रस MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for रस - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 9, 2025
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रस Question 1:
'मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई, जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई', इन पंक्तियों में कौन -सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘शृंगार रस’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- 'मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।। ' इन पंक्तियों में शृंगार रस है।
- जहां काव्य में 'रति' नामक स्थायी भाव, विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर रस में परिणत होता है वहां शृंगार रस होता है।
- शृंगार रस के दो प्रकार के भेद (i) संयोग शृंगार (ii) वियोग शृंगार होते हैं।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
शांत रस |
इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ शान्त रस कि उत्पत्ति होती है। |
जब मै था तब हरि नाहिं, अब हरि है मै नाहिं। सब अँधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं। |
वीभत्स रस |
घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस है। |
सिर पै बैठ्यो काग , आंख दोउ खात निकारत। खींचत जिभहि स्यार , अतिहि आनंद उर धारत। |
रस - काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
रस Question 2:
वीभत्स रस का स्थायी भाव है-
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 2 Detailed Solution
वीभत्स रस का स्थायी भाव है- जुगुप्सा
Key Points
- वीभत्स रस:- काव्य को सुनने पर जब घृणा के से भाव की अनुभूति होती है तो इस अनुभूति को ही वीभत्स रस कहते हैं। अन्य शब्दों में वीभत्स रस वह रस है जिसमें घृणा का भाव होता है अथवा जिसका स्थायी भाव जुगुप्सा होता है।
उदाहरण:-
- वस्तु घिनौनी देखी सुनि घिन उपजे जिय मांहि।
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं। |
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार रस |
रति |
हास्य रस |
हास |
करुण रस |
शोक |
रौद्र रस |
क्रोध |
वीर रस |
उत्साह |
भयानक रस |
भय |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
अद्भुत रस |
विस्मय |
शांत |
निर्वेद |
रस Question 3:
नीचे दी गई पंक्तियों में कौन-सा रस है?
"ह्वै हैं सिला सब चंद्रमुखी परसे पद - मंजुल - कंज तिहारे।
कीन्हीं भली रघुनायकजू करुना करि कानन को पगु धारे ॥"
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 3 Detailed Solution
दी गई पंक्तियों में "हास्य रस" है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
पूर्ण पद कुछ इस प्रकार है -
बिंध्य के बासी उदासी तपोब्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे ।
गौतमतीय तरी, तुलसी, सो कथा सुनि भे मुनिबंद सुखारे ॥
ह्वै हैं सिला सब चंद्रमुखी परसे पद मंजुल कंज तिहारे ।
कीन्हीं भली रघुनायकजू करुना करि कानन को पगु धारे ॥
Key Points
रस | परिभाषा | उदाहरण |
हास्य रस | किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति, वेशभूषा, चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है, उसे हास कहा जाता है। यही हास जब विभाव, अनुभाव तथा संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे ‘हास्य रस’ कहते है। |
“नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥ |
Additional Information
रस- रस एक प्रकार का आनन्द है, काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्दी में 'स्थायी भाव' के आधार पर काव्य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- |
क्रम संख्या | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रृंगार रस | रति |
2. | हास्य रस | हास |
3. | करूण रस | शोक |
4. | रौद्र रस | क्रोध |
5. | वीर रस | उत्साह |
6. | भयानक रस | भय |
7. | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8. | अद्भुत रस | विस्मय |
9. | शांत रस | निर्वेद |
इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं-
10. | वात्सल्य रस | वात्सल्य |
11. | भक्ति रस | वैराग्य |
रस Question 4:
करुण रस का स्थायीभाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है - ‘शोक’।
- करुण रस का स्थायीभाव ‘शोक’ होता है।
Key Points
- जहां किसी हानि के कारण शोक भाव उपस्थित होता है, वहां ‘करुण रस’ उपस्थित होता है। पर हानि किसी अनिष्ट किसी के निधन अथवा प्रेमपात्र
के चिर वियोग के कारण संभव होता है। - शास्त्र के अनुसार ‘शोक’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप
धारण कर लेता है तब उसे करुण रस कहा जाता है। - करुण रस के अनुभाव:- रोना, जमीन पर गिरना, प्रलाप करना, छाती पीटना, आंसू बहाना, छटपटाना आदि अनुभाव है।
Additional Informationरस के प्रकार और स्थायी भाव:
रस का प्रकार | स्थायी भाव |
श्रृंगार रस
|
रति |
हास्य रस | हास |
करुण रस
|
शोक |
रौद्र रस | क्रोध |
वीर रस
|
उत्साह |
भयानक रस | भय |
वीभत्स रस
|
जुगुप्सा |
अद्भुत रस | विस्मय |
शांत रस | निर्वेद |
वात्सल्य रस
|
वत्सलता |
भक्ति रस | अनुराग |
रस Question 5:
नीचे दी गई पंक्तियों में कौन-सा रस हैं एवं उसका स्थायी भाव क्या है?
"मज्जा मांस रुधिर पतनारे।
सूनि मिचली कस होइ निहारे।।"
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 5 Detailed Solution
"मज्जा मांस रुधिर पतनारे।
सूनि मिचली कस होइ निहारे।।"
उपरोक्त पंक्तियाँ वीभत्स रस से सम्बंधित है जिसका स्थयी भाव जुगुप्सा होता है।
Key Points
- जब किसी दृश्य को देखकर या याद कर मन में जुगुप्सा या घृणा,
- के भाव की परिपक्वता पायी जाए तो वहाँ वीभत्स रस होता है।
जैसे -
रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है, महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा। तैर रहे गल अस्थि-खण्डशत, रुण्डमुण्डहत, कुत्सित कृमि संकुल कर्दम में महानाश के॥ |
Additional Information रस -
- रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’।
- काव्य को पढ़ने या सुनने से अथवा चिन्तन करने से जिस अत्यंत आनन्द का अनुभव होता है,
- उसे ही रस कहा जाता है।
स्थायी भाव -
- स्थायी भाव का अभिप्राय है- प्रधान भाव।
- रस की अवस्था तक पहुंचने वाले भाव को प्रधान भाव कहते हैं।
- स्थायी भाव काव्य या नाटक में शुरुआत से अंत तक होता है।
- स्थायी भावों की संख्या नौ स्वीकार की गयी है।
रस और उनके स्थायी भाव -
रस | स्थायी भाव |
श्रृंगार-रस | रति |
हास्य रस | हास |
करुण रस | शोक |
रौद्र रस | क्रोध |
वीर रस | उत्साह |
भयानक | भय |
वीभत्स रस | जुगुप्सा (घृणा) |
अद्भुत रस | विस्मय |
शांत रस | निर्वेद |
रस Question 6:
निम्नलिखित में से 'सात्विक अनुभाव' नहीं है-
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 6 Detailed Solution
'सात्विक अनुभाव' नहीं है-अपस्मार
अपस्मार-
- मिरगी रोग।
- स्मरण शक्ति की हानि।
Key Pointsसात्विक अनुभाव-
- सत्व के योग से उत्पन्न आंगिक चेष्टाएँ।
- इसे 'अयत्नज भाव' भी कहते है।
- सात्विक अनुभाव की संख्या आठ हैं-
- स्तम्भ, स्वेद, रोमांच, स्वर-भंग, कम्प, विवर्णता, अश्रु तथा प्रलय।
Important Pointsअनुभाव-
- जो विभावों के बाद उत्पन्न होते है या जिनके द्वारा रति आदि भावों का अनुभव होता है, वे अनुभाव कहलातें है।
- इनकी संख्या चार हैं-
- कायिक - शरीर संबंधी चेष्टाएँ।
- वाचिक - स्वर के माध्यम से उत्पन्न होने वाला अनुभाव।
- आहार्य - वेशभूषा,आभूषण,सज-सज्जा आदि।
- सात्विक(मानसिक) - सत्व से उत्पन्न आंगिक चेष्टाएँ।
Additional Information अश्रु-
- आँखों से अविरल अश्रु बहना।
वैवर्ण्य अथवा विवर्णता-
- क्रोध, लज्जा, भय, मोह आदि के कारण चेहरे का रंग उड़ जाना।
प्रलय-
- मोह ,निद्रा ,मद आदि के कारण सुध - बुध खो जाना अथवा चेतना शून्य हो जाना।
रस Question 7:
'विस्मय' किस रस का स्थायी भाव है
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 7 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'अद्भुत' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। Key Points
- 'विस्मय' नामक स्थायी भाव 'अद्भुत' रस का है।
- जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
- उदाहारण -
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
रस Question 8:
निम्न पंक्ति में कौन-सा रस है ?
'किलकत कान्ह घुटुरूवन आवत।
मनिमय कनक नंद के आंगन बिम्ब पकरिवे धावत।।”
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 8 Detailed Solution
उपरोक्त पंक्तियों में 'वात्सल्य रस' है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 4 ‘वात्सल्य रस’ है।
Key Points
- उपरोक्त पंक्तियों में कवि सूरदास जी ने मणियों से युक्त नंद के आँगन में घुटनों के बल चलते हुए बालक श्रीकृष्ण की शोभा का वर्णन किया है।
वात्सल्य रस |
इसका स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है। |
अन्य विकल्प -
रस |
परिभाषा |
अद्भुत रस |
अद्भुत रस जब किसी व्यक्ति के मन में अद्भुत या आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर विस्मय, आश्चर्य आदि के भाव उत्पन्न होते हैं तो वहाँ अद्भुत रस होता है। अद्भुत रस का स्थायी भाव आश्चर्य होता है। |
रौद्र रस |
जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं। |
वीर रस |
जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। |
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
रस Question 9:
निम्नलिखित में से "उत्साह" किस रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 9 Detailed Solution
उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है।
- वीर रस - जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
- स्थायी भाव - उत्साह
उदाहरण -
- साजि चतुरंग सैन अंग उमंग धारि
सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है।
भूषन भनत नाद बिहद नगारन के
नदी नाद मद गैबरन के रलत हैं।।
- बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।
- सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानों मुझे,
यमराज से भी युद्ध में, प्रस्तुत सदा मानो मुझे।
और कि तो बात क्या, गर्व मैं करता नही,
मामा तथा निज तात से भी युद्ध में डरता नहीं।।
- क्रुद्ध दशानन बीस भुजानि सो लै कपि रिद्द अनी सर बट्ठत।
लच्छन तच्छन रक्त किये, दृग लच्छ विपच्छन के सिर कट्टत।।
Key Pointsअन्य विकल्पों के स्थायी भाव व उनके उदाहरण -
- शांत रस - निर्वेद
- तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत,
वेदना का यह कैसा वेग?
आह! तुम कितने अधिक हताश
बताओ यह कैसा उद्वेग?
- तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत,
- करुण रस - शोक
- सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ
सुग्रीव बोले साथ में सब जाएँगे वानर वहाँ।
- सीता गई तुम भी चले मै भी न जिऊंगा यहाँ
- हास्य रस - हास
- हाथी जैसा देह, गैंडे जैसी चाल।
तरबूजे-सी खोपड़ी, खरबूजे-सी गाल॥
- हाथी जैसा देह, गैंडे जैसी चाल।
Additional Informationरस के अवयव -
- स्थायी भाव - स्थायी भाव सुप्त अवस्था में सदैव सहृदय व्यक्ति के हृदय में विद्यमान रहते हैं, जो की अवसर आने पर वह जाग्रत होते हैं रस के रूप में परिणत होते हैं।
- विभाव - जिसके द्वारा (व्यक्ति, पदार्थ आदि) स्थायी भाव उद्दीप्त हो।
- विभाव के अंग - आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव
- अनुभाव - आलंबन और उद्दीपन द्वारा रस की उत्पत्ति को पुष्ट करनेवाले भाव।
- संचारी अथवा व्यभिचारी भाव - जो भाव स्थायी भावों को अधिक पुष्ट करते हैं, व तत्काल बनते एवं मिटते हैं उन्हें ही संचारी भाव कहा जाता है।
- संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है।
रस के स्थायी भाव -
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
अद्भुत | आश्चर्य |
वीभत्स | जुगुप्सा |
शांत | निर्वेद |
वात्सल्य | वत्सलता |
भक्ति | देवविषयक रति/दास्य |
रस Question 10:
निम्नलिखित में से किसे संचारी भाव कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस Question 10 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "व्यभिचारी भाव" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- व्यभिचारी भाव को संचारी भाव कहते हैं।
- संचारी भाव
- ये चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकार हैं। ये स्थायी भावों को पुष्ट करने में सहायक होते है। इनकी स्थिति पानी के बुलबुले के समान उत्पन्न होने और समाप्त होते रहने की होती है।
- भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है :-
- निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता
- गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, वितर्क
- स्थायीभाव
- जो भाव मानव हृदय में स्थायी रूप से रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
- प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव रहता है।
- जैसे- श्रृंगार का रति, वीर का उत्साह
- विभाव
- स्थायी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव हैं।
- इसके दो भेद हैं–
- (अ) आलम्बन और
- (ब) उद्दीपन हैं।
- अनुभाव
- आश्रय की चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
- अनुभाव चार प्रकार के होते हैं-
- कायिक
- मानसिक
- आहार्य
- सात्विक।