पाठ बोधन MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for पाठ बोधन - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക

Last updated on Mar 13, 2025

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पाठ बोधन Question 1:

Comprehension:

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए:

आज शिक्षक की भूमिका उपदेशक या ज्ञानदाता की-सी नहीं रही। वह तो मात्र एक प्रेरक है कि शिक्षार्थी स्वयं सीख सकें। उनके किशोर मानस को ध्यान में रखकर शिक्षक को अपने शिक्षण कार्य के दौरान अध्ययन- अध्यापन की परंपरागत विधियों से दो कदम आगे जाना पड़ेगा, ताकि शिक्षार्थी समकालीन यथार्थ और दिन-प्रतिदिन बदलते जीवन की चुनौतियों के बीच मानव-मूल्यों के प्रति अडिग आस्था बनाए रखने की प्रेरणा ग्रहण कर सके। पाठगत बाधाओं को दूर करते हुए विद्यार्थियों की सहभागिता को सही दिशा प्रदान करने का कार्य शिक्षक ही कर सकता है।

भाषा शिक्षण की कोई एक विधि नहीं हो सकती। जैसे मध्यकालीन कविता में अलंकार, छंद विधान, तुक आदि के प्रति आग्रह था किन्तु आज लय और प्रवाह का महत्व है। कविता पढ़ाते समय कवि की युग चेतना के प्रति सजगता समझना आवश्यक है। निबंध में लेखक के दृष्टिकोण और भाषा-शैली का महत्त्व है और शिक्षार्थी को अर्थग्रहण की योग्यता का विकास जरूरी है। कहानी के भीतर बुनी अनेक कहानियों को पहचानने और उन सूत्रों को पल्लवित करने का अभ्यास शिक्षार्थी की कल्पना और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ाने के लिए उपयोगी हो सकता है। कभी-कभी कहानी का नाटक में विधा परिवर्तन कर उसका मंचन किया जा सकता है।

मूल्यांकन वस्तुत: सीखने की ही एक प्रणाली है, ऐसी प्रणाली जो रटंत प्रणाली से मुक्ति दिला सके। परंपरागत साँचे का अनुपालन न करे, अपना ढाँचा निर्मित कर सके। इसलिए यह गाँठ बाँध लेना आवश्यक है कि भाषा और साहित्य के प्रश्न बँधे-बँधाए उत्तरों तक सीमित नहीं हो सकते। शिक्षक पूर्वनिर्धारित उत्तर की अपेक्षा नहीं कर सकता। विद्यार्थियों के उत्तर साँचे से हटकर किंतु तर्क संगत हो सकते हैं और सही भी। इस खुलेपन की चुनौती को स्वीकारना आवश्यक है।

‘सहभागिता’ शब्द का निर्माण किस उपसर्ग और प्रत्यय से हुआ है?

  1. सह, ता
  2. स, इता
  3. सह, इता
  4. स, ता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सह, इता

पाठ बोधन Question 1 Detailed Solution

‘सहभागिता’ शब्द का निर्माण ‘सह’ उपसर्ग तथा ‘इता’ प्रत्यय लगाकर किया गया है।
सहभागिता का अर्थ - साझेदारी 
Key Points सहभागिता शब्द में सह + भाग + इता ये तीनो मिलकर शब्द बना है। सहभागिता में मूल शब्द भाग है, इस शब्द के आगे सह उपसर्ग लगा हुआ है, और ता प्रत्यय लगा हुआ है।

उपसर्ग

प्रत्यय

उपसर्ग उस अक्षर या अक्षर समूह को कहते हैं जो किसी शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाता है।

शब्द के उपरांत जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है वह प्रत्यय है।

जैसे - प्र, सु, अति, अधि, अनु, नि

प्र + हार = प्रहार

जैसे - ता, औना, अन, अत

श्रो + ता = श्रोता

विशेष (उपसर्ग प्रत्यय वाले अन्य शब्द)

बेईमानी

बे + ईमान + ई

स्वतंत्रता

स्व + तंत्र + ता

अज्ञानता

अ + ज्ञान + ता

अनुशासनहीन

अनु + शासन + हीन

पाठ बोधन Question 2:

Comprehension:

निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें।

सच्चे वीर अपने प्रेम के जोर से लोगों को सदा के लिए बाँध देते हैं। वीरता की अभिव्यक्ति कई प्रकार से होती है, कभी लड़ने-मरने से, खून बहाने से, तोप तलवार के सामने बलिदान करने से होती है, तो कभी जीवन के गूढ़ तत्व और सत्य की तलाश में बुद्ध जैसे राजा विरक्‍त होकर वीर हो जाते हैं, और सारे संसार में शांति व समृद्धि फैलाते हैं। वीरता एक प्रकार की अंतः प्रेरणा है, जब कभी उसका विकास हुआ तभी एक रौनक, एक रंग, एक बहार संसार में छा गई। वीरता हमेशा निराली और नई होती है। वीरों को बनाने के कारखाने नहीं होते हैं। जिसमें सौदेबाजी की जा सके। लाभ-व-हानि देखा जा सके। वे तो देवदार के वृक्ष की भाँति जीवन रूपी वन में स्वंय पैदा होते हैं और बिना किसी के पानी दिए, बिना किसी के दूध पिलाये बढ़ते हैं। 'जीवन के केन्द्र में निवास करो और सत्य की चट्टान पर दृढ़ता से खड़े हो जाओ। बाहर की सतह छोड़कर जीवन के अंदर की तहों में पहुँचे तब नए रंग खिलेंगे।

यही वीरता का संदेश

वीरों के देवदार वृक्ष से तुलना की गई है, क्योंकि दोनोंः

  1. खाना-पीना मिलने पर ही बढ़ते हैं
  2. दोनों का दिल उदार होता है
  3. सत्य का हमेशा पालन करते है
  4. स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं

पाठ बोधन Question 2 Detailed Solution

प्रस्तुत गद्यांश  में बताया गया है कि देवदार  स्वयं पैदा होते हैं और बिना किसी के दूध पिलाए बढ़ते हैं। अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 4 है। बाकी सभी विकल्प गलत हैं। 

Key Points

  •  वीर शब्द के पर्यायवाची : 
  • वीर = बहादुर, निडर, निर्भीक, निर्भय, अभय 

Important Points

  •  यहाँ खाना - पीना द्वंद्व समास का एक उदाहरण है। इसी प्रकार द्वंद्व समास के कुछ अन्य उदाहरण भी हैं : 
समास  समस विग्रह 
राम - सीता  राम और सीता 
भूल - चूक  भूल या चूक 
मार - पीट  मार और पीट 
ठंडा - गरम  ठंडा या  गरम 
गौरी - शंकर  गौरी और शंकर 

Additional Information

  •  द्वंद्व समास : जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर 'और' तथा 'या' आदि पद आते हैं उसे द्वंद्व समास कहते हैं।

पाठ बोधन Question 3:

Comprehension:

वह आता –

दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।

पेट – पीठ दोनों मिलकर हैं एक,

चल रहा लकुटिया टेक,

मुट्ठी – भर दाने को – भूख मिटाने को

मुँह फटी पुरानी झोली को फैलाता –

दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।

‘मुँह’ शब्द में प्रयुक्त चंद्रबिंदु को कहते हैं?

  1. अनुस्वार 
  2. अनुनासिक 
  3. नासिक्य 
  4. शिरोरेखा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अनुनासिक 

पाठ बोधन Question 3 Detailed Solution

'मुँह' शब्द में प्रयुक्त चन्द्रबिन्दु को अनुनासिक कहा जाता है। अतः सही विकल्प 'अनुनासिक' है।

Key Points

स्पष्टीकरण

  • जिस ध्वनि के उच्चारण में हवा नाक और मुख दोनों से निकलती है उसे अनुनासिक कहते हैं।
  • अनुनासिक वाले अन्य शब्द हैं -'आँख, माँ, गाँव, बाँसुरी आदि'। 

 

अन्य विकल्प

अनुस्वार 

अनुस्वार स्वर के बाद आने वाला व्यञ्जन है। इसकी ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा की लिपि में अनुस्वार का चिह्न बिंदु (.) के रूप में विभिन्न जगहों पर प्रयोग किया जाता है।

जैसे-  गङ्गा, चञ्चल  इत्यादि।

नासिक्य 

ऐसा व्यंजन होता है जिसे नरम तालू को नीचे लाकर उत्पन्न किया जाए और जिसमें मुँह से वायु निकलने पर अवरोध हो लेकिन नासिकाओं से निकलने की छूट हो। न, म और ण ऐसे तीन व्यंजन हैं।

जैसे- ङ्, ञ्, ण्, न्, म्।

शिरोरेखा

देवनागरी लिपि में वर्णों के ऊपर लगाई जाने वाली रेखा।

जैसे – केला, मैना तीर आदि।

पाठ बोधन Question 4:

Comprehension:

वर्तमान युग संचार और सूचना का युग है। हर कोई देश-विदेश के समाचारों से अवगत रहना चाहता है। वह समाज तथा अपने चारों ओर की स्थितियों से जुड़कर रहना चाहता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सबसे सरल और सस्ता माध्यम है- समाचार-पत्र। यह व्यक्ति को समाज और उसकी हलचलों से जोड़ने का कार्य करता है। प्रत्येक साक्षर व्यक्ति समाचार-पत्र पढ़ सकता है। सुबह उठते ही हमारी दृष्टि समाचार-पत्र की ओर जाती है। चाय की चुस्कियों के बीच समाचार-पत्र पढ़ने का शौक रखना आम हो गया है। जिस दिन समाचार-पत्र नहीं आता, उस दिन कुछ खाली-खाली सा लगता है। समाचार-पत्र पढ़ने के बाद ही अन्य कार्य आरंभ होते हैं। इसे पढ़ने से विद्यार्थियों का सामान्य ज्ञान बहुत अच्छा हो जाता है। समाचार-पत्र विश्व की सभी मुख्य भाषाओं में छपते हैं। हमारे देश में अँगरेजी और हिन्दी के समाचार-पत्र बड़ी संख्या में छपते हैं। इनके अलावा उर्दू, पंजाबी, तमिल, बंगला आदि प्रांतीय भाषाओं के समाचार पत्र भी छपते हैं । दुनिया भर में फैले संवाददाता और समाचार एजेंसियाँ समाचार एकत्रित कर समाचार-पत्र के कार्यालयों में भिजवाती हैं। संपादक इनका संपादन करके छपने योग्य बनाते हैं। फिर छपाई मशीन से तीव्र गति से प्रकाशन होता है। छपने के बाद इन्हें बाँटने का काम शुरू होता है। इस तरह सुबह होते-होते समाचार-पत्र सब लोगों तक पहुँच जाता है।

प्रस्तुत गद्य खंड की संरचना किस विषय पर आधारित है?

  1. विभिन्न समाचारों के विषय पर
  2. विभिन्न कार्यों के विषय पर
  3. विभिन्न त्योहारों के विषय पर
  4. विभिन्न संप्रदायों के विषय पर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभिन्न समाचारों के विषय पर

पाठ बोधन Question 4 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘विभिन्न समाचारों के विषय पर’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • प्रस्तुत गद्य खंड की संरचना "विभिन्न समाचारों के विषय पर" विषय पर आधारित है।
  • वर्तमान युग संचार और सूचना का युग है। हर कोई देश-विदेश के समाचारों से अवगत रहना चाहता है।
  • वह समाज तथा अपने चारों ओर की स्थितियों से जुड़कर रहना चाहता है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सबसे सरल और सस्ता माध्यम है समाचार-पत्र यह व्यक्ति को समाज और उसकी हलचलों से जोड़ने का कार्य करता है। प्रत्येक साक्षर व्यक्ति समाचार-पत्र पढ़ सकता है। और  समाचार-पत्र विश्व की सभी मुख्य विभिन्न भाषाओं में छपते हैं।

Additional Information

  • संप्रदाय का अर्थ: 
    • परंपरा से चला आया हुआ सिद्धांत, मत और ज्ञान
    • परिपाटी; रीति; प्रथा; विश्वास
    • किसी मत विशेष के अनुयायियों का समूह,
      • जैसे- वैष्णव और शैव संप्रदाय
  • संप्रदाय हैं:
  1. वैष्णव
  2. शैव
  3. शाक्त
  4. स्मार्त
  5. वैदिक संप्रदाय।

पाठ बोधन Question 5:

Comprehension:

घोड़ों की टापों की आवाज सुनकर ममता भयभीत हो गई। पथिक ने कहा, ''वह स्‍त्री कहॉं गई है उसे खोेज निकालो।'' ममता छिपने के लिए अधिक सचेत हुई। वह मृगदाव मे चली गई। दिनभर उसमें से न निकली। संध्‍या में जब उन लोगों के जाने का उपक्रम हुआ, तो ममता ने सुना, पथिक घोड़े पर सवार होते हुए कह रहा था, ''मिरजा! उस स्‍त्री को मैं कुछ न दे सका, उसका घर बनवा देना, क्‍योंकि मैंने विपत्ति में यहॉं विश्रााम पाया था। यह स्‍थान भूलना मत।''

चौसा के मुगल-पठान युद्ध को बहुत दिन बीत गए। ममता अब सत्‍तर वर्ष की वृद्धा है। वह अपनी  झोपड़ी में एक दिन पड़ी थी। उसका जीर्ण कंकाल खॉंसी से गूंज रहा था। ममता ने जल पीना चाहा एक स्‍त्री ने सौंपी से जल पिलाया। सहसा एक अश्‍वारोही झोपड़ी के द्वार पर दिखाई पड़ा, मीरजा ने जो चित्र बनाकर दिया था इसी जगह का होना चाहिए। बुढि़या मर गई होगी अब किससे पूछूँ कि एक दिन शहंशाह हुमायूँ ने किस छप्‍पर केे नीचे विश्राम किया था।

उपरोक्‍त गदयांश को पढ़कर नीचे लिखें प्रश्‍नो के उत्‍तर दीजिए-

निम्‍नलिखित में से बुढि़या को क्‍या नहीं था?

  1. बुढ़ापा
  2. खॉंसी
  3. कमजोरी
  4. सामर्थ्‍य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सामर्थ्‍य

पाठ बोधन Question 5 Detailed Solution

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार बुढि़या को सामर्थ्‍य नहीं था,अन्य विकल्प असंगत है। अत: विकल्प 4 सामर्थ्‍य सही उत्तर होगा। 

Key Points

उपरोक्त गद्यांश के अनुसार बुढि़या का शरीर जीर्ण और कंकाल हो चुका था तथा उसका शरीर खॉंसी से गूंज रहा था।

 

पाठ बोधन Question 6:

Comprehension:

दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

माटी के बरतनों और माटी की मूर्तियों की एक सुदीर्घ परंपरा हमारे देश में रही है। आधुनिक ज़माने में भी माटी की यह महिमा हमारे देश में कम नहीं हुई है। आधुनिक उपकरणों ने शहरी जीवन में माटी की जगह भले ही कुछ छीनी हो, लेकिन यहाँ भी कम-से-कम पानी से भरा मटका अभी भी बचा हुआ है, जिसका पानी बहुतों को शीतलता देता है। माटी के गमले भी क्या शहर - क्या गाँव, सब जगह दिखाई पड़ते हैं। माटी की सज्जात्मक वस्तुएँ भी शहरों में काफ़ी बिकने लगी हैं। लेकिन माटी की चीज़ों के इस प्रचलन से यह नहीं मान लेना चाहिए कि हमारे कुंभकार की हालत बेहतर हो गई है। यह एक सच्चाई है कि अब कुंभकार के पेशे को स्वयं कुंभकारों की नई पीढ़ियाँ चाव से नहीं अपनाना चाहती। यह भी एक सच्चाई है कि और चीजों की कीमतें चाहे जितनी बढ़ी हों, लेकिन मिट्टी के बरतनों और मिट्टी से बनाई गई चीजों की कीमतें बढ़ी भी हैं तो बहुत ज्यादा नहीं। हम सबके मन में रहता है कि क्या हुआ, यह माटी का ही तो है। सच पूछिए तो बहुत ज्यादा राशि की उम्मीद वह कभी करता भी नहीं रहा। और कुंभकार ने माटी से बहुत गहरे लगाव व प्रेम का रिश्ता रखा है।

व्याकरणिक कोटि की दृष्टि से कौन-सा शब्द भिन्न है ? 

  1. बरतन
  2. मूर्ति
  3. गमला
  4. मटके

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : मटके

पाठ बोधन Question 6 Detailed Solution

सही उत्तर है- मटके।Key Points

  • व्याकरणिक कोटि की दृष्टि से मटके शब्द भिन्न है।
  • मटके बहुवचन रूप है मटका का। 
  • अन्य विकल्प बरतन, मूर्ति, गमला में एकवचन रूप है।

Additional Information

  • वचन- 
  • संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के जिस रूप से हमें संख्या का पता चले उसे वचन कहते हैं।
  • हिन्दी व्याकरण में वचन दो प्रकार के होते हैं-
    • एकवचन, बहुवचन। 

पाठ बोधन Question 7:

Comprehension:

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

भारत भयंकर अंग्रेज़ी - मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है । इस दुरवस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन तंत्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं । इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से हीन नहीं हैं, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इंडोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यंत सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती । हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अंग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अंग्रेज़ी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

उपयुक्त शीर्षक दीजिए -

  1. भारतीय शिक्षितों का अंग्रेज़ी - मोह
  2. भारत की दुरवस्था
  3. भारतीय लेखकों की दुर्दशा 
  4. भारतीय शिक्षितों की दुरवस्था

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भारत की दुरवस्था

पाठ बोधन Question 7 Detailed Solution

इस प्रश्न का सही उत्तर भारत की दुरवस्था होगा।

अत: सही विकल्प 2 होगा।

Key Points

  •  प्रश्न के उत्तर का अंदाजा गद्यांश की प्रथन लाईन से लगाया जा सकता है।
  • भारत भयंकर अंग्रेज़ी - मोह की दुरवस्था से गुजर रहा है । 
  • अर्थात गद्यांश में भारत की दुरवस्था की बात की है।
  • विकल्प में भी भारत की दुरवस्था दिया हुआ है।

पाठ बोधन Question 8:

Comprehension:

निर्देशः गद्यांश  को पढ़कर पूछे गये प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

एक साधु थे। भिक्षाटन से मजे से दिन गुजारते और आनंदपूर्वक भजन करते थे। एक दिन महत्वाकांक्षा सिर पर चढ़ी, झोपड़ी के चूहो से निपटने के लिए एक बिल्ली पाली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी - तो गाय खरीद कर लाए। गाय के  साज-सभाल के लिए महिला की आवश्यकता पड़ी। महिला से शादी कर ली। परिवार बना। संत बनकर लोक कल्याण करने का लक्ष्य कही से कही चला गया। भौतिक आकाक्षांओ का जाल-जंजाल इतना बढ़ गया कि परमार्थ का लक्ष्य पूरा करने के लिए कुछ भी नही बचता था। सारी क्षमता उसी में खत्म हो जाती थी। सपनो का जमघट ही शेष रह जाता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें हमारे लक्ष्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

महत्वाकांक्षा - रेखाकित शब्द का उचित अर्थ लिखिए।

  1. दयालु
  2. लायक न होना
  3. उन्नति को प्राप्त करने की इच्छा
  4. बलवान होना

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : उन्नति को प्राप्त करने की इच्छा

पाठ बोधन Question 8 Detailed Solution

दिए गए विकल्प में विकल्प 3 'उन्नति प्राप्त करने की इच्छा' सही है क्योंकि यह महत्वाकांक्षा अर्थ है अन्य विकल्प गलत हैं। 

Key Points

  • महत्वाकांक्षा एक संज्ञा है। 
  • अर्थ: ऐसी आकांक्षा जिसमें ऊँचा होने का भाव हो।
  • उदाहरण: वह अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है।
  • पर्यायवाची: उच्चाकांक्षा, ख़्वाब, ख्वाब, बुलंदपरवाज़ी, बुलंदपरवाजी, सपना। 

अन्य विकल्प:

  • दिए गये  विकल्पों में पहला विकल्प दयालु है जिसका अर्थ उस व्यक्ति से जिसके अंदर दया की भावना होती है यह महत्वाकांक्षा का अर्थ नहीं है इसीलिए यह सही नहीं है। 
  • दूसरा विकल्प लायक न होना भी महत्वकांक्षा का अर्थ नहीं है इसीलिए यह सही नहीं हो सकता है। 
  • चौथा विकल्प बलवान होना भी महत्वकांक्षा का अर्थ नहीं है इसीलिए यह सही नहीं है। 

पाठ बोधन Question 9:

Comprehension:

निर्देश: कविता की पंक्तियाँ पढ़कर पूछे गए प्रश्नों में सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए।

चमकीली है सुबह आज की आसमान में

निश्चय कल की सुबह और चमकीली होगी

बेचैनी की बाँहों में कल फूल खिलेंगे

घुटन गमकती साँसों की आवाज़ सुनेगी।

कुंठाओं की टहनी छिन्न-भिन्न होगी फिर

आशा अपने हाथों से अब कुसुम चुनेगी,

चटकीली है आज चहकती हुई चाँदनी

कल चंदा की किरण ओर चटकीली होगीं

खुल जाएँगे अब सबके दिल के दरवाजे

आँखें अपनी आँखों को पहचान सकेंगी।

काव्यांश में चमकीली सुबह का क्या आशय है?

  1. अंधकार समाप्ति के बाद आशाभरी सुबह
  2. सफेद कोहरे से चमकती सुबह
  3. प्रात:काल का समय
  4. सूर्य की किरणों से चमकती सुबह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अंधकार समाप्ति के बाद आशाभरी सुबह

पाठ बोधन Question 9 Detailed Solution

  • दी गयी कविता में आशा और उम्मीद की किरण की बात की जा रही है। यहाँ हर निराशा को समाप्त कर के एक आशा की लौ की बात की जा रही है।
  • इस आधार पर यहाँ कविता के आरम्भ में ‘चमकीली सुबह’ का प्रयोग एक आशाभरी भोर के लिए किया गया है। अतः सही विकल्प अंधकार समाप्ति के बाद आशाभरी सुबह है।

अन्य विकल्प

  • इसके अतिरिक्त दिए गये विकल्प में शब्दार्थ बताया गया है जबकि यहाँ निहितार्थ प्रमुख है।

पाठ बोधन Question 10:

Comprehension:

निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर चुनिए:

मेरे लिए देशप्रेम और मानव-प्रेम में कोई भेद नहीं है; दोनों एक ही हैं। मैं देशप्रेमी हूँ, क्‍योंकि मैं मानव-प्रेमी हूँ। मेरा देशप्रेम वर्जनशील हैं। मैं भारत के हित की सेवा के लिए इंग्‍लैंड या जर्मनी का नुकसान नहीं करूँगा। जीवन की मेरी योजना में साम्राज्‍यवाद के लिए कोई स्‍थान नहीं है। देशप्रेम की जीवन-नीति किसी कुल या कबीले के अधिपति की जीवन-नीति से भिन्‍न नहीं है। और यदि कोई देशप्रेमी उतना ही उग्र मानव-प्रेमी नहीं है, तो कहना चाहिए कि उसके देशप्रेम में उतनी न्‍यूनता है। वैयक्तिक आचरण और राजनीतिक आचरण में कोई विरोध नहीं है; यदाचार का नियम दोनों को लागू होता है। जिस तरह देशप्रेम का धर्म हमें आज यह सिखाता है कि व्‍यक्ति को परिवार के लिए, परिवार को ग्राम के लिए, ग्राम को जनपद के लिए और जनपद को प्रदेश के लिए मरना सीखना चाहिए, उसी तरह किसी देश को स्‍वतंत्र इसलिए होना चाहिए कि वह आवश्‍यकता होने पर संसार के कल्‍याण के लिए अपना बलिदान दे सके। इसलिए राष्‍ट्रवाद की मेरी कल्‍पना यह है कि मेरा देश इसलिए स्‍वाधीन हो कि प्रयोजन उपस्थित होने पर सारी ही देश मानव-जाति की प्राणरक्षा के लिए स्‍वेच्‍छापूर्वक मृत्‍यु का आलिंगन करे। उसमें जातिद्वेष के लिए कोई स्‍थान नहीं है। मेरी कामना है कि हमारा राष्‍ट्रप्रेम ऐसा ही हो।

उग्र' शब्द का उपयुक्त पर्याय है

  1. उत्साहहीन 
  2. दुर्बल 
  3. मंजुल 
  4. भयानक 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भयानक 

पाठ बोधन Question 10 Detailed Solution

सही उत्तर विकल्प 4 भयानक है।

Key Points

  • 'उग्र' शब्द का उपयुक्त पर्याय भयानक है।
  • संदर्भित पंक्ति- देशप्रेम की जीवन-नीति किसी कुल या कबीले के अधिपति की जीवन-नीति से भिन्‍न नहीं है। और यदि कोई देशप्रेमी उतना ही उग्र मानव-प्रेमी नहीं है, तो कहना चाहिए कि उसके देशप्रेम में उतनी न्‍यूनता है।

अन्य विकल्प -

  • उत्साहहीन- हतोत्साहित
  • दुर्बल- कमजोर 
  • मंजुल- सुन्दर 
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