पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत MCQ Quiz - Objective Question with Answer for पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत - Download Free PDF

Last updated on May 28, 2025

Latest पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत MCQ Objective Questions

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 1:

फैंटेसी के प्रयोग की दृष्टि से हिन्दी में किसकी कविता महत्वपूर्ण है?

  1. अज्ञेय 
  2. मुक्तिबोध 
  3. फ्रायड 
  4. बच्चन 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मुक्तिबोध 

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 1 Detailed Solution

फैंटेसी के प्रयोग की दृष्टि से हिन्दी में मुक्तिबोध की कविता महत्वपूर्ण है।

  • फैंटेसी के प्रयोग की दृष्टि से हिन्दी में मुक्तिबोध की 'ब्रह्मराक्षस' कविता महत्वपूर्ण है। 

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 2:

निम्नलिखित में से कौनसे युग्म सही हैं?

(A) प्लेटो - अनुकरण सिद्धांत

(B) अरस्तू - विरेचन सिद्धांत

(C) लोंजाइनस - प्रतीकवाद

(D) विलियम वर्ड्सवर्थ - स्वच्छंदतावाद

(E) जीन मोरेआस - नव्यशास्त्रवाद

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :

  1. केवल (A), (E)
  2. केवल (C), (D)
  3. केवल (A), (B)
  4. केवल (B), (C)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : केवल (A), (B)

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है- केवल (A), (B)

Key Pointsसही है- 

  • (A) सही: प्लेटो अनुकरण सिद्धांत (माइमेसिस) से जुड़े हैं।
  • (B) सही: अरस्तू ने विरेचन सिद्धांत (कैथार्सिस) का प्रतिपादन किया।

Important Pointsअन्य सही है-

  • (C) गलत: लोंजाइनस उदात्त सिद्धांत से जुड़े हैं, न कि प्रतीकवाद से।
  • (D) गलत: यह कथन सही है कि विलियम वर्ड्सवर्थ स्वच्छंदतावाद से जुड़े हैं, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो युग्म सही होने चाहिए, और (A), (B) प्राथमिक रूप से सही हैं।
  • (E) गलत: जीन मोरेआस प्रतीकवाद से जुड़े हैं, न कि नव्यशास्त्रवाद से (जो बेन जानसन से संबंधित है)।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 3:

निम्नलिखित में से कौनसे युग्म सही हैं?

(A) सैमुअल टेलर कॉलरिज - कल्पना सिद्धांत

(B) फ्रायड - मनोविश्लेषणवाद

(C) जॉर्ज लूकाच - बिंबवाद

(D) टी. एस. इलियट - निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत

(E) एमिल जोला - अतियथार्थवाद

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :

  1. केवल (B), (D)
  2. केवल (A), (E)
  3. केवल (C), (E)
  4. केवल (A), (C)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : केवल (B), (D)

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है- केवल (B), (D)

 

विश्लेषण:
  • (A) गलत: यह कथन सही है कि सैमुअल टेलर कॉलरिज कल्पना सिद्धांत से जुड़े हैं, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो युग्म सही होने चाहिए, और (B), (D) प्राथमिक रूप से सही हैं।
  • (B) सही: फ्रायड मनोविश्लेषणवाद के प्रतिपादक हैं।
  • (C) गलत: जॉर्ज लूकाच महान यथार्थवाद/आलोचनात्मक यथार्थवाद से जुड़े हैं, न कि बिंबवाद से (जो ह्यूम और एजरा पाउंड से संबंधित है)।
  • (D) सही: टी. एस. इलियट निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत और वस्तुनिष्ठ समीकरण से जुड़े हैं।
  • (E) गलत: एमिल जोला प्राकृतवाद से जुड़े हैं, न कि अतियथार्थवाद से (जो आन्द्रे ब्रेताँ और हर्बर्ट रीड से संबंधित है)।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 4:

प्रतीक और प्रतीकवाद से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?

(A) प्रतीकवादी आंदोलन की शुरुआत 1870 और 1885 के बीच फ्रांस में हुई, और बादलेयर की कविता 'कॉरसपॉन्डेंस' को प्रतीकवादियों ने अपना घोषणा-पत्र माना।

(B) इंग्लैंड में प्रतीकवाद की शुरुआत विलियम बटलर येट्स ने की थी।

(C) प्रतीकवाद यथार्थवाद का समर्थन करता है और बाह्य जगत के यथार्थ को सर्वोपरि मानता है।

(D) प्रतीकवाद पर हीगेल और शापेनहावर के यथार्थवादी दर्शन का प्रभाव है।

(E) हिंदी साहित्य में प्रतीकवाद का प्रभाव छायावादी कवियों पर देखा गया, लेकिन यह आंदोलन के रूप में स्थापित नहीं हुआ।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :

  1. (A), (B)
  2. (B), (C)
  3. (C), (D)
  4. (A), (E)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (A), (B)

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है- (A), (B)

Key Pointsविश्लेषण-

  • (A) सही: प्रतीकवादी आंदोलन की शुरुआत 1870 और 1885 के बीच फ्रांस में हुई, और बादलेयर की कविता 'कॉरसपॉन्डेंस' को प्रतीकवादियों ने अपना घोषणा-पत्र माना।
  • (B) सही: इंग्लैंड में प्रतीकवाद की शुरुआत विलियम बटलर येट्स ने की थी।
  • (C) गलत: प्रतीकवाद यथार्थवाद का विरोध करता है और बाह्य जगत के यथार्थ को महत्त्वहीन बताता है, जबकि आत्मपरक दृष्टि पर बल देता है।
  • (D) गलत: प्रतीकवाद पर हीगेल और शापेनहावर के आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव है, न कि यथार्थवादी दर्शन का।
  • (E) गलत: हालांकि यह कथन सही है कि हिंदी में प्रतीकवाद छायावादी कविताओं में दिखा और आंदोलन के रूप में स्थापित नहीं हुआ, लेकिन प्रश्न के निर्देशानुसार केवल दो कथन सही होने चाहिए, और (A) व (B) अधिक स्पष्ट रूप से सही हैं।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 5:

प्रतीक और प्रतीकवाद की विशेषताओं से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-से कथन सही हैं?

(A) प्रतीकवाद शाश्वत सत्य की व्यंजना पर बल देता है और प्रतीकों के माध्यम से इसका संबंध स्थापित करता है।

(B) प्रतीकवाद में ध्वनि और दृश्य प्रतीकों का महत्त्व है, और काव्य में संगीतात्मकता को आवश्यक तत्त्व माना गया है।

(C) प्रतीकवाद यथार्थवादी दृष्टि को स्वीकार करता है और वस्तुपरकता पर जोर देता है।

(D) हिंदी साहित्य में प्रतीकवाद का प्रभाव रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाओं में प्रमुख रूप से देखा गया।

(E) आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रतीकवाद को 'रहस्यवाद' के रूप में परिभाषित किया।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :

  1. (A), (C)
  2. (B), (D)
  3. (A), (B)
  4. (C), (E)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (A), (B)

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर है- (A), (B)

Key Points

  • (A) सही: प्रतीकवाद शाश्वत सत्य की व्यंजना पर बल देता है और प्रतीकों के माध्यम से इसका संबंध स्थापित करता है।
  • (B) सही: प्रतीकवाद में ध्वनि और दृश्य प्रतीकों का महत्त्व है, और काव्य में शब्द और संगीत के मिश्रण को आवश्यक तत्त्व माना गया है।

Additional Information

  • (C) गलत: प्रतीकवाद यथार्थवादी दृष्टि का विरोध करता है और आत्मपरक दृष्टि को प्राथमिकता देता है।
  • (D) गलत: रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाओं पर विलियम बटलर येट्स का प्रभाव दिखा, लेकिन उन्हें प्रतीकवादी नहीं माना जाता, और हिंदी साहित्य में प्रतीकवाद का प्रभाव मुख्य रूप से प्रयोगवादी कवियों पर देखा गया।
  • (E) गलत: आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रतीकवाद को 'चित्र भाषावाद' के रूप में परिभाषित किया, न कि 'रहस्यवाद' के रूप में।

Top पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत MCQ Objective Questions

टॉमस स्टर्न्स इलियट के अनुसार परंपरा -

  1. संस्कृति का अंश नहीं हैI
  2. निर्जीव होती हैI
  3. अनुपयोगी हैI
  4. जीवित संस्कृति का एक अंश हैI

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : जीवित संस्कृति का एक अंश हैI

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 6 Detailed Solution

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टॉमस स्टर्न्स इलियट के अनुसार परंपरा -जीवित संस्कृति का एक अंश है I

Key Points

  • टी.एस.इलियट(1888-1965ई.)-यह पाश्चात्य काव्यशास्त्र के महान विचारक हैं।
  • इन्होंने कई सिद्धान्त प्रतिपाद्य किये है-
  1. निर्वैयक्तिकता का सिद्धांत
  2. परम्परा का सिद्धांत
  3. वस्तुनिष्ठ समीकरण

Important Points

  •  परम्परा का सिद्धांत-
  1. अर्थ-किसी रचना का महत्व उतना ही होता है,जितना समंजन(adjustment) वह सम्पूर्ण परम्परा में करती है।
  2. इलियट परम्परा को वर्तमान से अलग नहीं बल्कि उसका ही एक हिस्सा मानते हैं।
  3. नए कवियों के लिए इलियट अतीत के ज्ञान को जरूरी मानते है।
  4. इनका लेख 'ट्रेडिशन एंड इंडिविजुअल टैलेंट' परम्परा के ही महत्त्व को प्रतिपादित करता है।

Additional Information

  • इलियट-"अतीत ही वर्तमान को प्रभावित नहीं करता बल्कि वर्तमान भी अतीत को प्रभावित करता है।"

बिम्‍बवाद का संबंध निम्‍नलिखित में से किस आचार्य से है -

  1. जार्ज लूकाच
  2. एजरा पाउन्‍ड
  3. डेनियल बेल
  4. जॉक देरिदा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : एजरा पाउन्‍ड

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 7 Detailed Solution

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  • एजरा पाउंड बिम्बवाद से संबंधित आचार्य हैं।
  • पाश्चात्य काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण वाद/सिद्धांतI

Key Points

  • बिम्बवाद पर एज़रा पाउण्ड का कथन है, "ऐसी कविता जिसमें चित्रकला और शिल्पकला मानों संवाद के लिये एकत्र हुए हों।''
  • बीसवीं सदी का आंदोलन
  • आंग्ल - अमेरिकी कविता का आंदोलन

Important Points

  • हिन्दी साहित्य में बिम्ब का नवीन अर्थ-प्रतिपादन रामचन्द्र शुक्ल की आलोचना द्वारा हुआ।
  • उन्होंने अर्थ-ग्रहण पर बिम्ब-ग्रहण को वरीयता दी।

Additional Information

प्रमुख वाद प्रवर्तक
प्लेटो  प्रत्ययवाद

अरस्तू

विरेचन सिद्धांत
लोंजायनस उदात्तवाद 
क्रोचे अभिव्यंजनावाद 
जॉर्ज लूकाच यथार्थवाद
सस्यूर  संरचनावाद 
ज्याक देरिदा  विखंडनवाद, उत्तर संरचनावाद 
टी ई ह्यूम बिम्बवाद

निम्नलिखित में से इतिहास दर्शन (Historiography) से मूलतः संबंधित विचारक हैं -

  1. वॉल्तेयर
  2. हिरोदोत्तस
  3. विको
  4. कांट

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वॉल्तेयर

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 8 Detailed Solution

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इतिहास दर्शन(Historiography) से मूलतः संबंधित विचारक है- वॉल्तेयर

Key Points

  • वोल्तेयर-फ्रांस का बौद्धिक जागरण (Enlightenment) के युग का महान लेखक, नाटककार एवं दार्शनिक था।
  • उनका वास्तविक नाम "फ़्रांस्वा-मैरी अरोएट" था।
  • प्रमुख रचनाएँ-Socrates(नाटक),Zadig(1747),Candide(1759),Letters on the english(1778)आदि।
  • कुछ विचार-
  1. आदमी उसी क्षण से  स्वतंत्र हो जाता है जब वह स्वतंत्रता के बारे में सोचने लगता है।
  2. जितनी बार एक मूर्खता को दोहराया जाता है, उतना ही उसे ज्ञान का आभास होता है।​

Additional Information

  • अन्य विचारक-
विचारक मुख्य बिंदु
विको

1)पूरा नाम-गिआग्बतिस्ता विको

2)इतालवी ज्ञानोदय के दौरान इतालवी दार्शनिक

3)मुख्य कृति-न्यू साइंस(1725)

कांट

1)पूरा नाम-इमानुएल कांट

2)जर्मन वैज्ञानिक,नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक थे।

3)प्रमुख कृति-शुद्ध बुद्धि की खोज(1781),प्रत्येक भावी दर्शन की भूमिका(1783),नीतिदर्शन की पृष्ठभूमि(1786) आदि।

प्लेटो के अनुसार एक समर्थ कवि काव्य-रचना किस प्रकार करता है?

  1. किसी सचेष्ट कलात्मक प्रेरणा की अपेक्षा दैवी शक्ति से प्रेरित और अभिभूत होकर
  2. सचेष्ट कलात्मक प्रेरणा और दैवी शक्ति से अभिभूत होकर
  3. दैवी शक्ति की भूमिका से निरपेक्ष कलात्मक प्रेरणा द्वारा
  4. अपने वैज्ञानिक ज्ञान के सम्यक् प्रयोग द्वारा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : किसी सचेष्ट कलात्मक प्रेरणा की अपेक्षा दैवी शक्ति से प्रेरित और अभिभूत होकर

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 9 Detailed Solution

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प्लेटो के अनुसार एक समर्थ कवि काव्य-रचना-1) किसी सचेष्ट कलात्मक प्रेरणा की अपेक्षा दैवी शक्ति से प्रेरित और अभिभूत होकर करता है। 

Important Points

  • प्लेटो यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक था। 
  • यूरोप में ध्वनियों के वर्गीकरण का श्रेय प्लेटो को ही है।
  • प्‍लेटो के शिष्‍य का नाम अरस्तू था।
  • उनका मत था कि "कविता जगत की अनुकृति है,जगत स्वयं अनुकृति है;अतः कविता सत्य से दोगुनी दूर है। वह भावों को उद्वेलित कर व्यक्ति को कुमार्गगामी बनाती है। अत: कविता अनुपयोगी है एवं कवि का महत्त्व एक मोची से भी कम है।" 

Additional Information

  • प्लेटो की प्रमुख कृतियों में उसके संवाद का नाम विशेष उल्लेखनीय है। 
  • उनके संवादों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
  1. ​सुकरातकालीन संवाद
  2. यात्रीकालीन संवाद
  3. प्रौढ़कालीन संवाद
  • ​काव्य विरोधी होने के बावजूद प्लेटो ने वीर पुरुषों के गुणों को उभारकर प्रस्तुत किए जाने वाले तथा देवताओं के स्तोत्र वाले काव्य को महत्त्वपूर्ण एवं उचित माना है। 

निम्नलिखित में से कौन - सा विद्वान अस्तित्ववाद का चिन्तक नहीं है ?

  1. अल्बर्ट कामू 
  2. एजरा पाउंड
  3. मार्टिन हेडगर 
  4. ज्यां - पॉल सार्त्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : एजरा पाउंड

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 10 Detailed Solution

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एजरा पाउंड अस्तित्ववादी चिंतक नहीं है।

Key Points

एजरा पाउंड बिम्बवाद की विचारधारा के चिंतक है।

एज्रा वेस्टन लूमिस पाउंड (30 अक्टूबर 1885 - 1 नवंबर 1972)

एक प्रवासी अमेरिकी कवि और आलोचक

प्रारंभिक आधुनिकतावादी कविता आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इटली में एक फासीवादी सहयोगी थे ।

कृतियाँ

  • रिपोस्टेस (1912), ह्यूग सेल्विन मौबरले (1920) और उनकी 800 पृष्ठ की महाकाव्य कविता , द कैंटोस (1917-1962) शामिल हैं।
Important Points

मार्टिन हेइडगेगर (1889-19 76)

  • अस्तित्ववाद के क्लासिक को जर्मन दार्शनिक एम हेइडगेगर माना जाता है।
  • उन्होंने मनुष्यों और मानवता के लिए सबसे महत्वपूर्ण नई समस्याओं को निर्धारित किया और माना।
  • जिसने उन्हें सबसे बड़ा और सबसे मूल विचार थंडर के रूप में बात करना संभव बना दिया बीसवीं सदी का।

अल्बर्ट कामु

  • (7 नवंबर, 1913 से 4 जनवरी, 1960) एक फ्रांसीसी-अल्जीरियाई लेखक, नाटककार और नैतिकतावादी थे।
  • वह अपने विपुल दार्शनिक निबंधों और उपन्यासों के लिए जाने जाते थे और उन्हें अस्तित्ववादी आंदोलन के पूर्वजों में से एक माना जाता है, भले ही उन्होंने लेबल को अस्वीकार कर दिया हो।

ज्यां-पाल सार्त्र

  • अस्तित्ववाद के पहले विचारक माने जाते हैं।
  • वह बीसवीं सदी में फ्रान्स के सर्वप्रधान दार्शनिक कहे जा सकते हैं।
  • कई बार उन्हें अस्तित्ववाद के जन्मदाता के रूप में भी देखा जाता है।
  • पुस्तक :- ल नौसी   
Additional Information

अस्तित्ववाद

  • अस्तित्ववादी के अनुसार दुनिया में घटित होने वाली घटनाएं संयोग पर आधारित हैं।
  • यहाँ कोई कार्य-कारण संबंध नहीं दिखता, अत: इस उलजुलूल दुनिया में जीने का कोई अर्थ नहीं क्योंकि यहाँ कोई ईश्वर नहीं जो मनुष्य के व्यवहार को कार्य को वैध ठहरा सके।
  • अत: मृत्यु, हत्या, अपराध आदि को भी ये चिंतक गलत नहीं मानते।

काव्य भाषा के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी मान्यता “वर्ड्सवर्थ” की नहीं है?

  1. काव्य में ग्रामीणों की दैनिक बोलचाल की भाषा प्रयुक्त हो।
  2. भाषा में मिथक और बिम्बों का प्रयोग होना चाहिए।
  3. भाषा में कृत्रिमता और आडंबवाद के कवियों की देन है।
  4.  गद्य और काव्य की भाषा में कोई तात्तिक भेद नहीं है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भाषा में मिथक और बिम्बों का प्रयोग होना चाहिए।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 11 Detailed Solution

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"भाषा में मिथक और बिम्बो का प्रयोग होना चाहिए" यह मान्यता वर्ड्सवर्थ की नहीं है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • "भाषा में मिथक और बिम्बो का प्रयोग होना चाहिए" यह मान्यता वर्ड्सवर्थ की नहीं है।
  • वर्ड्सवर्थ ने कविता को परिभाषित करते हुए लिखा है कविता प्रबल भावों का सहज उच्छलन है।
Important Points
  • विलियम वर्ड्सवर्थ (7 अप्रैल,1770-23 अप्रैल 1850) एक प्रमुख रोमांचक कवि थे। 
  • वर्ड्सवर्थ की प्रसिद्ध रचना 'द प्रेल्युद' हे जो कि एक अर्ध-आत्म चरितात्मक कवित माना जाता है। 
  • वर्द्स्वर्थ ब्रिटेन के महाकवि थे।
Additional Information
  • लिरिकल बैलेड्स को स्वच्छंदतावादी काव्य आंदोलन का घोषणा पत्र माना जाता है।
  • लिरिकल बैलेड्स के 4 संस्करण प्रकाशित हुए और उसकी भूमिका को वर्ड्सवर्थ की आलोचना का मूल माना जाता है।

लिरिकल बैलेड्स के संस्करण निम्नलिखित हैं:- 

संस्करण

रचना वर्ष

भूमिका के शीर्षक

प्रथम

1798

एडवरटिजमेंट

द्वितीय

1800

प्रिफेस

तृतीय

1802

प्रिफेस

चतुर्थ

1815

प्रिफेस

निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है ?

  1. आई. ए. रिचर्ड्स की प्रसिद्ध कृति का नाम 'दि प्रिंसिपल्स ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म' है, 'प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म' नहीं।
  2. आईं ए. रिचर्ड्स का आलोचनात्मक लेखन कार्य उन्नीसवीं सदी के अंत तक समाप्त हो गया।
  3. रिचर्ड्स जिसे सम्प्रेषण कहते हैं वह भारतीय काव्य शास्त्र के साधारणीकरण का ही एक रूप है।
  4. रिचर्ड्स का एक सिद्धांत मूल्य सिद्धांत है जिसका मनोविज्ञान से कोई संबंध नहीं है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रिचर्ड्स जिसे सम्प्रेषण कहते हैं वह भारतीय काव्य शास्त्र के साधारणीकरण का ही एक रूप है।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 12 Detailed Solution

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  • रिचर्ड्स जिसे सम्प्रेषण कहते हैं वह भारतीय काव्य शास्त्र के साधारणीकरण का ही एक रूप हैI सही उत्तर विकल्प 3 होगाI

Key Points  

  • रिचर्ड्स ने सम्प्रेषण सिद्धांत दिया हैI
  • इसके अनुसार किसी अन्य की अनुभूति को अनुभूत करना ही प्रेषणीयता हैI
  • सौंदर्य की स्थिति किसी वस्तु में नहीं बल्कि पाठक या दर्शक के मन पर पड़ने वाले प्रभाव में होती हैI
  • साधारणीकरण का सिद्धांत रस निष्पत्ति में सहायक हैI
  • साधारणीकरण - असाधारण या विशेष वस्तु को साधारण और सर्वमान्य बनाने की प्रक्रियाI

Important Points

  • रिचर्ड्स ने पाश्चात्य साहित्य में व्यवस्थित सौन्दर्य शास्त्र का निर्माण कियाI
  • ग्रन्थ
  1.  द प्रिंसिपल्स ऑफ़ लिटरेरी क्रिटिसिज्म (1924)
  2. प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म (1929)
  3. साइंस एंड पोएट्री (1926)
  4. द फिलोसोफी ऑफ़ रेटोरिक (1936) 

 

Additional Information

  • रिचर्ड्स ने दो मुख्य सिद्धांत दिए हैं - 
  1. मूल्य सिद्धांत - कोई भी वस्तु जो इच्छा को संतुष्ट करे, मूल्यवान हैI 
  2.  सम्प्रेषण सिद्धांत - विभिन्न मनों की अनुभूतियों की अत्यंत समानता ही सम्प्रेषण हैI 

 

  • अभिनवगुप्त, आचार्य विश्वनाथ, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, डॉ नगेन्द्र, आदि की व्याख्याएँ इस सम्बन्ध में महत्वपूर्ण हैंI

सूची - 1 को सूची - 2 से सुमेलित कीजिए:

सूची - 1

सूची – 2

A. रम्‍य कल्‍पना

I. टी. एस. इलिएट

B. मूल्‍य सिद्धांत

II. आई. ए. रिचर्डस  

C. परंपरा की अवधारणा

III.  सैमुअल टेलर कॉलरिज

D. उत्तर आधुनिकतावाद

IV. रोलां बार्थ

 

नीचे दिए गए विकल्‍पों में से सही उतर चुनिए: 

  1. A - II, B - IV, C - III, D - I
  2. A - IV, B - III, C - II, D - I
  3. A - III, B - II, C - I, D - IV
  4. A - IV, B - I, C - III, D - II

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : A - III, B - II, C - I, D - IV

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 13 Detailed Solution

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सूची-1 और सूची-2 का मिलान-3) A-III,B-II,C-I,D-IV

Key Points

सूची - 1

सूची – 2

A. रम्‍य कल्‍पना

III.  सैमुअल टेलर कॉलरिज

B. मूल्‍य सिद्धांत

II. आई. ए. रिचर्डस  

C. परंपरा की अवधारणा

I. टी. एस. इलिएट

D. उत्तर आधुनिकतावाद

IV. रोलां बार्थ

Important Points

  • काॅलरिज मानते थे कि कवि को सद्बुद्धि से प्रेरित होना चाहिए जिससे कि वह पाठकों में रुचि उत्पन्न कर सके। 
  • सौन्दर्य को रिचडर्स ने एक मूल्य माना है।
  • टी.एस.इलिएट के मत में संसार एक 'मरूभूमि' है-आध्यात्मिक दृष्टि से अनुर्वर तथा भौतिक दृष्टि से अस्त व्यस्त। 
  • 1960 दशक में रोलां बार्थ ने लाक्षण-विज्ञान और संरचनावाद का अध्ययन प्रारंभ किए।

Additional Information

  • काॅलरिज के अनुसार कल्पना दो प्रकार की होती है-प्रारम्भिक और विशिष्ट 
  • रिचर्ड्स ने मनोविज्ञान से सम्बन्धित दो सिध्दान्त दिए हैं-मूल्य सिद्धांत और संप्रेषण का सिद्धांत
  • निर्वैयक्तिकता के दो रूप होते हैं- एक वह जो कुशल शिल्पी मात्र के लिए प्राकृतिक होती है और दूसरी वह जो प्रौढ़ कलाकार के द्वारा अधिकाधिक उपलब्ध हो जाती है।यह मान्यता टी.एस.इलिएट की है।
  • रोलां बार्थ को संरचनावाद और उत्तर संरचनावाद के योजक कड़ी के रूप में जाना जाता है। 

मार्क्सवादी दर्शन के अनुसार निम्नलिखित में से कौन - से कथन सही हैं?

(A) मानव सभ्यता के विकास की पहली मंजिल आदिम साम्यवाद की थी।

(B) मानव समाज का इतिहास वर्ग - संघर्षों का इतिहास है।

(C) मानव समाज के विकास की अंतिम मंजिल समाजवाद की होगी।

(D) इतिहास समय समय पर अपने को दुहराता रहता है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चाहिए :

  1. (A) और (B)
  2. (B) और (C)
  3. (A) और (C)
  4. (B) और (D)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (A) और (B)

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 14 Detailed Solution

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मार्क्सवादी दर्शन के अनुसार कथन सही हैं-

  • (A) मानव सभ्यता के विकास की पहली मंजिल आदिम साम्यवाद की थी। 
  • और (B) मानव समाज का इतिहास वर्ग-संघर्षों का इतिहास है।

Key Points

  • साम्यवाद या मार्क्सवाद एक ही विचारधारा के 2 नाम है जिसे वैज्ञानिक समाजवाद और क्रांतिकारी समाजवाद भी कहा जाता है।
  • मार्क्सवाद या साम्यवाद का प्रतिपादन कार्ल मार्क्स और फ़्रेडरिक एंजेल्स नामक दो यूरोपीय चिंतकों ने 19वीं सदी में किया था

Important Points

  • मार्क्सवाद एक जटिल विचारधारा है जिसमें बहुत से विचार नहीं है,कुछ विचार इस प्रकार हैं-
  1. मार्क्सवाद के दो प्रमुख सिद्धांत है- द्वंदात्मक भौतिकवाद तथा ऐतिहासिक भौतिकवाद। द्वंदात्मक भौतिकवाद का संबंध प्रकृति और जगत के नियमों की व्याख्या से है जबकि ऐतिहासिक भौतिकवाद मनुष्य के संपूर्ण इतिहास की व्याख्या है।
  2. मार्क्स का दावा है कि हर समाज 2 वर्ग को अमीर तथा गरीब में विभाजित होता है तथा यह शोषण प्राचीन काल से ही शुरू हुआ और बदले हुए रूपों में आज तक चला आ रहा है।
  3. मार्क्सवाद का मानना है कि सभी सामाजिक समस्याओं की जड़ निजी संपत्ति की धारणा में छिपी है।
  4. मार्क्स ने धर्म का विरोध किया है।

Additional Information

  •  आदिम साम्यवाद- यह सामाजिक जीवन की शुरुआत का समय है जब न तो निजी संपत्ति की धारणा थी और न ही शोषण।
  • सभी मनुष्य सामुदायिक जीवन जीते थे और उनमें बेहद प्राथमिक किसम का श्रम विभाजन था।
  • इस समय जीवन अत्यंत कष्ट पूर्ण था क्योंकि मनुष्य को प्राकृतिक शक्तियों तथा पशुओं से हर समय खतरा रहता था और मूलभूत जरूरतें पूरी करने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता था।

"काव्य जीवन की आलोचना है" यह किसका कथन है?

  1. क्रोचे
  2. वर्ड्सवर्थ
  3. अरस्तु
  4. आर्नल्ड

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : आर्नल्ड

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 15 Detailed Solution

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"काव्य जीवन की आलोचना है" यह आर्नल्ड कथन है

Key Pointsप्रमुख रचना:-

  • शिक्षा संबंधी-पापुलर एजुकेशन ऑव फ्रांस (1861)
  • ए फ्रेंच एटन (1863-64)
  • स्कूल्स ऐंड युनिवर्सिटीज़ आन द कांटिनेंट (1868)
  • स्पेशल रिपोर्ट आन एलिमेंटरी एजुकेशन ऐब्राड (1886)
  • रिपोर्ट्‌स आन एलिमेंटरी स्कूल्स (1889)।

Important Points

नाम  मैथ्यू अर्नोल्ड 
जन्म  24 दिसंबर 1822
जन्मस्थान  ललेहम, मिडिलसेक्स, इंग्लैंड
मृत्यु 15 अप्रैल 1888
मृत्युस्थान  लिवरपूल, इंग्लैंड
विधा कविता, साहित्यिक, सामाजिक, समालोचना
पत्नी  फ्रांसेस लूसी

Additional Informationक्रोचे की प्रमुख रचनाएँ:-

  •  हेगेल की जाँच-परख- 1952
  •  सौन्दर्यमीमांसा का सार- 1920
  •  इतिहासलेखन का सिद्धान्त और इतिहास-1917
  •  व्यवहार का दर्शन- 1913
  • ऐतिहासिक भौतिकवाद और मार्क्स का अर्थशास्त्र-1900

वर्ड्सवर्थ की प्रमुख रचनाएँ:-

  • साईमन ली
  • वी आर सेवन
  • लाईन्स रिटन इन अर्ली स्प्रिगं
  • गीतात्मक गाथागीत की प्रस्तावना
  • ओड टू ड्यूटी (1807)
  • गाईड टू द लेक्स (1810)

अरस्तु की प्रमुख रचनाएँ:-

  • हिस्ट्री ऑफ़ एनिमल्स
  • पार्ट्स ऑफ़ एनिमल्स
  • सेंस एंड सेंसिबिलिया
  • ऑन मेमोरी
  • ऑन दी हेअवेंस
  • ऑन जेंराशन एंड करप्शन
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