Question
Download Solution PDFमानव कान में ध्वनि की उपस्थिति निम्नलिखित में से किस प्राचल द्वारा निर्धारित की जाती है?
1. आवृत्ति
2. तीव्रता
3. तरंग रूप
सही कूट का चयन कीजिए:
This question was previously asked in
DSSSB TGT Natural Science Male Official Paper (Held On: 08 Sept, 2021 Shift 1)
Answer (Detailed Solution Below)
Option 4 : 1, 2 और 3
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DSSSB TGT Hindi Female 4th Sep 2021 Shift 2
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Detailed Solution
Download Solution PDFअवधारणा:
ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है, जो वस्तुओं के कंपन से उत्पन्न होती है।
- एक कंपमान वस्तु अपने चारों ओर के माध्यम के कणों को कंपित करती है, इससे माध्यम में विक्षोभ उत्पन्न होता है।
- यह विक्षोभ ध्वनि तरंग के रूप में माध्यम से गुजरता है।
- जैसे-जैसे ध्वनि का स्रोत तेजी से आगे-पीछे होता है, तब माध्यम में उच्च दाब क्षेत्र (संपीड़न) की एक शृंखला और निम्न दाब क्षेत्र (विरलन) की एक शृंखला बनती है।
- ये ध्वनि तरंग बनाते हैं, जो माध्यम से संचरित होती है।
ध्वनि तरंग की विषेषताएँ:
तरंगदैर्ध्य:
- दो क्रमागत संपीड़न और दो क्रमागत विरलन के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहा जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।
आवृत्ति:
- जब ध्वनि किसी माध्यम से संचरित होती है, तो संपीड़न के बाद विरलन होता है और फिर संपीड़न से एक दोलन पूरा होता है।
- प्रति इकाई समय में ऐसे दोलनों की संख्या ध्वनि तरंग की आवृत्ति होती है।
- आवृत्ति का SI मात्रक हर्ट्ज़ (Hz) है।
- उच्च आवृत्ति अथवा उच्च तारत्व वाली ध्वनि में अधिक तीक्ष्णता होती है।
समयावधि:
- यह एक दोलन को पूरा करने में लगने वाला समय है। इसका SI मात्रक सेकंड (s) है।
आयाम:
- यह माध्य मान के दोनों ओर माध्यम में अधिकतम विक्षोभ का परिमाण है।
- आयाम ध्वनि की प्रबलता और कोमलता को निर्धारित करता है।
तीव्रता:
- यह इकाई क्षेत्र से प्रत्येक सेकंड गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा की मात्रा है।
- समान तीव्रता की ध्वनियाँ प्रबलता में भिन्न हो सकती हैं।
ये विशेषताएँ निर्धारित करती हैं कि मानव कान को ध्वनि कैसी सुनाई देती है।
Additional Information
- मानव कान श्रवणीय आवृत्तियों द्वारा वायु में होने वाले दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करते हैं, जो श्रवण तंत्रिका से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँचते हैं और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।
- मानव कान के तीन भाग होते हैं: बाहरी कान, मध्य कान और भीतरी कान।
- कानों तक पहुँचने वाले कंपन मध्य कान में उपस्थित तीन अस्थियों (मुग्दरक, निहाई तथा वलयक) द्वारा कई गुना बढ़ जाते हैं।
Last updated on May 12, 2025
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