प्रगतिवाद MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रगतिवाद - Download Free PDF
Last updated on Jun 12, 2025
Latest प्रगतिवाद MCQ Objective Questions
प्रगतिवाद Question 1:
'बसंती हवा' कविता के रचयिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर केदारनाथ अग्रवाल है।
Key Points
- 'बसंती हवा' कविता के रचयिता केदारनाथ अग्रवाल हैं।
- 'बसंती हवा' कविता में कवि ने वसंत ऋतु के आगमन का सजीव चित्रण किया है।
- प्रस्तुत कविता में हवा का मनोरंजन रूप दिखाया गया है, कविता में हवा अपना परिचय देती है,
- वह प्रतिदिन कहाँ -कहाँ घूमती है; किन किन स्थानों पर जाती है;
- किससे शरारतें करती है; इन सबका इस कविता में वर्णन किया गया है।
हवा हूँ हवा ......................... वसंती हवा हूँ
- बसंती हवा सभी को अपना परिचय देते हुए ये कहती है कि वह बसंती हवा है। वह बड़ी निराली, सीधी-साधी और मनमौजी है।
- वह बड़ी निडर है क्योंकि उसे किसी बात की चिंता नहीं है।
- वह जहाँ चाहे वहाँ घूम सकती है। वह एक अजब मुसाफिर है।
अन्य विकल्प-
कवि |
परिचय |
रचनायें |
केदारनाथ सिंह |
केदारनाथ सिंह एक भारतीय कवि, निबंधकार और हिंदी लेखक थे।उन्हें उनके कविता संग्रह, अकाल में सरस (सूखे में क्रेन) के लिए हिंदी में साहित्य अकादमी पुरस्कार (1989) से सम्मानित किया गया था। |
अभी बिल्कुल अभी, यहाँ से देखो, अकाल में सारस, उत्तर कबीर |
त्रिलोचन |
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है। त्रिलोचन शास्त्री को 1989-90 में हिंदी अकादमी ने शलाका सम्मान से सम्मानित किया था। |
धरती(1945), गुलाब और बुलबुल(1956), दिगंत(1957), ताप के ताए हुए दिन(1980), शब्द(1980), उस जनपद का कवि हूँ (1981) |
नागार्जुन |
हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे। |
युगधारा, सतरंगे पंखों वाली, भूमिजा |
प्रगतिवाद Question 2:
"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि की भावनात्मक स्थिति को किसके माध्यम से सबसे अधिक व्यक्त किया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 2 Detailed Solution
उत्तर- "बहुत दिनों के बाद" की पुनरावृत्ति के माध्यम से
विश्लेषण: कविता में "बहुत दिनों के बाद" वाक्यांश की बार-बार पुनरावृत्ति कवि की लंबे समय बाद अपनी जड़ों से जुड़ने की तीव्र भावना, नॉस्टैल्जिया, और आनंद को व्यक्त करती है। यह पुनरावृत्ति कविता की भावनात्मक गहराई को बढ़ाती है।
प्रगतिवाद Question 3:
"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने किन पाँच इंद्रियों के अनुभवों को एक साथ भोगने की बात कही है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 3 Detailed Solution
उत्तर- गंध, रूप, रस, शब्द, और स्पर्श
Key Points
विश्लेषण:
- कविता के अंत में कवि कहते हैं, "अबकी मैंने जी भर भोगे, गंध-रूप-रस-शब्द-स्पर्श सब साथ-साथ इस भू पर," जो पाँचों इंद्रियों (गंध-सूंघना, रूप-देखना, रस-चखना, शब्द-सुनना, स्पर्श-छूना) के अनुभव को एक साथ व्यक्त करता है।
प्रगतिवाद Question 4:
बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने जी भरकर क्या खाया?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 4 Detailed Solution
उत्तर- तालमखाना और गन्ने
विश्लेषण: कवि ने लिखा है, "अबकी मैंने जी भर तालमखाना खाया, गन्ने चूसे जी भर," जो ग्रामीण जीवन की सादगी और प्राकृतिक स्वादों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। तालमखाना एक जंगली फल है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आम है।
प्रगतिवाद Question 5:
"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने पगडंडी की धूल को किस रंग का बताया है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 5 Detailed Solution
उत्तर- चंदनवर्णी
विश्लेषण: कवि ने अपनी गँवई पगडंडी की धूल को "चंदनवर्णी धूल" कहा है, जो ग्रामीण मिट्टी के रंग को चंदन की तरह सुंदर और पवित्र दर्शाता है। यह कवि की अपनी जड़ों से गहरी संवेदनात्मक लगाव को व्यक्त करता है।
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'कलम के जादूगर' किसे कहा गया है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF- 'कलम का जादूगर' 'रामवृक्ष बेनीपुरी' को कहा जाता है।
रामवृक्ष बेनीपुरी की प्रमुख रचनाएं
कवि | रचनाऍं |
रामवृक्ष बेनीपुरी |
कहानी संग्रह- चिता के फूल, शब्द-चित्र-संग्रह, लाल तारा, माटी की मूरतें, गेहूँ और गुलाब। उपन्यास- पतितों के देश में, कैदी की पत्नी, दीदी और सात दिन नाटक- अम्बपाली, सीता की माँ, संघमित्रा,'सिंहलविजय, रामराज्य, गाँव के देवता, नया समाज, नेत्रदान |
Additional Informationअन्य विकल्प-
रचनाकार | रचनाऍं |
मुंशी प्रेमचंद |
उपन्यास- कर्मभूमि(1932), सेवा सदन(1918), निर्मला(1925), प्रतिज्ञा(1927), गबन(1928)। नाटक- कर्बला(1924), प्रेम की वेदी(1933), संग्राम(1923)। |
मैथिलीशरण गुप्त |
खण्डकाव्य- जयद्रथ वध 1910, भारत-भारती 1912, पंचवटी 1925, द्वापर 1936, सिद्धराज नाटक - रंग में भंग 1909 |
सुमित्रानंदन पंत |
कविताऍं- वीणा (1919), ग्रंथि (1920), पल्लव(1926), गुंजन (1932), युगपथ(1949), चिदंबरा (1958)। उपन्यास- हार (1960) आदि। |
प्रगतिवादी धारा के प्रमुख कवि हैं -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रगतिवादी धारा के प्रमुख कवि हैं - केदारनाथ अग्रवाल
Key Pointsकेदारनाथ अग्रवाल-
- जन्म-1911-2000 ई.
- प्रगतिवाद के महत्त्वपूर्ण कवि है।
- काव्य रचनाएँ-
- युग की गंगा(1947 ई.)
- लोक और आलोक(1957 ई.)
- फूल नहीं रंग बोलते हैं(1965 ई.)
- गुलमेहंदी(1978 ई.)
- पंख और पतवार(1979 ई.) आदि।
Important Points
हरिवंशराय बच्चन-
- जन्म-1907-2003 ई.
- हिन्दी में हालावाद के प्रवर्तक है।
- प्रेम व मस्ती के कवि है।
- हिन्दी का 'बायरन' कहा जाता है।
- रचनाएँ-
- मधुशाला(1935 ई.)
- मधुबाला(1936 ई.)
- मधुकलश(1937 ई.)
- निशा निमंत्रण(1938 ई.)
- सतरंगिनी(1945 ई.) आदि।
धर्मवीर भारती-
- जन्म-1926-1997 ई.
- दूसरा सप्तक के मुख्य कवि रहे है।
- रचनाएँ-
- ठंडा लोहा(1952 ई.)
- कनुप्रिया(1959 ई.)
- सात गीत वर्ष(1959 ई.)
- देशान्तर(1960 ई.) आदि।
अज्ञेय-
- जन्म-1911-1987ई.
- तार सप्तक(1943ई.) के प्रवर्तक है।
- रचनाएँ-
- भग्नदूत(1933ई.)
- चिंता(1942ई.)
- इत्यलम्(1946ई.)
- इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये(1957ई.)
- अरी ओ करुणा प्रभामय(1959ई.) आदि।
हिंदी के किस कवि ने मैथिली में यात्री नाम से कविताएं लिखी हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF'नागार्जुन' ने हिंदी में मैथिली में 'यात्री' नाम से कविताये लिखी।
Key Points
- नागार्जुन(1911-1998ई.)-मूल नाम:वैद्यनाथ मिश्र,साहित्यिक नाम:यात्री।
- प्रगतिवाद का 'शलाका पुरुष' कहा जाता है।
- रचनाएँ-युगधारा(1953),सतरंगे पंखों वाली(1959),प्यासी पथराई आँखे(1962),खिचड़ी विप्लप देखा हमने(1980),पुरानी जूतियों का कोरस(1989)आदि।
Important Points
कवि | कृतियाँ |
नरेश मेहता | बनपाखी सुनो(1957),बोलने दो चीड़ को(1961),उत्सवा(1979)आदि। |
विपिन कुमार अग्रवाल | धुँए की लकीरें(1956),ढूँढा और पाया(1991) आदि। |
सुदामा पांडे धूमिल | संसद से सड़क तक(1972),कल सुनना मुझे(1976),सुदामा पांडे का प्रजातंत्र(1984)आदि। |
नागार्जुन की कालिदास कविता में निम्न में से किसका उल्लेख है?
A. विक्रम
B. यक्ष
C. शकुन्तला
D. इन्दुमती
E. अज
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFनागार्जुन की कालिदास कविता में केवल B, D और E का उल्लेख हुआ है।
B. यक्ष
D. इंदुमती
E. अज
Key Points
- नागार्जुन की 'कालिदास' कविता 'सतरंगे पंखों वाली' कविता संग्रह में संकलित है।
- जो 1959 में प्रकाशित हुआ।
- कालिदास कविता का सार –
- इस कविता में नागार्जुन संस्कृत के महाकवि कालिदास के माध्यम से कविता की रचना की बात करते हैं।
- कालिदास जी ने स्वयं अपने काव्य में जिन पात्रों की पीड़ा को अपने हृदय में अनुभव किया है उन्हीं पात्रों का उदाहरण नागार्जुन ने दिया है।
- कालिदास कविता का प्रथम अनुच्छेद 'रघुवंश महाकाव्य' के प्रसंग पर आधारित है।
- इसका पहला प्रसंग रघुवंश महाकाव्य पर आधारित है।
Important Points
- कवि नागार्जुन ने 'कालिदास' नामक कविता में महाकवि कालिदास से यह प्रश्न पूछा है।
- "कालिदास यह सच सच बतलाना इंदुमती के मृत्य शोक से अज रोया या तुम रोए थे!"
- कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम में कालिदास ने इंदुमती स्वयंबर का वर्णन किया है।
- उसमें कवि ने इंदुमती की मृत्यु के अवसर पर राजा अज को उसके वीरह में विलाप करते हुए दर्शाया है।
- इसका दूसरा प्रसंग 'कुमारसंभव महाकाव्य' पर है।
- दूसरे प्रसंग का कथन है –
- "घृतमिश्रित सुखी समिधा - सम कामदेव जब भष्म हो गया - रति रोई या तुम रोए थे!"
- इसका तीसरा प्रसंग मेघदूत महाकाव्य पर आधारित है।
- जिसकी पंक्ति है –
- "पुष्करावर्त मेघो का साथी बनकर....रोया यक्ष कि तू रोए थे? "
Additional Information
- नागार्जुन - जन्म 30 जून 1911
- नागार्जुन के बचपन का नाम 'ढक्कन मिसिर' था उनका वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था हिंदी में नागार्जुन, मैथिली व यात्री नाम से लिखते थे।
- नागार्जुन प्रगतिवादी काव्य धारा के प्रतिनिधि कवियों में से एक है।
- उपन्यास –
- रतिनाथ की चाची, बाबा बटेश्वर नाथ, दु:ख मोचन, वलचनामा,वरुण के बेटे,नई पौधे.
- कविता संग्रह –
- यूगधारा 1953
- सतरंगे पंखों वाली 1959
- प्यासी पथराई आंखें 1962
- तालाब की मछलियां 1974
- खिचड़ी विपलब देखा हमने 1980
- तुमने कहा था 1953
- हजार - हजार बाहोबाली 1981
- आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने 1982
- पुराने जूतीयों का कोर्स 1983
- रतन गर्भा 1984
- ऐसे भी हम क्या ऐसे भी तुम क्या 1985
- इस गुब्बारे की छाया में 1990
- भूल जाओ पुराने सपने 1994
- पका है यह कटहल अपने खेत में 1998
- में मिलिट्री का बुड्ढा घोड़ा।
- खंडकाव्य-
- भस्मासुर और भूमिज्ञा
निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक विकल्प 'रचनाकार - रचना' की दृष्टि से गलत है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 4 सही हैं|
Key Points
- उपर्युक्त सभी रचनाकार प्रगतिवादी हैं|
- प्रगतिवाद का समय 1936 ई. से 1942 ई. हैं|
- 'सुमन' की प्रमुख कविताएँ हैं –हम पंछी उन्मुक्त गगन के,पर आँखे नहीं भरी,रणभेरी आदि|
- वीणा(1927) सुमित्रानंदन पंत का काव्य संग्रह हैं|
Additional Information
रचनाकार | कृतियाँ |
शिवमंगल सिंह 'सुमन' | हिल्लोल(1939),जीवन के गान(1942),विंध्य हिमाचल(1960)मिट्टी की बारात(1972) |
नागार्जुन | युगधारा(1953),सतरंगे पंखों वाली(1959), भसमांकुर(1971),तुमने कहा था(1980) |
त्रिलोचन | धरती(1945),दिगंत(1957),उस जनपथ का कवि हूँ(1981) |
केदारनाथ अग्रवाल | युग की गंगा(1947),फूल नहीं रंग बोलते हैं(1965),गुलमेंहदी(1978) |
"जनता मुझसे पूछ रही है क्या बतलाऊ,
जनकवि हूँ मैं, साफ कहूंगा, क्यों हकलाऊं' पंक्तियाँ किसकी हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त सभी विकल्पों में से विकल्प 1 नागार्जुन सही हैं|
Key Points
- नागार्जुन(1911-1998):वेेद्यनाथ मिश्र(मूल नाम),यात्री(मैथिली भाषा में उपनाम),शलाका पुरुष (प्रगतिवाद का)
- यह पंक्ति 'जनकवि हूँ मैं'(1965 ई.)कविता से अवतरित हैं|
Important Points
- काव्य संग्रह:युगधारा(1953ई.),संतरंगे पंखों वाली(1959ई.),प्यासी पथराई आँखे(1962ई.),हज़ार-हज़ार बाहों वाली(1981ई.) आदि|
- प्रमुख कविताए:पत्रहीन नग्न गाछ,प्रेत का बयान,हरिजनगाथा,सिंदूर तिलकित भाल,गुलाबी चूड़ियाँ आदि|
- नामवर सिंह:''वे (नागार्जुन)शैली की खोज नहीं करते,शैली स्वयं उन्हें खोजती है|''
Additional Information
रचनाकार | काव्य संग्रह |
भवानीप्रसाद मिश्र | गीत फ़रोश(1956 ई),खुशबू के शिलालेख(1973 ई।),अनाम तुम आते हो(1979 ई.),कालजयी(1980 ई.) |
रामविलास शर्मा | रूप तरंग(1956 ई.),सदियों के सोए जाग उठे(1988 ई.) |
रांगेय राघव | अजेय खंडहर(1944 ई.),पिघलते पत्थर (1946ई.),मेधावी(1947 ई.),पांचाली(1955 ई.) |
'तुम्हें सौपता हूँ' किसकी काव्य रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF- त्रिलोचन की कृतियाँ :
- धरती(1945),
- गुलाब और बुलबुल(1956),
- दिगंत(1957),
- ताप के ताए हुए दिन(1980),
- शब्द(1980),
- उस जनपद का कवि हूँ (1981)
- अरधान (1984),
- तुम्हें सौंपता हूँ(1985),
- केदारनाथ अग्रवाल के प्रमुख कविता संग्रह है : (1) युग की गंगा, (2) फूल नहीं, रंग बोलते हैं, (3) गुलमेंहदी, (4) हे मेरी तुम!,
- (5) बोलेबोल अबोल, (6) जमुन जल तुम, (7) कहें केदार खरी खरी, (8) मार प्यार की थापें आदि।
- नागार्जुन की कवितायें - हज़ार-हज़ार बाहों वाली, सतरंगे पंखोवाली, खिचड़ी विप्लव देखा हमने, युगधारा, इस गुब्बारे की छाया में।
- शमशेर बहादुर सिंह दूसरे सप्तक के कवि है । इनके 1956 और 1961 में दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुए- 'कुछ कविताएँ' और 'कुछ और कविताएँ'।
''हमारे समाज में मानवीय गुणों की पहचान बढ़नेवाली है। कुल और जाति का अहंकार विदा हो रहा है। आगे, मनुष्य केवल उसी पद का अधिकारी होगा जो उसके अपने सामर्ध्य से सूचित होता है, उस पद का नहीं जो उसके माता-पिता या वंश की देन है।"
उपरोक्त कथन किस रचना की भूमिका से उद्धृत है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त कथन- 3)रश्मिरथी रचना की भूमिका से उद्धृत है।
Important Points
- रश्मिरथी की रचना 'रामधारीसिंह दिनकर' ने 1952 में की।
- 'दिनकर' जी का जन्म 24 सितम्बर1908 को 'बिहार' के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था।
- उनकी महान रचनाओं में 'रश्मिरथी' और 'परशुराम की प्रतीक्षा' शामिल है।
- 1999 में भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकट जारी किया।
- उल्लेखनीय सम्मान-
- 1959:साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1959: पद्मभूषण
- 1972: ज्ञानपीठ पुरस्कार
Additional Information
रचना |
रचनाकार |
प्रकाशन वर्ष |
प्रिय-प्रवास |
अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ |
1909-1913 |
भारत-भारती |
मैथिलीशरण गुप्त |
1912-1913 |
रश्मिरथी |
रामधारीसिंह दिनकर |
1952 |
कुरूक्षेत्र |
रामधारीसिंह दिनकर |
1946 |
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' कृत काव्य इनमें से कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFहम विषपायी जनम के बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' कृत काव्य है। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 2 हम विषपायी जनम के होगा ।
Key Points
|
Additional Information
रचनाकार |
रचना |
रामधारी सिंह दिनकर |
रेणुका |
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' |
हम विषपायी जनम के |
माखनलाल चतुर्वेद्दी |
हिमकिरीटिनी |
रामनरेश त्रिपाठी |
मिलन |
"प्रगतिवाद केवल साम्यवादी मार्ग को ही अपनाने के लिए विवश है, जबकि प्रगतिशील किसी भी वाद विशेष से आबद्ध नहीं होता। " यह विचार किस विद्वान् का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रगतिवाद Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF"प्रगतिवाद केवल साम्यवादी मार्ग को ही अपनाने के लिए विवश है, जबकि प्रगतिशील किसी भी वाद विशेष से आबद्ध नहीं होता। " यह विचार गणपति चंद्र गुप्त विद्वान् का है।
Key Pointsगणपति चन्द्र गुप्त-
- डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त हिन्दी साहित्यकार थे। उन्होने आलोचक के रूप में ख्याति अर्जित की।
- जन्म- 15 जुलाई 1928 को राजस्थान के मंढा (सुरेरा)
- प्रमुख रचना-
- साहित्य-विज्ञान
- हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास
- रस-सिद्धान्त का पुनर्विवेचन
- साहित्यिक निबन्ध
- हिन्दी-काव्य में श्रृंगार-परम्परा
- महाकवि बिहारी
- महादेवी:नया मूल्याकंन
- श्री सत्य साईं बाबा : व्यक्तित्व एवं संदेश
- शिरडी साईं बाबा : दिव्य महिमा आदि।
Important Pointsनंददुलारे वाजपेयी-
- जन्म- 1906-1967ई.
- रचनाएँ-
- हिंदी साहित्य:बीसवीं शताब्दी(1942)
- जयशंकर प्रसाद(1940)
- आधुनिक साहित्य(1950)
- नया साहित्य:नये प्रश्न(1955) आदि।
नामवर सिंह-
- जन्म-1926-2019ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- छायावाद(1955ई.)
- इतिहास और आलोचना(1957ई.)
- कहानी:नयी कहानी(1965ई.)
- कविता के नये प्रतिमान(1968ई.)
- दूसरी परंपरा की खोज(1982ई.) आदि।