रस सामान्य MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for रस सामान्य - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్లోడ్ కరెన్
Last updated on Mar 21, 2025
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रस सामान्य Question 1:
संचारी भाव के कितने भेद होते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 1 Detailed Solution
संचारी भावों की संख्या 33 है। Key Points
- संचारी भावों की संख्या 33 है।
- आचार्य भरत मुनि ने इसकी संख्या 33 मानी है।
- व्यभिचारी या संचारी भाव :- वह भाव जो स्थायी भाव की ओर चलते है, जिससे स्थायी भाव रस का रूप धारण कर लेवे।
- इसे यो भी कह सकते हैं जो भाव रस के उप कारक होकर पानी के बुलबुलों और तरंगों की भांति उठते और विलिन होते है। उन्हें व्यभिचारी या संचारी भाव कहते है।
- संचारी भाव के भेद है -
- भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है (निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, वितर्क)
- महाकवि देव ने 34 वां संचारी भाव "छल" माना लेकिन वह विद्वानों को मान्य नहीं हुआ।
- महाराज जसवंत सिंह ने भारतभूषण में 33 संचारी भावों को गीतात्मक रूप में लिखा है।
रस सामान्य Question 2:
'अपस्मार' किस तरह का भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर 'संचारी' होगा।
Key Points
- 'अपस्मार' संचारी भाव है।
- संचारी भाव – स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं।
- इनकी संख्या 33 मानी गई है। निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं।
रस के अंग/ अवयव "विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्रस निष्पत्तिः” |
||
अवयव |
परिभाषा |
प्रकार |
स्थायी भाव |
हृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से निवास करते हैं, स्थायी भाव कहलाते हैं। इन्हें अनुकूल या प्रतिकूल किसी प्रकार के भाव दबा नहीं पाते। |
रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा (घृणा), विस्मय, शम (निर्वेद) स्थायी भाव है। |
संचारी भाव |
स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है। |
निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं। |
विभाव |
यी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव कहलाते हैं। |
इनके दो भेद हैं- आलम्बन और उद्दीपन |
अनुभाव |
आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती है। |
करुण रस के अनुभाव – रोना, जमीन पर गिरना आदि अनुभाव है। |
Additional Information
शब्द |
परिभाषा |
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
रस सामान्य Question 3:
रस के अनुसार, अपस्मार है -
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'संचारी भाव का एक प्रकार’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- रस के अनुसार, अपस्मार 'संचारी भाव का एक प्रकार' है।
- संचारी भाव के भेद है - भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है (निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, वितर्क)
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
रस सामान्य Question 4:
निम्नलिखित में से उद्दीपन का कार्य कौन करता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 4 Detailed Solution
सही विकल्प है - प्रेम-पात्र की मधुरवाणी
- "प्रेम-पात्र की मधुरवाणी", यह उद्दीपन विभाव का एक प्रकार है।
- भयानक, रौद्र, वीर आदि रस के प्रकार है।
Key Pointsउद्दीपन विभाव -
साहित्य में रस को उद्दीप्त करने वाले आलम्बनों, जैसे देश, काल, परिस्थिति, चेष्टा आदि, को उद्दीपन विभाव कहते हैं।
Additional Information
- रस - रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
- स्थायी भाव – रस रूप में परिणत होने वाले तथा मनुष्य के हृदय में स्थायी रूप से रहने वाले भावों को स्थायी भाव कहते हैं।
- प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव नियत होता है।
रस के 9 भेद हैं -
क्रमांक |
रस का प्रकार |
स्थायी भाव |
1. |
श्रृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
घृणा, जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
आश्चर्य |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
- वात्सल्य रस को दसवाँ एवं भक्ति को ग्यारहवाँ रस भी माना गया है।
- वत्सल या संतान विषयक रति तथा भक्ति या भगवद्-विषयक रति इनके स्थायी भाव हैं।
रस सामान्य Question 5:
विभाव का अर्थ है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 5 Detailed Solution
विभाव का अर्थ 'कारण' है है। अन्य विकल्प उपयुक्त नहीं हैं। अतः सही विकल्प 'कारण' है।
विशेष
विभाव -मनुष्य के मन में स्थाई भाव पहले से होता है लेकिन वे किसी कारण से जागते हैं। अतः किसी स्थाई भाव को जगाने वाले कारण या व्यक्ति, वस्तु या परिस्थति (दशा) विभाव कहलाते हैं।
रस सामान्य Question 6:
निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प भाव का बोध कराने वाले होते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर 'अनुभाव' है।
Key Points
- भाव का बोध कराने वाले 'अनुभाव' होते हैं।
- 'अनुभावों भाव बोधक' अर्थात भाव का बोध कराने वाले अनुभाव होते हैं।
- अन्य विकल्प उपयुक्त नहीं हैं।
- तः सही विकल्प 'अनुभाव' है।
Additional Informationअन्य विकल्पों का वर्णन :
अनुभाव - अनुभाव वे भौतिक क्रियाएँ या हाव-भाव होते हैं जो किसी व्यक्ति के मन में उपजे भावों या भावनाओं को प्रकट करते हैं। जैसे, खुशी में मुस्कुराना, दुःख में आंसू बहाना आदि।
संचारी भाव - संचारी भाव वे अस्थायी भाव होते हैं जो मुख्य भाव के आधार पर विकसित होते हैं और कुछ समय के लिए व्यक्ति के अंदर प्रवाहित होते रहते हैं। ये भाव मुख्य भाव को और भी गहरा बनाते हैं।
विभाव - विभाव किसी नाट्य या काव्य में उस स्थिति या वस्तु को कहा जाता है जो किसी निश्चित भाव या रस को जन्म देता है। ये अलौकिक या वास्तविक दोनों हो सकते हैं और ये भाव के प्रकटीकरण का कारण बनते हैं।
रस सामान्य Question 7:
संचारी भाव को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 7 Detailed Solution
संचारी भाव को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है- व्यभिचारी भाव
Key Pointsसंचारी भाव
- स्थायी भाव प्रधान मानसिक प्रक्रिया होती है।
- इन भावो के साथ कुछ ऐसे भी भाव उत्पन्न होते है।
- जो स्थायी भाव के साथ मन में संचारित करते है इन भावो को संचारी भाव कहा जाता है, संचारी भाव को व्यभिचारी भी कहा जाता है.
- क्योंकि संचारी भाव किसी एक भाव के साथ लम्बे समय तक नहीं रहते है।
- संचारी भाव कभी किसी स्थायी भाव के साथ होते है तो कभी अन्य स्थायी भाव के साथ होते है इसलिए इनकी इस व्यभिचारी वृत्ति के कारन ही इन्हें व्यभिचारी भी कहा जाता है।
Additional Information
उद्दीपन |
साहित्य में रस को उद्दीप्त करने वाले आलम्बनों, जैसे देश, काल, परिस्थिति, चेष्टा आदि, को उद्दीपन विभाव कहते हैं। |
आलंबन |
भावों का उद्गम जिस मुख्य भाव या वस्तु के कारण हो वह काव्य का आलंबन कहा जाता है। |
अनुभाव |
शास्त्र के अनुसार आश्रय के मनोगत भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएं अनुभाव कहलाती है। भावों के पश्चात उत्पन्न होने के कारण इन्हें अनुभाव कहा जाता है। अनुभवों की संख्या 4 कही गई है – सात्विक, कायिक, मानसिक और आहार्य। |
रस सामान्य Question 8:
काव्यांश पंक्तियों में कौन-सा रस है ?
बतरस लालच लाल की,
मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै भौहनि हँसे,
दैन कहै नटि जाय।।
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 8 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 'संयोग रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
इन पंक्तियों का अर्थ:
गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं। इसी बतरस (बातों के आनंद) को पाने के। प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं। वे गोपियों से वंशी के बारे में पूछते हैं तो गोपियाँ (झूठी) सौगंध खाकर कहती हैं कि उन्हें वंशी के बारे में कुछ पता नहीं। साथ ही वे भौंहों के संकेतों में मुसकराती भी जाती हैं कृष्ण को लगता है। कि वंशी इन्हीं के पास है। किन्तु जब वह वंशी लौटाने को कहते हैं तो गोपियाँ साफ मना कर देती हैं।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में से उपर्युक्त काव्य पंक्ति में 'संयोग रस' होगा।
- इस काव्य पंक्ति में नायक नायिका के मिलन की स्थिति है।
- संयोग रस शृंगार रस का एक भेद है।
- इस रस में नायक – नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग।
- इसका स्थायी भाव रति है।
अन्य विकल्प:
- हास्य रस - इसका स्थायी भाव हास होता है इसके अंतर्गत वेशभूषा, वाणी आदि कि विकृति को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है इसे ही हास्य रस कहते हैं।
- वियोग रस - एक दूसरे के प्रेम में अनुरक्त नायक-नायिका के मिलना का अभाव 'वियोग रस' है। जो शृंगार रस का भेद है।
- शांत रस - शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
रस सामान्य Question 9:
आलंबन की चेष्टाएं क्या कहलाते है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 9 Detailed Solution
आलंबन की चेष्टाएं को उद्दीपन कहते हैं।
Key Points
- रति, हास, शोक आदि स्थायी भावों को प्रकाशित या व्यक्त करने वाली आश्रय की चेष्टाएं अनुभाव कहलाती हैं। विभाव दो प्रकार के हैं- आलंबन और उद्दीपन ।
- जिसका आश्रय लेकर स्थायी भाव उबुद्ध होता है, वह आलंबन विभाव है । आलंबन विभाव के दो पक्ष होते हैं- विकृत वेशभूषावाली चेष्टा या विकृत असामान्य ये चेष्टाएं भाव-जागृति के उपरांत आश्रय में उत्पन्न होती हैं इसलिए इन्हें अनुभाव कहते हैं, अर्थात जो भावों का अनुगमन करे वह अनुभाव कहलाता है।
- बौद्ध दर्शन के अनुसार आलंबन छह होते हैं - रूप, शब्द, गंध, रस, स्पर्श और धर्म।
Additional Information
- भाव शब्द का अर्थ है - मन में उत्पन्न होने वाला विचार या ख़्याल , अभिप्राय , मतलब, आशय, दर, मूल्य , हिसाब ।
- अनुभाव- जो आश्रय होता है, उसके द्वारा की व्यक्त की जाने वाली शारीरिक चेष्टा को 'अनुभाव' कहते हैं।
- संचारी भाव - जो स्थायी भाव के साथ मन में संचारित करते है. इन भावो को संचारी भाव कहा जाता है. संचारी भाव को व्यभिचारी भी कहा जाता है।
रस सामान्य Question 10:
रस के अंग हैं -
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 10 Detailed Solution
रस के चार अंग हैं - स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 1 ‘स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव, संचारी भाव’ है।
Key Points
रस के चार अंग हैं -
स्थाई भाव |
स्थाई भाव रस का पहला एवं सर्वप्रमुख अंग है। भाव शब्द की उत्पत्ति ‘ भ् ‘ धातु से हुई है। जिसका अर्थ है संपन्न होना या विद्यमान होना। आचार्य भरतमुनि ने स्थाई भाव आठ ही माने हैं – रति, हास्य, शोक, क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा और विस्मय। वर्तमान समय में इसकी संख्या 9 कर दी गई है तथा निर्वेद नामक स्थाई भाव की परिकल्पना की गई है। |
विभाव |
रस का दूसरा अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण अंग है। भावों का विभाव करने वाले अथवा उन्हें आस्वाद योग्य बनाने वाले कारण विभाव कहलाते हैं। विभाव कारण हेतु निर्मित आदि से सभी पर्यायवाची शब्द हैं। विभाव का मूल कार्य सामाजिक हृदय में विद्यमान भावों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। विभाव के अंग – १ आलंबन विभाव और २ उद्दीपन विभाव |
अनुभाव |
रस योजना का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है। आलंबन और उद्दीपन के कारण जो कार्य होता है उसे अनुभव कहते हैं। शास्त्र के अनुसार आश्रय के मनोगत भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएं अनुभव कहलाती है। भावों के पश्चात उत्पन्न होने के कारण इन्हें अनुभव कहा जाता है। अनुभवों की संख्या 4 कही गई है – सात्विक, कायिक, मानसिक और आहार्य। इनकी संख्या 8 मानी गई है – स्तंभ, स्वेद, रोमांच, स्वरभंग, कंपन, विवरण, अश्रु, प्रलय |
संचारी भाव |
मानव रक्त संचरण करने वाले भाव ही संचारी भाव कहलाते हैं यह तत्काल बनते हैं एवं मिटते हैं संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है - निर्वेद, स्तब्ध, गिलानी, शंका या भ्रम, आलस्य, दैन्य, चिंता, स्वप्न, उन्माद, बीड़ा, सफलता, हर्ष, आवेद, जड़ता, गर्व, विषाद, निद्रा, स्वप्न, उन्माद, त्रास, धृति, समर्थ, उग्रता, व्याधि, मरण, वितर्क आदि। |
अन्य विकल्प -
- हास्य, रौद्र, करूण, श्रृंगार - रस के प्रकार
- सात्विक, कायिक, मासिक, आहार्य - विभिन्न अनुभाव
- संयोग, वियोग - श्रृंगार रस के भेद
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |