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Last updated on Mar 26, 2025

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Latest पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत MCQ Objective Questions

Top पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत MCQ Objective Questions

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 1:

सूची - 1 को सूची - 2 से सुमेलित कीजिए:

सूची - 1

सूची – 2

A. रम्‍य कल्‍पना

I. टी. एस. इलिएट

B. मूल्‍य सिद्धांत

II. आई. ए. रिचर्डस  

C. परंपरा की अवधारणा

III.  सैमुअल टेलर कॉलरिज

D. उत्तर आधुनिकतावाद

IV. रोलां बार्थ

 

नीचे दिए गए विकल्‍पों में से सही उतर चुनिए: 

  1. A - II, B - IV, C - III, D - I
  2. A - IV, B - III, C - II, D - I
  3. A - III, B - II, C - I, D - IV
  4. A - IV, B - I, C - III, D - II

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : A - III, B - II, C - I, D - IV

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 1 Detailed Solution

सूची-1 और सूची-2 का मिलान-3) A-III,B-II,C-I,D-IV

Key Points

सूची - 1

सूची – 2

A. रम्‍य कल्‍पना

III.  सैमुअल टेलर कॉलरिज

B. मूल्‍य सिद्धांत

II. आई. ए. रिचर्डस  

C. परंपरा की अवधारणा

I. टी. एस. इलिएट

D. उत्तर आधुनिकतावाद

IV. रोलां बार्थ

Important Points

  • काॅलरिज मानते थे कि कवि को सद्बुद्धि से प्रेरित होना चाहिए जिससे कि वह पाठकों में रुचि उत्पन्न कर सके। 
  • सौन्दर्य को रिचडर्स ने एक मूल्य माना है।
  • टी.एस.इलिएट के मत में संसार एक 'मरूभूमि' है-आध्यात्मिक दृष्टि से अनुर्वर तथा भौतिक दृष्टि से अस्त व्यस्त। 
  • 1960 दशक में रोलां बार्थ ने लाक्षण-विज्ञान और संरचनावाद का अध्ययन प्रारंभ किए।

Additional Information

  • काॅलरिज के अनुसार कल्पना दो प्रकार की होती है-प्रारम्भिक और विशिष्ट 
  • रिचर्ड्स ने मनोविज्ञान से सम्बन्धित दो सिध्दान्त दिए हैं-मूल्य सिद्धांत और संप्रेषण का सिद्धांत
  • निर्वैयक्तिकता के दो रूप होते हैं- एक वह जो कुशल शिल्पी मात्र के लिए प्राकृतिक होती है और दूसरी वह जो प्रौढ़ कलाकार के द्वारा अधिकाधिक उपलब्ध हो जाती है।यह मान्यता टी.एस.इलिएट की है।
  • रोलां बार्थ को संरचनावाद और उत्तर संरचनावाद के योजक कड़ी के रूप में जाना जाता है। 

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 2:

सच्ची आलोचना का लक्ष्य 'कवि नहीं, बल्कि काव्य है' - स्थापना है :

  1. मैथ्यू आर्नल्ड
  2. टी. एस. इलियट
  3. आई. ए. रिचर्ड्स
  4. क्लिंथ ब्रुक्स

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : टी. एस. इलियट

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 2 Detailed Solution

सच्ची आलोचना का लक्ष्य 'कवि नहीं, बल्कि काव्य है' यह स्थापना टी एस इलियट का है

टी. एस. इलियट-

  • जन्म-(1888-1965ई.)
  • निर्वैयक्तिकता के सिद्धांत के जनक माने जाते हैं।

Key Points अन्य स्थापनाएं-

  • "कविता मात्र कवि के व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति नही है,बल्कि व्यक्तित्व से पलायान् है।"
  • "आलोचना साँस की तरह अनिवार्य एवं नैसर्गिक क्रिया है।"

प्रमुख रचनाएँ-

  • सेलेक्टेड एसेंज(1932)
  • पोएट्री  एंड ड्रामा(1951)
  • द सैक्रेड वुड(1920)
  • द वेस्टलैंड(1922)आदि।

Additional Information

मैथ्यू आर्नल्ड-

  • जन्म-(1822-1828ई.)
  • मैथ्यू आर्नल्ड एक महान् आधुनिक आलोचक है। आधुनिक अंग्रेजी आलोचना का प्रारम्भ मैथ्यू आर्नल्ड से ही होता है।

प्रमुख रचनाएँ-

  • एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, (1865)
  • ऑन द स्टडी ऑव केल्टिक लिटरेचर (1867)
  • एसेज़ इन क्रिटिसिज्म, सेकेंड सीरीज़ (1888)
  • सांस्कृतिक रचनाएँ-कल्चर ऐंड ऐनार्की (1869)आदि।

आई. ए. रिचर्ड्स-

  • जन्म-(1893-1979ई.)
  • अंग्रेजी के प्रभावशाली समालोचक तथा बीसवीं सदी के मूल्यवादी समीक्षक हैं। 

प्रमुख रचनाएँ-

  • प्रिंसिपल्स ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म (साहित्य आलोचना ) ( 1924 )
  • साइन्स एंड पोयट्री (विज्ञान और कविता) (1925)
  • प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म (व्यवहारिक आलोचना) (1929)
  • कॉलरिज आ्न इमैजिनेशन (कॉलेरिज की कल्पना शक्ति) (1935)
  • द फिलॉसफी ऑफ रिटोरिक (शब्दता का दर्शन) ( 1936) आदि।

क्लिंथ ब्रुक्स-

  • जन्म-(1906-1994ई.)
  • क्लिंथ ब्रुक्स एक अमेरिकी साहित्यकार,आलोचक और प्रोफेसर थे।
  • इन्हें 20वीं शताब्दी के मध्य में नई आलोचना में उनके योगदान और अमेरिकी उच्च शिक्षा में कविता के शिक्षण में क्रन्तिकारी बदलाव के लिए जाना जाता है।

प्रमुख रचनाएँ-

  • साहित्य के लिए एक दृष्टिकोण(1936)
  • कविता को समझना(1938)
  • आधुनिक कविता और परंपरा(1939)
  • अंडरस्टैंडिंग फिक्शन(1949) आदि।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 3:

टी. एस. इलियट इनमें से किस वाद के समर्थक थे?

  1. व्यक्तिवाद
  2. स्वच्छंदतावाद
  3. प्रभाववाद
  4. आभिजात्यवाद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : आभिजात्यवाद

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 3 Detailed Solution

टी. एस. इलियट आभिजात्यवाद के समर्थक थे।

Key Points

  • आभिजात्यवाद अंग्रेजी भाषा के classicism का हिंदी रूपांतरण है।
  • सबसे पहले रोमियो ने इस शब्द का प्रयोग विशिष्ठ वर्ग के नागरिकों के लिए किया।

टी. एस. इलियट-

  • जन्म-(1888-1965)
  • निर्वैयक्तिकता के सिद्धांत के जनक माने जाते हैं।

प्रमुख रचनाएँ-

  • सेलेक्टेड एसेंज(1932)
  • पोएट्री  एंड ड्रामा(1951)
  • द सैक्रेड वुड(1920)
  • द वेस्टलैंड(1922) आदि।

Additional Informationव्यक्तिवाद-

  • व्यक्तिवाद एक नैतिक (एथिकल),राजनैतिक एवं सामाजिक दर्शन (outlook) है।
  • जो व्यक्ति की स्वतन्त्रता एवं व्यक्तिगत आत्मनिर्भरता पर बल देता है और उसका समर्थन करता है।
  • इस दर्शन में, प्रत्येक व्यक्ति को विशिष्ट व्यक्ति ठहराने की प्रवृत्ति है।

स्वच्छंदतावाद-(19वीं शती प्रारंभ)

  • स्वच्छन्दतावाद (Romanticism) कलासाहित्य तथा बौद्धिक क्षेत्र का एक आन्दोलन था जो यूरोप में अट्ठारहवीं शताब्दी के अन्त में आरम्भ हुआ।
  • 1800 से 1850 तक के काल में यह आन्दोलन अपने चरमोत्कर्ष पर था।
  • इस क्रांति के बौद्धिक नायक ज्याँ-ज़ाक रूसो को स्वच्छंदतावादी चिंतन की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है।

प्रभाववाद-(19वीं शती)

  • प्रभाववाद 19वीं सदी का एक कला आंदोलन था, जो पेरिस-स्थित कलाकारों के एक मुक्‍त संगठन के रूप में आरंभ हुआ।
  • इनकी स्‍वतंत्र प्रदर्शनियों ने 1870 और 1880 के दशकों में उन्‍हें प्रतिष्ठा दिलवाई।
  • इस आंदोलन का नाम क्‍लाउड मॉनेट की कृति (Impression, soleil levant) से माना जाता है।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 4:

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने बिम्बवाद का प्रवर्तक माना है :

  1. हूल्में को
  2. फ्लिंट को
  3. रिचर्ड एलिंगटन को
  4. लॉवेल को

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : फ्लिंट को

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 4 Detailed Solution

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने बिम्बवाद का प्रवर्तक फ्लिंट को माना है।

बिम्बवाद 20वीं सदी की आंग्ल-अमेरिकी कविता का एक आंदोलन था जिसमें बिम्ब अर्थात् इमेजरी की परिशुद्धता तथा स्पष्ट, तेज भाषा को महत्वपूर्ण माना जाता है।

Key Points

कवि कृतियाँ 
एफ. एस. फ्लिंट कीडेन्सेस 1915
रिचर्ड एलिंगटन शूट द वर्क्स (1948)
लॉवेल  फॉर दा यूनियन के डेड 1964

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 5:

इनमे से कौन-सा कथन सत्य है?

  1. प्लेटो की दृष्टि यथार्थपरक थी, अरस्तु की आदर्शपरक। 
  2. प्लेटो और अरस्तु दोनों की ही की दृष्टि आदर्शपरक थी। 
  3. प्लेटो की दृष्टि आदर्शपरक थी, अरस्तु की यथार्थ पर। 
  4. प्लेटो और अरस्तु दोनों की दृष्टि आदर्शपरक थी।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्लेटो की दृष्टि आदर्शपरक थी, अरस्तु की यथार्थ पर। 

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 5 Detailed Solution

प्लेटो की दृष्टि आदर्शपरक थी, अरस्तु की यथार्थ पर। कथन सत्य है।

  • प्लेटो ने काव्य को सत्य से तिहरी दूरी पर माना है, अतः उन्होंने काव्य में आदर्श स्थिति को माना है।
  • अरस्तू के अनुसार काव्य प्रकृति की अनुकृति तो नहीं परंतु पुनः प्रस्तुतीकरण अथवा रचना है, अतः इस तरह अरस्तु ने काव्य में यथार्थ का समावेश किया है।
Important Points

अरस्तु का अनुकरण सिद्धांत एक स्तर पर प्लेटो का अनुकरण सिद्धांत की प्रतिक्रिया है और दूसरे स्तर पर उसका विकास भी।

कवि प्रतियमान संभाव्य अथवा आदर्श तीनों में से किसी का भी अनुकरण करने के लिये स्वतंत्र है।

वह संवेदना, ज्ञान, कल्पना, आदर्श आदि द्वारा अपूर्ण को पूर्ण बनाता है।

अरस्तू प्लेटो के शिष्य है।

प्लेटो

  • यूरोप में ध्वनियों के वर्गीकरण का श्रेय प्लेटो को ही है।
  • प्लेटो के अनुसार "मानव के व्यक्तित्व के तीन आंतरिक तत्त्व होते हैं-
    • बौद्धिक
    • ऊर्जस्वी
    • सतृष्ण
Additional Information

प्लेटो सुकरात का शिष्य तथा अरस्तू का गुरू था।

  • सुकरात >प्लेटो > अरस्तु

इन तीन दार्शनिकों की त्रयी ने ही पश्चिमी संस्कृति का दार्शनिक आधार तैयार किया।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 6:

मार्क्सवादी दर्शन के अनुसार निम्नलिखित में से कौन - से कथन सही हैं?

(A) मानव सभ्यता के विकास की पहली मंजिल आदिम साम्यवाद की थी।

(B) मानव समाज का इतिहास वर्ग - संघर्षों का इतिहास है।

(C) मानव समाज के विकास की अंतिम मंजिल समाजवाद की होगी।

(D) इतिहास समय समय पर अपने को दुहराता रहता है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चाहिए :

  1. (A) और (B)
  2. (B) और (C)
  3. (A) और (C)
  4. (B) और (D)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (A) और (B)

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 6 Detailed Solution

मार्क्सवादी दर्शन के अनुसार कथन सही हैं-

  • (A) मानव सभ्यता के विकास की पहली मंजिल आदिम साम्यवाद की थी। 
  • और (B) मानव समाज का इतिहास वर्ग-संघर्षों का इतिहास है।

Key Points

  • साम्यवाद या मार्क्सवाद एक ही विचारधारा के 2 नाम है जिसे वैज्ञानिक समाजवाद और क्रांतिकारी समाजवाद भी कहा जाता है।
  • मार्क्सवाद या साम्यवाद का प्रतिपादन कार्ल मार्क्स और फ़्रेडरिक एंजेल्स नामक दो यूरोपीय चिंतकों ने 19वीं सदी में किया था

Important Points

  • मार्क्सवाद एक जटिल विचारधारा है जिसमें बहुत से विचार नहीं है,कुछ विचार इस प्रकार हैं-
  1. मार्क्सवाद के दो प्रमुख सिद्धांत है- द्वंदात्मक भौतिकवाद तथा ऐतिहासिक भौतिकवाद। द्वंदात्मक भौतिकवाद का संबंध प्रकृति और जगत के नियमों की व्याख्या से है जबकि ऐतिहासिक भौतिकवाद मनुष्य के संपूर्ण इतिहास की व्याख्या है।
  2. मार्क्स का दावा है कि हर समाज 2 वर्ग को अमीर तथा गरीब में विभाजित होता है तथा यह शोषण प्राचीन काल से ही शुरू हुआ और बदले हुए रूपों में आज तक चला आ रहा है।
  3. मार्क्सवाद का मानना है कि सभी सामाजिक समस्याओं की जड़ निजी संपत्ति की धारणा में छिपी है।
  4. मार्क्स ने धर्म का विरोध किया है।

Additional Information

  •  आदिम साम्यवाद- यह सामाजिक जीवन की शुरुआत का समय है जब न तो निजी संपत्ति की धारणा थी और न ही शोषण।
  • सभी मनुष्य सामुदायिक जीवन जीते थे और उनमें बेहद प्राथमिक किसम का श्रम विभाजन था।
  • इस समय जीवन अत्यंत कष्ट पूर्ण था क्योंकि मनुष्य को प्राकृतिक शक्तियों तथा पशुओं से हर समय खतरा रहता था और मूलभूत जरूरतें पूरी करने के लिए कठोर परिश्रम करना पड़ता था।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 7:

"काव्य जीवन की आलोचना है" यह किसका कथन है?

  1. क्रोचे
  2. वर्ड्सवर्थ
  3. अरस्तु
  4. आर्नल्ड

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : आर्नल्ड

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 7 Detailed Solution

"काव्य जीवन की आलोचना है" यह आर्नल्ड कथन है

Key Pointsप्रमुख रचना:-

  • शिक्षा संबंधी-पापुलर एजुकेशन ऑव फ्रांस (1861)
  • ए फ्रेंच एटन (1863-64)
  • स्कूल्स ऐंड युनिवर्सिटीज़ आन द कांटिनेंट (1868)
  • स्पेशल रिपोर्ट आन एलिमेंटरी एजुकेशन ऐब्राड (1886)
  • रिपोर्ट्‌स आन एलिमेंटरी स्कूल्स (1889)।

Important Points

नाम  मैथ्यू अर्नोल्ड 
जन्म  24 दिसंबर 1822
जन्मस्थान  ललेहम, मिडिलसेक्स, इंग्लैंड
मृत्यु 15 अप्रैल 1888
मृत्युस्थान  लिवरपूल, इंग्लैंड
विधा कविता, साहित्यिक, सामाजिक, समालोचना
पत्नी  फ्रांसेस लूसी

Additional Informationक्रोचे की प्रमुख रचनाएँ:-

  •  हेगेल की जाँच-परख- 1952
  •  सौन्दर्यमीमांसा का सार- 1920
  •  इतिहासलेखन का सिद्धान्त और इतिहास-1917
  •  व्यवहार का दर्शन- 1913
  • ऐतिहासिक भौतिकवाद और मार्क्स का अर्थशास्त्र-1900

वर्ड्सवर्थ की प्रमुख रचनाएँ:-

  • साईमन ली
  • वी आर सेवन
  • लाईन्स रिटन इन अर्ली स्प्रिगं
  • गीतात्मक गाथागीत की प्रस्तावना
  • ओड टू ड्यूटी (1807)
  • गाईड टू द लेक्स (1810)

अरस्तु की प्रमुख रचनाएँ:-

  • हिस्ट्री ऑफ़ एनिमल्स
  • पार्ट्स ऑफ़ एनिमल्स
  • सेंस एंड सेंसिबिलिया
  • ऑन मेमोरी
  • ऑन दी हेअवेंस
  • ऑन जेंराशन एंड करप्शन

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 8:

निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक आई. ए. रिचर्ड्स द्वारा लिखित नहीं है?

  1. प्रिंसिपल्स ऑफ़ लिटरेरी क्रिटिसिज्म
  2. नोट्स टुवर्ड्स द डेफिनिशन ऑफ़ कल्चर
  3. प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म
  4. कॉलरिज ऑन इमैजिनेशन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : नोट्स टुवर्ड्स द डेफिनिशन ऑफ़ कल्चर

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 8 Detailed Solution

आई.ए.रिचर्ड्स द्वारा लिखित नहीं-2) नोट्स टुवर्ड्स द डेफिनिशन ऑफ़ कल्चर है।

Important Points

  • नोट्स टुवर्ड्स द डेफिनिशन ऑफ़ कल्चर -  टी.एस.एलियट द्वारा लिखित। 
  • आई.ए.रिचर्ड्स का रचनाकाल सन् 1924 से 1936 के मध्य माना जाता है। 
  • आई.ए.रिचर्ड्स द्वारा लिखित पुस्तकें- प्रिंसिपल्स ऑफ़ लिटरेरी क्रिटिसिज्म(1924),साइंस एंड पोएट्री(1926),प्रैक्टिकल क्रिटिसिज्म(1929),कॉलरिज ऑन इमैजिनेशन(1934)
  • एक दर्जन ग्रंथों में से ‘प्रिसिंपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज्म’ सबसे अधिक प्रसिद्ध है। 

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 9:

कॉलरिज ने कल्पना के कितने भेद किये हैं ?

  1. दो
  2. चार
  3. पाँच
  4. सात

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : दो

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 9 Detailed Solution

कॉलरिज ने कल्पना के दो भेद किये हैं

 

  • कॉलरिज (1772 - 1834 ई.) -रचनाएं - बायोग्राफीया लिटरेरिया (1817 ई.), द फ्रेंड (1817 ई.),  एडस टू रिफ्लेक्शन (1825 ई.), ऑन द कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ चर्च एंड स्टेट (1830 ई.), चर्च एंड स्टेट (1830 ई.) कंफेशज़ ऑफ इंक्वायरिग स्पिरिट (1840 ई.), लेक्चरर्स ऑन लिटरेचर, लेक्चरर्स ऑन शेक्सपियर।
  • कॉलरिज ने कल्पना के दो भेद किए है- 1. मुख्य कल्पना 2. गौण/रम्य कल्पना।
मुख्य कल्पना गौण/रम्य कल्पना
  • सामान्य मनुष्य की कल्पना।
  •  इसमें दृश्य जगत और वस्तु जगत का स्पष्ट ज्ञान होता है।
  •  इसके द्वारा प्रत्यक्ष ज्ञान की प्राप्ति होती है यह सहज प्रक्रिया है।
  • कवि की कल्पना इसे काव्यात्मक कल्पना भी कहते हैं।
  • यह मनुष्य कल्पना से प्राप्त प्रत्यक्ष ज्ञान को कलाकार की

        इच्छा के अनुरूप नया रूप प्रदान करती है।

  • दृश्य जगत की वस्तुओं को विशिष्ट बनाने के लिए इसे

        संश्लेषण की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 10:

पाश्चात्य काव्य चिंतकों को उनके जन्म वर्ष के अनुसार पहले से बाद के क्रम में व्यवस्थित कीजिए:

A. आई. ए. रिचर्ड

B. मैथ्यू अर्नाल्ड

C. कॉलरिज

D. विलियम वर्डस्वर्थ

E. टी. एस इलीयट

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. D, B, C, A, E
  2. C, D, E, B, A 
  3. C, D, A, B, E 
  4. D, C, B, E, A

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : D, C, B, E, A

पाश्चात्य आचार्यो के सिद्धांत Question 10 Detailed Solution

पाश्चात्य काव्य चिंतकों का उनके जन्म वर्ष के अनुसार पहले से बाद का सही क्रम है - 4) D, C, B, E, A

विलियम वर्ड्सवर्थ, कॉलरिज, मैथ्यू अर्नाल्ड, टी. एस. इलियट, आई. .रिचर्ड

Key Points

  • विलियम  वर्ड्सवर्थ
    • जन्म - 1770 ई. इंग्लैंड में
    • मृत्यु -1850
  • कॉलरिज
    • इनका पूरा नाम सैमुअल टेलर कॉलरिज था
    • जन्म - 1772 इंग्लैंड में
    • मृत्यु - 1834
  • मैथ्यू अर्नाल्ड-
    • जन्म - 24 दिसंबर 1822 लेलहम, मिडलेसेक्स  इंग्लैंड  में।
    • मृत्यु -1888
  • टी. एस. इलियट
    • जन्म 1888 अमेरिका में
    • मृत्यु - 1965
  • आई रिचर्ड
    • इनका पूरा नाम ईवर आर्मस्ट्रांग रिचर्ड्स था।
    • जन्म – 1893
    • मृत्यु - 1979

 Important Points

  • विलियम वर्ड्सवर्थ की रचनाएं-
    • एन इवनिंग वॉक एंड डिस्क्रिप्टिव स्केचेज - 1793 ई.
    • लिरिकल बैलेड्स - 1798 ई. ( कॉलरिज के सहलेखन में )
    • अंतिम संग्रह  - द प्रिल्यूड
  • कॉलरिज की रचनाएं
    • द फ्रेंड 1817
    • एड्स टू रिफ्लेक्शन 1825
    • चर्च एंड स्टेट 1830
    • कन्फेशन ऑफ एन इनक्वायरिंग सिपरिट 1840
  • मैथ्यू अर्नाल्ड की रचनाएं
    • कल्चर एंड अनार्की 1869
    • लिटरेचर एंड ड्रामा 1873
    • एसेज ऑन चार्ज एंड स्टेट
    • द फंक्शन ऑफ क्रिटिसिजम एट द प्रेजेंट टाइम 1877
  • टी.एस. इलियट की रचनाएं
    • द सेक्रेड बुक 1920
    • होमेज टू जॉन ड्रायडन 1924
    • एलिजाबेथेन एसेज
    • द यूज़ ऑफ पोएट्री एंड द यूज़ ऑफ क्रिटिसिजम 1934
    • सेलेक्टेड एसेज 1934
    • एसेज एशेट एंड मॉडर्न 1936
    • नॉलेज एंड एक्सपीरियंस (शोध प्रबंध)
  • आई रिचर्ड की रचनाएं-
    • द फाउंडेशन ऑफ ईस्थैटिक 1922
    • दी मीनिंग ऑफ मीनिंग 1923
    • द प्रिंसिपुल्स ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिजम 1924
    • प्रैक्टिकल क्रिटिसिजम 1929
    • साइंस एंड पोएट्री 1926
    • द फिलोसोफी ऑफ रिटारिका 1936

 Additional Information

  • वर्ड्सवर्थ ने कविता को परिभाषित करते हुए लिखा है "कविता प्रबल भावों का सहज उच्छलन है "
    • वर्ड्सवर्थ ने काव्य भाषा सिद्धांत दिया।
  • कॉलरिज
    • बायोग्राफिया लिटरेरिया उनका प्रमुख ग्रन्थ है।
    • कॉलरिज ने कल्पना और फेंटेसी सिद्धांत दिया।
    • कॉलरिज प्रत्ययवादी थे और उनके काव्य संबंधी धारणा जैववादी सिद्धांत पर आधारित है।
  • टी.एस. इलियट  -
    • इन्हें 'द वेस्टलैंड' रचना पर 1948 में नोबेल पुरस्कार मिला।
    • ये 'क्राइटेरियन' के संपादक थे।
    • फेबर एंड फेबर के निदेशक थे।
    • टी एस इलियट ने निर्वेंयक्तिकता का सिद्धांत और परंपरा की अवधारणा दी।
  • आई. .रिचर्ड.
    • रिचर्ड्स ने आलोचना को मनोविज्ञान की एक शाखा माना है।
    • रिचर्ड्स ने मूल्य सिद्धांत संप्रेषण सिद्धांत तथा काव्य भाषा सिद्धांत दिया
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