व्याकरण MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for व्याकरण - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்

Last updated on Mar 20, 2025

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Latest व्याकरण MCQ Objective Questions

Top व्याकरण MCQ Objective Questions

व्याकरण Question 1:

'नदी' शब्द का चतुर्थी विभक्ति एकवचन रूप है

  1. नद्या
  2. नद्यै
  3. नद्यः
  4. नद्यौ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : नद्यै

व्याकरण Question 1 Detailed Solution

स्पष्टीकरण - उपर्युक्त विकल्पों में से सही विकल्प ‘बहुवचन' है।

ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग नदी शब्द - 

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

नदी

नद्यौ

नद्यः

द्वितीया

नदीम्

नद्यौ

नदीः

तृतीया

नद्या

नदीभ्याम्

नदीभिः

चर्तुथी

नद्यै

नदीभ्याम्

नदीभ्यः

पन्चमी

नद्याः

नदीभ्याम्

नदीभ्यः

षष्ठी

नद्याः

नद्योः

नदीनाम्

सप्तमी

नद्याम्

नद्योः

नदीषु

सम्बोधन

हे नदि!

हे नद्यौ!

हे नद्यः!

 

उपर्युक्त सारणी के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि यह 'नदी' शब्द का ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग चतुर्थी विभक्ति एकवचन 'नद्यैहै।

व्याकरण Question 2:

व्यंजनों के लिए कितने माहेश्वर सूत्र होते हैं?

  1. दस
  2. छह
  3. सोलह
  4. बीस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : दस

व्याकरण Question 2 Detailed Solution

पाणिनि के १४ माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बने हैं-

१४ माहेश्वर सूत्र:- १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्। 

इन पाणिनि के सूत्रों से ‘हल्’ प्रत्याहार के अन्तर्गत ५ से १४ तक के प्रत्याहार व्यंजनों की गणना की है। जिसके अन्तर्गत दस माहेश्वर सूत्र आते हैं-

  • ​५. हयवरट्।
  • ६. लण्।
  • ७. ञमङणनम्।
  • ८. झभञ्।
  • ९. घढधष्।
  • १०. जबगडदश्।
  • ११. खफछठथचटतव्।
  • १२. कपय्।
  • १३. शषसर्।
  • १४. हल्। 


अतः व्यंजनों के लिए ५ से १४ यह  माहेश्वर सूत्र होते हैं, यह स्पष्ट होता है।

व्याकरण Question 3:

'शिशवे क्रीडनकं रोचते।' में कौन-सा कारक है?

  1. करण
  2. सम्प्रदान
  3. अपादान
  4. अधिकरण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सम्प्रदान

व्याकरण Question 3 Detailed Solution

‘रुच्यार्थानां प्रीयमाणः’ सूत्र से 'रुच्' तथा 'रुच्' के अर्थ वाली धातुओं के योग में प्रसन्न होने वाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है और ‘सम्प्रदाने चतुर्थी’ से उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है।

जैसे-

  • शिशवे क्रीडनकं रोचते।
  • मह्यं संस्कृतं रोचते।
  • बालकाय मोदकं रोचते।
  • छात्रेभ्यः परीक्षां न रोचते।

अतः स्पष्ट है कि 'शिशवे क्रीडनकं रोचते।' मे 'रुच्' धातु के योग में सम्प्रदान कारक होता है।

व्याकरण Question 4:

माहेश्वर सूत्रों की संख्या है 

  1. चौदह 
  2. चौबीस 
  3. बारह 
  4. अट्ठारह 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : चौदह 

व्याकरण Question 4 Detailed Solution

स्पष्टीकरण:- पाणिनी ने अपने अष्टाध्यायी में १४ माहेश्वर सूत्र बताये है। वह इसप्रकार है-

१. अइउण्। 

२. ऋऌक्। 

३. एओङ्। 

४. ऐऔच्। 

५. हयवरट्। 

६. लण्। 

७. ञमङणनम्।

८. झभञ्। 

९. घढधष्। 

१०. जबगडदश्। 

११. खफछठथचटतव्।

१२. कपय्। 

१३. शषसर्। 

१४. हल्।

 

माहेश्वर सूत्र यह प्रत्याहार सूत्र के साथ 'चतुर्दश सूत्र' से भी जाने जाते है।

Additional Information

उत्पत्ति:- एक आख्यायिका के अनुसार पाणिनि को यह सूत्र भगवान शङ्कर से प्राप्त हुए।

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।

उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥

अर्थ:- "नृत्य (ताण्डव) के अवसान (समाप्ति) पर नटराज (शिव) ने सनकादि ऋषियों की सिद्धि और कामना का उद्धार (पूर्ति) के लिये नवपंच (चौदह) बार डमरू बजाया। इस प्रकार चौदह शिवसूत्रों का ये जाल (वर्णमाला) प्रकट हुयी।"

इस तरह से इन माहेश्वर सूत्रोंकी उत्त्पत्ति है। इन्हे शिवसूत्र भी कहते है। इन्ही १४ शिवसूत्रोंको पाणिनि ने भगवान शङ्कर से प्राप्त किया और उनसे अष्टाध्यायी के प्रत्याहार बनाये। इसलिए इन सूत्रों को प्रत्याहार विधायक सूत्र भी कहते है।

व्याकरण Question 5:

मातृ शब्द का पंचमी विभक्ति का एकवचन रूप है-

  1. मातृस्य
  2. मातातः
  3. मातात्
  4. मातुः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : मातुः

व्याकरण Question 5 Detailed Solution

'मातृ' यह प्रातिपदिक 'ऋकारान्त स्त्रीलिंग शब्द है। इसके विभिन्न विभक्ति-वचन में रूप निम्नलिखित हैं-

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

माता

मातरौ

मातरः

द्वितीया

मातरम्

मातरौ

मातृ

तृतीया

मात्रा

मातृभ्याम्

मातृभिः

चतुर्थी

मात्रे

मातृभ्याम्

मातृभ्यः

पन्चमी

मातुः

मातृभ्याम्

मातृभ्यः

षष्ठी

मातुः

मात्रोः

मातृणाम्

सप्तमी

मातरि

मात्रोः

मातृषु

सम्बोधन

हे माता!

हे मातरौ!

हे मातरः!

 

उपर्युक्त सारणी के अनुसार यह स्पष्ट होता है कि 'मातृ' शब्द की पञ्चमी विभक्ति एकवचन में 'मातुः' रूप होता है।

Additional Information

मातृ की तरह दुहितृ, स्वसृ, ननादृ यह कुछ अन्य 'ऋकारान्त' स्त्रीलिंग पद है।

व्याकरण Question 6:

'नदी' शब्द का सप्तमी, एकवचन रूप है 

  1. नदीयाम् 
  2. नद्याम् 
  3. नदौ 
  4. नदायाम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : नद्याम् 

व्याकरण Question 6 Detailed Solution

नदी’ का अर्थ ‘नदी’ या 'सरिता' होता है। ‘नद्याम् शब्द रूप – ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग सप्तमी एकवचन’ है।

नदी’ शब्द का प्रयोग निम्नलिखित है:-

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

नदी

नद्यौ

नद्यः

द्वितीया

नदीम्

नद्यौ

नदीः

तृतीया

नद्या

नदीभ्याम्

नदीभिः

चर्तुथी

नद्यै

नदीभ्याम्

नदीभ्यः

पन्चमी

नद्याः

नदीभ्याम्

नदीभ्यः

षष्ठी

नद्याः

नद्योः

नदीनाम्

सप्तमी

नद्याम्

नद्योः

नदीषु

सम्बोधन

हे नदि!

हे नद्यौ!

हे नद्यः!

व्याकरण Question 7:

निम्नलिखित में से कौन से वर्ण ईषद् विवृत प्रयत्न होते हैं?

  1. य् व् र् ल्
  2. श् ष् स् ह्
  3. क् ख् ग् घ्
  4. अ इ उ ऋ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : श् ष् स् ह्

व्याकरण Question 7 Detailed Solution

स्पष्टीकरण -

  • संस्कृत स्वर और व्यंजन इनका वर्गीकरण उच्चारण स्थान और आभ्यंतर प्रयत्न के अनुसार होता है।

 

व्यंजनों का वर्गीकरण निम्नलिखित है -

उच्चारण स्थान

व्यञ्जन

स्पर्श (स्पृष्ट)

अंतःस्थ (ईषत्स्पृष्ट)

उष्म (ईषद्विवृत)

कण्ठ

क् ख् ग् घ् ङ्

 

ह् 

तालु

च् छ् ज् झ् ञ्

य्

श्

मूर्धा

ट् ठ् ड् ढ् ण्

र्

ष्

दन्त

त् थ् द् ध् न्

ल्

स्

ओष्ठ

प् फ् ब् भ् म्

 

 

दन्तोष्ठ

 

व्

 

 

ईषद्विवृतमूष्मणाम्। शल ऊष्माणः' से यह स्पष्ट होता है कि ऊष्म वर्ण व्यंजनों का प्रयत्न ईषद्विवृत होता है, जिनमें सभी 4 ऊष्म व्यंजन (श, ष, स, ह) आते हैं। 

अतः स्पष्ट है कि 'श्, ष्, स्, ह्' ये वर्ण ईषद्विवृत’ होते हैं।

Additional Information

प्रयत्न दो प्रकार के होते हैं -

  1. आभ्यन्तर प्रयत्न - पांच आभ्यन्तर प्रयत्न होते हैं - विवृत, स्पृष्ट, ईषत् विवृत, ईषत् स्पृष्ट और संवृत्
  2. बाह्य प्रयत्न - ग्यारह बाह्य प्रयत्न होते हैं - विवार, संवार, श्वास, नाद, घोष, अघोष, अल्पप्राण, महाप्राण, उदात्त, अनुदात्त और स्वरित।

व्याकरण Question 8:

'रमया' पद है-

  1. तृतीया एकवचन
  2. षष्ठी एकवचन
  3. पञ्चमी बहुवचन
  4. चतुर्थी बहुवचन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : तृतीया एकवचन

व्याकरण Question 8 Detailed Solution

रमा’ का अर्थ ‘लक्ष्मी’ है, यह नाम है। 

आकारान्त स्त्रीलिङ्ग ‘रमा’ शब्द से तृतीया विभक्ति एकवचन में रमया' शब्द रूप बनता है। 

रमा’ शब्द का प्रयोग निम्नलिखित है:-

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

रमा

रमे

रमाः

द्वितीया

रमाम्

रमे

रमाः

तृतीया

रमया

रमाभ्याम्

रमाभिः

चतुर्थी

रमायै

रमाभ्याम्

रमाभ्यः

पञ्चमी

रमायाः

रमाभ्याम्

रमाभ्यः

षष्ठी

रमायाः

रमयोः

रमाणाम्

सप्तमी

रमायाम्

रमयोः

रमासु

सम्बोधन

हे रमे!

हे रमे!

हे रमाः!

व्याकरण Question 9:

'उ' स्वर वर्ण का उच्चारणस्थान होता है - 

  1. तालु 
  2. कण्ठ 
  3. ओष्ठ 
  4. मूर्धा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ओष्ठ 

व्याकरण Question 9 Detailed Solution

वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, आ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय (ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

 

इसके अतिरिक्त अरबी फारसी में प्रयुक्त 'क़, ख़, ग़‌' वर्णों को जिह्वामूलीय कहा जाता है। 

अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि 'उ' का उच्चारण स्थान ‘ओष्ठहै।

Additional Information

दो स्थानों को मिलाकर भी कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान होते हैं-

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठतालव्य

एदैतो कण्ठतालु

ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है।

दन्तोष्ठं

वकारस्य दन्तोष्ठं

व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है।

कण्ठोष्ठं दौतो कण्ठोष्ठ्म् ओ तथा औ का उच्चारणस्थान कण्ठोष्ठ होता है।

व्याकरण Question 10:

'यण्' प्रत्याहार के अंतर्गत आते हैं-

  1. ह् य् व् र्
  2. य् श् स् र्
  3. य्, व्, र्, ल्
  4. इ, उ, ऋ, लृह् य् व् र्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : य्, व्, र्, ल्

व्याकरण Question 10 Detailed Solution

पाणिनि के १४ माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बने हैं-

१४ माहेश्वर सूत्र:- १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।

Key Points

इन माहेश्वर सूत्रों से अनेकों प्रत्याहार बनते हैं जिनमें कुछ महत्वपूर्ण प्रत्याहार हैं-

प्रत्याहार:- अण्, अण्, इण्, यण्, अक्, इक्, उक्, एङ्, अच्, इच्, एच्, ऐच्, अट्, अम्, अल्, यम्, ङम्, ञम्, यञ्, झष्, भष्, अश्, हश्, वश्, झश्, जश्, बश्, छव्, यय्, मय्, झय्, खय्, चय्, यर्, झर्, चर्, शर्, हल्, वल्, रल्, झल्। इनमें कुछ प्रमुख इसप्रकार हैं- 

  • इक्- इ, उ, ऋ, लृ,
  • यण्- य्, व्, र्, ल्,
  • अक्- अ, इ, उ, ऋ, लृ, 
  • अच्- सभी स्वर वर्ण- अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ
  • एच्- ए, ओ, ऐ, औ,
  • हल्- सभी व्यञ्जन वर्ण आते हैं।
  • हश्- वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पञ्चम वर्ण तथा य्, व्, र्, ल् आते हैं। 
  • जश्- वर्गों के तृतीय वर्ण - ज्, ब्, ग्, ड, द्।
  • अट्- स्वर तथा ह् य् व् र्।


अतः स्पष्ट है कि 'अच्' प्रत्याहार के अन्तर्गत 'सभी स्वर वर्ण- अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ।' आते हैं।

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