मैं उनका आदर्श कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे

पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे

जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा

श्रम से नहीं विमुख होंगे जो दुख से नहीं डरेंगे।

पंक्ति किस रचनाकार द्वारा लिखित है?

This question was previously asked in
UP Junior Aided Teacher (UPJASE) 2021 (Hindi/English/Sanskrit) Official Paper
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  1. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
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  3. रामधारी सिंह 'दिनकर'
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Option 3 : रामधारी सिंह 'दिनकर'
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SUPER TET Full Test 1
150 Qs. 150 Marks 150 Mins

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मैं उनका आदर्श कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे.. पंक्तियाँ दिनकर द्वारा रचित है।

  • रश्मिरथी में संकलित
  • 1952 में प्रकाशित
  • आठ सर्ग
  • कर्ण की जीवन पर आधरित

  • दिनकर की मुख्य रचनाएं -
    • रेणुका (1935 ई.) , कुरुक्षेत्र (1946 ई.) , रश्मिरथी (1952 ई.)
    • उर्वशी (1961 ई.) , परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.) ।
  • केदारनाथ अग्रवाल की मुख्य रचनाएं -
    • युग की गंगा (1947 ई.) , फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965 ई.) , अपूर्वा (1984 ई.) ।
  • नागार्जुन की मुख्य रचनाएं -
    • युगधारा , सतरंगे पंखो वाली , प्यासी पथराई आँखें , तुमने कहा है ।

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