पाश्चात्य काव्यशास्त्र MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for पाश्चात्य काव्यशास्त्र - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 9, 2025
Latest पाश्चात्य काव्यशास्त्र MCQ Objective Questions
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पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 1:
प्लेटो के निम्नलिखित ग्रंथों में आलोचनात्मक सामग्री की दृष्टि से कौन-सा ग्रंथ अधिक उपादेय नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 1 Detailed Solution
प्लेटो के निम्नलिखित ग्रंथों में आलोचनात्मक सामग्री की दृष्टि से फिलेबुस ग्रंथ अधिक उपादेय नहीं है।
Important Pointsप्लेटो-
- समय-427-347 ई. पू.
- आत्मवादी दार्शनिक है।
- काव्य और कला के विषय में महत्वपूर्ण स्थापनाएं प्रस्तुत की है।
- रचनाएँ-
- रिपब्लिक
- फीड्स
- स्टेट्समैन
- इओन
- लॉज
- फीडो
- क्रिटो आदि।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 2:
लोंजाइनस के 'उदात्त' में सम्मिलित है -
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 2 Detailed Solution
लोंजाइनस के 'उदात्त' में भावावेश की तीव्रता सम्मिलित है।
Important Points
उदात्त के मूलाधार साहित्यकार के व्यक्तित्व की महानता में निहित है फिर भी रचना में उदात्त का तत्त्व लाने में लिए लोंजाइनस ने पाँच स्रोतों की चर्चा की है।
- महान धारणाओं की क्षमता या विचारों की भव्यता।
- प्रेरणा-प्रसूत आवेग या भावावेश की तीव्रता।
- समुचित अलंकार योजना।
- उत्कृष्ट भाषा।
- गरिमामय रचना विधान।
Key Pointsलोंजाइनस-
- लोंजाइनस परम्परागत रूप से "काव्य में उदात्त तत्व" नामक कृति का रचनाकार माना जाता है।
- इस कृति में अच्छे लेखन के प्रभावों की चर्चा है।
प्रमुख रचनाएँ-
- पेरियुप्सुस
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 3:
'कल्चर एण्ड एनार्की' इनमें से किसका प्रसिद्ध निबंध है ?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 3 Detailed Solution
'कल्चर एण्ड एनार्की'(1869) निबंध के रचयिता मैथ्यू आर्नल्ड हैं।
मैथ्यू आर्नल्ड-
- जन्म-(1822-1888)
- मैथ्यू आर्नल्ड एक महान् आधुनिक आलोचक है। आधुनिक अंग्रेजी आलोचना का प्रारम्भ मैथ्यू आर्नल्ड से ही होता है।
प्रमुख रचनाएँ-
- एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, (1865)
- ऑन द स्टडी ऑव केल्टिक लिटरेचर (1867)
- एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, सेकेंड सीरीज़ (1888)
- सांस्कृतिक रचनाएँ-कल्चर ऐंड ऐनार्की (1869)
Key Points निबन्ध-
- फ्रेंच विद्वान् मानतेन को यूरोपीय निबंध का जनक माना जाता है।
- लार्ड बेकन को अंग्रेजी साहित्य का पहला निबंधकार माना जाता है।
Additional Informationसैम्युअल टेलर कॉलरिज-
- जन्म-(1772-1834)
-
एक अंग्रेज़ कवि, दार्शनिक व रोमांस लेखक थे जिन्होंने अपने मित्र विलियम वर्ड्सवर्थ के साथ मिलकर इंग्लैण्ड में रोमांस आन्दोलन की शुरुआत की और 'लेक पोएट्स' की स्थापना की थी।
प्रमुख रचनाएँ-
- बायोग्राफिआ लिटरेरिया (1817)
- एड्स टू रिफ्लेक्शन (1825)
- द फ्रेंड (The Friend (1969))
- चर्च एंड स्टेट (1830)
जॉक देरिदा-
- जन्म-(1930-2004)
- ॹाक देरिदा अल्जीरिया में जन्में एक फ्रांसीसी दार्शनिक थे जिन्हें विरचना के सिद्धान्त के लिए जाना जाता है।
प्रमुख रचनाएँ-
- स्पीच एंड फेनोमिना(1967)
- ऑफ ग्रैमिटोलोजी(1967)
- राईट टू फिलोसोफी(1990)
- दि एंड ऑफ मेन
टी. एस. इलियट-
- जन्म-(1888-1965)
- निर्वैयक्तिकता के सिद्धांत के जनक माने जाते हैं।
प्रमुख रचनाएँ-
- सेलेक्टेड एसेंज(1932)
- पोएट्री एंड ड्रामा(1951)
- द सैक्रेड वुड(1920)
- द वेस्टलैंड(1922) आदि
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 4:
'काव्य प्रबल भावों का सहज उच्छलन है।' किसकी काव्य-परिभाषा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 4 Detailed Solution
'काव्य प्रबल भावों का सहज उच्छलन है' यह परिभाषा वर्ड्सवर्थ की है।
विलियम वर्ड्सवर्थ-
- जन्म- (1770-1850)
- विलियम वर्ड्सवर्थ का मूल मिजाज़ कवि का था प्रकृति उनके विचारों का मूल थी।
प्रमुख रचनाएँ-
- लिरिकल बैलड्स (1798)
- द प्रिल्यूड (1799)
- लंदन (1802)
Additional Information
सैम्युअल टेलर कॉलरिज-
- जन्म-(1772-1834)
-
एक अंग्रेज़ कवि, दार्शनिक व रोमांस लेखक थे जिन्होंने अपने मित्र विलियम वर्ड्सवर्थ के साथ मिलकर इंग्लैण्ड में रोमांस आन्दोलन की शुरुआत की और 'लेक पोएट्स' की स्थापना की थी।
प्रमुख रचनाएँ-
- बायोग्राफिआ लिटरेरिया (1817)
- एड्स टू रिफ्लेक्शन (1825)
- द फ्रेंड (The Friend (1969))
- चर्च एंड स्टेट (1830)
पर्सी बयसी शेली-
- जन्म-(1792-1822)
-
अंग्रेजी स्वच्छंदतावाद कविता के महान कवि थे इनकी कविता में तत्कालीन राजनैतिक और सामाजिक दृश्य देखे जा सकते हैं।
-
इन्होने कविता,निबंध,अनुवाद के क्षेत्र में रचनाएँ लिखी।
प्रमुख रचनाएँ-
- स्पेकुलेशन ऑन मेटाफिजिक्स (1814)
- ऑन डेथ(1816)
- इंग्लॅण्ड (1819)
मैथ्यू आर्नल्ड-
- जन्म-(1822-1828)
- मैथ्यू आर्नल्ड एक महान् आधुनिक आलोचक है। आधुनिक अंग्रेजी आलोचना का प्रारम्भ मैथ्यू आर्नल्ड से ही होता है।
प्रमुख रचनाएँ-
- एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, (1865)
- ऑन द स्टडी ऑव केल्टिक लिटरेचर (1867)
- एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, सेकेंड सीरीज़ (1888)
- सांस्कृतिक रचनाएँ-कल्चर ऐंड ऐनार्की (1869)
- सेंट पाल ऐंड प्रोटेस्टैंटिज्म (1870)
- लिटरेचर ऐंड डॉग्मा (1873)
- गॉड ऐंड द बाइबिल (1875)
- लास्ट एसेज़ ऑन चर्च ऐंड रिलिजन (1877) आदि।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 5:
निम्नलिखित में से कौन सा कॉलरिज का ग्रंथ नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 5 Detailed Solution
- 'द टेबल टॉक' कॉलरिज का ग्रन्थ नहीं है।
- कॉलरिज ने कल्पना को न सिर्फ़ काव्य के लिए महत्वपूर्ण माना बल्कि आलोचना के लिए आवश्यक माना।
Key Points
- कॉलरिज एक प्रत्ययवादी आलोचक थे।
- वर्ड्सवर्थ और कोलरिज ने मिलकर लिरिकल बैलेड्स नाम कविता संग्रह लिखा।
Important Points
- कॉलरिज की रचनाएं - बायोग्राफिया लिटरेरीया (1817 ई.), लेक्चरर्स ऑन लिटरेचर, एड्स टू रिफ्लेक्शन(1825 ई. )।
- कॉलरिज को अंग्रेज़ी में व्यावहारिक आलोचना का प्रवर्तक माना जाता है
Additional Information
- काव्य व कल्पना के सन्दर्भ में कॉलरिज के विचार:-
- कल्पना मानव-मस्तिष्क की बिम्बविधायिनी शक्ति है।
- काव्य सबसे अधिक आनंद तभी देता है जब वह केवल सामान्यतः समझ में आए, पूर्णतः नहीं।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 6:
अरस्तू के "अनुकरण" सिद्धांत में "अनुकरण" का आशय है -
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 6 Detailed Solution
अरस्तू के "अनुकरण" सिद्धांत में "अनुकरण" का आशय है - पुनः सर्जन
- अर्थात किसी भी सृजन हो चुकी वस्तु का पुन: सृजन ही अरस्तु का अनुकरण सिद्धांत कहलाता है।
Key Points
- अरस्तू के साहित्य चिंतन में उनके तीन सिद्धांत महत्त्वपूर्ण है –
- अनुकरण का सिद्धान्त।
- त्रासदी या ट्रेजेडी का सिद्धान्त।
- विवेचन का सिद्धान्त।
Important Points
अरस्तू का अनुकरण सिद्धान्त –
- ’अनुकरण’ शब्द यूनानी भाषा के ’मीमेसिस’ एवं अंग्रेजी भाषा के ’इमिटेशन’ शब्द से रूपान्तरित होकर हिन्दी में आया है।
- ’अरस्तू’ ने काव्य को सौन्दर्यवादी दृष्टि से देखकर इसे राजनीतिक, दार्शनिक एवं नीतिशास्त्र के बंधन से मुक्त किया।
- अरस्तू के अनुसार – कला प्रकृति की अनुकृति है।
- यहाँ प्रकृति से उसका अभिप्राय जगत के बाह्य गोचर रूप के साथ-साथ उसके आन्तरिक रूप यथा काम, क्रोध आदि मनोविकारों से ग्रहण किया जाता है।
- अरस्तू से पहले उनके गुरु ’प्लेटो’ के द्वारा भी ’अनुकरण सिद्धान्त’ का विवेचन किया गया था।
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 7:
सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिए-
सूची-I | सूची-II |
रचनाकार | पुस्तक |
A. प्लेटो | I- आर्स पोएतिका |
B. होरेस | II- सेलेक्टेड एसेज |
C. इलियट | III- इयोन |
D. जॉक देरिदा | IV- ऑफ ग्रैमिटोलॉजी |
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 7 Detailed Solution
सूची-I का सूची-II के साथ सही सुमेलन है-
सूची-I | सूची-II |
रचनाकार | पुस्तक |
A. प्लेटो | III- इयोन |
B. होरेस | I- आर्स पोएतिका |
C. इलियट | II- सेलेक्टेड एसेज |
D. जॉक देरिदा | IV- ऑफ ग्रैमिटोलॉजी |
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 8:
कल्पना के संबंध में कॉलरिज के कथनों पर विचार कीजिए -
A. कल्पना को कॉलरिज ने ईश्वरीय शक्ति माना है, जिसका गुण है - सृजन।
B. कॉलरिज कल्पना के दो भेद मानते हैं - मुख्य कल्पना और गौण कल्पना।
C. मुख्य कल्पना की अवस्थिति जन सामान्य के मस्तिष्क में भी होती है, जबकि गौण कल्पना मुख्यतः दार्शनिक तथा कलाकार की विशेषता है।
D. मुख्य कल्पना इच्छाचालित (वालंटरी) होती है।
E. मुख्य कल्पना अधिक सचेत, सक्रिय तथा सायास होती है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए।
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 8 Detailed Solution
कल्पना के संबंध में कॉलरिज के सही कथन है -
- A. कल्पना को कॉलरिज ने ईश्वरीय शक्ति माना है, जिसका गुण है - सृजन।
- B. कॉलरिज कल्पना के दो भेद मानते हैं - मुख्य कल्पना और गौण कल्पना।
- C. मुख्य कल्पना की अवस्थिति जन सामान्य के मस्तिष्क में भी होती है, जबकि गौण कल्पना मुख्यतः दार्शनिक तथा कलाकार की विशेषता है।
Key Pointsमुख्य कल्पना-
- इसे प्राथमिक कल्पना भी कहा जाता है।
- प्राथमिक कल्पना संपूर्ण मानवीय ज्ञान का मुख्य होने के कारण वस्तुओं का प्राथमिक ज्ञान कराती है।
- मुख्य कल्पना ज्ञान की जीवंत शक्ति और प्रमुख माध्यम होती है।
गौण कल्पना-
- गौण कल्पना विशिष्ट लोगों में पायी जाती है।
- गौण कल्पना मुख्य कल्पना की छाया मात्र है।
- यह कल्पना को सुंदर बनाने के लिए सहयोग करती है।
Important Pointsमुख्य कल्पना और गौण कल्पना में अन्तर -
मुख्य कल्पना के अस्तित्व पर ही गौण कल्पना आश्रित है। | कोलरिज ने गौण कल्पना को मुख्य कल्पना का प्रतिध्वनि कहा है। |
मुख्य कल्पना अचेतन (अनैच्छिक) रूप में होती है। | गौण कल्पना चेतन (ऐच्छिक) रूप में होती है। |
मुख्य कल्पना हमारे चाहे और बिना जाने काम करती रहती है | गौण कल्पना हमारे चाहने पर ही काम करती है। |
मुख्य कल्पना केवल निर्माण (संघटन) का काम करती है। | गौण कल्पना विनाश (विघटन) का कार्य करती है। |
Additional Informationकल्पना-
- कल्पना की व्याख्या करते हुए कॉलरिज ने लिखा है कि –
- “स्पष्ट रुप से संसार में दो शक्तियाँ कार्य करती हैं, जो एक दूसरे के संबंध में क्रियाशील और निष्क्रिय होती हैं और कार्य बिना किसी मध्यस्थ शक्ति के संभव नहीं है जो एक साथ सक्रिय भी है और निष्क्रिय भी है” दर्शन में इस ‘मध्यस्थ’ शक्ति को कल्पना की संज्ञा दी गई है।
- मुख्य बिन्दु-
- कल्पना ईश्वरीय शक्ति है, जिसका प्रधान गुण सृजन है।
- कल्पना सृजन के साथ-साथ विरोधी तत्त्वों में समन्वय भी करती है।
- कल्पना ह्रदय और बुद्धि तथा अंतर जगत एवं बाह्य जगत में भी समन्वय करती है।
- श्रेष्ठ काव्य के लिए ‘कल्पना’ परम आवश्यक है।
- कल्पना के द्वारा ही काव्य ह्रदयग्राही, मर्मस्पर्शी एवं सजीव बनता है।
- कल्पना के दो भेद हैं-
- मुख्य कल्पना
- गौण कल्पना
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 9:
निम्नलिखित में से आई. ए. रिचर्ड्स के ग्रन्थों का सही क्रम बताइए :
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 9 Detailed Solution
आई. ए. रिचर्ड्स के ग्रन्थों का सही क्रम हैं- दि फाउंडेशन ऑफ ईस्थेटिक्स, साइंस एंड पोएट्री, प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म, दि फिलॉसॉफी ऑफ रेटॉरिक
Key Pointsप्रकाशन वर्ष-
ग्रंथ | प्रकाशन वर्ष |
दि फाउंडेशन ऑफ ईस्थेटिक्स | 1922 ई. |
साइंस एंड पोएट्री | 1926 ई. |
प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म | 1929 ई. |
दि फिलॉसॉफी ऑफ रेटॉरिक | 1936 ई. |
Important Pointsआई. ए. रिचर्ड्स-
- जन्म-1893-1979 ई.
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र के प्रमुख विचारक है।
- मुख्य सिद्धांत-
- मूल्य सिद्धांत
- सम्प्रेषण सिद्धांत
- काव्य-भाषा सिद्धांत
- ग्रंथ-
- द मीनिंग ऑफ मीनिंग(1923 ई.)
- प्रिंसिपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म(1924 ई.) आदि।
Additional Informationआई. ए. रिचर्ड्स के कथन-
- "कलाकार का मनोविज्ञान अध्ययन का निष्फल क्षेत्र है।"
- "काव्य की अनुभूति व जीवन की अनुभूति में कोई विशेष अंतर नहीं होता।"
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 10:
संरचनावाद का जनक माना जाता है -
Answer (Detailed Solution Below)
पाश्चात्य काव्यशास्त्र Question 10 Detailed Solution
संरचनावाद का जनक माना जाता है - सास्यूर
- संरचनावाद का उद्देश्य "कालातीत" ग्रंथों के औपचारिक पुनर्निर्माण के आधार पर साहित्यिक प्रवचन के आंतरिक विश्लेषण को वैज्ञानिकता देना है।
- इस तरह, वह मानता है कि साहित्यिक कार्यों को एक सार विषय के नाम पर संरचित किया जाता है
- और, हालांकि वह समझता है कि वे ऐतिहासिक रिश्तों से उपजी हैं,
- वह उन्हें आर्थिक और सामाजिक चर के मात्र निर्धारण के रूप में समझने से इनकार करता है।
- संरचनावाद के तथाकथित "गैंग ऑफ फोर" को लेवी-स्ट्रॉस, लैकन, बार्थेस और मिशेल फौकॉल्ट माना जाता है।
Additional Information
पाश्चात्य काव्यशास्त्र | |
औदात्यवाद | लोंजाइनस (3 री सदी ई०) |
अस्तित्ववाद | सॉरेन कीर्कगार्द (1813-55) |
मार्क्सवाद | कार्ल मार्क्स (1818-83) |
मनोविश्लेषणवाद | फ्रायड (1856-1939 ई०) |
प्रतीकवाद | जीन मोरियस (1856-1910) |
अभिव्यंजनावाद | बेनदेतो क्रोचे (1866-1952) |
बिम्बवाद | टी० ई० हयूम (1883-1917) |