भाषा विज्ञान MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for भाषा विज्ञान - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Mar 23, 2025
Latest भाषा विज्ञान MCQ Objective Questions
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भाषा विज्ञान Question 1:
प्रत्येकभाषायाः विशिष्टध्वनयः संरचना शब्दावली च सन्ति। भाषायाः एवं विधं वैशिष्टयं सूचयति यत्
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 1 Detailed Solution
प्रश्न का अनुवाद - प्रत्येक भाषा की विशिष्ट ध्वनियां और शब्दावली संरचना होती है, भाषा की यह विशेषता सूचित करती है, कि _____
स्पष्टीकरण -
भाषा के अंतर्गत ऐसे 'ध्वनिप्रतीकों' का पूर्ण योग आता है, जिनके द्वारा हम अपने विचारों और अनुभूतियों को व्यक्त कर सकते हैं, तथा जिन्हें स्वेच्छानुसार उत्पन्न किया और दोहराया जा सकता है ।
भाषा की विशेषताएँ -
- भाषा मूलत: मुख से उच्चारित होती है। इसकी ध्वनियों के उच्चारण के लिए निश्चित स्थान और प्रयत्न होता हैं।
- भाषा यादृच्छिक ध्वनि -प्रतीकों की व्यवस्था हैं। किसी एक वस्तु के लिए प्रत्येक भाषा में समान ध्वनि प्रतीक नहीं होते। अंग्रेजी में (Tree), हिन्दी में पेड़ हैं। इस शब्द के लिए दोनों भाषाओं के ध्वनि प्रतीक अलग-अलग हैं। वस्तु और ध्वनि प्रतीकों का संबंध किसी भाषा समाज के द्वारा निश्चित और स्वीकृत होता हैं। किसी भी भाषा में ध्वनि या ध्वनि समूह से बना शब्द विशेष अर्थ का वाचक होकर परंपरा से पूर्णत: यादृच्छिक (ऐच्छिक) रूप से प्रयुक्त होता हैं। इसलिए दूसरी भाषा में उस वस्तु के लिए भिन्न शब्द उपलब्ध होता हैं।
- प्रत्येक भाषा में दो मूलभूत इकाइयाँ हैं 'ध्वनि और शब्द' । ध्वनि भाषा की 'न्यूनतम' इकाई है। ध्वनि या ध्वनियाँ से बनी बड़ी इकाई को 'शब्द' कहते हैं।
- 'भाषा एक व्यवस्था है' जिसमें चार व्यवस्थाएँ होती हैं-
- स्वन व्यवस्था अथवा ध्वनि व्यवस्था,
- रूप व्यवस्था या शब्द व्यवस्था,
- अर्थ व्यवस्था और
- व्याकरण व्यवस्था।
- भाषा में शब्द के लिए ध्वनियों का और वाक्य के लिए पदों का एक निश्चित क्रम होता है, जो समाज के द्वारा स्वीकृत होता है।
- वक्ता अपने अनुभव क्षेत्र से बाहर के लिए ध्वनि क्रम या शब्द क्रम को स्वीकार नहीं कर सकता। उसके लिए विशेष ध्वनि क्रम से कोई सार्थक शब्द बनता है।
- वाक्य में शब्द बदल जाने से अर्थ भी बदल जाता है। जैसे - हरी घास की जगह, पीली घास निरर्थक है।
- संस्कृत भाषा में वाक्य में कर्ता, कर्म, क्रिया का क्रम रहता है।
- भाषा में व्याकरण व्यवस्था होती है, जो भाषा को नियंत्रित, व्यवस्थित और सुसंबद्ध करती है, जिसके कारण किसी भी भाषा का भाषावैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन और विश्लेषण किया जा सकता है।
अतः स्पष्ट है कि प्रत्येक भाषा की विशिष्ट ध्वनियां और शब्दावली संरचना होती है, भाषा की यह विशेषता सूचित करती है, कि 'भाषा एका व्यवस्था वर्तते' अर्थात् 'भाषा एक व्यवस्था है'।
Additional Information
- भाषा प्रजातिविशिष्टा वर्तते - भाषा प्रजाति विशिष्ट हैं।
- भाष यादृच्छिकी वर्तते - भाषा स्वतंत्र घटक हैं।
- भाषा एकः कौशलविषयः वर्तते - भाषा एक कौशलविषय हैं।
भाषा विज्ञान Question 2:
एतासु प्राचीनतमा लिपिः का ?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 2 Detailed Solution
अनुवाद - सबसे प्राचीन लिपि कौनसी है?
स्पष्टीकरण - सबसे प्राचीन लिपि ब्राह्मी लिपि है।
ब्राह्मी लिपि ई.स. पूर्व चौथी से तिसरी शताब्दि में पायी जाती है।
बौद्धों के संस्कृत पुस्तक में कुल ६४ लिपियों का उल्लेख है, जिसमें सबसे पहला नाम 'ब्राह्मी' और दुसरा नाम खरोष्ठी है।
ब्राह्मी लिपि के विषय में -
ब्राह्मी लिपि रुम्मिनदेई स्तम्भलेख, गिरनार शिलालेख, शाहबाजगद्री शिलालेख, गुजरर लघु-शिलालेख, आदि सम्राट अशोक के शिला लिखों में पाई जाती है।
यह बाँये से दाँये की ओर लिखी जाती है। वर्णों का क्रम आधुनिक भारतीय लिपियों के अनुसार ही है।
Additional Information
अन्य विकल्प -
१) खरोष्ठी - ई. पू. की चौथी, तीसरी शताब्दी से ईसा की तीसरी शताब्दी तक खरोष्ठी लिपि प्रचलित थी। उपरोक्त बौद्धग्रन्थों के उल्लेखानुसार ब्राह्मी लिपी के पश्चात खरोष्ठी लिपि का प्रचलन हुआ।
२) शारदा - ई.स, १० वी शताब्दि के आसपास इसका प्रचलन हुआ। चंबा राज्य के शिलालेख और दानपत्रों में शारदा लिपि की सामग्री पाई जाती है।
३) देवनागरी - इस लिपि का प्रचलन ई.स. की १० शताब्दी से हुआ। आरम्भ में यह लिपि केवल 'नागरी' इस नाम से प्रचलित थी। कालानुसार इसके अक्षरों में कुछ परिवर्तन होकर यह लिपि देवनागरी नाम से प्रचलित हो हुई।
भाषा विज्ञान Question 3:
भाषाविकासस्य कस्याम्, अवस्थायाम् शिशवः व्यञ्जन-स्वरमिश्रणं दीर्घशृङ्खलायां पुनः पुनः उच्चरन्ति।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 3 Detailed Solution
प्रश्न का अनुवाद- भाषा के विकास के किस चरण में, शिशु एक लंबी श्रृंखला में व्यंजन-स्वर मिश्रण दोहराते हैं। इसे कहते है-
उत्तर- अस्पष्टवाक्-काले (Babbling)
Important Points
- अस्पष्ट वाणी या "Babbling" शिशु की भाषा विकास के एक महत्वपूर्ण चरण का हिस्सा होता है। यह चरण आमतौर पर 6 से 9 महीने की उम्र के बीच होता है, जब शिशु ध्वनियों और व्यंजनों का मिश्रण दोहराने लगते हैं।
- ये ध्वनियाँ अक्सर "बाबा", "डाडा", या "गागा" जैसी होती हैं, और इसे "बैबलिंग" या अस्पष्ट वाणी कहा जाता है।
- यह साधारण रूप से उन शब्दों और वाक्यांशों का पूर्वाभास नहीं देता है जो शिशु बाद में बोलना सीखते हैं, लेकिन यह उनके वाणी पेठ (vocal tract) को उन ध्वनियों के उत्पादन के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो उनकी मातृभाषा में होती हैं।
- अस्पष्ट वाणी के इस चरण के बाद, शिशु धीरे-धीरे अधिक जटिल ध्वनियां और शब्द संरचनाएँ उत्पन्न करने लगते हैं।
- उनकी भाषा कौशल तेजी से विकसित होती है, और वे अधिक जटिल वाक्यांश और शब्द संगठन का अनुकरण करने लगते हैं, जिसे मानसिकसम्भाषणकाल या "Telegraphic speech" कहा जाता है।
- इसके बाद वे पूर्ण वाक्य बनाना शुरू करते हैं, और यह उनकी आविष्कृतभाषण या "Fluent Speech" की ओर एक कदम होता है।
भाषा विज्ञान Question 4:
अधोऽङिकतासु भारोपीय परिवारानुसारं कतमा भाषा शतम् वर्गेऽस्ति?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 4 Detailed Solution
प्रश्न का हिंदी भाषांतर : निम्नलिखित विकल्पोंं में से कौन सी भाषा भारोपीय परिवार के अनुसार शतम् वर्ग में है?
भारोपीय भाषा परिवार :
भारत से लेकर प्रायः सारे यूरोप तक बोले जाने के कारण इस भाषा परिवार को भारोपीय परिवार कहते हैं। इस भाषा परिवार की प्रमुख भाषाएँ संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, हिन्दी, बंगाली, फ़ारसी, ग्रीक, लेटिन, अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, पुर्तग़ाली और इतालवी इत्यादि हैं। मूल रूप की दृष्टि से यह परिवार श्लिष्ट योगात्मक रूप का है।
- भारोपीय परिवार की विशेषताएँँ :
- इस परिवार की सारी भाषाएँँ प्रारंभ में योगात्मक थी, पर बाद में एक दो छोड के बाकी सारी भाषाएँँ वियोगात्मक हो गई।
- शब्द-रूप शब्द के अन्त में प्रत्यय द्वारा बनाये जाते है। इस परिवार में प्रत्ययोंं की संख्या सभी परिवार से अधिक है।
- समास रचना की शक्ति यह इस परिवार की विशेषता है।
- साथ ही प्रत्ययोंं को अपना स्वतंत्र अर्थ होना और बाद में प्रत्यय की अर्थपूर्णता का लोप होकर आधुनिक रूप शेष रहना, यह परिवर्तन इस भाषा परिवार में दिखाई देता है।
- हिन्द यूरोपीय शाखाओं को मुख्यतः दो वर्गों में रखा जाता है :
- केन्तुम वर्ग।
- शतम् वर्ग।
केन्तुम् वर्ग :
- इस वर्ग की प्राचीन भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन वैसे ही परिरक्षित रहे हैं। जैसे -
- क्व, ग्व और घ्व
- आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजनोंं में इस प्रकार परिवर्तन हुआ -
- क्य, ग्य और घ्य, यह व्यंजन क, ग और घ में विलीन हो गये।
- इनमें इटैलिक, यूनानी, कोल्टिक और जर्मनिक शाखा आती हैं।
शतम् वर्ग :
- इस वर्ग की प्राचीन भाषाओं में आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन, क्य, ग्य और घ्य, स्पर्श-संघर्षी या संघर्षी व्यंजनों में बदल गये। जैसे - च, ज, स और श।
- साथ ही साथ, आदि-हिन्द-यूरोपीय भाषा के व्यंजन, क्व, ग्व और घ्व, यह क, ग और घ इनमें विलय हो गये।
- इनमें बाल्टिक, स्लाव, हिन्द ईरानी, अरमेनियाई और अल्बानियाई शाखा आती हैं। संस्कृत इसी वर्ग में आती है।
- आर्मीनी भाषा भारोपीय भाषा परिवार के शतम् वर्ग में आती है।
अतः स्पष्ट है, आर्मीनी यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
आर्मीनी भाषा :
यह श्लिष्ट योगात्मक भाषा है। इसका स्वरूप ग्रीक और भारत ईरानी के बीच का है। इस भाषा में ईसाई साहित्य अधिकरूप से मिलता है। आर्मीनी भाषा के वर्तमान समय में दो रूप है -
- स्तम्बूल - यह युरोप प्रदेश में बोली जाती है।
- अरारट - यह एशिया प्रदेश में बोली जाती है।
भाषा विज्ञान Question 5:
भाषायां ध्वनेः सूक्ष्मतम-अर्थवान्-एककः अस्ति -
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 5 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - भाषा में ध्वनि की सूक्ष्मतम अर्थवान् इकाई है-
स्पष्टीकरण - भाषा सम्बन्धी अध्ययन भाषा विज्ञान द्वारा किये जाते हैं। भाषा में ध्वनि की सबसे छोटी अर्थूपर्ण इकाई स्वनिम है। जिसका स्वयं में तो कोई अर्थ नहीं होता है, लेकिन किसी शब्द के साथ जुड़कर अर्थ प्रदान करते हैं।
Important Points
- भाषा में उसकी प्रत्येक इकाई का अध्ययन भाषा विज्ञान के अन्तर्गत आता है, जहाँ भाषा का सूक्ष्म व तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।
- भाषा शिक्षण प्रक्रिया में भी यदि वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो भाषा विज्ञान का दर्शन वहाँ भी प्राप्त होता है।
- श्रुत-ध्वनि-शब्द-पद आदि में भेद होता है अर्थात् श्रुत-ध्वनि वाणी के अन्तर्गत आते हैं कि शब्द और पद भाषा के अन्तर्गत। वाणी भाषा का ही एक रूप होती है। विभिन्न ध्वनियों से मिलकर शब्द तथा शब्दों से मिलकर पद तथा वाक्य बनते हैं, जिनसे भाषा का निर्माण होता है। सूचना से संबंधित इन सभी पक्षों में अंतर होता है।
जैसे-
- स्वनिम- ये ध्वनि की छोटी इकाई होती है जिनका अपने आप में अर्थ नहीं होता परन्तु किसी शब्द से जुड़कर अर्थ प्रदान करते है। जैसे - अ, आ।
- रूपिम- ये शब्द का छोटा रूप है, रूपिम का ज्ञान होने पर बच्चा छोटे-छोटे शब्द सीखता है।
- वाक्य /पद विन्यास - इसमें बच्चा शब्दों को क्रमबद्ध करना सीखता है जैसे - कर्ता, कर्म, क्रिया आदि पदों को क्रम से जमा कर उन्हें बोलने लगता है।
- अर्थ विन्यास - इन पदों में दिए गए शब्दों का अर्थपूर्ण होना अर्थ विन्यास कहा जाता है।
ये सभी भाषा सीखने में श्रवण कौशल से सम्बंधित है। सबसे पहले छात्र ध्वनियों को सुनकर शब्दों का निर्माण करता है उसके बाद ही वह पदों व वाक्यों द्वारा भाषा विकास करता है। पहले वह ध्वनि फिर शब्द फिर पदों को श्रवण करता है और धीरे-धीरे अनुकरण द्वारा उनका विकास करता है।
अतः कहा जा सकता है कि भाषा में ध्वनि की सूक्ष्मतम अर्थवान् इकाई स्वनिम है।
भाषा विज्ञान Question 6:
ध्वनिविज्ञानेन सम्बद्धं कौशलं भवति
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 6 Detailed Solution
उत्तर: अमूर्तकौशलम्
- अपने व्यापक अर्थ में, अमूर्त वह है जो अपनी विशेषताओं से, स्पर्श से नहीं माना जा सकता है । इस तरह से पकड़ना, पकड़ना या उसमें हेरफेर करना असंभव है।
- यह कहा जा सकता है कि ध्वनि अमूर्त है। जब हम सुनते हैं कि कोई हमसे बात करता है, तो हम उन ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड और संसाधित करते हैं जो वे हमें भेजते हैं, लेकिन हम उन शब्दों को "स्पर्श" नहीं कर सकते हैं। भावनाएँ और भावनाएँ भी अमूर्त हैं।
- ध्वनिविज्ञान को स्वनिमविज्ञान भी कहा जाता है | स्वनीम यह ध्वनि की सबसे छोटी इकाई है जो अमूर्त स्वरूप में स्थित है |
भाषा विज्ञान Question 7:
'प्रयोगभाषा-अध्ययनम्' किं कथ्यते ?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 7 Detailed Solution
प्रश्न की हिन्दी - प्रयोग भाषा अध्ययन को क्या कहते हैं?
स्पष्टीकरण -
- प्रयोग भाषा अध्ययन को भाषाध्ययनम् अर्थात् भाषा का अध्ययन कहा जाता है। जिसमें भाषा सम्बन्धी अध्ययन किया जाता है।
- भाषा के अध्ययन से तात्पर्य है किसी भाषा के विषय में विस्तृत रूप से जानना।
- समाज तथा संस्कृति के ज्ञान हेतु भाषा विज्ञान बहुत उपयोगी है। इसी के द्वारा समाज विशेष की सभ्यता तथा उसके मानसिक विकास की जानकारी हमें मिलती है। इस तरह भाषा-विज्ञान के अध्ययन से प्रागैतिहासिक काल की सभ्यता तथा संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करते हुए यह समझने का प्रयास करते हैं कि प्राचीन-काल मे भाषा के किस तरह के शब्द का प्रयोग होता था।
Important Pointsभाषा अध्ययन -
- भाषा विज्ञान भाषा अध्ययन की वह शाखा है, जिसमें भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप, विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है।
भाषा विज्ञान के अध्ययन की चार पद्धतियाँ मुख्य रूप से प्रचलित है। इन चार पद्धतियों के आधार पर भाषा विज्ञान के प्रकार हैं–
- वर्णनात्मक भाषा विज्ञान - भाषा विज्ञान वर्णनात्मक भाषा विज्ञान के अंतर्गत किसी विशिष्ट काल की किसी एक विशेष भाषा का अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान के इस प्रकार में सामान्य भाषा का ही नहीं, अपितु किसी विशेष भाषा का वर्णन किया जाता है। भाषा की वर्णात्मक समीक्षा करते हुए भाषा की ध्वनि , संरचना तथा शुद्ध–अशुद्ध रूपों का उल्लेख किया जाता है। ध्वनि, शब्द, रूप, वाक्य आदि का अध्ययन कर ऐसे नियम ही निर्धारित किए जाते हैं, जिनसे भाषा का स्वरूप प्रकट किया जा सकता है।
- ऐतिहासिक भाषा विज्ञान - आधुनिक भाषाविज्ञान के जनक ‘द सस्यूर‘ ने भाषा विज्ञान की इस पद्धति शाखा को गत्यात्मक या विकासात्मक पद्धति कहा है। वर्णनात्मक भाषा विज्ञान में किसी कार्य विशेष का अध्ययन किया जाता है, जबकि ऐतिहासिक भाषा विज्ञान में किसी भाषा के मूल से चलकर उसके वर्तमान रूप तक का क्रमिक अध्ययन किया जाता है।
- भाषा विज्ञान का अध्ययन – सैद्धांतिक दृष्टि - सैद्धांतिक दृष्टि से वर्णनात्मक एवं ऐतिहासिक अध्ययन पद्धति अलग-अलग है, किंतु व्यवहारिक रूप से परस्पर संबंधित है, ऐतिहासिक भाषा विज्ञान में किसी भाषा का विकास क्रम बताते समय उस भाषा की काल विशेष की स्थिति बताना आवश्यक होता है। एक ही भाषा कितने कालों को पार करते हुए विकसित हुई है उन-उन कामों में उस भाषा का विश्लेषण किए बिना ऐतिहासिक पद्धति अग्रसर नहीं हो सकती। इस प्रकार भाषा के ऐतिहासिक अध्ययन में वर्णनात्मक का समावेश अपने आप ही हो जाता है।
- तुलनात्मक भाषा विज्ञान के अध्ययन - तुलना के लिए किन्ही दो चीजों का होना अनिवार्य होता है। तुलनात्मक अध्ययन दो या दो से अधिक भाषाओं में किया जाता है। इसमें दो या दो से अधिक ध्वनियों, पदों, शब्दों, वाक्य तथा अर्थों आदि का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है। जिन भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है, उनमें ध्वनि, रूप, वाक्य, अर्थ की समानताएं मिलती है, तो उन्हें एक परिवारों का मान लिया जाता है। अर्थात् उनके संबंध में यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि भले ही उन में हजारों मीलों की दूरी एवं उच्चारण संबंधी थोड़ी सी भी और समानता क्यों न हो फिर भी उनकी उत्पत्ति एक ही मूल भाषा की मानी जाती है।
अतः कहा जा सकता है कि प्रयोग भाषा अध्ययन को भाषा अध्ययन कहते हैं। (अन्य तीनों विकल्प यहाँ असंगत हैं।)
भाषा विज्ञान Question 8:
बालकस्य मानसिकविकासे कः कारकः महत्वपूर्णः नास्ति ?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 8 Detailed Solution
अनुवाद - बालक के मानसिक विकास में कौन सा कारक महत्वपू्र्ण नहीं हैं?
स्पष्टीकरण -
- जन्म से ही बालक प्रति क्षण विकास की ओर अग्रसर होता है।
- जिसका प्रत्येक विकास भाग उसके आस- पास के वातावरण से प्रभावित होता है।
- ये प्रभावित करने वाले कारक बालक के वंशानुक्रम और वातावरण से पूर्ण रूप से सम्बन्धित होते हैं।
Important Points
- इस तरह बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करने कारक निम्नलिखित हैं -
- पारिवारिक वातावरण - बालक पर सर्वप्रथम प्रभाव उसके माता-पिता और बाकी सदस्यों का पड़ता है। परिवार में जिस भी प्रकार का वातावरण हो चाहे वह नकारात्मक हो या सकारात्मक।
- वंशानुक्रम - बालक में कुछ योग्यताएं उसे वंशानुक्रम से प्राप्त होती है। जिसे उसके आस-पास के वातावरण द्वारा भी नहीं बदला जा सकता।
- परिवार की सामाजिक स्थिति - बालक के मानसिक विकास को परिवार की सामाजिक स्थिति भी प्रभावित करती है। स्ट्रेंग के अनुसार उच्च सामाजिक स्थिति वाले परिवार के बालकों की मौखिक और लिखित क्षमता उत्कृष्ट होती है।
- परिवार की आर्थिक स्थिति - परिवार की अर्थिक स्थिति का भी विशेष रूप से प्रभाव बालक के मानसिक विकास पर पड़ता है, क्योंकि कई बार आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण बालक को सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है, जिसका प्रभाव उसके विकास पर भी पड़ता है।
- विद्यालय - विद्यालय का वातावरण भी बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करता है। क्योंकि विद्यालय बालक के समक्ष रचनात्मक और विभिन्न क्रियात्मक परिस्थितियों को निर्माण करता है, जो बालक को स्वस्थ मानसिक विकास के लिए आवश्यक है।
- अध्यापक - विद्यालय में सर्वाधिक रूप से बालक पर उसके शिक्षक का प्रभाव पड़ता है क्योंकि बालक अपने शिक्षक को आदर्श मानता है। अतः शिक्षक का व्यवहार अपने छात्रों के प्रति इस प्रकार हो कि बालक भी शिक्षक से प्रेरित हो।
- समाज - बालक के सर्वांगीण विकास में समाज का एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो बालक को विकास के उचित गति की ओर अग्रसर करता है। जहाँ वह उस समाज रहकर वहाँ के मूल्य को समझता है और उसी के अनुरूप अपने व्यवहार को सभी के समक्ष रखता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य - बालक के मानसिक विकास पर शरीर के स्वास्थ्य का विशेष रूप से प्रभाव पड़ता है। यदि बालक स्वस्थ नहीं होगा तो उसका विकास बहुत धीमी गति से होगा, जिसके कारण वह अन्य बालकों की तुलना में कमज़ोर होगा।
- इस प्रकार उपर्युक्त तत्व बालक के मानसिक विकास को प्रभावित करते हैं। जिसके अन्तर्गत सम्बन्धी जन कोई कारक नहीं हैं क्योंकि सम्बन्धी जन हमेशा बालक के आस-पास नहीं रहते हैं। जिसके कारण बालक के मानसिक विकास में सम्बन्धी जन महत्त्वपूर्ण तत्व नहीं है।
भाषा विज्ञान Question 9:
छात्रा: 'मधुरा प्रभातवेला' विषयं स्वीकृत्य एकलघुनाटिकां रचयन्ति। नाट्यार्थं चत्वारि पात्राणि सन्ति। दश च वाक्यानि। प्रत्येकं पात्रेण भाषासंरचनात्मक-दृष्ट्चा एकं भिन्न-रूपेण रचितं वाक्यंं पठितव्यम्। अनेन गतिविधिना लाभः भविष्यति-
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 9 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - छात्र "सुहावनी सुबह" यह विषय लेकर एक लघु नाटिका की रचना करते हैं। नाट्य के लिए चार पात्र हैं और दस वाक्य हैं। प्रत्येक पात्र द्वारा भाषा संरचनात्मकता की दृष्टि से एक भिन्न रूप से रचित वाक्य पढ़ने योग्य है। इस गतिविधि का लाभ होगा-
स्पष्टीकरण -
- इस गतिविधि का व्याकरण के प्रयोग के लिए लाभ होगा।
- व्याकरण भाषा के स्वरूप की सार्थक व्यवस्था करता है। व्याकरण में भाषा के वह नियम होते हैं, जिससे ध्वनि, शब्द, वाक्य तथा भाषा के विविध अंगों के संगठन को नियंत्रित किया जाता है। इन नियंत्रित किये हुए अंगों से भाषा की उपयुक्त संरचनात्मक पद्धति निर्मित होती है, जिससे अर्थपूर्ण भाषा ग्रहण अथवा अभिव्यक्त की जाती है।
- भाषा की विशेषताओं का व्यवस्थित वर्णन ही व्याकरण है। ये विशेषताएं हैं - ध्वनि विज्ञान (phonology), आकृति विज्ञान (morphology), वाक्य-विन्यास (syntax), अर्थ विज्ञान (semantics)।
- ध्वनि विज्ञान - इसमें वर्णों के उच्चारण के विषय में नियम होते हैं; जिससे वर्ण या किसी भी पद का उच्चारण शुद्ध, स्पष्ट और अर्थपूर्ण हो।
- आकृति विज्ञान - इसमें शब्दों की संरचना, व्युत्पत्ति आदि से संबंधित निर्देश दिया जाता है।
- वाक्य विन्यास - इसमें वाक्य के संरचना से संबंधित नियम आते हैं; जिसमें उचित शब्द प्रयोग, विराम चिह्न, काल प्रयोग, मुहावरे आदि विषय अंतर्भूत होते हैं।
- अर्थ विज्ञान - इसमें शब्दों और वाक्यों के अर्थ संबंधित जानकारी तथा नियम होते हैं।
व्याकरण के प्रयोगद्वारा छात्रों की इस गतिविधि के भाषा अभिव्यक्ति में शुद्धता, स्पष्टता और अर्थपूर्णता रहेगी।
Additional Information
अन्य विकल्पों का हिंदी अनुवाद -
- पर-वाचनाभ्यासार्थम् - वाचन अभ्यास के लिए।
- पूर्व-लेखनाभ्यासार्थम् - पूर्व लेखन के अभ्यास के लिए।
- शब्दप्रयोगार्थम् - शब्द प्रयोग के लिए।
भाषा विज्ञान Question 10:
संस्कृतम् अस्ति
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा विज्ञान Question 10 Detailed Solution
प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - संस्कृत है -
स्पष्टीकरण - संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषा है जिसे देवभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। विद्वद्जनों में यह शास्त्रीय भाषा के रूप में प्रसिद्ध है। रक्त सम्बन्धित सदस्यों को जैसे एक परिवार के अन्तर्गत स्वीकार किया जाता है वैसे ही आपस में संबन्धित और समानता रखने वाले भाषाओं को भी एक परिवार की भाषा मानी जाती है। प्रत्येक भाषा की एक विशेषता होती है और उन्हीं विशेषताओं के कारण वो भाषा अन्य भाषाओं के साथ साम्य या वैषम्य रखती है। इस साम्य और वैषम्य के आधार पर समस्त भाषाओं को दो वर्गों में विभाजित किया गया है -
- आकृति मूलक
- पारिवारिक
Important Points
आकृति मूलक - आकृति अर्थात् पदों के शब्दों की रचना के आधार पर जो विभाजन किया जाता है उसे आकृतिमूलक वर्गीकरण कहते हैं। इसके आधार पर भाषा को दो भागों में विभाजित किया जाता है -
- अयोगात्मक भाषा - जिसमें प्रकृति और प्रत्यय आपस में संयुक्त नहीं होते हैं। इसके अन्तर्गत अंग्रेजी भाषा को देखा जा सकता है। इसमें प्रकृति-प्रत्यय, विभक्ति आपस में संश्लिष्ट नहीं होते। जैसे - अंग्रेजी में हम लिखते हैं “There was a tall Shalmali tree on the bank of Godavari” इस वाक्य में tall, Shalmali, tree, bank, Godavari मुख्य शब्द हैं, और a, on, the क्रियात्मक शब्द हैं। मुख्य शब्द का स्वतन्त्र अस्तित्व होता है, और उनका स्वतन्त्ररूपेण कुछ अर्थ भी सकता है, किन्तु क्रियात्मक शब्दों का न तो स्वतन्त्र अस्तित्व होता है, और न ही उनका स्वतन्त्ररूपेण कोई अर्थ भी होता है। इसलिए इसे विश्लेषणात्मक भाषा कहते हैं।
- योगात्मक भाषा - जिसमें प्रकृति और प्रत्यय संयुक्त होते हैं। यथा संस्कृत में होता है, इसमें प्रकृति-प्रत्यय, विभक्ति आपस में संश्लिष्ट होते हैं। इसमें प्रत्येक पद विभक्ति से युक्त होते हैं जिसके कारण क्रम परिवर्तन से भी इसका अर्थ नहीं बदलता है। क्योंकि यह एक संश्लेषणात्मक भाषा है, अपने साथ क्रियात्मक विकारों को भी रखती है।प्रत्येक मुख्य शब्द क्रियात्मक शब्द को अपने अभीव्यक्त रूप केवलए रहता है। क्रियात्मक शब्द और मुख्य शब्द मिलकर एक नया रूप लेलेते हैं, और उस नयेरूप को ‘पद’ कहा जाता है। पद को वाक्य में इधर-उधर रखने पर भी अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता है। उदाहरण के लिए - ‘अस्ति गोदावरी तीरे विशालः शाल्मली तरुः’।
उपर्युक्त विवेचनों से स्पष्ट है कि संस्कृत संश्लेषणात्मक भाषा है।