Question
Download Solution PDFव्याकरण – अनुवाद विधि को किस नाम से भी जाना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFव्याकरण – अनुवाद विधि में शिक्षार्थियों को व्याकरणिक नियमों के आधार पर लक्ष्य भाषा अर्थात अन्य भाषा का भाषायी विवरण समझाया जाता है, इसके साथ मातृभाषा के साथ लक्ष्य भाषा में होने वाली अनुवाद प्रक्रिया को भी समझाया जाता है।
- व्याकरण – अनुवाद विधि को शास्त्रीय, पारम्परिक और भंडारकर विधि भी कहा जाता है। इसे भंडारकर विधि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस विधि के संदर्भ में डॉ रामकृष्ण गोपाल भंडारकर ने दो पुस्तकें लिखी थी।
- इस विधि में लेखन कौशल को अधिक महत्व दिया जाता है।
- इसमें भाषा शिक्षण में मातृ भाषा के प्रयोग पर बल देती है।
यह विधि व्याकरण शिक्षण के निगमनात्मक विधि का अनुसरण करती है।
यह विधि पहले व्याकरण के नियमों को सिखाती है फिर उन नियमों को लक्ष्य से मातृ भाषा में अनुवाद में प्रयोग सिखाती है।
नोट:
ध्वन्यात्मक विधि |
इस विधि में बच्चों को ध्वनियों तथा भाषा विज्ञान की शिक्षा दी जाती है। इसमें बच्चों को ध्वनियों का उच्चारण स्थान बता कर प्रत्येक ध्वनि से बनने वाले शब्दों से परिचित कराया जाता है। |
प्रत्यक्ष विधि |
इस विधि में द्वितीय भाषा शिक्षण के तहत विद्यार्थी लक्ष्य भाषा को मातृभाषा में अनुवादित किए बिना अर्थात मातृभाषा को मध्यस्थ बनाए बिना केवल लक्ष्य भाषा को प्रयोग में लाता है। |
सैनिक विधि |
इस विधि को द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिकी सैनिकों के द्वारा अन्य भाषा को समझने के लिए प्रयोग किया गया था। इसके तहत बच्चों को टेप रिकॉर्डर से पाठ सुनाया जाता है तथा बच्चे उसे सुन कर उसका अनुकरण करते हैं। |
अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ठ है कि व्याकरण – अनुवाद विधि को भण्डारकर विधि नाम से भी जाना जाता है।
Last updated on May 8, 2025
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