन में आरंभिक काल में ही रूढ़िवादियों के प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFभारतीय नवजागरण के संबंध में उपयुक्त कथन है- केवल A, C और EKey Points
- भारतीय नवजागरण के संबंध में उपयुक्त सही कथन -
- A. नवजागरण का जमाना सभ्यताओं की टक्कर आहट का नया होकर सभ्यताओं के आत्मनिरीक्षण का था।
- C. औपनिवेशिक माहौल में भारत का नवजागरण बुद्धिवादी जागरूकता के अलावा राष्ट्रीय आत्म पहचान का संघर्ष भी था।
- E. भारतीय नवजागरण के जनक राजा राममोहन राय को जीवन में आरंभिक काल में ही रूढ़ीवादियों का प्रबल विरोध का सामना करना पड़ा।
Important Points
- 'रेनेसां' नवजागरण या पुनर्जागरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम प्रसिद्ध फ्रांसीसी इतिहासकार मिशेसेट 19वीं सदी के पूर्वार्ध में किया।
- हिंदी में नवजागरण या पुनर्जागरण के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र को माना जाता है।
- ईसाई धर्म प्रचारक भारतीय धर्म समाज की मान्यताओं की खिल्ली उड़ा रहे थे वह भारतीय धर्म तथा समाज में व्यक्तियों का मजाक उड़ा कर नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे थे।
- भोले भाले भारतीयों को इसाई धर्म स्वीकार करने के लिए लालायित भी करे थे।
- राजा राममोहन राय देवेंद्रनाथ ठाकुर केशव चंद्र सेन ईश्वर चंद्र विद्यासागर दयानंद सरस्वती विवेकानंद आदि महापुरुषों ने सांस्कृतिक एवं सामाजिक रूप से भारतीय जनता को जागृत करने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
- विधवा विवाह को उचित बताया और बाल विवाह को अनुचित बताया।
- सती प्रथा पर रोक लगाई गई।
- देश की उन्नति के लिए अछूतोंद्वार का प्रयास किया गया।
- ब्रह्मसमाज राजा राममोहन राय 1828 ईसवी में स्थापित किया।
- प्रार्थना समाज की केशव चंद्रसेन ने 1857 ई. स्थापना की की।
- रामकृष्ण मिशन विवेकानंद जी ने चलाया।
- आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 ई. में बंबई में की।
- थियोसॉफिकल सोसायटी मैडम ब्लावत्सकी ने 1875 ईस्वी में न्यूयॉर्क में स्थापना की।
Additional Information
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने स्त्री अधिकार आंदोलनों का समर्थन किया था।
- उन्होंने विधवा विवाह है पर जोर दिया।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदुओं की मूर्ति पूजा का विरोध किया था।
- इन्होंने हिंदू धर्म और संस्कृति के उन्नयन हेतु आर्य समाज नामक संस्था की स्थापना की।
- समूचे देश में राष्ट्रीय भावना का संचार करने राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार करने का श्रेय स्वामी दयानंद सरस्वती को जाता है।
- स्वामी दयानंद सरस्वती ने 'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना हिंदी में की और आर्य समाज का सारा कामकाज हिंदी में प्रारंभ किया।
- आर्य समाज में अनेक शिक्षा संस्थाओं की स्थापना की तथा पुस्तकों, पत्र-पत्रिकाओं, उपदेशों, प्रवचनों शास्त्रोंर्थो के अनुवाद ग्रंथों के माध्यम से हिंदी के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उत्तर आधुनिकता की प्रवृत्ति मानी जाती है:
A. सांस्थानिक शैथिल्य तथा सर्वसत्तावाद के स्थान पर बहुलता को प्रोत्साहन
B. हाशिए के लोगों के अधिकारों का समर्थन
C. महावृतांत का समर्थन
D. साहित्य में विरचनावाद (विखंडनवाद) की प्रतिष्ठा
E. कृति को अखंडता में देखने की प्रवृत्ति का समर्थन
नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउत्तर आधुनिकता की प्रवृत्ति मानी जाती है- केवल A, B और D
Key Points
उत्तर आधुनिकता-
- उत्तर आधुनिकता मानता है कि भाषा का संबंध व्यक्ति से नहीं बल्कि शब्द से है, तो इसका परिणाम खंडित व्यक्तित्व में देखा जा सकता है इसलिए यह विखंडित व्यक्तियों को तैयार करते हैं और वे पीछे मुड़कर नहीं देखते, न ही उनके पास आगे की दृष्टि होती है एक पंक्ति में कहे विखंडित समाज और विखंडित व्यक्तित्व
- उत्तर आधुनिकता की प्रवृत्ति –
- सांस्थानिक शैथिल्य तथा सर्वसत्तावाद के स्थान पर बहुलता को प्रोत्साहन।
- हाशिए के लोगों के अधिकारों का समर्थ
- साहित्य में विरचनावाद (विखंडनवाद) की प्रतिष्ठा
Important Points
उत्तर आधुनिकतावाद –
- 20 वीं शताब्दी के दूसरे भाग में दर्शनशास्त्र, कला, वास्तुशास्त्र और आलोचना के क्षेत्रों में फैला एक सांस्कृतिक आंदोलन था।
- जिसने अपने से पहले प्रचलित आधुनिकतावाद को चुनौती दी और सांस्कृतिक वातावरण बदल डाला।
- उत्तर आधुनिकता के जनक ज्या फ्रांकोइस ल्योतार हैं।
- सर्वप्रथम उत्तर आधुनिकता वास्तुकला के क्षेत्र में प्रकट हुई, लेकिन इसका विकास दर्शन, साहित्य व समीक्षा के क्षेत्र में भी हो चुका है।
- उत्तर आधुनिकता व्यक्ति केंद्रित समीक्षा दृष्टि है जो मानती है कि कुछ भी संपूर्ण नहीं है । यह संपूर्णता का खंडन करती है।
- इस नई विचारशैली में विचारधाराओं, एक निर्धारित दिशा वाले सामाजिक विकास और वस्तुनिष्ठावाद के विरुद्ध, और संशयवाद, व्यक्तिपरकता और व्यंगोक्ति की ओर रुझान प्रचलित हो गया।
Additional Information
- महावृतांत का समर्थन उत्तर आधुनिकता की प्रवृत्ति नहीं है।
- कृति को अखंडता में देखने की प्रवृत्ति का समर्थन भी उत्तर आधुनिकता में नहीं किया जाता।
नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक हैं:
A. शिव कुमार सिंह
B. मेहता लज्जाराम
C. रामनारायण मिश्र
D. बालकृष्ण भट्ट
E. श्याम सुंदर दास
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFनागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक है 2) A, C, और E
- शिवकुमार सिंह
- राम नारायण मिश्र
- श्यामसुंदर दास
Key Points
- नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी की स्थापना 1893 ईस्वी में काशी में हुई।
- श्यामसुंदर दास राम नारायण मिश्र और शिव कुमार सिंह के प्रयासों से नागरिक प्रचारिणी सभा वाराणसी की स्थापना हुई यह तीनों इस सभा के संस्थापक सदस्य थे
Important Points
- 1896 ईस्वी में इस सभा के द्वारा ' नागरिक प्रचारिणी पत्रिका' का संपादन प्रारंभ हुआ।
- 1910 ईस्वी में नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के द्वारा 'हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग' की स्थापना की गई।
- श्यामसुंदर दास ने 'कबीर ग्रंथावली' का संपादन किया।
Additional Information
- बालकृष्ण भट्ट
- भारतेंदु युग के आयु काल की दृष्टि से सबसे वरिष्ठतम सदस्य है।
- इन्होंने साहित्य को "जन समूह की हृदय का विकास" कहा है।
- इन्हें हिंदी का स्टील कहा जाता है।
- बालकृष्ण भट्ट ने 1878 ई. इलाहाबाद से हिंदी प्रदीप पत्र निकाला।
- इनकी रचनाएं -
- कलिराज की सभा
- बाल विवाह
- चंद्रसेन रहस्य कथा।
- उपन्यास -
- सो अजान एक सूजान
- नूतन ब्रह्मचारी
- मेहता लज्जाराम का उपन्यास आदर्श हिंदू है।
- यह हिंदी की प्रथम त्रिकथा है।
भक्ति आन्दोलन पर किस कवि ने गंभीरता से विचार किया है:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFभक्ति आंदोलन पर मुक्तिबोध ने गंभीरता से विचार किया है।
Key Points
- गजानन माधव मुक्तिबोध ने अपने आलोचना ग्रंथ 'भारतीय इतिहास और संस्कृति में ' भक्ति आंदोलन पर गंभीरता से विचार किया।
- इनके अन्य आलोचना ग्रंथ है -
- तार सप्तक के कवि
- कामायनी एक पुनर्विचार
- नई कविता का आत्म संघर्षऔर अन्य निबंध
- नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र
Important Points
- मुक्तिबोध की अन्य काव्य कृतियां हैं –
- चांद का मुंह टेढ़ा
- भूरी भूरी खाक धूल
- कहानी संग्रह - विपात्र
- सतह से उठता आदमी
- प्रगतिवादी दृष्टिकोण है।
- ब्रह्मराक्षस और अंधेरे में प्रसिद्ध कविता के रचयिता
- शोषितो के प्रति गहरा लगाव जीवन से जुड़ी कविता के सर्जक
- बिंब विधान एवं शिल्प सजगता के कवि प्रतीक विधान में नयापन
- कविता मे क क्लिष्टता एवं जटिलताएं है।
Additional Information
- रघुवीर सहाय की रचनाएं -
- सीढ़ियों पर धूप में1960
- आत्महत्या के विरुद्ध 1967
- हंसो हंसो जल्दी हंसो 1975
- लोग भूल गए हैं 1982
- कुछ पत्ते कुछ चिट्ठियां1989
- एक समय था
- ओमप्रकाश वाल्मीकि की आत्मकथा जूठन है जो 1997 में प्रकाशित हुई।
- राजेश जोशी की रचनाएं -
- समर गाथा (लंबी कविता)
- एक दिन बोलेंगे पेड़
- मिट्टी का चेहरा
- नेपथ्य में हंसी
- दो पंक्तियों के बीच
- चांद की वर्तनी
“स्त्री विमर्श' का उद्देश्य है:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFस्त्री विमर्श का प्रमुख उद्देश्य स्त्री अस्मिता की खोज है, अत: सही विकल्प 1) स्त्री अस्मिता की खोज ही।
Additional Information े
स्त्री विमर्श पर लिखने वाले प्रमुख रचनाकार- उषा प्रियवंदा, मन्नू भंडारी, प्रभा खेतान आदि।
स्त्री विमर्श पर महत्वपूर्ण रचनाएँ-
- उपनिवेश में स्त्री – प्रभा खेतान
- हम सभ्य औरतें – मनीषा
- औरत के लिए औरत – नासिरा शर्मा
- खुली खिड़कियाँ – मैत्रेयी पुष्पा
निम्नलिखित में से कौन से कथन विवेकानंद के हैं?
A. "मजबूत बनो! कायर और लिबलिबे न बने रहो! साहसी बनो कायरों की जरूरत नहीं है।"
B. "समूचा संसार जब तक एक साथ आगे कदम नहीं बढ़ाता, तब तक कोई प्रगति संभव नहीं है।"
C. "शिक्षा से उत्पन्न ज्ञान जनता को ब्रिटिश शासन का सम्मान करना सिखाएगी और उनमें एक हद तक इस शासन के प्रति अपनत्व की भावना भी पैदा करेगी।"
D. "मानव हृदय से मैं संगीन की नोक के बूते बुराई को हटाने में यकीन नहीं करता।"
E. "समाज के सभी सदस्यों को संपत्ति, शिक्षा अथवा ज्ञान प्राप्त करने के लिए समान अवसर मिलने चाहिए।"
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFनिम्नलिखित कथनों में से विवेकानंद जी के कथन है -4) केवल A, B और E
Key Points
- विवेकानंद जी के कथन –
- "मजबूत बनो! कायर और लिबलिबे न बने रहो! साहसी बनो कायरों की जरूरत नहीं है"।
- "समूचा संसार जब तक एक साथ आगे कदम नहीं बढ़ाता, तब तक कोई प्रगति संभव नहीं है"।
- "समाज के सभी सदस्यों की संपत्ति, शिक्षा अथवा ज्ञान प्राप्त करने के लिए समान अवसर मिलने चाहिए"।
Important Points
- स्वामी विवेकानंद-
- इनका मूल नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
- इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ।
- इनके गुरु रामकृष्ण परमहंस थे।
- इन्होंने रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- इन्होंने राजयोग,कर्मयोग, भक्तियोग, मेरे गुरु आदि पुस्तकों संपादन किया।
- इन्होंने 11 सितंबर 1893 को शिकागो धर्म सम्मेलन में भाग लिया
Additional Information
- विवेकानंद जी के अन्य महत्वपूर्ण कथन –
- "उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए"।
- "दिन में एक बार स्वयं से बात जरूर करो अन्यथा आप संसार के सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति से मिलने से चूक जाएंगे"।
- "हमारे देश को नायकों की जरूरत है नायक बनो तुम अपना कर्तव्य करते जाओ तुम्हारे अनुसरण करता खुद बढ़ जायेंगे"।
- "आप भगवान में तब तक विश्वास नहीं कर सकता कर सकते जब तक कि आप खुद में विश्वास नहीं करते "।
- पहली बार में बड़ी योजनाओं को मत बनाओ,लेकिन धीरे-धीरे शुरू करो,अपने पैर जमीन पर रखकर आगे ओर आगे की तरफ बढ़ते रहो"।
आदिवासी विमर्श की मूल स्थापना नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- सत्ता के प्रति मोह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
- आदिवासी विमर्श हिन्दी साहित्य के मुख्य विमर्शों में से एक है।
- शुरुआत - बीसवीं सदी के अंत में( 1991 के बाद)
- आदिवासी - जो धरती के मूल निवासी हैं, घने जंगलों, दुर्गम घाटियों, ऊंचे पर्वतों में निवास करते हैं।
- भारत की जनसंख्या का 8.2 प्रतिशत आदिवासी हैं।
- मुख्य समस्या -
- वैश्वीकरण और उदारीकरण,
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों का हस्तक्षेप
- लुप्त होती संस्कृति
Important Points
- जल - जंगल - जमीन की मांग
- अपनी संस्कृति को बचाने हेतु संघर्ष
- विस्थापन की समस्या
- शिक्षा, स्वास्थ्य और स्त्रियों से जुड़ी समस्याएं
- अस्मिता का संघर्ष
Additional Information
- मुख्य लेखक -
- रमणिका गुप्ता
- निर्मला पुतुल
- हरिराम मीणा
- रोज केरकेट्टा
- बंदना टेटे
- प्रीति मुर्मू आदि
- मुख्य रचना कर्म -
- आदिवासी दुनिया (आलेख) - हरिराम मीणा
- आदिवासी साहित्य यात्रा , आदिवासी कौन - रमणिका गुप्ता आदिI
राम, कृष्ण और शिव के व्यक्तित्व पर किस समाजवादी चिंतक ने विचार किया है।
Answer (Detailed Solution Below)
वैचारिक पृष्ठभूमि Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFराम कृष्ण और शिव के व्यक्तित्व पर राम मनोहर लोहिया समाजवादी चिंतक ने विचार किए हैं।
Key Points
- राम मनोहर लोहिया ने निबंध 'राम, कृष्ण और शिव ' नाम से लिखा।
- डॉक्टर लोहिया कहते हैं कि राम,कृष्ण व शिव को हमको नहीं बनाया हमने इन्हें बनाया है और यह एक दिन के बनाए नहीं है सच यही है कि करोड़ों हिंदुस्तानियों ने युग युगांतर में हजारों वर्षों में राम कृष्ण और शिव को बनाया है उनमें अपनी हंसी और सपनों के रंग भरे तब राम कृष्ण और शिव जैसी चीजें सामने आई है।
- राम मनोहर लोहिया की दृष्टि में यूं तो हर एक देश का अपना इतिहास होता है इतिहास की राजनीतिक साहित्यिक और दूसरी तरह की कई घटनाएं होती है।
- इतिहास की घटनाओं को लेकर एक लंबी जंजीर होती है उसको लेकर ही कोई सभ्यता और संस्कृति बनती है उनका दिमाग पर असर रहता है।
- लेकिन इनसे अलग एक और जंजीर होती है वह किस्से कहानियों वाली।
- राम कृष्ण और शिव सचमुच इस दुनिया में कभी हुए या नहीं कोई नहीं जानता असली बात यह है कि इनकी जिंदगी के किस्से के छोटे-छोटे पहलू भी हिंदुस्तान के करोड़ों लोग जानते हैं।
- यह मूल आलेख का संपादित अंश है।
Important Points
- राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को तमसा नदी के किनारे अकबरपुर फैजाबाद में हुआ।
- उनके पिताजी श्री हीरालाल पेशे से अध्यापक वह हृदय सच्चे राष्ट्रभक्त थे।
- उनके पिताजी गांधी जी के अनुयाई थे जब गांधी जी से मिलने जाते तो राम मनोहर लोहिया को भी अपने साथ ले जाया करते थे।
- इसके कारण गांधी जी के विराट व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर हुआ।
- लोहिया जी अपने पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए।
- इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
- 20 मई 1944 गोवा मुक्ति आंदोलन के दौरान जेल गए।
- इन हिंदी, जर्मनी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान था।
Additional Information
- जयप्रकाश नारायण
- भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे।
- 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है।
- इंदिरा गांधी को पदच्युत करने के लिए इन्होंने संपूर्ण क्रांति नमक आंदोलन चलाया।
- वे समाज सेवक थे इन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है।
- 1998 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित हुए।
- समाज सेवा के लिए इन्हें रमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला है।
- इन्होंने विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन के लिए जीवन समर्पित किया।
- आचार्य नरेंद्र देव-
- भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार,साहित्यकार एवं शिक्षा विद थे।
- काशी विद्यापीठ के आचार्य बनने के बाद से यह उपाधि उनके नाम का अंग बन गए।
- देश की स्वतंत्र कराने का जुनून उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में खींच लाया और भारत की आर्थिक दशा में गरीबों की दुर्दशा ने उन्हें समाजवादी बना दिया।
- मधु लिमये –
- भारत के समाजवादी विचारों के निबंध कार्य कार्यकर्ता थे।
- राम मनोहर लोहिया के अनुयाई एवं राम सेवक यादव व जॉर्ज फर्नांडीस के सहकर्मी थे।
- पुर्तगालियों से गोवा को मुक्त कराकर भारत में शामिल करने में अहम भूमिका अदा की।
ब्रिटिश काल में प्रेस पर सेंसरशिप सर्वप्रथम कब लगाई गई?
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वैचारिक पृष्ठभूमि Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFब्रिटिश काल में प्रेस पर सेंसरशिप सर्वप्रथम 1799 ई. में लगाई गई।
Key Points
प्रेस नियंत्रण अधिनियम -
- प्रेस नियंत्रण अधिनियम कब लगा - 1799 ई.
- किसने लगाया - लार्ड वेलेजली
- मुख्य –
- ब्रिटिश भारत में प्रेस पर कानूनी नियंत्रण की शुरुआत सबसे पहले लार्ड वेलेजली ने की उन्होंने फ्रांसीसीयों के खिलाफ कुछ भी प्रकाशित करने से रोकने के लिए प्रेस सेंसरशिप अधिनियम 1799 लागू किया।
- प्रेस नियंत्रण अधिनियम द्वारा सभी समाचार पत्रों पर प्रकाशन से पहले सरकारी जांच के दायरे में ला दिया और समाचार पर नियंत्रण (सेंसर) लगा दिया।
Important Points
प्रेस सेंसरशिप अधिनियम-
- इस अधिनियम को बाद में (1807 ई.) में विस्तारित किया गया।
- सभी प्रकार के प्रेस समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, पुस्तकों और पंपलेटो को कवर किया गया।
- (1818 ई.) मे हेस्टिंग्स ने पदभार संभाला तो नियमों में ढील गई।
Additional Information
- जेम्स अँगस्टस हिक्की को "भारतीय प्रेस का जनक" कहा जाता है।
- इन्होंने 'बंगाल गजट' नाम से एक समाचार पत्र निकाला।