उत्प्रेक्षा MCQ Quiz - Objective Question with Answer for उत्प्रेक्षा - Download Free PDF
Last updated on Apr 23, 2025
Latest उत्प्रेक्षा MCQ Objective Questions
उत्प्रेक्षा Question 1:
निम्नलिखित में से किन पंक्तियों में ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 1 Detailed Solution
"अस कही कुटिल भई उठि ठाढ़ी | मानहूँ रोष तरंगिनी बाढ़ी ||" पंक्तियों में ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है। अन्य विकल्प असंगत हैं। Key Points
- अस कही कुटिल भई उठि ठाढ़ी | मानहूँ रोष तरंगिनी बाढ़ी ||
- इस पंक्ति में मानहूँ शब्द का प्रयोग हुआ है।
- इसलिए यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
Important Points
शब्द | परिभाषा | उदाहरण |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। पहचान- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात। मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।। |
उत्प्रेक्षा Question 2:
जहां पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ कौन सा अलंकार होता है।
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 2 Detailed Solution
जहां पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ ‘उत्प्रेक्षा’ अलंकार होता है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 2 ‘उत्प्रेक्षा’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
स्पष्टीकरण:
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात।। |
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन |
अतिश्योक्ति |
जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये तो वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है। |
लहरें व्योम चूमती उठती देख लो साकेत नगरी है यही! स्वर्ग से मिलने गगन जा रही हैं!! |
श्लेष |
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
मधुवान की छाती को देखो, सुखी कितनी इसकी कलियाँ। |
उत्प्रेक्षा Question 3:
मानों माई धन धन अंतर दामिनी । धन दामिनी दामिनी धन अंतर, शोभित हरि - ब्रज भामिनी। इस पंक्ति में कौन- सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 3 Detailed Solution
मानों माई धन धन अंतर दामिनी । धन दामिनी दामिनी धन अंतर, शोभित हरि - ब्रज भामिनी। इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
- उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में रासलीला का सुन्दर वर्णन किया गया है l
- रास के समय पर गोपी को लगता था कि कृष्ण उसके पास नृत्य कर रहे है l
- गोरी गोपियाँ और श्याम वर्ण कृष्ण मंडलाकार नाचते हुए ऐसे लगते है मानो बादल और बिजली, बिजली और बादल साथ-साथ शोभायमान हो रहे है l
- यहाँ गोपिकाओं में बिजली की और कृष्ण में बादल की सम्भावना की गयी है l अतः सही विकल्प उत्प्रेक्षा अलंकार है
Key Pointsउत्प्रेक्षा अलंकार-
- उपमेय में उपमान के होने की कल्पना की जा रही है। अतः यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- उदाहरण-
- 'सिर फट गया उसका वहीं। मानो अरुण रंग का घड़ा हो’
Important Pointsरूपक अलंकार-
- जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लेहौं
श्लेष अलंकार-
- जब किसी पंक्ति में कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हों लेकिन उसके अर्थ अलग-अलग हों तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून'।
'पानी गये न ऊबरै, मोती मानस चून'।। - इस पंक्ति में 'पानी' शब्द के अनेक अर्थ है।
- जैसे- चमक, प्रतिष्ठा, और जल।
- 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून'।
यमक अलंकार-
- जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे।
- उदाहरण-
- काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’।
उत्प्रेक्षा Question 4:
"पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से।
मानो झूम रहे हैं तरु भी मंद पवन के झोंकों से II "
उपर्युक्त पंक्तियों में निम्नलिखित में से कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 4 Detailed Solution
"पुलक प्रकट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से।
मानो झूम रहे हैं तरु भी मंद पवन के झोंकों से II "
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है- उत्प्रेक्षा अलंकार
Key Points
- इन पंक्तियों में धरती की हरित तृणों की नोकों से पुलक प्रकट करने और तरुओं का मंद पवन के झोंकों से झूमते हुए मानो नृत्य कर रहे है।
- यह प्रस्तुत करने का तरीका उत्प्रेक्षा अलंकार का स्पष्ट उदाहरण है।
- जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- पहचान- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि।
- उदाहरण-
- सखि ! सोहत गोपाल के उर गुंजन की माल।
- बाहर लसत मनो पिए दावानल की ज्वाल।।
- (यहाँ उपमेय ‘गुंजन की माल’ में उपमान ‘ज्वाला’ की संभावना प्रकट की गई है।)
Additional Information
रूपक:-
उदाहरण-
उपमा:-
उदाहरण-
श्लेष:-
उदाहरण-
|
उत्प्रेक्षा Question 5:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
"फुले कास सकल महि छाई।
जनु बरसा रितु प्रकट बुढाई।।
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 5 Detailed Solution
"फुले कास सकल महि छाई। जनु बरसा रितु प्रकट बुढाई।।" - में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
- उपर्युक्त पंक्तियों में उत्प्रेक्षा अलंकार है, क्योंकि यहाँ 'कास के फूल' (उपमेय) में 'वर्षाऋतु के बुढ़ापे' (उपमान) की संभावित कल्पना की गयी है।
- इसमें बोधक शब्द 'जनु' का प्रयोग भी दिखता है।
- जब उपमेय में उपमान की सम्भावना व्यक्त की जाती है तब वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- बोधक शब्द - मानो, मनु, जानो, जनु, ज्यों, जनहु आदि।
Key Pointsअन्य विकल्पों के उदाहरण -
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
अतिशयोक्ति | जब कोई बात बहुत बढ़ा चढ़ाकर या लोकसीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है। अथवा | देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही। |
अनुप्रास | जहाँ किसी वर्ण की अनेक बार क्रम से आवृत्ति हो , वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है । |
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहि विलोकत पातक भारी। निज दुख गिरि सम रज करि जाना, मित्रक दुख रज मेरु समाना।। |
उपमा | जहाँ एक वस्तु की समानता या तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाती है , वहाँ उपमा अलंकार माना जाता है । | सागर-सा गंभीर ह्रदय हो, गिरी-सा ऊँचा हो जिसका मन। |
Important Pointsउत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ उदाहरण -
- चमचमात चंचल नयन, बिच घूँघट पट छीन।
मानहूँ सुरसरिता, बिमल, जग उछरत जुग मीन॥
- पाहून ज्यों आये हों गांव में शहर के,
मेघ आये बडे बन ठन के संवर के।
- तव पद समता को कोमल,
जन सेत्क इक पांय॥
- पाहून ज्यों आये हों गांव में शहर के,
मेघ आये बडे बन ठन के संवर के।
Additional Information
- अलंकार का अर्थ है - अलंकृत करना या सजाना।
अलंकार के निम्नलिखित भेद हैं -
- शब्दालंकार - जब काव्य में शब्दों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न किया जाता है तब वहाँ शब्दालंकार होता है।
- अर्थालंकार - जब काव्य में अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न किया जाता है तब वहाँ अर्थालंकार होता है।
- उभयालंकार - जब काव्य में शब्द और अर्थ दोनों के ही माध्यम से चमत्कार उत्पन्न किया जाता है तब वहाँ उभयालंकार होता है।
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नित्य ही नहाता क्षीर - सिन्धु में कलाधर है, सुन्दर तवानन की समता की इच्छा से इस पंक्ति में कौन - सा अलंकार है-
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFनित्य ही नहाता क्षीर - सिन्धु में कलाधर है, सुन्दर तवानन की समता की इच्छा से - इस पंक्ति में अलंकार है- उत्प्रेक्षा
स्पष्टीकरण –
- यहाँ कलाधर (चन्द्रमा) के क्षीर निधि में नहाने का कारण उसकी उत्पत्ति का हेतु क्षीर-निधि नहीं बतायां गया बल्कि स्नान करने में इस अभिप्राय (फल) की सम्भावना की गयी है कि वह नायिका के मुख की समानता प्राप्त करने के लिए क्षीर सागर में नहा रहा है।यहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार है।
Key Pointsउत्प्रेक्षा अलंकार-
- जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- पहचान - जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि।
- उदाहरण-
- ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
बोधक शब्द - मानो, मनु, मनहु, जानो, जनु, जनहु का प्रयोग किस अलंकार में होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर- उत्प्रेक्षा अलंकार होगा।
Key Points
- बोधक शब्द-मानो, मनु, मनहु, जानो, जनु, जनहु का प्रयोग उत्प्रेक्षा अलंकार अलंकार में होता है
- उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- जैसे- सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात।।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो वह अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणे, खेल रही थी जल थल में |
यमक |
जहां एक ही शब्द कई बार अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त होता है वहाँ यमक अलंकार होता है। |
कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय, या खाये बौराये जग, या पाये बौराये। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन |
Hinglish
- बोधक- perceptible
- प्रयोग- Use/Experiment
“सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गाता
मनहु नील मणि शैल पर, आतप परयो प्रभाता।”
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFदी गयी पंक्ति में ‘मनहु’ शब्द का प्रयोग है। इस शब्द का प्रयोग ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ में किया जाता है। उत्प्रेक्षा अलंकार अर्थात जहां प्रस्तुत उप में के अप्रस्तुत उपमान की संभावना व्यक्ति की जाए वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है जैसे वृक्ष ताड़ का बढ़ता जाता मानो नभ को छूना चाहता। इस में ‘मानो, मानहु, मनहु, मनु, जानो, जनहु, जानहु इत्यादि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। अतः सही विकल्प उत्प्रेक्षा है।
अन्य विकल्प
उपमा अलंकार में किसी वस्तु की तुलना सामान्य गुण धर्म के आधार पर वाचक शब्दों से अभिव्यक्त होकर किसी अन्य वस्तु से की जाती है। जैसे : पीपर पात सरिस मन डोला। |
रूपक अलंकार अर्थात जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे : चरण कमल बंदों हरि राइ। |
यहां उसी वस्तु के समान दूसरी वस्तु की संदेह हो जाए लेकिन वह निश्चित आत्मक ज्ञान में ना बदले वहाँ संदेह अलंकार होता है। |
उपमेय में उपमान की संभावना होने पर अलंकार क्या होगा?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF- उपमेय में उपमान की संभावना होने पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ।
- अर्थालंकार - उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, असंगति, विरोधाभास आदि ।
Key Points
- यमक - जहाँ एक शब्द कई बार आए परन्तु अर्थ भिन्न - भिन्न रहे ।
- श्लेष - जहाँ एक ही शब्द के कई अर्थ लिए जाएँ ।
- रूपक- जहाँ उपमेय और उपमान में पूर्ण समानता बताई जाए ।
- उत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण - यह मुख मानो चंद्रमा है ।
लता भवन ते प्रगट भे, तेहि अवसर दोउ भाई।
निकसे जनु जुग विमल विधु जलद पटल विलगाई।।
में कौन सा अलंकार है। सही विकल्प चुनिए?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- 'लता भवन ते प्रगट भे, तेहि अवसर दोउ भाइ। निकसे जनु जुग विमल विधु, जलद पटल विलगाइ।' इस काव्य पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
- साधारण नियम के अनुसार दी गई काव्य पंक्ति में 'जनु' शब्द के कारण भी उत्प्रेक्षा अलंकार होगा।
- जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना की जाती हैं, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- यदि पंक्ति में -मनु, जनु, मेरे, जानते, मनहु, मानो, निश्चय, ईव आदि आता है, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष |
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
मधुवन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में। |
Additional Information
- अलंकार का अर्थ है-‘आभूषण’।
- जैसे आभूषण सौन्दर्य को बढ़ाने में सहायक होते हैं, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों का प्रयोग करने से काव्य की शोभा बढ़ जाती है।
- अत: काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्त्वों को अलंकार कहते हैं।
निम्नलिखित में से किन पंक्तियों में ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF"अस कही कुटिल भई उठि ठाढ़ी | मानहूँ रोष तरंगिनी बाढ़ी ||" पंक्तियों में ‘उत्प्रेक्षा अलंकार’ है। अन्य विकल्प असंगत हैं। Key Points
- अस कही कुटिल भई उठि ठाढ़ी | मानहूँ रोष तरंगिनी बाढ़ी ||
- इस पंक्ति में मानहूँ शब्द का प्रयोग हुआ है।
- इसलिए यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।
Important Points
शब्द | परिभाषा | उदाहरण |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। पहचान- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात। मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात।। |
'जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना हो' वहाँ कौन सा अलंकार होता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउत्प्रेक्षा अलंकार
- जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
उदाहरण
- ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
- ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कनक का अर्थ धतुरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई भिक्षु सोना ले जा रहा हो।
- काव्यांश में ‘ज्यों’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है एवं कनक -उपमेय में स्वर्ण - उपमान के होने कि कल्पना हो रही है। अतएव यह उदाहरण उत्प्रेक्षा अलंकार के अंतर्गत आएगा।
Important Points
- श्लेष अलंकार
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।
- श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:
- सभंग श्लेष
- अभंग श्लेष
- असंगति अलंकार
- कारण और कार्य में संगति न होने पर असंगति अलंकार होता है ।
- जैसे
- हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरै ।
- घाव तो लक्ष्मण के हृदय में है , पर पीड़ा राम को है , अत: असंगति अलंकार है ।
- अन्योक्ति अलंकार
- जहां उपमान के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो। उपमान अप्रस्तुत एवं उपमेय प्रस्तुत हो , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
- इस अलंकार को अप्रस्तुत प्रशंसा भी कहते हैं।
- रूपक
- रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है।
- इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं।
झुककर मैंने पूछ लिया, खा गया मानो झटका। इस पंक्ति में कौन - सा अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFझुककर मैंने पूछ लिया, खा गया मानो झटका। इस पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
Key Pointsउत्प्रेक्षा अलंकार-
- जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- पहचान - जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि।
- उदाहरण-
- ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए। हिस के कणों से पूर्ण मानो, हो गए पंकज नए।'
इन पंक्तियों में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियो में 'उत्प्रेक्षा' अलंकार का प्रयोग हुआ है। अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 1 'उत्प्रेक्षा' सही उत्तर होगा।
Key Points
कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए। हिस के कणों से पूर्ण मानो, हो गए पंकज नए।। पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
इन पंक्तियों में उतरा के अश्रुपूर्ण नेत्रों (उपमेय) में ओस जल-कण युक्त पंकज (उपमान) की सम्भावना की गयी है। 'मानो' वाचक शब्द प्रयुक्त हुआ है।
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान की सम्भावना की जाती हैं, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
चित्रकूट जनु अचल अहेरी।। लता भवन ते प्रगट भे, तेहि अवसर दोउ भाइ। |
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक अलंकार |
जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है। |
मुनि पद कमल बंदि दोउ भ्राता। |
यमक अलंकार |
जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है। |
माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर। |
उपमा अलंकार |
किसी प्रस्तुत वस्तु की उसके किसी विशेष गुण, क्रिया, स्वभाव आदि की समानता के आधार पर अन्य अप्रस्तुत से समानता स्थापित की जाए तो उपमा अलंकार होगा। |
चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में। |
.....झुके कूल सों जल परसन हित मनहुं सुहाये।
इस कविता की दूसरी पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
उत्प्रेक्षा Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'उत्प्रेक्षा' होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- 'झुके कूल सों जल परसन हित मनहुं सुहाये' पंक्ति में 'मानो वृक्ष -झुक-झुक कर जल को स्पर्श कर रहे हैं' ऐसी संभावना प्रकट होने से इसमें उत्प्रेक्षा अलंकार है।
- जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु , मानो , जानो , जनु ,ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
कलून में केलि में कछारन में कुंजन में क्यारिन में कलित किलकंत है |
रूपक | जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है। | संतो भाई आई ज्ञान की आंधी रे |
यमक |
जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। |
काली घटा का घमंड घटा। |
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण या गहना’।
- जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है।
- अलंकार के तीन प्रकार अथवा भेद होते हैं, किन्तु प्रधान रूप से अलंकार के दो भेद माने जाते हैं — शब्दालंकार तथा अर्थालंकार