Question
Download Solution PDFव्याकरण-अनुवादविधिः कथ्यते -
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - व्याकरण-अनुवादविधि कही जाती है -
स्पष्टीकरण - व्याकरण-अनुवाद विधि प्राचीन विधि कहा जाता है।
अनुवाद शिक्षण के प्रवर्तक 'श्री रामकृष्ण गोपाल भण्डारकर' थे। अतः इसे 'भण्डारकर विधि' भी कहते हैं। इस विधि में संस्कृत व्याकरण का उदाहरण सहित व्याख्या संस्कृत से अन्य भाषा में तथा अन्य भाषा से संस्कृत में की जाती है।
Important Points
व्याकरण शिक्षण की विधियाँ-
संस्कृत व्याकरण एक प्राचीन विषय है तथा प्राचीन काल से इसे सिखाने की विविध विधियों का उपयोग हुआ है। अतः व्याकरण विषय को पढ़ाने हेतु विभिन्न प्राचीन व नवीन शिक्षण विधियाँ निम्नलिखित हैं-
- आगमन विधि - आगमन विधि में विशिष्ट अनुभवों और उदाहरणों के माध्यम से सामान्य नियमों का निर्माण किया जाता है। यह बच्चों को सरल संप्रत्ययो के सहायता से नवीन ज्ञान का संचार करने में मदद करती है।
- निगमन विधि - यह नियमों और सिद्धांतों के प्रस्तुतीकरण तथा बाद में उदाहरणों के द्वारा उन नियमों के पुष्टीकरण से संबंधित है।
- सूत्र विधि - गंभीर तथ्यों को सूक्ष्म रूप से रूप में बताना ही सूत्र कहलाता है। व्याकरण एवं के गंभीर तथ्यों को सूत्र विवध से ही पढ़ाया जाता था, यथा- ‘अकुहविसर्जनियनांकंठः’ अर्थात् कवर्ग, विसर्ग और ह कंठ से बोले जाते हैं।इस विधि में अध्यापक छात्रों को कुछ सूत्र बताते हैं और छात्र उन्हें बिना समझ ही कण्ठस्थ कर लेते हैं।
- पारायण विधि - इसमें कंठस्थीकरण पर बल दिया जाता है। पाठ की सरलता कठिनता के अनुसार इसकी संख्या पारायण की संख्या होती है।
- अव्याकृत विधि - इसे संसर्ग विधि भी कहते है। इसमें बालक परिवार में रहकर नियमों को सीखे बिना ही संस्कृत भाषा का ग्रहण करता है।
- अर्थावाबोधन विधि - इसमें बालक सूत्रों को रटने के बजाय उनके सही अर्थ को समझने का प्रयास करता है।
- अन्वयव्यतिरेक विधि - इस विधि में काव्य शिक्षण के अन्वय को आधार मानकर प्रत्येक शब्द का व्याकरण दृष्टि से टुकडे(खण्ड) करके व्याकरण शिक्षण करते है।
- व्याकरण अनुवाद विधि:- डॉ. रामकृष्ण गोपाल भण्डारकर इन्होंने पाश्चात्य प्रणाली पर आधारित संस्कृत शिक्षण के लिए नयी विधि का विकास किया, इसे व्याकरण अनुवाद विधि कहते हैं। इस विधि को भण्डारकर विधि भी कहा जाता है। वामनाशिवराम आपटे और कैलहोरन-मोनियर विलियम-मैक्डानॉल्ड आदि विद्वानों ने भी इस विधि का स्वीकार किया है। इस तरह व्याकरण अनुवाद विधि यह प्राचीन प्रणाली है, यह स्पष्ट होता है।
व्याकरण शिक्षण की आधुनिक विधियाँ -
- पाठ्यपुस्तक विधि - इसमें वह पुस्तक, जो पाठ्य पुस्तक के रूप में निर्धारित की गयी है, के आधार पर व्याकरण का अध्ययन करवाया जाता है।
- सहयोग-समवाय विधि - इस विधि में पृथक रूप से शिक्षा नहीं दी जाती। गद्य-पद्य रचना एव अनुवाद के सहायता से पठन होता है।
- भाषा संसर्ग विधि - यह विधि शुद्ध व्याकरण के नियमों का ज्ञान तथा शुद्ध भाषा के प्रयोग पर बल देती है।
- आगमन-निगमन विधि - प्राचीन आगमन और निगमन विधि का एक साथ प्रयोग यहाँ किया जाता है।
अतः कहा जा सकता है कि व्याकरण-अनुवाद विधि प्राचीन विधि है।
Last updated on Apr 30, 2025
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