काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 25, 2025
Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
काव्य पंक्तियाँ Question 1:
कवि द्वारा ब्रिटिश राज का गहना किसे कहा गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
कवि द्वारा ब्रिटिश राज का गहना हथकड़ियों को कहा गया है।
Key Pointsकैदी और कोकिला-
- रचनाकार- माखनलाल चतुर्वेदी
- विधा- काव्य
- मुख्य-
- कैदी और कोकिला कविता में कवि जेल में एकाकी और उदास है।
- वह कोकिल से अपने मन का दुःख, असंतोष और ब्रितानी शासन के प्रति आक्रोश को व्यक्त करता है।
- उससे कहता है कि यह मधुर गीत गाने का समय नहीं है।
- यह मुक्ति के गीत सुनाने का समय है।
- कवि इस कविता में बताता है कि कैसे भारतीय स्वाधीनता सेनानी जेल में भी विद्रोही स्वाभाव रखते हैं।
- अंग्रेज़ों के सामने घुटने नहीं टेकते चाहे कितनी ही यातनाएं मिलें, चाहे उन्हें भूखे प्यासे रहना पड़े।
- माखनलाल चतुर्वेदी एक राष्ट्रवादी कवि थे, यह कविता उसी राष्ट्रीयता का उदहारण है।
Important Pointsमाखनलाल चतुर्वेदी-
- जन्म-1889 ई.- 1968 ई.
- हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के मुख्य कवि रहे है।
- उपनाम- एक भारतीय आत्मा
- मुख्य रचनाएँ-
- हिमकिरीटिनी(1941 ई.)
- हिमतरंगिणी(1948 ई.)
- माता(1951 ई.)
- समर्पण(1956 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
'हम स्वयं बँधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले।
प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
'हम स्वयं बँधे थे और स्वयं ,हम अपने बंधन तोड़ चले। प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता हैं:- भगवतीचरण वर्मा
“दीवानों की हस्ती”-
- रचनाकार - भगवतीचरण वर्मा
- विधा - कविता
- विषय -
- सांसारिक और वैरागी जीवन के बारे में दर्शाया है तथा स्वयं की अस्तित्व पर भी प्रकाश डाला है।
Key Points'भगवतीचरण वर्मा' -
- प्रसिद्धि -
- प्रमुख रचनाएँ-
- पतन (1928)
- चित्रलेखा (1934)
- टेढ़े-मेढ़े रास्ते (1946)
- अपने खिलौने (1957)
- भूले-बिसरे चित्र (1959)
- सामर्थ्य और सीमा (1962)
- थके पाँव,(1964)
- सबहिं नचावत राम गोसाईं (1970)
- प्रश्न और मरीचिका (1973)
Additional Information
मैथिलीशरण गुप्त -
- प्रसिद्धि - गांधी जी ने उन्हें "राष्टकवि" की संज्ञा प्रदान की।
- प्रमुख रचनाएँ-
- साकेत (1931)
- यशोधरा (1932)
- जयद्रथ वध (1910)
- भारत-भारती (1912)
- पंचवटी (1925)
- द्वापर (1936)
- गुरुकुल (1929)
- जय भारत (1952)
सत्यनारायण 'कविरत्न'-
- प्रसिद्धि - भारतेंदु युग के कवि तथा ब्रजभाषा काव्य-परंपरा के अंतिम कवियों में से एक।
- प्रमुख रचनाएँ-
- ह्रदयतरंग
- प्रेमकली
- भ्रमरदूत
रामनरेश त्रिपाठी -
- प्रसिद्धि - हिन्दी भाषा के 'पूर्व छायावाद युग' के कवि।
- प्रमुख रचनाएँ-
- मिलन (1918)
- पथिक (1920)
- मानसी (1927)
- स्वप्न (1929)
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
“बैठे हुए सुखद आतप में मृग रोमंथन करते हैं,
वन के जीव विवर से बाहर हो विश्रब्ध विचरते हैं।”
उपर्युक्त पंक्तियों में किसका वर्णन है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में-3) रश्मिरथी में परशुराम आश्रम का वर्णन है।
Important Points
- रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित प्रसिद्ध खण्डकाव्य है।
- यह 1952 में प्रकाशित हुआ था।
Additional Information
- रश्मिरथी में दिनकर ने कर्ण की महाभारतीय कथानक से ऊपर उठाकर उसे नैतिकता और विश्वसनीयता की नयी भूमि पर खड़ा कर उसे गौरव से विभूषित कर दिया है।
- रश्मिरथी में दिनकर ने सारे सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को नए सिरे से जाँचा है।
- ‘रश्मिरथी’ यह भी संदेश देता है कि जन्म-अवैधता से कर्म की वैधता नष्ट नहीं होती।
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
अभी अभी थी धूप, बरसने
लगा कहाँ से यह पानी
किसने फोड़ घड़े बादल के
की है इतनी शैतानी।
उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कवि से संबंधित है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- सुभद्राकुमारी चौहान
Key Pointsपानी और धूप-
- रचनाकार- सुभद्राकुमारी चौहान
- विधा- कविता
- विषय-
- प्राकृतिक तत्वों का जीवन में महत्व है।
- यह हमें सिखाती है कि पानी और धूप न केवल हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं, बल्कि वे पर्यावरण के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Important Pointsसुभद्रा कुमारी चौहान-
- जन्म- 1904 - 1948 ईo
- कहानी संग्रह-
- बिखरे मोती (1932)
- उन्मादिनी (1934)
- सीधे साधे चित्र (1947)
- कविता संग्रह-
- मुकुल (1930)
- त्रिधारा (1930)
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
भगवान का संदेश हम तक कौन पहुँचाते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- पक्षी और बादल
Key Pointsभगवान के डाकिए-
- रचनाकार- रामधारी सिंह 'दिनकर'
- विधा- कविता
- विषय-
- कवि कहता है कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं।
- जिस तरह डाक्यिया संदेशे को एक जगह से दूसरीं जगह पहुँचाते हैं, उसी तरह बादल और पक्षी भगवान के संदेश को एक-जगह., से दूसरी जगह पहुँचाते, हैं।
- पक्षी और बादलों के लिए सीमाओं का बंधन नहीं होता है।
- यह एक देश से दूसरे में बिना बाधा के पहुँच जाते हैं।
Important Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर' -
- जन्म – 1908 ई.
- जन्म स्थान - बेगूसराय, बिहार
- उपनाम - अनल का कवि, अधेर्य का कवि, आग राग का कवि, जनजागरण का वैतालिक
- काव्य संग्रह –
- प्राणभंग (1929 ई.)
- रेणुका (1935 ई.)
- हूंकार (1939 ई.)
- द्वंद्वगीत (1940 ई.)
- यशोधरा (1946 ई.)
- इतिहास के आंसू (1951 ई.)
- धूप और धूआ (1951 ई.)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.)
- हारे को हरी नाम (1970 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 6:
'दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!'
उपर्युक्त पंक्तियों में 'असि' का अर्थ क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में 'असि' का अर्थ है- तलवार
Key Pointsरश्मिरथी-
- रचनाकार- रामधारी सिंह 'दिनकर'
- विधा- खण्डकाव्य
- प्रकाशन वर्ष- 1952 ई.
- विषय-
- रश्मिरथी, जिसका अर्थ "सूर्यकिरण रथ का सवार" है।
- इसमें कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है।
- इसमें 7 सर्ग हैं।
Important Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर' -
- जन्म – 1908 ई.
- जन्म स्थान - बेगूसराय, बिहार
- उपनाम - अनल का कवि, अधेर्य का कवि, आग राग का कवि, जनजागरण का वैतालिक
- काव्य संग्रह –
- प्राणभंग (1929 ई.)
- रेणुका (1935 ई.)
- हूंकार (1939 ई.)
- द्वंद्वगीत (1940 ई.)
- यशोधरा (1946 ई.)
- इतिहास के आंसू (1951 ई.)
- धूप और धूआ (1951 ई.)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.)
- हारे को हरी नाम (1970 ई.)
काव्य पंक्तियाँ Question 7:
"वह छहराते अमृत फुहारें
इनकी असि की मसि की धारें।
उपर्युक्त पंक्तियों में असि का अर्थ क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में असि का अर्थ तलवार है।
- यह पंक्तियाँ मेघ गीत कविता की है।
Key Pointsजानकी वल्लभ शास्त्री-
- जन्म-1916-2011ई.
- आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री हिंदी व संस्कृत के कवि, लेखक एवं आलोचक थे।
- उन्होवे छायावादोत्तर काल के सुविख्यात कवि थे।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित किया था।
- प्रमुख रचनाएँ-
- बाललला
- अंकुर
- उन्मेष
- अवंतिका
- मेघगीत आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 8:
कर्ण द्वारा कवच और कुंडल दान करने का प्रसंग 'रश्मिरथी' के किस सर्ग में आता है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
कर्ण द्वारा कवच और कुंडल दान करने का प्रसंग 'रश्मिरथी' के चतुर्थ सर्ग में आता है।
Key Pointsरश्मिरथी-
- रचनाकार- रामधारी सिंह 'दिनकर'
- विधा- खण्डकाव्य
- प्रकाशन वर्ष- 1952 ई.
- विषय-
- रश्मिरथी, जिसका अर्थ "सूर्यकिरण रथ का सवार" है।
- इसमें कर्ण के चरित्र के सभी पक्षों का सजीव चित्रण किया गया है।
- इसमें 7 सर्ग हैं।
Important Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर' -
- जन्म – 1908 ई.
- जन्म स्थान - बेगूसराय, बिहार
- उपनाम - अनल का कवि, अधेर्य का कवि, आग राग का कवि, जनजागरण का वैतालिक
- काव्य संग्रह –
- प्राणभंग (1929 ई.)
- रेणुका (1935 ई.)
- हूंकार (1939 ई.)
- द्वंद्वगीत (1940 ई.)
- यशोधरा (1946 ई.)
- इतिहास के आंसू (1951 ई.)
- धूप और धूआ (1951 ई.)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.)
- हारे को हरी नाम (1970 ई.)
काव्य पंक्तियाँ Question 9:
'वैधव्य मुझे स्वीकार, राष्ट्र की जय हो / दासत्व न अंगीकार, राष्ट्र की जय हो' - किस कवि की पंक्तियां हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
'वैधव्य मुझे स्वीकार, राष्ट्र की जय हो / दासत्व न अंगीकार, राष्ट्र की जय हो'- "रामधारी सिंह दिनकर" की पंक्तियां हैं। Key Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर'-
- जन्म-1908 - 1974 ईo
- आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
- राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को इनके काव्य की मूल-भूमि मानते हुए इन्हे 'युग-चारण' व 'काल के चारण' की संज्ञा दी गई है।
- काव्य संग्रह-
- प्रणभंग (1929)
- रेणुका (1935)
- हुंकार (1938)
- कुरूक्षेत्र (1946)
- धूप-छाँह (1947)
- बापू (1947)
- धूप और धुआँ (1951)
- रश्मिरथी (1952)
- दिल्ली (1954)
- सीपी और शंख (1957)
- नये सुभाषित (1957)
- उर्वशी (1961)
- परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
Important Pointsमैथिलीशरण गुप्त-
- जन्म- 1886 - 1964 ईo
- द्विवेदी युग के कवि हैं।
- काव्य संग्रह-
- साकेत (1931)
- यशोधरा (1932)
- जयद्रथ वध (1910)
- भारत-भारती (1912)
- पंचवटी (1925)
- विष्णुप्रिया (1957)
- द्वापर (1936)
- जय भारत (1952)
माखनलाल चतुर्वेदी-
- जन्म- 1889 - 1968 ईo
- राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के कवि हैं।
- काव्य संग्रह-
- हिमकिरीटिनी (1943 ईo)
- हिमतरंगिनी (1949 ईo)
- माता (1951 ईo)
- युग चरण (1956 ईo)
- समर्पण (1956 ईo)
- वेणु लो गूँजे धरा (1960 ईo)
- बीजुरी काजल आँज रही (1980 ईo)
केदारनाथ मिश्र 'प्रभात'-
- जन्म- 1907 - 1984 ई.
- काव्य संग्रह-
- श्वेतनील (1936 ई०)
- कलापिनी (1939 ई०)
- कालदहन (1948 ई०)
- कैकेयी (1950 ई०)
- ऋतंवरा (1957 ई०)
- सेतुबंध (1967 ई०)
- शुभ्रा (1967 ई०)
- प्रवीर (1970 ई०)
काव्य पंक्तियाँ Question 10:
मैंने हँसना सीखा है, मैं नहीं जानती रोना; बरसा करता पल-पल पर, मेरे जीवन में सोना। उक्त काव्यांश किसके द्वारा रचित है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर 'सुभद्रा कुमारी चौहान' है।
Key Points
- सुभद्रा कुमारी चौहान की अन्य प्रमुख पंक्तियाँः-
- जहाँ तुम्हे चरण , वही पर पद - राज बनी पडी हूँ मैं।
- क्या कहते हो किसी तरह भी भूलूँ और भूलाने दूँ।
- सुभद्रा कुमारी चौहान की अन्य प्रमुख रचनाएँः-
- त्रिधारी , मुकुल , बिखरे मोती , झांसी की रानी , आराधाना , जलियाँवाला बाग मे वसंत आदि।
Additional Information
कवि | रचना | प्रमुख पंक्तियाँ |
सुमित्रा- नंदन पंत |
उच्छवास ( 1920 ) , ग्रंथि ( 1920 ) , वीणा (1927 ) चिदंबरा आदि। |
1) छोडं द्रितों की मृदु छाया 2)प्रथम रश्मि का आना रंगिणी |
महादेवी वर्मा | नीहार ( 1930 ) , रश्मि ( 1932 ) , नीरजा (1932 ) आदि |
1) मै नीर भरी दुःख की बदली 2) जो तुम आ जाए एक बार कितनी करुणा |
मीरा बाई | गीता गोतविंद , नरसीजी का मायरा , राग सोरठा आदि। |
1)बसो मेरे नैनन में नंदलाल 2) घायल की गति घायल जानो और न जाने कोई। 3) पग बाध धुँधरया नाचा री। |