गद्यांश MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for गद्यांश - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 20, 2025
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गद्यांश Question 1:
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्न का उत्तर दीजिए:
सुख-दुख में मुस्काना धीरज से रहना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना ।
मैं वीर नारी हूँ
साहस की बेटी,
मातृभूमि - रक्षा को
वीर सजा देती।
आकुल अंतर की पीर राष्ट्र हेतु सहना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
मात-भूमि जन्म भूमि
राष्ट्र-भूमि मेरी,
कोटि-कोटि वीर पूत
द्वार-द्वार देरी ।
जीवन भर मुस्काए भारत का अँगना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना
प्रश्न : भारत का अँगना कब तक मुस्कराए ?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 1 Detailed Solution
- कविता की पंक्ति "जीवन भर मुस्काए भारत का अँगना" स्पष्ट रूप से बताती है कि भारत का अँगना जीवन-भर मुस्कराएगा।
- यह पंक्ति राष्ट्र की सतत समृद्धि और खुशहाली को दर्शाती है।
- इसलिए, सही उत्तर जीवन-भर है।
- यह विकल्प गलत है क्योंकि कविता में भारत के अँगना की खुशहाली को क्षणिक नहीं, बल्कि स्थायी बताया गया है।
- यह शब्द कविता के संदर्भ में उपयुक्त नहीं है और अर्थपूर्ण नहीं लगता।
- यह विकल्प भी गलत है क्योंकि यह समय की अवधि को नहीं दर्शाता और कविता के संदर्भ से मेल नहीं खाता।
गद्यांश Question 2:
Comprehension:
अनुच्छेद पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए:-
श्रम का महत्व सर्वविदित है। इसके माध्यम से मानव विशाल बाद्धाओं को नियंत्रित करता है। गरजते तथा उफनते सागर की लहरों को चीरकर जलपोत चलाकर आगे बढ़ता है। विशाल पर्वतों के मध्य से राह खोजता है। दुर्गम स्थलों को पलक झपकते ही हल करता है। उद्यमी मानव को ही लक्ष्मी वरण करती है। श्रम जीवन में उन्नति की कुंजी है। श्रम ही वह अक्षय और अटूट द्रव्य है जिसे प्राप्त करने में सहायक है। श्रमजीवी मानव राष्ट्र का आभूषण है। आलसी जीवन का प्रतीक है। किसी कवि के शब्दों में, ‘पति का नाम अमर जीवन है।’ निष्क्रियता ही घोर मरण है। जीवन के क्षेत्र में श्रम अनिवार्य है। श्रम किए बिना किसी भी व्यक्ति को रोटी खाने का अधिकार नहीं है। ईश्वर ने हमें दो हाथ-पैर दिए हैं, वे परिश्रम करने के लिए ही हैं। राष्ट्रीय उत्थान और आत्मनिर्भरता के लिए श्रम तथा सतत उद्यमशीलता परम आवश्यक है। अतः जो आदमी एक क्षण भी व्यर्थ गँवाता है, वह ईश्वर का अपमान करता है। अपने राष्ट्र का अहित करता है। आज देश में जो भयानक गरीबी और बेकारी है उसे देखकर अत्यंत दुःख होता है। अशिक्षित श्रम करने में जी चुराते हैं, उसे हम नहीं जानते। भारत का मनुष्य अवश्य आलस्य से हटकर कार्य में अपना सम्मान समझता है यदि सब श्रम करें तो अपनी गरीब दीन-हीन की भेदभाव समाप्त हो जाए। आज जो जनसंख्या वृद्धि हो रही है, उसके मूल में श्रम न करना है। महात्मा गांधी जी ने कहा था, यदि सब लोग अपने को परिश्रम की कमाई खाएँ तो दुनिया में अन्न की कमी न रहे, और सबको अवकाश का समय भी मिले।
महात्मा गाँधी जी ने किसकी कमाई खाने के लिए कहा है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 2 Detailed Solution
महात्मा गाँधी जी ने परिश्रम की कमाई खाने के लिए कहा है।
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- आज जो जनसंख्या वृद्धि हो रही है, उसके मूल में श्रम न करना है।
- महात्मा गांधी जी ने कहा था, यदि सब लोग अपने को परिश्रम की कमाई खाएँ
- तो दुनिया में अन्न की कमी न रहे, और सबको अवकाश का समय भी मिले।
Additional Information अन्य विकल्प -
- खेती -
- खेती विशेष क्षेत्र में सीमित है जबकि परिश्रम व्यापक है और हर प्रकार के कार्य में शामिल है।
- गांधी जी ने परिश्रम की कमाई खाने पर जोर दिया है, जो सभी कार्यों में लागू होता है, न कि केवल खेती में।
- दुकान -
- दुकान चलाने का काम भी परिश्रम के अंतर्गत आता है, लेकिन गांधी जी का सन्देश सामान्य परिश्रम पर केंद्रित है,
- जो कि सभी प्रकार के श्रम और मेहनत के कार्यों को शामिल करता है।
- ईमानदारी -
- ईमानदारी एक महत्वपूर्ण मूल्य है, लेकिन यहाँ परिश्रम की कमाई पर जोर है।
- परिश्रम का तात्पर्य मेहनत और श्रम से है, जबकि ईमानदारी उसकी गुणवत्ता को दर्शाती है। गांधी जी की सोच में श्रम का प्राथमिक महत्व है।
गद्यांश Question 3:
Comprehension:
अनुच्छेद पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए:-
श्रम का महत्व सर्वविदित है। इसके माध्यम से मानव विशाल बाद्धाओं को नियंत्रित करता है। गरजते तथा उफनते सागर की लहरों को चीरकर जलपोत चलाकर आगे बढ़ता है। विशाल पर्वतों के मध्य से राह खोजता है। दुर्गम स्थलों को पलक झपकते ही हल करता है। उद्यमी मानव को ही लक्ष्मी वरण करती है। श्रम जीवन में उन्नति की कुंजी है। श्रम ही वह अक्षय और अटूट द्रव्य है जिसे प्राप्त करने में सहायक है। श्रमजीवी मानव राष्ट्र का आभूषण है। आलसी जीवन का प्रतीक है। किसी कवि के शब्दों में, ‘पति का नाम अमर जीवन है।’ निष्क्रियता ही घोर मरण है। जीवन के क्षेत्र में श्रम अनिवार्य है। श्रम किए बिना किसी भी व्यक्ति को रोटी खाने का अधिकार नहीं है। ईश्वर ने हमें दो हाथ-पैर दिए हैं, वे परिश्रम करने के लिए ही हैं। राष्ट्रीय उत्थान और आत्मनिर्भरता के लिए श्रम तथा सतत उद्यमशीलता परम आवश्यक है। अतः जो आदमी एक क्षण भी व्यर्थ गँवाता है, वह ईश्वर का अपमान करता है। अपने राष्ट्र का अहित करता है। आज देश में जो भयानक गरीबी और बेकारी है उसे देखकर अत्यंत दुःख होता है। अशिक्षित श्रम करने में जी चुराते हैं, उसे हम नहीं जानते। भारत का मनुष्य अवश्य आलस्य से हटकर कार्य में अपना सम्मान समझता है यदि सब श्रम करें तो अपनी गरीब दीन-हीन की भेदभाव समाप्त हो जाए। आज जो जनसंख्या वृद्धि हो रही है, उसके मूल में श्रम न करना है। महात्मा गांधी जी ने कहा था, यदि सब लोग अपने को परिश्रम की कमाई खाएँ तो दुनिया में अन्न की कमी न रहे, और सबको अवकाश का समय भी मिले।
राष्ट्र का आभूषण किसको कहा गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 3 Detailed Solution
राष्ट्र का आभूषण श्रमजीवी मानव को कहा गया है।
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- श्रम ही वह अक्षय और अटूट द्रव्य है जिसे प्राप्त करने में सहायक है।
- श्रमजीवी मानव राष्ट्र का आभूषण है। आलसी जीवन का प्रतीक है।
- किसी कवि के शब्दों में, ‘पति का नाम अमर जीवन है।’
Additional Informationअन्य विकल्प -
- संतोषी मानव -
- संतोषी मानव अपनी स्थिति से संतुष्ट रहते हैं और शायद स्वयं को अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित न करें।
- जबकि राष्ट्र की उन्नति के लिए श्रमजीवी मानव का योगदान महत्वपूर्ण होता है।
- आलसी मानव -
- आलसी मानव राष्ट्र का आभूषण नहीं हो सकते क्योंकि वे श्रम, परिश्रम और योगदान से विरक्त होते हैं।
- उनका आलस्य राष्ट्र के विकास में बाधा उत्पन्न करता है।
- बुद्धिजीवी मानव -
- बुद्धिजीवी मानव समाज में ज्ञान और विचारों का महत्वपूर्ण योगदान देते हैं,
- लेकिन राष्ट्र की बुनियादी संरचना और आर्थिक उन्नति में श्रमजीवी मानव का योगदान अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक है।
गद्यांश Question 4:
Comprehension:
अनुच्छेद पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए:-
श्रम का महत्व सर्वविदित है। इसके माध्यम से मानव विशाल बाद्धाओं को नियंत्रित करता है। गरजते तथा उफनते सागर की लहरों को चीरकर जलपोत चलाकर आगे बढ़ता है। विशाल पर्वतों के मध्य से राह खोजता है। दुर्गम स्थलों को पलक झपकते ही हल करता है। उद्यमी मानव को ही लक्ष्मी वरण करती है। श्रम जीवन में उन्नति की कुंजी है। श्रम ही वह अक्षय और अटूट द्रव्य है जिसे प्राप्त करने में सहायक है। श्रमजीवी मानव राष्ट्र का आभूषण है। आलसी जीवन का प्रतीक है। किसी कवि के शब्दों में, ‘पति का नाम अमर जीवन है।’ निष्क्रियता ही घोर मरण है। जीवन के क्षेत्र में श्रम अनिवार्य है। श्रम किए बिना किसी भी व्यक्ति को रोटी खाने का अधिकार नहीं है। ईश्वर ने हमें दो हाथ-पैर दिए हैं, वे परिश्रम करने के लिए ही हैं। राष्ट्रीय उत्थान और आत्मनिर्भरता के लिए श्रम तथा सतत उद्यमशीलता परम आवश्यक है। अतः जो आदमी एक क्षण भी व्यर्थ गँवाता है, वह ईश्वर का अपमान करता है। अपने राष्ट्र का अहित करता है। आज देश में जो भयानक गरीबी और बेकारी है उसे देखकर अत्यंत दुःख होता है। अशिक्षित श्रम करने में जी चुराते हैं, उसे हम नहीं जानते। भारत का मनुष्य अवश्य आलस्य से हटकर कार्य में अपना सम्मान समझता है यदि सब श्रम करें तो अपनी गरीब दीन-हीन की भेदभाव समाप्त हो जाए। आज जो जनसंख्या वृद्धि हो रही है, उसके मूल में श्रम न करना है। महात्मा गांधी जी ने कहा था, यदि सब लोग अपने को परिश्रम की कमाई खाएँ तो दुनिया में अन्न की कमी न रहे, और सबको अवकाश का समय भी मिले।
श्रम के बिना व्यक्ति को क्या खाने का अधिकार नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 4 Detailed Solution
श्रम के बिना व्यक्ति को रोटी खाने का अधिकार नहीं है।
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- किसी कवि के शब्दों में, ‘पति का नाम अमर जीवन है।’ निष्क्रियता ही घोर मरण है।
- जीवन के क्षेत्र में श्रम अनिवार्य है। श्रम किए बिना किसी भी व्यक्ति को रोटी खाने का अधिकार नहीं है।
- ईश्वर ने हमें दो हाथ-पैर दिए हैं, वे परिश्रम करने के लिए ही हैं।
Additional Informationअन्य विकल्प -
- सब्जी - यह वाक्य भी सही माना जा सकता है, लेकिन 'रोटी' खाने का ज़िक्र करना अधिक व्यापक और सामान्य विचार को दर्शाता है।
- मिठाई - यह विकल्प में मिठाई विलासिता का प्रतीक है और यह हर रोज़ की आवश्यकता नहीं है।
- पैसा - यह विकल्प आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, यह बताता है कि किसी भी प्रकार की आर्थिक संपत्ति या धनार्जन श्रम के बिना संभव नहीं है।
गद्यांश Question 5:
Comprehension:
अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है। इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। भारत को सिल्क रोड और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे तक अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए भी नितांत दिया गया था। अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है। पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।
सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी जाहेदान तक रेलमार्ग बनाने के लिए निमंत्रण पहले किस देश को दिया गया था?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 5 Detailed Solution
सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी जाहेदान तक रेलमार्ग बनाने के लिए निमंत्रण पहले भारत को देश को दिया गया था।
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया
- लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है।
- पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।
Additional Informationअन्य विकल्प -
- चीन को: परियोजना शुरुआती तौर पर चीन को नहीं दी गई थी।
- ईरान को: ईरान खुद इस परियोजना का हिस्सा है, न कि उसे निमंत्रण दिया गया था।
- अमेरिका को: अमेरिकी को इस परियोजना का निमंत्रण नहीं दिया गया था।
गद्यांश Question 6:
Comprehension:
अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है। इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। भारत को सिल्क रोड और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे तक अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए भी नितांत दिया गया था। अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है। पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।
चाबहार किस देश के तट पर स्थित है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 6 Detailed Solution
चाबहार देश के तट पर स्थित है- ईरान
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है।
- इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी
- लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही।
Additional Informationअन्य विकल्प -
- सिस्तान - सिस्तान ईरान का एक प्रांत है, जो चाबहार बंदरगाह के समीप स्थित है।
- भारत - चाबहार बंदरगाह भारत में स्थित नहीं है।
- बलूचिस्तान - यह प्रांत बलूचिस्तान भी एक प्रांत है, जो चाबहार बंदरगाह के समीप स्थित है।
गद्यांश Question 7:
Comprehension:
अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-
चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है। इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। भारत को सिल्क रोड और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे तक अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए भी नितांत दिया गया था। अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है। पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।
चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच सहमति कब बनी थी?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 7 Detailed Solution
चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच सहमति बनी थी- 2003
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है।
- इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी
- लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही।
गद्यांश Question 8:
Comprehension:
किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए मन का स्थिर होना बहुत आवश्यक है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर न भटकने दें और न ही किसी प्रकार का भय मन में आने दें। अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रखें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना परीक्षार्थी के लिए अत्यंत जरूरी है। सुबह की सैर, संतुलित भोजन, मन को भरपूर नींद की भी अत्यंत जरूरत होती है। इससे परीक्षा का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन सब विषयों पर ध्यान देने के द्वारा परीक्षार्थी सकारात्मक फल को प्राप्त कर सकता है।
सुबह की सैर और संगीत सुनने से परीक्षार्थी को क्या लाभ मिलता है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 8 Detailed Solution
सुबह की सैर और संगीत सुनने से परीक्षार्थी को लाभ मिलता है- मन को शांति मिलती है
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- सुबह की सैर और संगीत सुनना परीक्षार्थी के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।
- सुबह की सैर से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मन शांत होता है।
- वहीं, संगीत सुनने से तनाव कम होता है और दिमाग़ एकाग्र होता है।
Additional Information अन्य विकल्प -
- मन पढ़ाई से विचलित हो जाता है - यह कथन सही नहीं है। वास्तव में, सुबह की सैर और संगीत सुनने से मन और दिमाग को ताजगी मिलती है, जो पढ़ाई के लिए लाभदायक है।
- समय व्यर्थ हो जाता है - यह भी सही नहीं है। सैर और संगीत से शरीर और मन को आराम मिलता है जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ती है।
- कोई असर नहीं होता है - यह भी सही नहीं है। सुबह की सैर और संगीत दोनों का सकारात्मक प्रभाव होता है जो परीक्षार्थियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
गद्यांश Question 9:
Comprehension:
किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए मन का स्थिर होना बहुत आवश्यक है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर न भटकने दें और न ही किसी प्रकार का भय मन में आने दें। अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रखें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना परीक्षार्थी के लिए अत्यंत जरूरी है। सुबह की सैर, संतुलित भोजन, मन को भरपूर नींद की भी अत्यंत जरूरत होती है। इससे परीक्षा का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन सब विषयों पर ध्यान देने के द्वारा परीक्षार्थी सकारात्मक फल को प्राप्त कर सकता है।
सफल परीक्षार्थी का क्या लक्षण होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 9 Detailed Solution
सफल परीक्षार्थी का लक्षण होता है- मन को लक्ष्य पर केंद्रित करके सदैव अध्ययन करना
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर न भटकने दें
- और न ही किसी प्रकार का भय मन में आने दें।
- अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रखें।
- अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना परीक्षार्थी के लिए अत्यंत जरूरी है।
- सुबह की सैर, संतुलित भोजन, मन को भरपूर नींद की भी अत्यंत जरूरत होती है।
Additional Information अन्य विकल्प -
- मन को चिंता युक्त रखना - यह सफल परीक्षार्थी का लक्षण नहीं है, क्योंकि चिंता से मन की एकाग्रता भंग हो सकती है।
- सकरामक चिंतन न अपनाना - यह भी सफल परीक्षार्थी का लक्षण नहीं है; सकारामक सोच से प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है।
- नींद में डूबे रहना - यह भी सफल परीक्षार्थी का लक्षण नहीं है; जरूरत से ज्यादा नींद से समय का सही उपयोग नहीं हो पाता।
गद्यांश Question 10:
Comprehension:
किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए मन का स्थिर होना बहुत आवश्यक है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर न भटकने दें और न ही किसी प्रकार का भय मन में आने दें। अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रखें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना परीक्षार्थी के लिए अत्यंत जरूरी है। सुबह की सैर, संतुलित भोजन, मन को भरपूर नींद की भी अत्यंत जरूरत होती है। इससे परीक्षा का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन सब विषयों पर ध्यान देने के द्वारा परीक्षार्थी सकारात्मक फल को प्राप्त कर सकता है।
प्रतियोगी द्वारा परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर भटकाने और मन ही मन डरने से या भरपूर तैयारी न करने से क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
गद्यांश Question 10 Detailed Solution
प्रतियोगी द्वारा परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर भटकाने और मन ही मन डरने से या भरपूर तैयारी न करने से होता है- परीक्षा में असफल होंगे
Key Points
- अनुच्छेद के अनुसार -
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर भटकाने,
- मन ही मन डरने या भरपूर तैयारी न करने से परीक्षा में असफलता का जोखिम बढ़ जाता है।
- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मन के शांत और केंद्रित होने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है,
- जबकि डर और भटकाव ध्यान भंग करते हैं और तैयारी को कमजोर करते हैं।
Additional Informationअन्य विकल्प -
- परीक्षा में असफल न होंगे: यह तब संभव है जब तैयारी अच्छी हो और मन शांत एवं केंद्रित हो।
- परीक्षा में शामिल न होंगे: यदि प्रतियोगी मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं, तो वे परीक्षा से पीछे हट सकते हैं।
- परीक्षा में सफल होंगे: यह तभी संभव है जब तैयारी बेहतर हो, मन शांत हो और आत्मविश्वास बना रहे।