पाश्चात्य काव्यशास्त्र MCQ Quiz - Objective Question with Answer for पाश्चात्य काव्यशास्त्र - Download Free PDF
Last updated on May 28, 2025
Latest पाश्चात्य काव्यशास्त्र MCQ Objective Questions
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 1:
फैंटेसी के प्रयोग की दृष्टि से हिन्दी में किसकी कविता महत्वपूर्ण है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 1 Detailed Solution
फैंटेसी के प्रयोग की दृष्टि से हिन्दी में मुक्तिबोध की कविता महत्वपूर्ण है।
-
फैंटेसी के प्रयोग की दृष्टि से हिन्दी में मुक्तिबोध की 'ब्रह्मराक्षस' कविता महत्वपूर्ण है।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 2:
निम्नलिखित में से कौनसे युग्म सही हैं?
(A) प्लेटो - अनुकरण सिद्धांत
(B) अरस्तू - विरेचन सिद्धांत
(C) लोंजाइनस - प्रतीकवाद
(D) विलियम वर्ड्सवर्थ - स्वच्छंदतावाद
(E) जीन मोरेआस - नव्यशास्त्रवाद
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (A), (B)
Key Pointsसही है-
- (A) सही: प्लेटो अनुकरण सिद्धांत (माइमेसिस) से जुड़े हैं।
- (B) सही: अरस्तू ने विरेचन सिद्धांत (कैथार्सिस) का प्रतिपादन किया।
Important Pointsअन्य सही है-
- (C) गलत: लोंजाइनस उदात्त सिद्धांत से जुड़े हैं, न कि प्रतीकवाद से।
- (D) गलत: यह कथन सही है कि विलियम वर्ड्सवर्थ स्वच्छंदतावाद से जुड़े हैं, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो युग्म सही होने चाहिए, और (A), (B) प्राथमिक रूप से सही हैं।
- (E) गलत: जीन मोरेआस प्रतीकवाद से जुड़े हैं, न कि नव्यशास्त्रवाद से (जो बेन जानसन से संबंधित है)।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 3:
निम्नलिखित में से कौनसे युग्म सही हैं?
(A) सैमुअल टेलर कॉलरिज - कल्पना सिद्धांत
(B) फ्रायड - मनोविश्लेषणवाद
(C) जॉर्ज लूकाच - बिंबवाद
(D) टी. एस. इलियट - निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत
(E) एमिल जोला - अतियथार्थवाद
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है- केवल (B), (D)
- (A) गलत: यह कथन सही है कि सैमुअल टेलर कॉलरिज कल्पना सिद्धांत से जुड़े हैं, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो युग्म सही होने चाहिए, और (B), (D) प्राथमिक रूप से सही हैं।
- (B) सही: फ्रायड मनोविश्लेषणवाद के प्रतिपादक हैं।
- (C) गलत: जॉर्ज लूकाच महान यथार्थवाद/आलोचनात्मक यथार्थवाद से जुड़े हैं, न कि बिंबवाद से (जो ह्यूम और एजरा पाउंड से संबंधित है)।
- (D) सही: टी. एस. इलियट निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत और वस्तुनिष्ठ समीकरण से जुड़े हैं।
- (E) गलत: एमिल जोला प्राकृतवाद से जुड़े हैं, न कि अतियथार्थवाद से (जो आन्द्रे ब्रेताँ और हर्बर्ट रीड से संबंधित है)।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 4:
प्रतीक और प्रतीकवाद से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
(A) प्रतीकवादी आंदोलन की शुरुआत 1870 और 1885 के बीच फ्रांस में हुई, और बादलेयर की कविता 'कॉरसपॉन्डेंस' को प्रतीकवादियों ने अपना घोषणा-पत्र माना।
(B) इंग्लैंड में प्रतीकवाद की शुरुआत विलियम बटलर येट्स ने की थी।
(C) प्रतीकवाद यथार्थवाद का समर्थन करता है और बाह्य जगत के यथार्थ को सर्वोपरि मानता है।
(D) प्रतीकवाद पर हीगेल और शापेनहावर के यथार्थवादी दर्शन का प्रभाव है।
(E) हिंदी साहित्य में प्रतीकवाद का प्रभाव छायावादी कवियों पर देखा गया, लेकिन यह आंदोलन के रूप में स्थापित नहीं हुआ।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- (A), (B)
Key Pointsविश्लेषण-
- (A) सही: प्रतीकवादी आंदोलन की शुरुआत 1870 और 1885 के बीच फ्रांस में हुई, और बादलेयर की कविता 'कॉरसपॉन्डेंस' को प्रतीकवादियों ने अपना घोषणा-पत्र माना।
- (B) सही: इंग्लैंड में प्रतीकवाद की शुरुआत विलियम बटलर येट्स ने की थी।
- (C) गलत: प्रतीकवाद यथार्थवाद का विरोध करता है और बाह्य जगत के यथार्थ को महत्त्वहीन बताता है, जबकि आत्मपरक दृष्टि पर बल देता है।
- (D) गलत: प्रतीकवाद पर हीगेल और शापेनहावर के आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव है, न कि यथार्थवादी दर्शन का।
- (E) गलत: हालांकि यह कथन सही है कि हिंदी में प्रतीकवाद छायावादी कविताओं में दिखा और आंदोलन के रूप में स्थापित नहीं हुआ, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो कथन सही होने चाहिए, और (A) व (B) अधिक स्पष्ट रूप से सही हैं।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 5:
प्रतीक और प्रतीकवाद की विशेषताओं से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?
(A) प्रतीकवाद शाश्वत सत्य की व्यंजना पर बल देता है और प्रतीकों के माध्यम से इसका संबंध स्थापित करता है।
(B) प्रतीकवाद में ध्वनि और दृश्य प्रतीकों का महत्त्व है, और काव्य में संगीतात्मकता को आवश्यक तत्त्व माना गया है।
(C) प्रतीकवाद यथार्थवादी दृष्टि को स्वीकार करता है और वस्तुपरकता पर जोर देता है।
(D) हिंदी साहित्य में प्रतीकवाद का प्रभाव रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाओं में प्रमुख रूप से देखा गया।
(E) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रतीकवाद को 'रहस्यवाद' के रूप में परिभाषित किया।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- (A), (B)
Key Points
- (A) सही: प्रतीकवाद शाश्वत सत्य की व्यंजना पर बल देता है और प्रतीकों के माध्यम से इसका संबंध स्थापित करता है।
- (B) सही: प्रतीकवाद में ध्वनि और दृश्य प्रतीकों का महत्त्व है, और काव्य में शब्द और संगीत के मिश्रण को आवश्यक तत्त्व माना गया है।
Additional Information
- (C) गलत: प्रतीकवाद यथार्थवादी दृष्टि का विरोध करता है और आत्मपरक दृष्टि को प्राथमिकता देता है।
- (D) गलत: रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाओं पर विलियम बटलर येट्स का प्रभाव दिखा, लेकिन उन्हें प्रतीकवादी नहीं माना जाता, और हिंदी साहित्य में प्रतीकवाद का प्रभाव मुख्य रूप से प्रयोगवादी कवियों पर देखा गया।
- (E) गलत: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रतीकवाद को 'चित्र भाषावाद' के रूप में परिभाषित किया, न कि 'रहस्यवाद' के रूप में।
Top पाश्चात्य काव्यशास्त्र MCQ Objective Questions
टॉमस स्टर्न्स इलियट के अनुसार परंपरा -
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFटॉमस स्टर्न्स इलियट के अनुसार परंपरा -जीवित संस्कृति का एक अंश है I
Key Points
- टी.एस.इलियट(1888-1965ई.)-यह पाश्चात्य काव्यशास्त्र के महान विचारक हैं।
- इन्होंने कई सिद्धान्त प्रतिपाद्य किये है-
- निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत
- परम्परा का सिद्धांत
- वस्तुनिष्ठ समीकरण
Important Points
- परम्परा का सिद्धांत-
- अर्थ-किसी रचना का महत्व उतना ही होता है,जितना समंजन(adjustment) वह सम्पूर्ण परम्परा में करती है।
- इलियट परम्परा को वर्तमान से अलग नहीं बल्कि उसका ही एक हिस्सा मानते हैं।
- नए कवियों के लिए इलियट अतीत के ज्ञान को जरूरी मानते है।
- इनका लेख 'ट्रेडिशन एंड इंडिविजुअल टैलेंट' परम्परा के ही महत्त्व को प्रतिपादित करता है।
Additional Information
- इलियट-"अतीत ही वर्तमान को प्रभावित नहीं करता बल्कि वर्तमान भी अतीत को प्रभावित करता है।"
जन्म वर्ष के अनुसार पाश्चात्य विचारों का सही अनुक्रम है :
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- जन्म वर्ष के अनुसार पाश्चात्य विचारों का सही अनुक्रम है :-
सैमुअल टेलर कॉलरिज ( 1772-1834 ई. ) , मैथ्यू आर्नल्ड ( 1822 - 1888 ई. ) , आस्कर वाइल्ड ( 1854 - 1900 ई. ) , आई. ए . रिचर्ड्स ( 1893 - 1979 ई. )
Key Points
- कॉलरिज को अंग्रेज़ी में व्यावहारिक आलोचना का प्रवर्तक माना जाता है ।
- मैथ्यू आर्नल्ड आधुनिक अंग्रेज़ी के महान आलोचक हैं , उनके अनुसार संस्कृति पूर्णता का ही दूसरा नाम है ।
- नयी समीक्षा को सैद्धांतिक आधार प्रदान कराने में आई . ए . रिचर्ड्स का विशेष योगदान है ।
Important Points
- कॉलरिज की प्रमुख रचनाएँ - बायोग्राफीया लिटरेरिया , लेक्चर ऑन लिटरेचर , आदि ।
- मैथ्यू आर्नल्ड की प्रमुख रचनाएँ - कल्चर एंड अनार्की , एसेज एंड क्रिटिसिज्म , आदि ।
- आस्कर वाइल्ड की प्रमुख रचनाएँ - द हैप्पी प्रिंस , द पिक्चर ऑफ डोरियन ग्रे ।
- आई . ए. रिचर्ड्स की प्रमुख रचनाएँ - द फाउंडेशन ऑफ एस्थेटिक , द मीनिंग ऑफ मीनिंग , प्रिंसिपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म , आदि ।
बिम्बवाद का संबंध निम्नलिखित में से किस आचार्य से है -
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- एजरा पाउंड बिम्बवाद से संबंधित आचार्य हैं।
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण वाद/सिद्धांतI
Key Points
- बिम्बवाद पर एज़रा पाउण्ड का कथन है, "ऐसी कविता जिसमें चित्रकला और शिल्पकला मानों संवाद के लिये एकत्र हुए हों।''
- बीसवीं सदी का आंदोलन
- आंग्ल - अमेरिकी कविता का आंदोलन
Important Points
- हिन्दी साहित्य में बिम्ब का नवीन अर्थ-प्रतिपादन रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना द्वारा हुआ।
- उन्होंने अर्थ-ग्रहण पर बिम्ब-ग्रहण को वरीयता दी।
Additional Information
प्रमुख वाद | प्रवर्तक |
प्लेटो | प्रत्ययवाद |
अरस्तू |
विरेचन सिद्धांत |
लोंजायनस | उदात्तवाद |
क्रोचे | अभिव्यंजनावाद |
जॉर्ज लूकाच | यथार्थवाद |
सस्यूर | संरचनावाद |
ज्याक देरिदा | विखंडनवाद, उत्तर संरचनावाद |
टी ई ह्यूम | बिम्बवाद |
निम्नलिखित में से इतिहास दर्शन (Historiography) से मूलतः संबंधित विचारक हैं -
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFइतिहास दर्शन(Historiography) से मूलतः संबंधित विचारक है- वॉल्तेयर।
Key Points
- वोल्तेयर-फ्रांस का बौद्धिक जागरण (Enlightenment) के युग का महान लेखक, नाटककार एवं दार्शनिक था।
- उनका वास्तविक नाम "फ़्रांस्वा-मैरी अरोएट" था।
- प्रमुख रचनाएँ-Socrates(नाटक),Zadig(1747),Candide(1759),Letters on the english(1778)आदि।
- कुछ विचार-
- आदमी उसी क्षण से स्वतंत्र हो जाता है जब वह स्वतंत्रता के बारे में सोचने लगता है।
- जितनी बार एक मूर्खता को दोहराया जाता है, उतना ही उसे ज्ञान का आभास होता है।
Additional Information
- अन्य विचारक-
विचारक | मुख्य बिंदु |
विको |
1)पूरा नाम-गिआग्बतिस्ता विको 2)इतालवी ज्ञानोदय के दौरान इतालवी दार्शनिक 3)मुख्य कृति-न्यू साइंस(1725) |
कांट |
1)पूरा नाम-इमानुएल कांट 2)जर्मन वैज्ञानिक,नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक थे। 3)प्रमुख कृति-शुद्ध बुद्धि की खोज(1781),प्रत्येक भावी दर्शन की भूमिका(1783),नीतिदर्शन की पृष्ठभूमि(1786) आदि। |
'पूर्ण क्लासिक कृति वह जिसमें किसी मानव समाज की पूर्ण शक्ति निहित हो'। यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF"पूर्ण क्लासिक कृति” वह जिसमें किसी मानव समाज की पूर्ण शक्ति निहित होती हो "यह कथन टी.एस. इलियट का है।
Key Points
- इलियट ने स्वयं को क्लासिकवादी कहां है।
- उनके विचार है कि महान कवि के लिए क्लासिक होना अनिवार्य नहीं है महान कवि केवल एक विधा को पराकाष्ठा तक पहुंचा पाते हैं जबकि क्लासिक कवि एक ही विधा को ही नहीं अपितु अपने समय की भाषा को पराकाष्ठा तक पहुंचा देता है।
- क्लासिक के लिए व्यापक एवं विश्वजनीन होना भी आवश्यक है तथा उसके लिए किसी भी प्रकार की संकीर्णता आग्रह है।
- समीक्षा के क्षेत्र में इलियट के विचारों ने क्रांति उत्पन्न कर दी उसके विचारों ने पाश्चात्य समीक्षा को झकझोर दिया।
Important Points
- टॉमस स्टर्न्स इलियट-
- इनका का जन्म 1888 ई.में अमेरिका में हुआ।
- इन्हे नोबेल पुरस्कार मिला 1948 में 'द वेस्टलैंड' पर।
- इलियट ने अपनी आलोचना को "निजी काव्य -कर्मशाला का उपजात या काव्य - निर्माण के प्रसंग में अपने चिंतन का विस्तार" कहा है।
- इलियट ने समीक्षा के क्षेत्र में अनेक सिद्धांत पर अपने विचार व्यक्त किए हैं उनके द्वारा व्यक्त समीक्षा के तीन पक्ष है –
- निर्वेयकित्कता का सिद्धांत
- वस्तुनिष्ठ सहसंबंध (समीकरण )का सिद्धांत
- परंपरा की अवधारणा (सिद्धांत)
- इलियट ने ' दी क्राइटोरियन' का संपादन किया।
- इलियट की प्रमुख समालोचना कृतियां -
- द सेकंड बुक 1920
- होम टू जॉन ड्रायडेन 1924
- द यूज़ ऑफ पोएट्री एंड द यूज़ ऑफ क्रिटिसिजम 1933
- एलिजाबेथ इन एशेज 1932
- सिलेक्टेड एसेज1934
- एसेज एशेट एंड मॉडर्न1936
- नॉलेज एंड एक्सपीरियंस।
Additional Information
- आई. ए. रिचर्ड्स -
- इन्होने ने मूल्य सिद्धांत तथा काव्य भाषा सिद्धांत दिया।
- आई. ए. रिचर्ड्स के महत्वपूर्ण ग्रंथ -
- द प्रिंसिपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिजम 1924
- प्रैक्टिकल क्रिटिसिजम 1929
- साइंस एंड पोयट्री 1926
- दी फिलासफी ऑफ रेटारिका 1936.
- बेनेदेत्तो क्रोचे –
- क्रोचे ने अभिव्यंजनावाद का सिद्धांत दिया।
- क्रोचे प्रत्यवादी दार्शनिक थे यह आत्मावादी भी माने जाते हैं।
- इनकी महत्वपूर्ण पुस्तके 'ईस्थेटिक है जो 1902 मे लिखी।
- क्रोचे की अन्य रचनाएं -
- एस्थेटिक एज द साइंस ऑफ एक्सप्रेशन एंड जनरल लिंग्विस्टिक्स1900
- न्यू एसेज ऑन एसथेटिक 1920
- डिफेंस ऑफ पोएट्र 1933
- मैथ्यू अर्नाल्ड-
- अर्नाल्ड ने प्रत्येक क्षेत्र में पूर्णता को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया उनके अनुसार संस्कृति पूर्णता का दूसरा नाम है और काव्य संस्कृति का अन्यतम साधन है।
- मैथ्यू अर्नाल्ड की रचनाएं-
- 'एसेज इन क्रिटिसिजम
- 'ऑन द स्टडी ऑफ सेल्टिक कल्चर'
- 'लिटरेचर एंड ड्रामा'
- 'कल्चर एंड अनार्की'
प्लेटो के अनुसार एक समर्थ कवि काव्य-रचना किस प्रकार करता है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFप्लेटो के अनुसार एक समर्थ कवि काव्य-रचना-1) किसी सचेष्ट कलात्मक प्रेरणा की अपेक्षा दैवी शक्ति से प्रेरित और अभिभूत होकर करता है।
Important Points
- प्लेटो यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक था।
- यूरोप में ध्वनियों के वर्गीकरण का श्रेय प्लेटो को ही है।
- प्लेटो के शिष्य का नाम अरस्तू था।
- उनका मत था कि "कविता जगत की अनुकृति है,जगत स्वयं अनुकृति है;अतः कविता सत्य से दोगुनी दूर है। वह भावों को उद्वेलित कर व्यक्ति को कुमार्गगामी बनाती है। अत: कविता अनुपयोगी है एवं कवि का महत्त्व एक मोची से भी कम है।"
Additional Information
- प्लेटो की प्रमुख कृतियों में उसके संवाद का नाम विशेष उल्लेखनीय है।
- उनके संवादों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- सुकरातकालीन संवाद
- यात्रीकालीन संवाद
- प्रौढ़कालीन संवाद
- काव्य विरोधी होने के बावजूद प्लेटो ने वीर पुरुषों के गुणों को उभारकर प्रस्तुत किए जाने वाले तथा देवताओं के स्तोत्र वाले काव्य को महत्त्वपूर्ण एवं उचित माना है।
निम्नलिखित में से कौन - सा विद्वान अस्तित्ववाद का चिन्तक नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFएजरा पाउंड अस्तित्ववादी चिंतक नहीं है।
एजरा पाउंड बिम्बवाद की विचारधारा के चिंतक है।
एज्रा वेस्टन लूमिस पाउंड (30 अक्टूबर 1885 - 1 नवंबर 1972)
एक प्रवासी अमेरिकी कवि और आलोचक
प्रारंभिक आधुनिकतावादी कविता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इटली में एक फासीवादी सहयोगी थे ।
कृतियाँ
- रिपोस्टेस (1912), ह्यूग सेल्विन मौबरले (1920) और उनकी 800 पृष्ठ की महाकाव्य कविता , द कैंटोस (1917-1962) शामिल हैं।
मार्टिन हेइडगेगर (1889-19 76)
- अस्तित्ववाद के क्लासिक को जर्मन दार्शनिक एम हेइडगेगर माना जाता है।
- उन्होंने मनुष्यों और मानवता के लिए सबसे महत्वपूर्ण नई समस्याओं को निर्धारित किया और माना।
- जिसने उन्हें सबसे बड़ा और सबसे मूल विचार थंडर के रूप में बात करना संभव बना दिया बीसवीं सदी का।
अल्बर्ट कामु
- (7 नवंबर, 1913 से 4 जनवरी, 1960) एक फ्रांसीसी-अल्जीरियाई लेखक, नाटककार और नैतिकतावादी थे।
- वह अपने विपुल दार्शनिक निबंधों और उपन्यासों के लिए जाने जाते थे और उन्हें अस्तित्ववादी आंदोलन के पूर्वजों में से एक माना जाता है, भले ही उन्होंने लेबल को अस्वीकार कर दिया हो।
ज्यां-पाल सार्त्र
- अस्तित्ववाद के पहले विचारक माने जाते हैं।
- वह बीसवीं सदी में फ्रान्स के सर्वप्रधान दार्शनिक कहे जा सकते हैं।
- कई बार उन्हें अस्तित्ववाद के जन्मदाता के रूप में भी देखा जाता है।
- पुस्तक :- ल नौसी
अस्तित्ववाद
- अस्तित्ववादी के अनुसार दुनिया में घटित होने वाली घटनाएं संयोग पर आधारित हैं।
- यहाँ कोई कार्य-कारण संबंध नहीं दिखता, अत: इस उलजुलूल दुनिया में जीने का कोई अर्थ नहीं क्योंकि यहाँ कोई ईश्वर नहीं जो मनुष्य के व्यवहार को कार्य को वैध ठहरा सके।
- अत: मृत्यु, हत्या, अपराध आदि को भी ये चिंतक गलत नहीं मानते।
काव्य भाषा के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी मान्यता “वर्ड्सवर्थ” की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF"भाषा में मिथक और बिम्बो का प्रयोग होना चाहिए" यह मान्यता वर्ड्सवर्थ की नहीं है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- "भाषा में मिथक और बिम्बो का प्रयोग होना चाहिए" यह मान्यता वर्ड्सवर्थ की नहीं है।
- वर्ड्सवर्थ ने कविता को परिभाषित करते हुए लिखा है कविता प्रबल भावों का सहज उच्छलन है।
- विलियम वर्ड्सवर्थ (7 अप्रैल,1770-23 अप्रैल 1850) एक प्रमुख रोमांचक कवि थे।
- वर्ड्सवर्थ की प्रसिद्ध रचना 'द प्रेल्युद' हे जो कि एक अर्ध-आत्म चरितात्मक कवित माना जाता है।
- वर्द्स्वर्थ ब्रिटेन के महाकवि थे।
- लिरिकल बैलेड्स को स्वच्छंदतावादी काव्य आंदोलन का घोषणा पत्र माना जाता है।
- लिरिकल बैलेड्स के 4 संस्करण प्रकाशित हुए और उसकी भूमिका को वर्ड्सवर्थ की आलोचना का मूल माना जाता है।
लिरिकल बैलेड्स के संस्करण निम्नलिखित हैं:-
निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है ?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF- रिचर्ड्स जिसे सम्प्रेषण कहते हैं वह भारतीय काव्य शास्त्र के साधारणीकरण का ही एक रूप हैI सही उत्तर विकल्प 3 होगाI
Key Points
- रिचर्ड्स ने सम्प्रेषण सिद्धांत दिया हैI
- इसके अनुसार किसी अन्य की अनुभूति को अनुभूत करना ही प्रेषणीयता हैI
- सौंदर्य की स्थिति किसी वस्तु में नहीं बल्कि पाठक या दर्शक के मन पर पड़ने वाले प्रभाव में होती हैI
- साधारणीकरण का सिद्धांत रस निष्पत्ति में सहायक हैI
- साधारणीकरण - असाधारण या विशेष वस्तु को साधारण और सर्वमान्य बनाने की प्रक्रियाI
Important Points
- रिचर्ड्स ने पाश्चात्य साहित्य में व्यवस्थित सौन्दर्य शास्त्र का निर्माण कियाI
- ग्रन्थ -
- द प्रिंसिपल्स ऑफ़ लिटरेरी क्रिटिसिज्म (1924)
- प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म (1929)
- साइंस एंड पोएट्री (1926)
- द फिलोसोफी ऑफ़ रेटोरिक (1936)
Additional Information
- रिचर्ड्स ने दो मुख्य सिद्धांत दिए हैं -
- मूल्य सिद्धांत - कोई भी वस्तु जो इच्छा को संतुष्ट करे, मूल्यवान हैI
- सम्प्रेषण सिद्धांत - विभिन्न मनों की अनुभूतियों की अत्यंत समानता ही सम्प्रेषण हैI
- अभिनवगुप्त, आचार्य विश्वनाथ, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, डॉ नगेन्द्र, आदि की व्याख्याएँ इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण हैंI
निम्नलिखित में से कौन सा कॉलरिज का ग्रंथ नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- 'द टेबल टॉक' कॉलरिज का ग्रन्थ नहीं है।
- कॉलरिज ने कल्पना को न सिर्फ़ काव्य के लिए महत्वपूर्ण माना बल्कि आलोचना के लिए आवश्यक माना।
Key Points
- कॉलरिज एक प्रत्ययवादी आलोचक थे।
- वर्ड्सवर्थ और कोलरिज ने मिलकर लिरिकल बैलेड्स नाम कविता संग्रह लिखा।
Important Points
- कॉलरिज की रचनाएं - बायोग्राफिया लिटरेरीया (1817 ई.), लेक्चरर्स ऑन लिटरेचर, एड्स टू रिफ्लेक्शन(1825 ई. )।
- कॉलरिज को अंग्रेज़ी में व्यावहारिक आलोचना का प्रवर्तक माना जाता है
Additional Information
- काव्य व कल्पना के सन्दर्भ में कॉलरिज के विचार:-
- कल्पना मानव-मस्तिष्क की बिम्बविधायिनी शक्ति है।
- काव्य सबसे अधिक आनंद तभी देता है जब वह केवल सामान्यतः समझ में आए, पूर्णतः नहीं।