उपसर्ग MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for उपसर्ग - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Mar 9, 2025
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उपसर्ग Question 1:
उपसर्गः नैव वर्तते-
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 1 Detailed Solution
प्रश्न अनुवाद - उपसर्ग नहीं है-
स्पष्टीकरण - प्रस्तुत विकल्पों में अधि, प्रति, अनु यह उपसर्ग है, परन्तु अवि उपसर्ग नहीं है।
उपसर्ग -
उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥
अर्थात् उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा पराजय, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।
उदाहरण -
- प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
- आ + हार = आहार - भोजन
- सम् + हार = संहार - विनाश
- वि + हार = विहार - भ्रमण
संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।
उपसर्गाः | उदाहरण |
प्र | प्रभवति, प्रणमति |
परा | पराभवति, पराजयते |
अप | अपकरोति, अपसरति |
सम् | संस्करोति, सम्भवति |
अनु | अनुगच्छति, अनुभवति |
अव | अवगच्छति, अवतरति |
निस् | निस्सरति, निश्चिनोति |
निर् | निरीक्षते, निर्वहति |
दुस् | दुष्करोति |
दुर् | दुर्लभते, दुर्बोधति |
वि | विजयते, विहरति |
आङ् | आनयति, आगच्छति |
नि | निपतति, निवर्तते |
अधि | अधिराजते, अधिवसति |
अपि | अपिदधति |
अति | अतिक्रामति, अत्याचार |
सु | सुशोभते |
उत् | उद्भवति, उत्तिष्ठति |
अभि | अभिमन्यते, अभिगच्छति |
प्रति | प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति |
परि | परिवर्तते |
उप | उपविशति |
उपसर्ग Question 2:
'गम्' धातु में 'उद्' उपसर्ग लगने से शब्द बनता है-
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 2 Detailed Solution
उपसर्ग - धातु रूपों तथा धातुओं से निष्पन्न शब्दरूपों से पूर्व प्रयुक्त होकर उनके अर्थ का परिवर्तन करने वाले शब्दों को उपसर्ग कहते हैं।
- उपसर्ग संख्या में २२ हैं, जो अग्रलिखित हैं – प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, आङ्, नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि तथा उप।
- उपसर्गों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता। वह धातुओं के पहले ही आता है।
उपसर्ग संबंधित कारिका - "उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते। प्रहाराहार-संहार-विहार- परिहारवत।।" अर्थात "उपसर्गों के जुड़ने से पद का अर्थ बदल जाता है - यथा- हार शब्द का अर्थ है - 'माला', परन्तु जब उसमें 'प्र' उपसर्ग लगता है तो शब्द बनता है 'प्रहार' और उसका अर्थ होता है - मारना। इसी प्रकार 'आ' उपसर्ग लगने पर 'आहार' बनता है, जिसका अर्थ है- भोजन। इसी प्रकार यदि 'हार' शब्द में 'सम' उपसर्ग जुड़ता है तो संहार' शब्द बनता है जिसका अर्थ है नष्ट करना, परन्तु इसी शब्द में 'वि' उपसर्ग लगने पर विहार शब्द बनता है जिसका अर्थ होता है घूमना-फिरना। इसी तरह परि उपसर्ग जुड़कर 'परिहार' शब्द बनता है। जिसका अर्थ होता है सुधार करना त्याग करना।"
Important Points
'गम्' धातु के साथ विविध उपसर्ग का योग भी इसी प्रकार का होता है-
- अव + गम् = अवगच्छति (समझता है)
- उद् + गम् = उद्गच्छति (ऊपर जाता है)
- अनु + गम् = अनुगच्छति (पीछे जाता है)
- निर् + गम् = निर्गच्छति (निकलता है)
- आ + गम् = आगच्छति (आता है)
- अप + गम् = अपगच्छति (दूर जाता है)
- उप + गम् = उपगच्छति (पास गाता है)
अतः स्पष्ट है उपर्युक्त सर्व शब्द 'गम्' धातु को उपसर्ग लगाने से बने है, परन्तु 'उद्' धातु युक्त 'गम्' धातु से 'उद्गच्छति' यह रूप बनता है।
उपसर्ग Question 3:
'अनुकूलम्' अत्र कः उपसर्गो वर्तते?
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 3 Detailed Solution
प्रश्न अनुवाद - 'अनुकूलम्' यहाँ कौन-सा उपसर्ग है?
स्पष्टीकरण - प्रस्तुत रेखाङ्कित पद में अनु यह उपसर्ग है और कूलम् शब्द है।
उपसर्ग -
उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥
अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा पराजय, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।
उदाहरण -
- प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
- आ + हार = आहार - भोजन
- सम् + हार = संहार - विनाश
- वि + हार = विहार - भ्रमण
संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।
उपसर्गाः | उदाहरण |
प्र | प्रभवति, प्रणमति |
परा | पराभवति, पराजयते |
अप | अपकरोति, अपसरति |
सम् | संस्करोति, सम्भवति |
अनु | अनुगच्छति, अनुभवति |
अव | अवगच्छति, अवतरति |
निस् | निस्सरति, निश्चिनोति |
निर् | निरीक्षते, निर्वहति |
दुस् | दुष्करोति |
दुर् | दुर्लभते, दुर्बोधति |
वि | विजयते, विहरति |
आङ् | आनयति, आगच्छति |
नि | निपतति, निवर्तते |
अधि | अधिराजते, अधिवसति |
अपि | अपिदधति |
अति | अतिक्रामति, अत्याचार |
सु | सुशोभते |
उत् | उद्भवति, उत्तिष्ठति |
अभि | अभिमन्यते, अभिगच्छति |
प्रति | प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति |
परि | परिवर्तते |
उप | उपविशति |
उपसर्ग Question 4:
न हि प्रतीक्षते कालः। रेखाङ्कितपदे उपसर्गः धातुश्च स्तः।
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 4 Detailed Solution
प्रश्न का अनुवाद - न हि प्रतीक्षते कालः।रेखाङ्कित पद में उपसर्ग और धातु है।
स्पष्टीकरण -
प्रस्तुत रेखाङ्कित पद में प्रति उपसर्ग है, और ईक्षते (ईक्ष् - मूल धातु) है, जिसका अर्थ होता है - प्रतीक्षा करना।
उदाहरण -
- प्रतिवदति - चोरी करता है।
- प्रतिजानाति - दूर हटता है।
Additional Information
उपसर्ग -
उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥
अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा पराजय, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।
उदाहरण -
- प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
- आ + हार = आहार - भोजन
- सम् + हार = संहार - विनाश
- वि + हार = विहार - भ्रमण
संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।
उपसर्गाः | उदाहरण |
प्र | प्रभवति, प्रणमति |
परा | पराभवति, पराजयते |
अप | अपकरोति, अपसरति |
सम् | संस्करोति, सम्भवति |
अनु | अनुगच्छति, अनुभवति |
अव | अवगच्छति, अवतरति |
निस् | निस्सरति, निश्चिनोति |
निर् | निरीक्षते, निर्वहति |
दुस् | दुष्करोति |
दुर् | दुर्लभते, दुर्बोधति |
वि | विजयते, विहरति |
आङ् | आनयति, आगच्छति |
नि | निपतति, निवर्तते |
अधि | अधिराजते, अधिवसति |
अपि | अपिदधति |
अति | अतिक्रामति, अत्याचार |
सु | सुशोभते |
उत् | उद्भवति, उत्तिष्ठति |
अभि | अभिमन्यते, अभिगच्छति |
प्रति | प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति |
परि | परिवर्तते |
उप | उपविशति |
उपसर्ग Question 5:
उपसर्गरहितं पदमस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 5 Detailed Solution
प्रश्न का हिंदी भाषांतर : उपसर्गरहित पद कौन सा है?
स्पष्टीकरण -
उपसर्ग इस संकल्पना का विवेचन -
- उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते। प्रहाराहार संहार-विहार-परिहारवत्॥
- अर्थ - उपसर्ग मूल धातुओं तथा शब्दों के पहले लगने वाले ऐसे शब्द या शब्दांश होते हैं, जिनके लगने से धातु या शब्द के अर्थ में परिवर्तन या विशेषता आ जाती है। जैसे-हार शब्द के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगाने से ‘प्रहार’ शब्द बनता है। इसी प्रकार विहार, संहार, उपहार या आहार शब्द बनते हैं। जैसे -
- वि + हृ = विहरति
- सम् + ऋ = संहरति
- उप + हृ = उपहरति
- परि + हृ = परिहरति
- निम्नलिखित पदोंं में यह उपसर्ग है -
- आदर्शः = आ + दृश्
- आजानु = आ + जानु
- आज्ञा = आ + ज्ञा
- अरण्य इस शब्द से वुञ् प्रत्यय हो कर आरण्यक यह शब्द सिद्ध होता है। इस शब्द में उपसर्ग नहीं है।
- अर्थ - उपसर्ग मूल धातुओं तथा शब्दों के पहले लगने वाले ऐसे शब्द या शब्दांश होते हैं, जिनके लगने से धातु या शब्द के अर्थ में परिवर्तन या विशेषता आ जाती है। जैसे-हार शब्द के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगाने से ‘प्रहार’ शब्द बनता है। इसी प्रकार विहार, संहार, उपहार या आहार शब्द बनते हैं। जैसे -
अतः स्पष्ट है, 'आरण्यकः' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
Additional Information
संस्कृत भाषा में उपसर्गोंं को प्रादि यह संज्ञा है। उपसर्गोंं के अर्थ इस प्रकार है -
उपसर्ग Question 6:
उपसर्गः अस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 6 Detailed Solution
प्रश्न अनुवाद - उपसर्ग है-
उपसर्ग -
उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥
अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा पराजय, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।
उदाहरण -
- प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
- आ + हार = आहार - भोजन
- सम् + हार = संहार - विनाश
- वि + हार = विहार - भ्रमण
संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।
उपसर्गाः | उदाहरण |
प्र | प्रभवति, प्रणमति |
परा | पराभवति, पराजयते |
अप | अपकरोति, अपसरति |
सम् | संस्करोति, सम्भवति |
अनु | अनुगच्छति, अनुभवति |
अव | अवगच्छति, अवतरति |
निस् | निस्सरति, निश्चिनोति |
निर् | निरीक्षते, निर्वहति |
दुस् | दुष्करोति |
दुर् | दुर्लभते, दुर्बोधति |
वि | विजयते, विहरति |
आङ् | आनयति, आगच्छति |
नि | निपतति, निवर्तते |
अधि | अधिराजते, अधिवसति |
अपि | अपिदधति |
अति | अतिक्रामति, अत्याचार |
सु | सुशोभते |
उत् | उद्भवति, उत्तिष्ठति |
अभि | अभिमन्यते, अभिगच्छति |
प्रति | प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति |
परि | परिवर्तते |
उप | उपविशति |
अतः 'अपि' यह उपसर्गो में से है।
उपसर्ग Question 7:
'अपगच्छति' इत्यत्र उपसर्ग अस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 7 Detailed Solution
प्रश्न अनुवाद - 'अपगच्छति' में उपसर्ग है -
स्पष्टीकरण - प्रस्तुत पद में अप यह उपसर्ग है और गच्छति यह शब्द है।
उपसर्ग -
उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥
अर्थात् उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा पराजय, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।
उदाहरण -
- प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
- आ + हार = आहार - भोजन
- सम् + हार = संहार - विनाश
- वि + हार = विहार - भ्रमण
संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।
उपसर्गाः | उदाहरण |
प्र | प्रभवति, प्रणमति |
परा | पराभवति, पराजयते |
अप | अपकरोति, अपसरति |
सम् | संस्करोति, सम्भवति |
अनु | अनुगच्छति, अनुभवति |
अव | अवगच्छति, अवतरति |
निस् | निस्सरति, निश्चिनोति |
निर् | निरीक्षते, निर्वहति |
दुस् | दुष्करोति |
दुर् | दुर्लभते, दुर्बोधति |
वि | विजयते, विहरति |
आङ् | आनयति, आगच्छति |
नि | निपतति, निवर्तते |
अधि | अधिराजते, अधिवसति |
अपि | अपिदधति |
अति | अतिक्रामति, अत्याचार |
सु | सुशोभते |
उत् | उद्भवति, उत्तिष्ठति |
अभि | अभिमन्यते, अभिगच्छति |
प्रति | प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति |
परि | परिवर्तते |
उप | उपविशति |
उपसर्ग Question 8:
'निश्छलः' अस्मिन् पदेऽयमुपसर्गः -
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 8 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - 'निश्चलः' इस पद में उपसर्ग है-
स्पष्टीकरण -
शब्द - निश्छलः
अर्थ - जिसके मन में कोई छल न हो
- विग्रह - निस् + छलः (यहाँ स्तोः श्चुना श्चुः सूत्र से स् को श हो गया च वर्ग परे रहते। इसलिए निश्चल शब्द बना।)
- उपसर्ग - उपसर्ग वे पद होते हैं, जो किसी शब्द के पहले लगकर उसका अर्थ बदल देते हैं अथवा उस शब्द का विशेष अर्थ हो जाता है।
उदाहरण -
- हार - इस शब्द का अर्थ होता है - हार जाना। परन्तु हार शब्द में उपसर्ग लगने पर इसका अर्थ पूरी तरह से बदल गया। उप + हार - उपहार (तोहफा)
- निश्छल शब्द में - निस् उपसर्ग + छल शब्द है। (स्तोः श्चुना श्चुः सूत्र से स् को श् हो गया)
अतः यहाँ निस् प्रत्यय सही उत्तर है।
Additional Information
संस्कृत में 22 उपसर्गों की गणना की गयी है। इन उपसर्गों से बने शब्द निम्नलिखित हैं -
उपसर्ग Question 9:
उपसर्ग है
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 9 Detailed Solution
स्पष्टीकरण :-
शब्दों तथा धातुओं के पूर्व में संयुक्त हो नये सार्थक शब्दों का निर्माण करने वाले शब्दों को उपसर्ग कहते हैं-
'उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते।
प्रहाराहार-संहार-विहार-परिहारवत्॥’
जैसे- हार शब्द से संयुक्त प्र आदि उपसर्गों से निर्मित शब्द -
उपसर्ग |
निर्मित शब्द |
प्र |
प्रहार |
वि |
विहार |
सं |
संहार |
आ |
आहार |
परि |
परिहार |
संस्कृत में कुल 22 उपसर्ग माने गये हैं-
उपसर्ग |
अर्थ |
उदाहरण |
प्र |
प्रकृष्ट |
प्रगति, प्रतिष्ठा |
परा |
निषेध, विपरित |
पराजितं पराभवति |
अप |
न्यूनता या हीनता |
अपकरोति, अपहरति |
सम् |
अच्छा |
संगच्छति, संस्करोति |
अपि | ढ़कना | अप्यस्ति |
अनु |
अनुकरण |
अनुगमनं अनुकरोति |
अव |
निचे |
अवगच्छति, अवजानन्ति |
निर् |
निषेध |
निर्गच्छति, निराकरोति |
निस् |
निषेध |
निष्कारणं, निस्सरति |
दुस् |
कठिन, दुष्कर |
दुष्टः, दुष्प्रयोजन |
दुर् |
कठिन, दुष्कर |
दुर्गति, दुर्बोध्य |
वि |
विशिष्ट |
विजयते, विगत |
आङ् |
सिमा |
आजिवनम्, आकण्ठम् |
नि |
निचे |
निगदति, निपतति |
अधि |
प्रधानता या आधार |
अधिराजते, अधिहरि |
अति |
अतिशय |
अत्यन्त, अत्याचारः |
सु |
अच्छा |
स्वागतं, सुशोभते |
उत् |
ऊँचा |
उत्कर्षं, उत्पतति |
अभि |
समीप |
अभ्यागतः, अभ्यासः |
प्रति |
विपरित |
प्रत्युपकारः, प्रत्यवदत् |
परि |
चारो ओर |
पर्यावरणं, परिवर्तनम् |
उप |
समीप |
उपकार, उपहार |
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि केवल `परा' ही उपसर्ग है।
Additional Information
- कुत्र:- तद्धित त्रल् प्रत्ययान्त क्रियाविशेषण अव्यय पद है।
- यदा:- अव्यय पद क्रियाविशेषण है।
- यत्र:- तद्धित त्रल् प्रत्ययान्त क्रियाविशेषण अव्यय पद है।
Important Points
जो तीनों लिङ्गों, सभी विभक्तियों, सभी वचनों में एक् जैसा रहता है कोई परिवर्तन नही होता उसे अव्यय कहते है। अव्यय 4 प्रकार के होते है-
- उपसर्ग:- सभी उपसर्ग अव्यय होते हैं।
- क्रियाविशेषण:- अद्य, अधुना, अत्र, तत्र इत्यादि।
- समुच्चय बोधक:- च,इति, तथा, अपि, तु इत्यादि।
- मनोविकार (विस्मयबोधक):- अहो, हन्त, धिक् इत्यादि।
उपसर्ग Question 10:
'प्रति' उपसर्गपूर्वस्य 'प्रत्येति' शब्दस्य अर्थ अस्ति -
Answer (Detailed Solution Below)
उपसर्ग Question 10 Detailed Solution
प्रश्न का हिंदी भाषांतर : 'प्रति' उपसर्गपूर्वक 'प्रत्येति' शब्द का क्या अर्थ है?
स्पष्टीकरण :
संस्कृत व्याकरण और साहित्य में 'प्रत्येति' का विश्लेषण करने पर हमें यह मिलता है कि यह विशेष रूप से 'विश्वास करना', 'स्वीकार करना' या 'सत्य मानना' के अर्थ में प्रयोग होता है। इसमें विश्वास और समझ की भावना निहित होती है, जो किसी आपत्ति या प्रश्न को स्वीकारने में होती है।
इसलिए सही उत्तर है:
विश्वासं करोति- धर्म और शास्त्रों में किसी तथ्य को विश्वासपूर्वक स्वीकारना।
Additional Information अन्य विकल्पोंं के अर्थ -
- विश्वासं करोति - विश्वास करता है।
- विरोधं करोति - विरोध करता है।
- परिवर्तनं करोति - परिवर्तन करता है।