रस सामान्य MCQ Quiz - Objective Question with Answer for रस सामान्य - Download Free PDF

Last updated on Jun 13, 2025

Latest रस सामान्य MCQ Objective Questions

रस सामान्य Question 1:

रस निरूपण में मनोगत भाव को व्यक्त करने वाले शारीरिक विकार कहलाते हैं-

  1. स्थायी भाव
  2. विभाव
  3. अनुभाव
  4. संचारी भाव
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अनुभाव

रस सामान्य Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है अनुभाव। 

Key Points

  • आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाओं को। 'अनुभाव' कहते हैं।
  • अनुभाव दो शब्दों 'अनु' और भाव के मेल से बना है।
  • 'अनु' अर्थात् पीछे या बाद में अर्थात् आश्रय के मन में पनपे भाव और उसकी वाह्य चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
  • जैसे-चुटकुला सुनकर हँस पड़ना, तालियाँ बजाना आदि चेष्टाएँ अनुभाव हैं। 
  • अनुभाव के चार भेद हैं-सात्विक, कायिक, मानसिक और आहार्य

रस सामान्य Question 2:

कबीर की उलटबाँसियों में कौन-सा रस प्रमुख है? 

  1. बीभत्स रस
  2. अदभुत रस 
  3. करुण रस
  4. शांत रस
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अदभुत रस 

रस सामान्य Question 2 Detailed Solution

कबीर की उलटबाँसियों में रस प्रमुख है- अदभुत रस

Key Points

  • कबीर की उलटबांसियों में प्रमुख रूप से अद्भुत रस विद्यमान है।
  • 'अद्भुत रस' कबीर की उलटबांसियों की विशेषता है क्योंकि इनमें गूढ़ एवं विचित्र भावों को प्रकट किया गया है, जिससे पाठक या श्रोता चमत्कृत हो जाते हैं।
  • जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है। 
  •  उदाहरण-
    • अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
    • चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।

Important Points 
 

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information 

रस  परिभाषा  उदाहरण
   

 

वीभत्स  घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- निर्वेद

जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। 

जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। 

करुण किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। स्थायी भाव- शोक 

करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी।

सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। 

 शांत 

 

शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।

स्थायी भाव- निर्वेद

 

 

चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय।

दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।।

रस सामान्य Question 3:

'अपस्मार' किस तरह का भाव है?

  1. विभाव
  2. अनुभाव
  3. स्थायी
  4. संचारी
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : संचारी

रस सामान्य Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर 'संचारी' होगा।

 Key Points

  • 'अपस्मार' संचारी भाव है।
  • संचारी भाव – स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं।
  • इनकी संख्या 33 मानी गई है। निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं।

रस के अंग/ अवयव "विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्रस निष्पत्तिः

अवयव

परिभाषा

प्रकार

स्थायी भाव

हृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से निवास करते हैं, स्थायी भाव कहलाते हैं। इन्हें अनुकूल या प्रतिकूल किसी प्रकार के भाव दबा नहीं पाते।
स्थायी भाव नौ हैं। इन्हीं के आधार पर नौ रस माने गए हैं। प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव नियत होता है।

रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा (घृणा), विस्मय, शम (निर्वेद) स्थायी भाव है।

संचारी भाव

स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है।

निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं।

विभाव

यी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव कहलाते हैं।

इनके दो भेद हैं- आलम्बन और उद्दीपन

अनुभाव

आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती है।

करुण रस के अनुभाव – रोना, जमीन पर गिरना आदि अनुभाव है।

Additional Information 

शब्द

परिभाषा

 रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

रस सामान्य Question 4:

सात्त्विक अनुभाव का भेद नहीं है -

  1. स्तम्भ
  2. उच्छ्वास
  3. वैवर्ण्य
  4. प्रलय
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : उच्छ्वास

रस सामान्य Question 4 Detailed Solution

सात्त्विक अनुभाव का भेद नहीं है -उच्छ्वास

  • उच्छ्वास का अर्थ-
    • ​गहरी साँस; मन में कोई कष्ट या वेदना होने के कारण ली जाने वाली लंबी साँस।
    • ग्रंथ का कोई अध्याय।

Key Pointsसात्विक अनुभाव-

  • सत्व के योग से उत्पन्न आंगिक चेष्टाएँ
  • इसे 'अयत्नज भाव' भी कहते है।
  • सात्विक अनुभाव की संख्या आठ हैं-
    • स्तम्भ, स्वेद, रोमांच, स्वर-भंग, कम्प, विवर्णता, अक्षु तथा प्रलय।

Important Pointsअनुभाव-

  • जो विभावों के बाद उत्पन्न होते है या जिनके द्वारा रति आदि भावों का अनुभव होता है, वे अनुभाव कहलातें है 
  • इनकी संख्या चार हैं-
    • कायिक - शरीर संबंधी चेष्टाएँ।
    • वाचिक - स्वर के माध्यम से उत्पन्न होने वाला अनुभाव
    • आहार्य - वेशभूषा,आभूषण,सज-सज्जा आदि
    • सात्विक(मानसिक) - सत्व से उत्पन्न आंगिक चेष्टाएँ

Additional Informationस्तम्भ-

  • प्रसन्नता, लज्जा ,व्यथा आदि के कारण शरीर कि चेस्टाओं का अपने आप रुक जाना

वैवर्ण्य अथवा विवर्णता-

  • क्रोध, लज्जा, भय, मोह आदि के कारण चेहरे का रंग उड़ जाना

प्रलय-

  • मोह ,निद्रा ,मद आदि के कारण सुध - बुध खो जाना अथवा चेतना शून्य हो जाना

रस सामान्य Question 5:

अभिनव गुप्त के अनुसार रस के कितने प्रकार है?

  1. नौ
  2. ग्यारह
  3. दस
  4. आठ
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : नौ

रस सामान्य Question 5 Detailed Solution

अभिनव गुप्त के अनुसार रस के नौ प्रकार है

Key Pointsअभिनव गुप्त-

  • जन्म-10 वीं शती
  • मुख्य ग्रन्थ-
    • अभिनवभारती
    • तन्त्रालोक
    • ध्वन्यालोक आदि।

Important Pointsरस के प्रकार हैं-

रस स्थाई भाव
शृंगार रस रति
हास्य रस हास
रौद्र रस क्रोध
वीर रस उत्साह
अद्भुत रस विस्मय
वीभत्स रस जुगुप्सा
शांत रस निर्वेद
वात्सल्य रस वत्सलता

Additional Informationरस-

  • आचार्य भरतमुनि के अनुसार-
    • विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
  • रस के चार अंग हैं-
    • स्थायी भाव
    • विभाव
    • अनुभाव
    • व्यभिचारी/संचारी भाव

Top रस सामान्य MCQ Objective Questions

भरतमुनि ने रसों की संख्या कितनी मानी है?

  1. आठ
  2. दस
  3. बारह
  4. पाँच

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आठ

रस सामान्य Question 6 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "आठ" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • 'नाट्यशास्त्र' में भरतमुनि ने रसों की संख्या आठ मानी है- श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत।
  • दण्डी ने भी आठ रसों का उल्लेख किया है।
  • भरतमुनि के अनुसार रस की परिभाषा, “विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की उत्पत्ति होती है।”
  • उद्भट ने नौवाँ रस शांत रस को माना है
  • विश्वनाथ ने वात्सल्य को दसवाँ रस माना है
  • रूपगोस्वामी ने भक्तिरस को ग्यारहवाँ रस माना है
  • और रुद्र्ट ने प्रेयान को बारहवाँ रस माना है
Important Points
  • रति के 3 भेद हैं-
    • दाम्पत्य रति, वात्सल्य रति और भक्ति सम्बन्धी रति  
    • इन्ही से क्रमशः श्रृंगार, वात्सल्य और भक्ति रस का निष्पत्ति हुआ है।  
Additional Information
  • रसों की संख्या सर्वमान्य 9 है-
    • रस - स्थायी भाव
    • शृंगार रस :- रति
    • हास्य रस :- हास, हँसी 
    • वीर रस  :- उत्साह 
    • करुण रस :- शोक
    • शांत रस :- निर्वेद, उदासीनता
    • अदभुत रस :- विस्मय, आश्चर्य
    • भयानक रस :- भय
    • रौद्र रस :- क्रोध
    • वीभत्स रस :- जुगुप्सा
    • वात्सल्य रस :-  वात्सल्यता, अनुराग 
    • भक्ति रस :- देव रति

रस का सम्‍बन्‍ध किस धातु से माना जाता है ?

  1. सृ
  2. कृ
  3. पृ
  4. मृ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सृ

रस सामान्य Question 7 Detailed Solution

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रस का सम्‍बन्‍ध 'सृ' धातु से माना जाता है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 1सृ' है।

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  • रस काव्य का मूल आधार ‘ प्राणतत्व ‘ अथवा ‘ आत्मा ‘ है रस का संबंध ‘ सृ ‘ धातु से माना गया है।
  • जिसका अर्थ है जो बहता है , अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसे को रस कहते हैं।
  • एक अन्य मान्यता के अनुसार रस शब्द ‘ रस् ‘ धातु और ‘ अच् ‘ प्रत्यय के योग से बना है।
  • जिसका अर्थ है – जो वहे अथवा जो आश्वादित किया जा सकता है।
  • पदार्थ की दृष्टि से रस का प्रयोग षडरस के रूप में तो, आयुर्वेद में शस्त्र आदि धातु के अर्थ में , भक्ति में ब्रह्मानंद के लिए तथा साहित्य के क्षेत्र में काव्य स्वाद या काव्य आनंद के लिए रस का प्रयोग होता है।

 

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रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

निम्नलिखित में से किसे संचारी भाव कहते हैं?

  1. अनुभाव
  2. स्थाई भाव
  3. विभाव
  4. व्यभिचारी भाव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : व्यभिचारी भाव

रस सामान्य Question 8 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "व्यभिचारी भाव" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • व्यभिचारी भाव को संचारी भाव कहते हैं।
  • संचारी भाव
    • ये चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकार हैं। ये स्थायी भावों को पुष्ट करने में सहायक होते है। इनकी स्थिति पानी के बुलबुले के समान उत्पन्न होने और समाप्त होते रहने की होती है।
  • भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है :-
    • निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता
    • गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, वितर्क
Additional Information
  • स्थायीभाव
    • जो भाव मानव हृदय में स्थायी रूप से रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
    • प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव रहता है।
    • जैसे- श्रृंगार का रति, वीर का उत्साह
  • विभाव
    • स्थायी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव हैं।
    • इसके दो भेद हैं–
      • (अ) आलम्बन और
      • (ब) उद्दीपन हैं।
  • अनुभाव
    • आश्रय की चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
    • अनुभाव चार प्रकार के होते हैं-
      • कायिक
      • मानसिक
      • आहार्य
      • सात्विक।

अमर्ष क्या है?

  1. एक काव्य दोष
  2. एक संचारी भाव
  3. एक काव्य गुण
  4. एक अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : एक संचारी भाव

रस सामान्य Question 9 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'एक संचारी भाव है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

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  • उपर्युक्त विकल्पों में से 'अमर्ष' संचारी भाव है। 
  • आचार्य भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है।
  • जो हैं - निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, त्रसा, वितर्क।  
  • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

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  • रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'।
  • काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
  • स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव,आलंबन भाव और संचारीभाव से रस की वृद्धि होती है।

'अपस्मार' किस तरह का भाव है?

  1. विभाव
  2. अनुभाव
  3. स्थायी
  4. संचारी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : संचारी

रस सामान्य Question 10 Detailed Solution

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सही उत्तर 'संचारी' होगा।

 Key Points

  • 'अपस्मार' संचारी भाव है।
  • संचारी भाव – स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं।
  • इनकी संख्या 33 मानी गई है। निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं।

रस के अंग/ अवयव "विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्रस निष्पत्तिः

अवयव

परिभाषा

प्रकार

स्थायी भाव

हृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से निवास करते हैं, स्थायी भाव कहलाते हैं। इन्हें अनुकूल या प्रतिकूल किसी प्रकार के भाव दबा नहीं पाते।
स्थायी भाव नौ हैं। इन्हीं के आधार पर नौ रस माने गए हैं। प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव नियत होता है।

रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा (घृणा), विस्मय, शम (निर्वेद) स्थायी भाव है।

संचारी भाव

स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है।

निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं।

विभाव

यी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव कहलाते हैं।

इनके दो भेद हैं- आलम्बन और उद्दीपन

अनुभाव

आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती है।

करुण रस के अनुभाव – रोना, जमीन पर गिरना आदि अनुभाव है।

Additional Information 

शब्द

परिभाषा

 रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

'विप्रलंभ' का आशय है:

  1. संयोग
  2. महायोग
  3. वियोग
  4. योग

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वियोग

रस सामान्य Question 11 Detailed Solution

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सही उत्तर है - ‘वियोग’।

  • विप्रलंभ’ का आशय ‘वियोग’ से है।
  • विप्रलंभ’ का अर्थ : प्रेमी प्रेमिका का वियोग।

Key Points अन्य विकल्प:

  • संयोग : मिलाप या संग।
  • महायोग : यह बज्रयान अन्तर्गत का एक तान्त्रिक संप्रदाय है। इस संप्रदाय ञिङमा संप्रदाय के नौ यान मध्ये सातवाँ यान है।
  • योग : यह आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है।

Mistake Points

  • योग का अर्थ जुड़ना भी होता है। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है।
  • संयोग को हम इत्तेफाक भी कह सकते है यह दो या कई बातों के अचानक एक साथ होने की क्रिया है।

जुगुप्सा का स्थाई भाव किस रस से सम्बन्धित है ? 

  1. करुण रस
  2. रौद्र रस
  3. बीभत्स रस
  4. अद्भुत रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बीभत्स रस

रस सामान्य Question 12 Detailed Solution

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जुगुप्सा का स्थाई भाव "बीभत्स रस" से सम्बन्धित है। 

Key Points

  •  जब किसी  दृश्य को देखकर  या याद कर मन में जुगुप्सा या घृणा,
  • के भाव की परिपक्वता पायी जाए तो वहाँ वीभत्स रस होता है। 

जैसे - 

रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है,
महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा। 
तैर रहे गल अस्थि-खण्डशत, रुण्डमुण्डहत,
कुत्सित कृमि संकुल कर्दम में महानाश के॥ 

Additional Informationरस - 

  • रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’।
  • काव्य को पढ़ने या सुनने से अथवा चिन्तन करने से जिस अत्यंत आनन्द का अनुभव होता है,
  • उसे ही रस कहा जाता है।

स्थायी भाव - 

  • स्थायी भाव का अभिप्राय है- प्रधान भाव।
  • रस की अवस्था तक पहुंचने वाले भाव को प्रधान भाव कहते हैं।
  • स्थायी भाव काव्य या नाटक में शुरुआत से अंत तक होता है।
  • स्थायी भावों की संख्या नौ स्वीकार की गयी है। 

रस और उनके स्थायी भाव - 

रस  स्थायी भाव
श्रृंगार-रस रति 
हास्य रस हास
करुण रस  शोक 
रौद्र रस  क्रोध 
वीर रस  उत्साह 
भयानक भय
वीभत्स रस  जुगुप्सा (घृणा)
अद्भुत रस  विस्मय 
शांत रस  निर्वेद 

रस के कितने अंग हैं -

  1. पांच
  2. नौ
  3. चार
  4. तीन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : चार

रस सामान्य Question 13 Detailed Solution

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रस के चार अंग हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। 

Key Points

रस के चार अंग हैं - 

स्थाई भाव

स्थाई भाव रस का पहला एवं सर्वप्रमुख अंग है। भाव शब्द की उत्पत्ति ‘ भ् ‘ धातु से हुई है। जिसका अर्थ है संपन्न होना या विद्यमान होना। आचार्य भरतमुनि ने स्थाई भाव आठ ही माने हैं –

रति , हास्य , शोक , क्रोध , उत्साह , भय , जुगुप्सा और विस्मय। 

वर्तमान समय में इसकी संख्या 9 कर दी गई है तथा निर्वेद नामक स्थाई भाव की परिकल्पना की गई है।

विभाव

रस का दूसरा अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण अंग है। भावों का विभाव करने वाले अथवा उन्हें आस्वाद योग्य बनाने वाले कारण विभाव कहलाते हैं। विभाव कारण हेतु निर्मित आदि से सभी पर्यायवाची शब्द हैं। विभाव का मूल कार्य सामाजिक हृदय में विद्यमान भावों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। विभाव के अंग – १ आलंबन विभाव और २ उद्दीपन विभाव

अनुभाव

रस योजना का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है। आलंबन और उद्दीपन के कारण जो कार्य होता है उसे अनुभव कहते हैं। शास्त्र के अनुसार आश्रय के मनोगत भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएं अनुभव कहलाती है। भावों के पश्चात उत्पन्न होने के कारण इन्हें अनुभव कहा जाता है। अनुभवों की संख्या 4 कही गई है – सात्विक , कायिक , मानसिक और आहार्य। इनकी संख्या 8 मानी गई है – स्तंभ , स्वेद , रोमांच , स्वरभंग , कंपन , विवरण , अश्रु , प्रलय

संचारी भाव

मानव रक्त संचरण करने वाले भाव ही संचारी भाव कहलाते हैं यह तत्काल बनते हैं एवं मिटते हैं संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है - निर्वेद , स्तब्ध , गिलानी , शंका या भ्रम , आलस्य , दैन्य , चिंता , स्वप्न , उन्माद , बीड़ा , सफलता , हर्ष , आवेद , जड़ता , गर्व , विषाद , निद्रा , स्वप्न , उन्माद , त्रास , धृति , समर्थ , उग्रता , व्याधि , मरण , वितर्क आदि

 

Additional Information

रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता है उसे ______ कहते हैं। 

  1. आलंबन विभाव
  2. उद्दीपन विभाव
  3. अनुभाव
  4. संचारी भाव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : उद्दीपन विभाव

रस सामान्य Question 14 Detailed Solution

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उद्दीपन विभाव
  • किसी भी स्थाई भाव को और तेज करना या बढ़ाकर बोलना। जैसे - सुदामा की दषा का वर्णन 'दीन दशा' से बढाकर करना।
  • इसी प्रकार आग में घी डाल कर उसे और तेज़ या उद्दीप्त कर दिया जाता है उसी तरह स्थाई भाव को और तेज़ करने वाले कारण उद्दीपन विभाव कहे जाते है।
    • जैसे- लक्ष्मण का परशुराम को ललकारना व्यंग्य करना मुस्कुराना उनके क्रोध को और बढ़ा देता है।
    • यही उद्दीपन विभाव है।

Additional Information

उद्दीपन विभाव - स्थाई भाव को और तेज़ करने वाले कारण उद्दीपन विभाव कहलाते हैं। जैसे -लक्ष्मण का परशुराम को ललकारना व्यंग्य करना मुस्कुराना उनके क्रोध को और बढ़ा देता है। 

स्थायी भाव - जो भावना स्थिर और सार्वभौम होती है उसे स्थायी भाव कहते हैं।

संचारी भाव/ व्याभिचारी भाव – मन में संचरण करने वाले भाव संचारी भाव कहलाते हैं, ये भाव पानी के बुलबुलों के सामान उठते और विलीन हो जाने वाले भाव होते हैं |

निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थायी भाव नहीं है?

  1. हास 
  2. रति
  3. स्मृति
  4. शोक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : स्मृति

रस सामान्य Question 15 Detailed Solution

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 सही उत्तर- स्मृति होगा।

Key Points

  • 'स्मृति' शब्द स्थायी भाव नहीं है।
  • जो भाव मानव हृदय में पहले से ही होते हैं वे स्थाईभाव कहलाते हैं। 

Additional Information

रस और स्थाईभाव

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत

निर्वेद

Hinglish

  • स्मृति- Commemoration
  • शोक- Mourning
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