Question
Download Solution PDFव्याकरणानुवादविधिः अधिकं बलं ददाति -
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - व्याकरणानुवादविधि अधिक बल देती है-
स्पष्टीकरण - व्याकरण-अनुवाद विधि शुद्धता और प्रवाह पर बल देती है। जिससे अनुवाद करते समय अनुवाद शुद्ध रूप से हो तथा उसे पढ़ते समय उसमें धारा प्रवाहिता बने। इस विधि को भण्डारकर विधि भा कहा जाता है।
Important Points
व्याकरणानुवाद विधि/भण्डारकर विधि
- भारत में इस विधि का प्रयोग सर्वप्रथम रामकृष्ण गोपाल भण्डारकर द्वारा किया गया, इसलिए उनके सम्मान में इसे भण्डारकर विधि कहा जाता है।
- इस विधि से शिक्षण करने के लिए व्याकरण और अनुवाद पद्धति का सहारा लिया जाता है। जिस भाषा का शिक्षण करना होता है, उस भाषा के व्याकरण का प्रयोग किया जाता है।
- अनुवाद में दो भाषाओं की आवश्यकता होती है। एक को स्रोत भाषा कहते हैं तथा दूसरी को लक्ष्य भाषा। जिस भाषा के पाठ का अनुवाद किया जाता है, उसे स्रोत भाषा एवं जिस भाषा में अनुवाद किया जाता है, उसे लक्ष्य भाषा कहते है।
- जिस भाषा का शिक्षण करना होता है, उस भाषा से विद्यार्थी की मातृभाषा एवं विद्यार्थी की मातृभाषा से जिस भाषा का शिक्षण किया जा रहा है, उस भाषा में अनुवाद किया जाता है और करवाया जाता है।
- संस्कृत भाषा के सन्दर्भ में संस्कृत व्याकरण की सहायता ली जाती है।
- संस्कृत भाषा से हिन्दी या विद्यार्थी की मातृभाषा में तथा हिन्दी या विद्यार्थी की मातृभाषा से संस्कृत में अनुवाद किया जाता है और कराया जाता है।
Key Points
अनुवाद विधि -
- किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है।
- अनुवाद विधि ग्रीक और लैटिन शिक्षण की शास्त्रीय (कभी-कभी पारंपरिक कहा जाता है) विधि से प्राप्त विदेशी भाषाओं के शिक्षण की एक विधि है।
अनुवाद विधि के मुख्य उद्देश्य -
- छात्रों को दो भाषाओं का बोध व व्याकरण का ज्ञान कराना।
- लक्ष्य भाषा में अनुवाद करते समय शुद्ध अनुवाद करना, जिससे शुद्ध भाव ग्रहण हो सके।
- स्रोत भाषा में लिखे गए साहित्य को धारा प्रवाह में पढ़ने और अनुवाद करने में सक्षम बनाना।
- छात्रों की सामान्य बौद्धिक विकास करना।
- छात्रों के शब्दकोश में वृद्धि करना।
अतः कहा जा सकता है कि व्याकरण-अनुवाद विधि शुद्धता और प्रवाह पर बल देती है।
Last updated on Apr 30, 2025
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