Comprehension

निम्नलिखित गध्यांश को पढ़िये और दिये गए प्रश्नों के उत्तर दीजिये।

'न जाने कब से मनुष्य के अंतर से 'रात दिन राट' निकलती रही; मैं अंधकार से घिरगया हूँ, मुझे प्रकाश की ओर ले चलो 'तमसोमा ज्योतिर्गमय।' परंतु यह पुकारशायद सुनी नहीं गई - ‘होत न श्याम सहाय।' प्रकाश और अंधकार की आँखमिचौनी चलतीही रही, चलती ही रहेगी। यह तो विधि का विधान है। कौन टाल सकता है इसे।किस दिन एक शुभ मुहूर्त में मनुष्य ने मिट्टी के दीये, रुई की बाती, चकमक की चिनगारी और बीजों से निकलनेवाले स्रोत का संयोग देखा। अंधकार को जीता जा सकता है। दिया जलाया जा सकता है। घने अंधकार में डूबी धरती को आंशिक रूप में आलोकित किया जा सकता है। अंधकार से जूझने के संकल्प की जीत हुई। तब से मनुष्य ने इस दिशा में बड़ी प्रगति की है, पर वह आदिम प्रयास क्या भूलने की चीज है? वह मनुष्य की दीर्घकालीन कातर प्रार्थना का उज्ज्वल फल था।दीवाली याद दिला जाती है उस ज्ञानलोक के अभिनव अंकुर की, जिसने मनुष्य की कातर प्रार्थना को दृढ़ संकल्प का रूप दिया था- अंधकार से जूझना है, विघ्नबाधाओं की उपेक्षा करके, संकटों का सामना करके।इधर कुछ दिनों से शिथिल स्वर सुनाई देने लगे हैं। लोग कहते सुने जाते हैं- अंधकार महाबलवान है, उससे जूझने का संकल्प मूढ़ आदर्श मात्र है। सोचता हूँ, यह क्या संकल्प शक्ति का पराभव है? क्या मनुष्यता की अवमानना है? दीवाली आकर कह जाती है, अंधकार से जूझने का संकल्प ही सही यथार्थ है। मृगमरीचिका में मत भटको। अंधकार के सैकड़ों परत हैं। उससे जूझना ही मनुष्य का मनुष्यत्व है। जूझने का संकल्प ही महादेवता है। उसी को प्रत्यक्ष करने की क्रिया को लक्ष्मी की पूजा कहते हैं।

गद्यांश की मूल संवेदना कौनसी है?

This question was previously asked in
CRPF Head Constable Ministerial Official Paper (Held On: 24 Feb 2023 Shift 2)
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  1. मैं अंधकार से घिरगया हूँ, मुझे प्रकाश की ओर ले चलो।
  2. अंधकार महाबलवान है, उससे जूझने का संकल्प मूढ़ आदर्श मात्र है।
  3. अँधेरे से जूझने का संकल्प ही महादेवता है।
  4. ज्ञानलोक का अंकुर अभिनव है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अँधेरे से जूझने का संकल्प ही महादेवता है।
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Detailed Solution

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इसका सही उत्तर "अँधेरे से जूझने का संकल्प ही महादेवता है" है।
Key Points
गद्यांश के अनुसार,
  • गद्यांश में अँधेरे से जूझने की इच्छा और संकल्प की महत्ता पर जोर दिया गया है।
  • इसमें यह बताया गया है कि अंधकार से जूझने का संकल्प ही सबसे बड़ा आदर्श और देवी है।
  • इसलिए, सही उत्तर "अँधेरे से जूझने का संकल्प ही महादेवता है" है।
Additional Information अन्य विकल्प:
मैं अंधकार से घिर गया हूँ, मुझे प्रकाश की ओर ले चलो -
  • यह एक संभावित भावना हो सकती है, लेकिन मुख्य संवेदना अंधकार से जूझने का संकल्प है।
अंधकार महाबलवान है, उससे जूझने का संकल्प मूढ़ आदर्श मात्र है -
  • यह ध्यान के विपरीत विचार है जो गद्यांश का मुख्य संदेश नहीं है।
ज्ञानलोक का अंकुर अभिनव है -
  • यह विचार भी सही हो सकता है लेकिन गद्यांश की मुख्य संवेदना अंधकार से जूझने का संकल्प ही है।
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