जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत में, पूर्व-संक्रियात्यक अवस्था में विकास का मुख्य गुण क्‍या होता है?

This question was previously asked in
CTET Jan 2021 Paper I (Hindi-I/ English-II)
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  1. विचार/सोच में केंद्रीकरण
  2. परिकल्पित-निगमनात्यक सोच 
  3. संरक्षण और पदार्थों को क्रमबद्ध करने की क्षमता
  4. अमूर्त सोच का विकास

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Option 1 : विचार/सोच में केंद्रीकरण
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स्विस मनोवैज्ञानिक "जीन पियाजे" बाल विकास पर अपने कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने अपने सिद्धांत में संज्ञानात्मक विकास का एक व्यवस्थित अध्ययन किया जिसे चार अवस्थाओं में वर्गीकृत किया गया है।

Key Points

  • 'पूर्व-संक्रियात्यक अवस्था' लगभग 2 से 6 या 7 वर्ष की आयु तक रहती हैं।
  • इस चरण में, बच्चा यह मानता है कि अन्य लोग महसूस करते हैं, देखते हैं और ठीक उसी तरह सुनते भी हैं जैसे बच्चा करता है।
  • यह अन्य लोगों के दृष्टिकोण का अनुमान लगाने या दूसरे के दृष्टिकोण से स्थिति देखने के लिए बच्चे की अक्षमता को संदर्भित करता है।
  • इस चरण में, बच्चे को विचार की अपरिवर्तनीयता, संरक्षण की अवधारणा के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ता है, और केन्द्रीकरण के विचार के साथ संघर्ष होता है।
  • विचार/सोच में केंद्रीकरण के कारण, बच्चा एक समय में केवल एक ही स्थिति पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है और अपने विचार की दिशा को बदल नहीं सकता है।

इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत में, पूर्व-संक्रियात्यक अवस्था में विकास का मुख्य गुण विचार/सोच में केंद्रीकरण होता है।

Important Points

संज्ञानात्मक विकास की चार अवस्थाएँ:

अवस्था

विकास

संवेदिक-पेशीय

(0 से 2 वर्ष)

  • इस अवस्था में, शिशु अपनी इंद्रियों के साथ-साथ वस्तुओं के साथ शारीरिक संबंधों का उपयोग करके दुनिया के बोध का निर्माण करते हैं।
  • वस्तु स्थायित्व​ का विकास इस चरण की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है।

पूर्व-संक्रियात्मक

(2 से 7 वर्ष) 

  • बच्चों में स्मृति, जिज्ञासा और कल्पना का विकास होता है।
  • वे चीजों को प्रतीकात्मक रूप से समझने में सक्षम होते हैं (घर घर खेलना, चाय पार्टी करना)।
  • सोचने में अहंकारिता होती है और दूसरे के दृष्टिकोण पर विचार नहीं करते हैं।

मूर्त-संक्रियात्मक

(7 से 12 वर्ष)

  • अपने स्वयं के विचारों और दूसरों के विचारों के बीच अंतर करने की क्षमता
  • बच्चे वस्तुओं को उनकी संख्या, द्रव्यमान आदि के आधार पर वर्गीकृत कर सकते हैं
  • वस्तुओं और घटनाओं के बारे में तार्किक रूप से सोचने की क्षमता

औपचारिक संक्रियात्मक

(12 वर्ष से बड़े होने तक)

  • अमूर्त और वैज्ञानिक चिंतन
  • यह सबसे महत्वपूर्ण अवस्था है जहां मानसिक क्षमताओं को अधिकतम स्तर तक विकसित किया जा सकता है।
  • अमूर्त रूप से सोचने, बहुसंज्ञान और समस्या को समाधान करने की क्षमता 
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