काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF

Last updated on May 15, 2025

Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

काव्य पंक्तियाँ Question 1:

मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल,
कह फूल-फूल, सह फूल-फूल।

हरि को ही-तल में बंद किये,
केहरि से कह नख हूल-हूल।

उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कविता की है?

  1. बलि पंथी के लिए 
  2. पुष्प की अभिलाषा 
  3. वीरों का कैसा हो वसंत 
  4. विप्लवगान 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : बलि पंथी के लिए 

काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है - बलि पंथी के लिए 

 

काव्य पंक्तियाँ Question 2:

"पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी" में "पैरों की निशानी" का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है? 

  1. प्राकृतिक मार्ग पर छोड़े गए निशान 
  2. जीवन में किए गए महान कार्य और अनुभव
  3. प्रेम और सौंदर्य के निशान 
  4. स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियाँ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जीवन में किए गए महान कार्य और अनुभव

काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

उत्तर - जीवन में किए गए महान कार्य और अनुभव 

**विश्लेषण**: "पैरों की निशानी" उन महान कार्यों और अनुभवों का प्रतीक है, जो कुछ लोग जीवन के मार्ग पर छोड़ जाते हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं।

 

पथ की पहचान 

काव्य पंक्तियाँ Question 3:

"अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या" में "अनगिनत राही" का क्या अर्थ है? 

  1. प्राकृतिक मार्ग पर चलने वाले यात्री
  2.  प्रेम के मार्ग पर चलने वाले प्रेमी
  3. स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी 
  4. जीवन के मार्ग पर चलने वाले अनगिनत लोग 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : जीवन के मार्ग पर चलने वाले अनगिनत लोग 

काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

उत्तर - जीवन के मार्ग पर चलने वाले अनगिनत लोग 

**विश्लेषण**: "अनगिनत राही" उन अनगिनत लोगों को संदर्भित करता है, जो जीवन के मार्ग पर चले हैं। यह जीवन की सार्वभौमिकता और अनंतता को दर्शाता है।

पथ की पहचान 

काव्य पंक्तियाँ Question 4:

"गगन में गर्व से उठउठ, गगन में गर्व से घिरघिर" में "घिरघिर" का क्या अर्थ है और यह किस भाव को व्यक्त करता है? 

  1. बादलों की चमक, सुंदरता का भाव
  2. बादलों की गड़गड़ाहट, प्रलय की भयावहता
  3. बादलों की गड़गड़ाहट, भय का भाव
  4. बादलों की गति, शांति का भाव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बादलों की गड़गड़ाहट, भय का भाव

काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

उत्तर**: b) बादलों की गड़गड़ाहट, प्रलय की भयावहता 

**विश्लेषण**: "घिरघिर" बादलों की गड़गड़ाहट को दर्शाता है, जो प्रलय और अंधेरे की भयावहता को व्यक्त करता है। यह विपरीत परिस्थितियों की तीव्रता को रेखांकित करता है।

 

जुगनू 

काव्य पंक्तियाँ Question 5:

"उठा तूफान वह नभ में गए बुझ दीप भी सारे" में "तूफान" और "दीप" का क्या प्रतीकात्मक अर्थ है? 

  1. तूफान: प्राकृतिक आपदा, दीप: रात्रि का प्रकाश
  2. तूफान: प्रेम की बाधाएँ, दीप: प्रेम का प्रकाश 
  3. तूफान: रात्रि की भयावहता, दीप: चाँद का प्रकाश 
  4. तूफान: जीवन की कठिनाइयाँ, दीप: आशा और विश्वास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : तूफान: जीवन की कठिनाइयाँ, दीप: आशा और विश्वास

काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

उत्तर**: b) तूफान: जीवन की कठिनाइयाँ, दीप: आशा और विश्वास 

**विश्लेषण**: "तूफान" जीवन की कठिनाइयों और संकटों का प्रतीक है, और "दीप" आशा, विश्वास, और सकारात्मकता का प्रतीक है, जो इन संकटों में बुझ जाते हैं।

जुगनू 

Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

“बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।” प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं ?

  1. माखनलाल चतुर्वेदी
  2. सुभद्राकुमारी चौहान
  3. सोहनलाल द्विवेदी
  4. रामनरेश त्रिपाठी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सुभद्राकुमारी चौहान

काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

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उपर्युक्त प्रश्न का सही उत्तर सुभद्रा कुमारी चौहान है ।

Key Points

  • झाँसी की रानी हिंदी भाषा की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गयी एक कविता है।
  • कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाली, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके द्वारा अंग्रेजों के साथ लड़ा गया युद्ध है।
  • झाँसी की रानी एक वीर रस की कविता है जो उस दौर में लिखी गयी जब हिंदी भाषा के साहित्य में छायावाद मुखर था।

Additional Information

  • कविता -

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

मैं उनका आदर्श कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे

पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे

जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा

श्रम से नहीं विमुख होंगे जो दुख से नहीं डरेंगे।

पंक्ति किस रचनाकार द्वारा लिखित है?

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
  2. भगवती चरण वर्मा
  3. रामधारी सिंह 'दिनकर'
  4. नरेश मेहता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामधारी सिंह 'दिनकर'

काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

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मैं उनका आदर्श कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे.. पंक्तियाँ दिनकर द्वारा रचित है।

  • रश्मिरथी में संकलित
  • 1952 में प्रकाशित
  • आठ सर्ग
  • कर्ण की जीवन पर आधरित

  • दिनकर की मुख्य रचनाएं -
    • रेणुका (1935 ई.) , कुरुक्षेत्र (1946 ई.) , रश्मिरथी (1952 ई.)
    • उर्वशी (1961 ई.) , परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.) ।
  • केदारनाथ अग्रवाल की मुख्य रचनाएं -
    • युग की गंगा (1947 ई.) , फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965 ई.) , अपूर्वा (1984 ई.) ।
  • नागार्जुन की मुख्य रचनाएं -
    • युगधारा , सतरंगे पंखो वाली , प्यासी पथराई आँखें , तुमने कहा है ।

रामधारी सिंह दिनकर ने 'कुरुक्षेत्र' में किसका आलम्बन लेकर युद्ध की समस्या के प्रश्न को उपस्थित किया है ?

  1. केवल भीष्म का
  2. केवल युधिष्ठिर का
  3. भीष्म एवं युधिष्ठिर दोनों का
  4. श्री कृष्ण का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भीष्म एवं युधिष्ठिर दोनों का

काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

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सही उत्तर 'भीष्म एवं युधिष्ठिर दोनों का' है।

Key Points

  • कुरुक्षेत्र प्रबंध काव्य है 
  • कुरुक्षेत्र के रचनाकार रामधारी सिंह दिनकर है।
  • कुरुक्षेत्र विचारात्मक एंव समस्या प्रधान काव्य है।
  • इसे सात सर्गो मे बाँटा गया है।
  • कुरुक्षेत्र का विषयः- 
  • महाभारत की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है।
  • महाभारत की युद्ध की समस्या को वर्तमान की समस्या से जोडा है।
  • इसके प्रमुख पात्रः- अर्जुन , कृष्ण , भीष्म , युधिष्ठिर , पांडव आदि।

Additional Information दिनकर (1908- 1974 ई.) की अन्य प्रमुख कृतियाँः-

कृतियाँ रेणुका ( 1935 ) , हुंकार (1939 ) , रसवंति (1940 ) , कुरुक्षेत्र (1946 ) प्रबंध काव्य , रश्मिरथी (1952 ) खंड काव्य , उर्वशी (1961) गीति नाट्य , इतिहास के आँसू (1951) आदि।
पंक्तियाँ

1) ओ द्विधाग्रस्त शार्दूल बोल।

2) श्वानों को मिलता दूध - भात बच्चे भूखे अकुलाते हैं।

3) रे रोक युधिष्ठिर को न यहाँ ,जाने दे उनको स्वर्ग धीर।

Important Points

  • दिनकर को समय -सूर्य तथा अधैर्य का कवि कहा जाता है।
  • दिनकर को उर्वशी के लिए 1972 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

मैंने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना; बरसा करता पल-पल पर, मेरे जीवन में सोना। उक्त काव्यांश किसके द्वारा रचित है? 

  1. सुमित्रानंदन पंत 
  2. महादेवी वर्मा 
  3. सुभद्रा कुमारी चौहान 
  4. मीराँबाई 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सुभद्रा कुमारी चौहान 

काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

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सही उत्तर 'सुभद्रा कुमारी चौहान' है।

Key Points

  • सुभद्रा कुमारी चौहान की अन्य प्रमुख पंक्तियाँः-
  • जहाँ तुम्हे चरण , वही पर पद - राज बनी पडी हूँ मैं।
  • क्या कहते हो किसी तरह भी भूलूँ और भूलाने दूँ।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान की अन्य प्रमुख रचनाएँः-
  • त्रिधारी , मुकुल , बिखरे मोती , झांसी की रानी , आराधाना , जलियाँवाला बाग मे वसंत आदि।

Additional Information 

कवि रचना प्रमुख पंक्तियाँ

सुमित्रा-

नंदन पंत

उच्छवास ( 1920 ) , ग्रंथि ( 1920 ) , वीणा (1927 ) चिदंबरा आदि।

1) छोडं द्रितों की मृदु छाया 

2)प्रथम रश्मि का आना रंगिणी 

महादेवी वर्मा नीहार ( 1930 ) , रश्मि ( 1932 ) , नीरजा (1932 ) आदि

1) मै नीर भरी दुःख की बदली 

2) जो तुम आ जाए एक बार कितनी करुणा

मीरा बाई गीता गोतविंद , नरसीजी का मायरा , राग सोरठा आदि।

1)बसो मेरे नैनन में नंदलाल 

2) घायल की गति घायल जानो और न जाने कोई।

3) पग बाध धुँधरया नाचा री।

“बैठे हुए सुखद आतप में मृग रोमंथन करते हैं,
वन के जीव विवर से बाहर हो विश्रब्ध विचरते हैं।”
उपर्युक्त पंक्तियों में किसका वर्णन है?

  1.  'साकेत' में चित्रकूट का
  2. असाध्यवीणा में वन-प्रान्तर का
  3. रश्मिरथी में परशुराम आश्रम का
  4. 'कामायनी' में सारस्वत्‌-प्रदेश का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रश्मिरथी में परशुराम आश्रम का

काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियों में-3) रश्मिरथी में परशुराम आश्रम का वर्णन है।

Important Points

  • रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित प्रसिद्ध खण्डकाव्य है।
  • यह 1952 में प्रकाशित हुआ था।

Additional Information

  • रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और विश्वसनीयता की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है।
  • रश्मिरथी में दिनकर ने सारे सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से जाँचा है।
  • ‘रश्मिरथी’ यह भी संदेश देता है कि जन्म-अवैधता से कर्म की वैधता नष्ट नहीं होती।

“जगती-तल का मल धोने को, गंगा-यमुना मैं बहा सकूँ।”

उपर्युक्त पद्यांश किस कवि का है?

  1. माखनलाल चतुर्वेदी
  2. सुभद्राकुमारी चौहान
  3. रामधारी सिंह 'दिनकर'
  4. श्यामनारायण पाण्डेय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : माखनलाल चतुर्वेदी

काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution

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उपर्युक्त पद्यांश कवि 'माखनलाल चतुर्वेदी' का हैं।

Key Points

  • उपर्युक्त पंक्ति पर्वत की अभिलाषा कविता से लिया गया हैं।
  • पर्वत की अभिलाषा एक संदेश परक रचना हैं।
  • जिसके लेखक माखनलाल चतुर्वेदी हैं।
  • पंक्ति का अर्थः-
  • ( इस पंक्ति के कवि कहना चाहते है कि पर्वत ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उसके अन्दर से गंगा और यमुना जैसी नदियाँ पैदा करें जिससे इन नदियों में बहने वाले पानी से वह मातृभूमि के चरण धो सके और हरा - भरा बना सके।) 
  • पर्वत की अभिलाषा कविता का संक्षिप्त भाव ः-
  • ( इस कविता में मानव जीवन के सर्वश्रेष्ठ गुण परोपकार को अपनाने का संदेश छिपा है। पर्वत अपना नदियों के जल से धरा को हरा भरा बनाने के कार्य में अपने जीवन की सार्थकता समझता है। इसी प्रकार परोपकार पूर्ण जीवन ही सार्थक है। ) 

Important Points

  • माखनलाल चतुर्वेदी (1889-1968 ) की अन्य प्रमुख रचनाएँः-
  • हिमकिरीटिनी ( 1943 ई. ) 
  • हिमतरंगिनी ( 1949 ई. )
  • सर्मपण ( 1956 ई. )
  • मरण ज्वार
  • माता ( 1951 ई. ) आदि।
  • माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख पंक्तियाँः-
  • मुझे तोड लेना बनमाली  , उस पथ पर देना तुम फेंक।
  • चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हवा , डालियों को यो चिढाने सी लगी।

Additional Information 

कवि रचना
सुभद्रा कुमारी चौहान( 1904 - 1948 ) त्रिधारा , मुकुल , झांसी की रानी आदि।
रामधारी सिंह दिनकर( 1908 -1974 ) उर्वशी , रश्मिरथी , रेणुका , संस्कृति के चार अध्याय आदि।
श्यामनारायण पांडेय जौहर , हल्दीघाटी , जय हनुमान आदि।

माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'पुष्प की अभिलाषा' में पुष्प ने क्या इच्छा व्यक्त की है?

  1. देवमूर्ति पर चढ़ाए जाने की।
  2. राष्ट्र बलिदानी सैनिकों के चरणस्पर्श करने की।
  3. माला में गुंथने की।
  4. सुरबाला के गहनों में सजने की।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : राष्ट्र बलिदानी सैनिकों के चरणस्पर्श करने की।

काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution

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माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'पुष्प की अभिलाषा' में पुष्प ने राष्ट्र बलिदानी सैनिकों के चरणस्पर्श करने की इच्छा व्यक्त की है।

  • पुष्प की अभिलाषा कविता के माध्यम से देशभक्ति के विचारों को अभिव्यक्त किया गया है

Key Points'पुष्प की अभिलाषा' कविता की पंक्तियाँ है-

  • मुझे तोड़ लेना वनमाली,
    उस पथ पर तुम देना फेंक।
    मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
    जिस पथ जाएँ वीर अनेक

पंक्तियों का भावार्थ है-

  • फूल अपनी देशभक्ति की भावना को प्रकट करते हुए वनमाली से कहता है कि हे वनमाली ! तुम मुझको तोड़कर उस मार्ग में फेंक देना, जिस मार्ग से अनेक वीर सैनिक अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपने आप का बलिदान करने के लिए गुजरते हैं।

Important Pointsमाखनलाल चतुर्वेदी-

  • जन्म-1889-1968 ई.
  • हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के मुख्य कवि रहे है
  • उपनाम- एक भारतीय आत्मा 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • हिमकिरीटिनी(1941 ई.),हिमतरंगिणी(1948 ई.),माता(1951 ई.),समर्पण(1956 ई.) आदि 

Additional Information

  • 'पुष्प की अभिलाषा' कविता 'हिमतरंगिणी' काव्य-संग्रह में संकलित है

'हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ कल वहाँ चले' पंक्तियाँ किस रचनाकार की है?

  1. रघुवीर सहाय
  2. अज्ञेय
  3. जयशंकर प्रसाद
  4. भगवतीचरण वर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भगवतीचरण वर्मा

काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 4 भगवतीचरण वर्मा सही उत्तर है।

Key Points

  • इन्होंने प्रेम और मस्ती का काव्य लिखा।
  • प्रमुख रचनाएं:मधुकण(1932)★,प्रेम संगीत(1937),मानव(1940),रंगों से मोह(1962)आदि।

Important Points

  • जयशंकर प्रसाद छायावाद के प्रमुख कवि हैं।
  • अज्ञेय तार सप्तक(1943) के निर्माता है।
  • रघुवीर सहाय दूसरे सप्तक(1951) के कवि हैं।

Additional Information

कवि रचना
जयशंकर प्रसाद उर्वशी(1909)★,वन मिलन(1909),कानन कुसुम(1913),आँसू(1925)★,कामायनी(1935)★आदि।
अज्ञेय भग्नदूत(1933)★,चिंता(1942),हरि घास पर छण भर (1949)★,आँगन के पार द्वार(1961)★आदि
रघुवीर सहाय सीढ़ियों पर धूप में(1960)★,आत्महत्या के विरुद्ध (1967),हँसो-हँसो जल्दी हँसो(1975)आदि।

'उर्वशी' के तृतीय अंक के आधार पर कौन-से कथन सही हैं?

a) शक्तिशाली और दुर्द्धर्ष पुरुष भी सुंदरियों के कटाक्ष से आहत हो जाते हैं।

b) उर्वशी मानवी है।

c) उर्वशी कहती है - यह देह-भाव भ्रांति है।

d) पुरुरवा के अनुसार मर्त्य मानव को देवता कहा जा सकता है।

निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए:

  1. a) और b)
  2. a) और d)
  3. b) और c)
  4. a) और c)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : a) और c)

काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution

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  • सही उत्तर विकल्प 4 है।
  • A और C विकल्प ठीक हैं।

 

Key Points

  • उर्वशी के रचयिता - रामधारी सिंह दिनकर
  • प्रकाशन वर्ष - 1961
  • प्रस्तुत विकल्पों का संदर्भ - तीसरा अंक
  • कुल अंक - 5
  • गीतिनाट्य

Important Points
  • उर्वशी और पुरुरवा का प्राचीन मिथकीय संदर्भ
  • दिनकर के अन्य काव्य संग्रह -
  1. रेणुका - 1935
  2. हुंकार 1939
  3. रसवंती - 1940
  4. कुरुक्षेत्र -1946
  5. रश्मिरथी -1952
  6. परशुराम की प्रतीक्षा -1963

Additional Information
  • 1972 में उर्वशी पर ज्ञानपीठ पुरुस्कार।
  • कई विद्वानों ने इसकी समीक्षा की क्योंकि काम और अश्लीलता जैसे आरोप इस कृति पर लगे।

 

"विस्तृत पथ है मेरे आगे उस पर

ही मुझको चलना है।

चिर शोषित असहायों के संग,

अत्याचारों को दलना है।"

यह पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?

  1. शिवमंगल सिंह 'सुमन'
  2. भवानी प्रसाद मिश्र
  3. मुक्तिबोध
  4. शरद जोशी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : शिवमंगल सिंह 'सुमन'

काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution

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सही उत्तर है- शिवमंगल सिंह 'सुमन'

Key Pointsशिवमंगल सिंह 'सुमन' -

  • जन्म - 1915 - 2002 ई.
  • एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद थे।
  • कविता संग्रह -
    • हिल्लोल -(1939 ई.)
    • जीवन के गान -(1942 ई.)
    • युग का मोल -(1945 ई.)
    • मिट्टी की बारात (1972 ई.)
    • वाणी की व्यथा (1980 ई.)
    • कटे अँगूठों की वंदनवारें (1991 ई.) आदि। 

Important Pointsभवानीप्रसाद मिश्र-

  • जन्म- 1913 - 1985 ईo
  • काव्य कृतियाँ-  
    • गीत फरोश (1956)
    • चकित है दुख (1968)
    • अँधेरी कविताएँ (1968)
    • गांधी पंचशती (1969)
    • बुनी हुई रस्सी (1971)
    • खुशबू के शिलालेख (1973) 
    • कालजयी(1980) आदि।

मुक्तिबोध-

  • जन्म-1917-1964 ई. 
  • काव्य रचनाएँ-
    • चाँद का मुँह टेढ़ा(1964 ई.)
    • भूरि-भूरि खाक धूल(1980 ई.) आदि। 

शरद जोशी:-

  • जन्म- 21 मई 1931
  • जन्मस्थान- उज्जैन
  • मृत्यु- 1991
  • ख्याति - हिन्दी व्यंग्य को प्रतिष्ठा दिलवाने में महत्वपूर्ण योगदान। 
  • प्रमुख रचनायें:-
  • व्यंग्य:
    • परिक्रमा
    • किसी बहाने 
    • जीप पर सवार इल्लियां 
    • तिलस्म
    • रहा किनारे बैठ
    • दूसरी सतह
    • प्रतिदिन। 
  • उपन्यास:- मैं, मैं केवल मैं, उर्फ़ कमलमुख बी ए। 
  • व्यंग्य नाटक:- अंधों का हाथी, एक था गधा।
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