भारतवर्षस्य शिक्षान्तर्गतभाषानीतिः ज्ञायते-

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CTET Paper 2 Maths & Science 12th Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. शिक्षान्तर्गतभाषानीतिः
  2. शिक्षामाध्यमरूपे मातृभाषा
  3. प्रथमा भाषा, द्वितीया भाषा तथा आङ्ग्लभाषा
  4. त्रिभाषासूत्रम् 

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Option 4 : त्रिभाषासूत्रम् 
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प्रश्नानुवाद - भारतवर्ष की शिक्षा नीति के अन्तर्गत भाषा नीति जानी जाती है-

स्पष्टीकरण - भारतीय शिक्षा नीति के अनुसार भाषा नीति त्रिभाषा सूत्र नीति के नाम से जानी जाती है। जिसके अन्तर्गत तीन भाषाओं का अध्ययन-अध्यापन सम्मिलित है। जिसमें मातृभाषा, हिन्दी या अग्रेंजी तथा कोई आधुनिक भारतीय भाषा का अध्ययन किया जाता है।

Important Points

त्रिभाषा फॉर्मूला:- त्रिभाषा-सूत्र भारत में भाषा शिक्षण से सम्बन्धित नीति है, जो भारत सरकार द्वारा राज्यों से विचार-विमर्श करके बनायी गयी है। त्रिभाषा सूत्र में हिन्दी का स्थान राजभाषा के रूप में है। इसके अनुसार देवनागरी लिपि में लिखी और मूलत: संस्कृत से अपनी पारिभाषिक शब्दावली को लेने वाली हिन्दी भारतीय संघ की राजभाषा है। 

त्रिभाषा-सूत्र भारत की भाषा स्थिति की चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करने का एक प्रयास है क्योंकि यह भाषा शिक्षण से संबंधित एक ऐसी नीति है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य भाषा शिक्षण के तहत बच्चों में बहु-भाषिकता और राष्ट्रीय सद्भाव को बढ़ावा देना है।

त्रिभाषा सूत्र के तहत भारतीय स्कूलों में तीन भाषाओं की शिक्षा दी जाने की सिफारिश की गई थी जो इस प्रकार हैं-

  • पहली भाषा: मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा।
  • दूसरी भाषा: हिंदी भाषी राज्यों में आधुनिक भारतीय भाषा या अंग्रेजी। गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी या अंग्रेजी।
  • तीसरी भाषा: हिंदी भाषी तथा गैर हिंदी भाषी दोनों राज्यों में अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा।

प्रथम भाषा (L1): वह भाषा जो हम बचपन से सीखते हैं, वह आमतौर पर हमारे माता-पिता, परिवार के सदस्यों और हमारे आसपास के अन्य लोगों द्वारा बोली जाती है। इसे हमारी प्रथम भाषा या L1 के रूप में जाना जाता है। चूंकि यह वह भाषा है जिसे हम सबसे अच्छे से जानते हैं और आम उपयोग करते हैं, इसलिए सरकार ने फैसला किया कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम एक क्षेत्रीय भाषा होनी चाहिए।

द्वितीय भाषा (L2): शिक्षा का एक उद्देश्य छात्र को विभिन्न परिस्थितियों में प्रकट करना और ऐसी क्षमता विकसित करना है, जो उसे हर संभव स्रोत से ज्ञान प्राप्त करने और दूसरों के साथ समान साझा करने में सक्षम बनाता है। इसलिए सीखने वाले को द्वितीय भाषा (L2) सीखने की जरूरत है जो हमारे देश में आमतौर पर हिंदी या अंग्रेजी में होती है।

तृतीय भाषा (L3): इस सूत्र के शिक्षण में दूसरी भाषा की शुरुआत प्राथमिक स्कूल की अंतिम अवस्था में शुरू की जाती है। इस प्रकार तीसरी भाषा को स्कूल में बाद के चरण में पढ़ाया जाता है।

अतः यह कहा जा सकता है कि भारतीय शिक्षा नीति के अनुसार भाषा नीति त्रिभाषा सूत्र नीति के नाम से जानी जाती है।

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