अन्योक्ति MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अन्योक्ति - Download Free PDF
Last updated on Jun 17, 2025
Latest अन्योक्ति MCQ Objective Questions
अन्योक्ति Question 1:
नीचे दी गई पंक्तियों में निम्न में से कौन-सा अलंकार है?
"नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
अली कली ही सौं बंध्यो, आगैं कौन हवाल॥"
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 1 Detailed Solution
अलंकार है - अन्योक्ति अलंकार
Key Points
- (यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
- यहाँ उपमान ‘कली’ और ‘भौरे’ के वर्णन के बहाने उपमेय (राजा जय सिंह और उनकी नवोढ़ा नायिका) की ओर संकेत किया गया है।)
- जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार।
अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार।।
- जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार।
Additional Information
श्लेष:-
उदाहरण-
उत्प्रेक्षा:-
उदाहरण-
रूपक:-
उदाहरण-
|
अन्योक्ति Question 2:
नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। इसमें कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 2 Detailed Solution
नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। इसमें अलंकार है- अन्योक्ति
Key Points
- इस छंद में कवि ने परिस्थिति का वर्णन परोक्ष रूप में किया है, जो अन्योक्ति अलंकार को दर्शाता है।
- उन्होंने कवि ने पराग न होने, मधु न होने, विकास न होने, और कली के कारण भ्रमर की स्थिति का वर्णन किया है,
- जिससे अन्योक्ति अलंकार का सटीक प्रयोग होता है।
Important Pointsअन्योक्ति अलंकार:-
- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण-
- फूलों के आस- पास रहते हैं
- फिर भी काँटे उदास रहते हैं।
- (वाक्य में कांटो के बारे में युक्ति के माध्यम से वर्णन किया गया है अतः अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण होगा।)
Additional Information
सन्देह:-
उदाहरण-
रूपक:-
उदाहरण -
अतिशयोक्ति:-
उदाहरण-
|
अन्योक्ति Question 3:
अलंकार का नाम बतांएः
केरा तबहि न चेतिया, जब ढिंग लागी बेरि।
अब के चेते का भयो, काँटनि लीन्हो घेरि।।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 3 Detailed Solution
उपरोक्त पंक्तियों में 'अन्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 2 'अन्योक्ति अलंकार है।
Key Points
केरा तबहि न चेतिया, जब ढिंग लागी बेरि।
अब के चेते का भयो, काँटनि लीन्हो घेरि।।
- उपरोक्त पंक्ति में केले के वृक्ष से कहा गया है कि उसने पहले अपने निकट लगी बेरी की जड़ी की चिंता नहीं की, अब जब काँटों ने उसे घेर लिया है तब वह चिंतित है. वस्तुतः यहाँ व्यक्ति से कहा गया है कि उसने पहले तो अपने अन्दर उपजे अवगुणों की अनदेखी की और जब अवगुणों ने जकड लिया तो वह परेशान है, अत: अन्योक्ति अलंकर है।
- अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।
अन्य विकल्प -
- अतिश्योक्ति अलंकार - जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- संदेह अलंकार - रूप-रंग, आदि के साद्रश्य से जहां उपमेय में उपमान का संशय बना रहे या उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में संशय रहे, वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
- भ्रांतिमान अलंकार - जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
अन्योक्ति Question 4:
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौ बंधयों आगे कौन हवाल ।।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 4 Detailed Solution
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल ।
अली कली ही सौ बंधयों आगे कौन हवाल ।। - अन्योक्ति
Key Points
- अप्रस्तुत अली (भौंरा) प्रस्तुत राजा एवं अप्रस्तुत कली के माध्यम से प्रस्तुत रानी का उल्लेख किया गया है, इसलिए यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
- इस पंक्ति में राजा जयसिंह और उसकी रानी का वर्णन भंवरा पराग और मधु के माध्यम से हुई है।
- जहाँ पर पर्याप्त कारणों के होते हुए भी कार्य सम्पूर्ण न हो
- अर्थात कार्य होने के सम्पूर्ण कारण होने पर भी उस कार्य को सम्पन्न ना किया जाए तो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
- यह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है।
- उदाहरण - नीर भरे निसिदिन रहें तऊ न प्यास बुझय।
- (इस काव्य में प्यास बुझाने के लिए नीर अथवा पानी उपस्थित है
- परन्तु प्यास बुझाने का कार्य सम्पन्न नही हो पा रहा है अतः विशेषोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगा।)
- (इस काव्य में प्यास बुझाने के लिए नीर अथवा पानी उपस्थित है
Additional Information
रूपक:-
उदाहरण-
विशेषोक्ति:-
उदाहरण-
अनुप्रास:-
उदाहरण -
|
अन्योक्ति Question 5:
अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण है:
Answer (Detailed Solution Below)
अली कली ही सों बिध्यों आगे कौन हवाल।
अन्योक्ति Question 5 Detailed Solution
नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल।
अली कली ही सों बिध्यों आगे कौन हवाल।
पद्यांश में 'अन्योक्ति अलंकर' है. अत: सही उत्तर विकल्प 4 होगा. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं.
Key Points
- अन्योक्ति अलंकार- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। कथन कहीं,निशाना कहीं। अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
जैसे - “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
अन्य विकल्प
- अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी। - मानवीयकरण अलंकार
- बिनु पग चले सुने बिनु काना। - विभावना अलंकार
- बसे बुराई जासु तन ,ताही को सन्मान।
भलो भलो कहि छोड़िए ,खोटे ग्रह जप दान।। - दृष्टांत अलंकार
Additional Information
अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।
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अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण है:
Answer (Detailed Solution Below)
अली कली ही सों बिध्यों आगे कौन हवाल।
अन्योक्ति Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFनहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल।
अली कली ही सों बिध्यों आगे कौन हवाल।
पद्यांश में 'अन्योक्ति अलंकर' है. अत: सही उत्तर विकल्प 4 होगा. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं.
Key Points
- अन्योक्ति अलंकार- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। कथन कहीं,निशाना कहीं। अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
जैसे - “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
अन्य विकल्प
- अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी। - मानवीयकरण अलंकार
- बिनु पग चले सुने बिनु काना। - विभावना अलंकार
- बसे बुराई जासु तन ,ताही को सन्मान।
भलो भलो कहि छोड़िए ,खोटे ग्रह जप दान।। - दृष्टांत अलंकार
Additional Information
अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।
काव्यांश में निहित अलंकार बताओः
स्वारथ सुकृत न स्रम वृथा, देखि बिहंगु बिचारि,
बाज पराये पानि परि, तू पंछी न मारि।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अन्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 'अन्योक्ति अलंकार है।
Key Points
'स्वारथ सुकृत न स्रम वृथा, देखि बिहंगु बिचारि,
बाज पराये पानि परि, तू पंछी न मारि।'
-
उपरोक्त पंक्ति में कवि बिहारी राजा जयशाह को बाज़ का उदाहरण देते हुए कहते उन्हें आगाह कर रहे हैं, अत:अन्योक्ति अलंकार है।
-
हिन्दू राजा जयशाह, शाहजहाँ की ओर से हिन्दू राजाओं से युद्ध किया करते थे, यह बात बिहारी कवि को अच्छी नही लगी तो उन्होंने कहा,-हे बाज़ ! दूसरे व्यक्ति के अहम की तुष्टि के लिए तुम अपने पक्षियों अर्थात हिंदू राजाओं को मत मारो।
- अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।
अन्य विकल्प -
- श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
- रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
- उपमा अलंकार - जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है। उपमा का अर्थ है – तुलना।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
अलंकार का नाम बतांएः
केरा तबहि न चेतिया, जब ढिंग लागी बेरि।
अब के चेते का भयो, काँटनि लीन्हो घेरि।।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अन्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 2 'अन्योक्ति अलंकार है।
Key Points
केरा तबहि न चेतिया, जब ढिंग लागी बेरि।
अब के चेते का भयो, काँटनि लीन्हो घेरि।।
- उपरोक्त पंक्ति में केले के वृक्ष से कहा गया है कि उसने पहले अपने निकट लगी बेरी की जड़ी की चिंता नहीं की, अब जब काँटों ने उसे घेर लिया है तब वह चिंतित है. वस्तुतः यहाँ व्यक्ति से कहा गया है कि उसने पहले तो अपने अन्दर उपजे अवगुणों की अनदेखी की और जब अवगुणों ने जकड लिया तो वह परेशान है, अत: अन्योक्ति अलंकर है।
- अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।
अन्य विकल्प -
- अतिश्योक्ति अलंकार - जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- संदेह अलंकार - रूप-रंग, आदि के साद्रश्य से जहां उपमेय में उपमान का संशय बना रहे या उपमेय के लिए दिए गए उपमानों में संशय रहे, वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
- भ्रांतिमान अलंकार - जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
अलंकार का नाम बताओ:
घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो,
आज द्वार-द्वार पर यह दिया बुझे नहीं।
यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदी गयी पंक्तियों में अन्योक्ति अलंकार है । अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 1) अन्योक्ति अलंकार होगा ।
Key Points
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
मान धर्म के आधार पर जहाँ एक वस्तु की समानता या तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता हैं। |
कर कमल-सा कोमल है। |
संदेह |
उपमेय में जब उपमान का संशय हो तब उसे संदेह अलंकार कहते हैं। जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को देख कर संशय बना रहें, निश्चय न हो वहाँ सन्देह अलंकार होता है। |
जैसे – यह काया है या शेष उसी की छाया, |
अन्योक्ति |
'अन्योक्ति' का अर्थ है- "अन्य के प्रति कही गई उक्ति"। इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है। |
जैसे – अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।” |
अतिश्योक्ति |
जहाँ किसी का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाय कि सीमा या मर्यादा का उल्लंघन हो जाय, वहाँ 'अतिशयोक्ति अलंकार' होता है। |
जैसे – बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से, |
'स्वारथ सुकृत न स्रम बृथा देखि बिहंग बिचारि, बाज पराएँ पानि परि तू पच्छीन न मारि' पंक्ति में है :
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'अन्योक्ति अलंकार' है।
Key Points
- 'स्वारथ सुकृत न स्रम बृथा देखि बिहंग बिचारि, बाज पराएँ पानि परि तू पच्छीन न मारि' पंक्ति में 'अन्योक्ति अलंकार' है।
- अन्योक्ति में प्रत्यक्ष अर्थ तो यह है कि कवि बाज को समझाते हुए कहता है कि शिकारी के निर्देश पर तू अपनी ही जाति के अपने बंधु-बांधवों को क्यों मार रहा है?
- किन्तु वास्तव में वह राजा जयसिंह को हिन्दू राजाओं के साथ युद्ध करने से विरत करना चाहता है।
- यहाँ 'बाज' से आशय राजा जयसिंह से, 'पच्छीनु' से आशय हिन्दू राजाओं से और 'पराए पानि' से आशय औरंगजेब से है।
-
अन्योक्ति अलंकार- जहाँ उपमान के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो। उपमान अप्रस्तुत एवं उपमेय प्रस्तुत हो , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार को अप्रस्तुत प्रशंसा भी कहते हैं। इस अलंकार में किसी अप्रत्यक्ष की ओर संकेत किया जाता है।
अन्य विकल्प:
- उपमा अलंकार - उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
- विषेशोक्ति अलंकार - काव्य में जहाँ कार्य सिद्धि के समस्त कारणों के विद्यमान रहते हुए भी कार्य न हो वहाँ पर विशेषोक्ति अलंकार होता है।
- अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं अथार्त जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
Additional Information
- अलंकार का सामान्य अर्थ है, 'आभूषण' या 'गहना'।
- जिस प्रकार आभूषण से शरीर की शोभा बढ़ती है, उसी प्रकार अलंकार से काव्य की शोभा बढ़ती है।
- अलंकार शब्द का अर्थ है- वह वस्तु जो सुंदर बनाए या सुंदर बनाने का साधन हो।
- साधारण बोलचाल में आभूषण को अलंकार कहते हैं।
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार,
फूले-फूले चुन लिए, काल्हि हमारी बार।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पद्यांश में 'अन्योक्ति अलंकर' है। अत: सही उत्तर विकल्प 3 'अन्योक्ति अलंकार' होगा। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
- अन्योक्ति अलंकार- यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। जैसे - “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
अन्य विकल्प -
- अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए। जैसे - आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
- समासोक्ति अलंकार - जहाँ पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहा रका समारोप होता है अथवा अप्रस्तुत का स्फुरण होता है, वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।
- वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।
अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।
माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार फूली-फूली चुनि लई, काल्हि हमारी बार। इसमें अलंकार है:
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पद्यांश में 'अन्योक्ति अलंकार' है।
Key Points
अन्योक्ति अलंकार- यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
जैसे - “माली आवत देखकर, कलियन करी पुकार फूली-फूली चुनि लई, काल्हि हमारी बार।”
अन्य विकल्प :
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष अलंकार |
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। |
“रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गये न ऊबरे, मोती मानुस चून ” |
संदेह अलंकार |
उपमेय में जब उपमान का संशय हो तब उसे संदेह अलंकार कहते हैं। जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को देख कर संशय बना रहें, निश्चय न हो वहाँ सन्देह अलंकार होता है।
|
जैसे – यह काया है या शेष उसी की छाया, |
अन्योक्ति अलंकार |
'अन्योक्ति' का अर्थ है- "अन्य के प्रति कही गई उक्ति"। इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है। |
जैसे – अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।” |
दृष्टांत अलंकार |
जहाँ दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होता हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है। |
जैसे – जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग |
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित अलंकार बताएं:
इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अन्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 4 'अन्योक्ति अलंकार है।
Key Points
'इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।'
-
उपरोक्त पंक्ति में बिहारी कहते हैं कि वसन्त ऋतु (खुशहाली) फिर से आएगी। इसी आशा में भौंरा गुलाब की सूखी/ कंटीली शाखाओं पर अटका रहता है, अत: अन्योक्ति अलंकार है।
-
अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।
अन्य विकल्प -
- श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
- अतिश्योक्ति अलंकार - जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। इसमें कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFनहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल। अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।। इसमें अलंकार है- अन्योक्ति
Key Points
- इस छंद में कवि ने परिस्थिति का वर्णन परोक्ष रूप में किया है, जो अन्योक्ति अलंकार को दर्शाता है।
- उन्होंने कवि ने पराग न होने, मधु न होने, विकास न होने, और कली के कारण भ्रमर की स्थिति का वर्णन किया है,
- जिससे अन्योक्ति अलंकार का सटीक प्रयोग होता है।
Important Pointsअन्योक्ति अलंकार:-
- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
उदाहरण-
- फूलों के आस- पास रहते हैं
- फिर भी काँटे उदास रहते हैं।
- (वाक्य में कांटो के बारे में युक्ति के माध्यम से वर्णन किया गया है अतः अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण होगा।)
Additional Information
सन्देह:-
उदाहरण-
रूपक:-
उदाहरण -
अतिशयोक्ति:-
उदाहरण-
|
अन्योक्ति Question 15:
‘जहाँकिसीकीबातकिसीऔरपरडालकरकहीजाये’, वह कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अन्योक्ति Question 15 Detailed Solution
जहाँ किसी की बात किसी और पर डाल कर कही जाये’, वह अन्योक्ति अलंकार होता है। अत: विकल्प 4) अन्योक्ति सही उत्तर होगा। अन्य विकल्प असंगत है।
विशेष:
जहाँ किसी वस्तु या व्यक्ति को लक्ष्य कर कही जाने वाली बात दूसरे के लिए कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। अन्योक्ति अलंकार कुछ अन्य उदाहरण : जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार। अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार।। इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल। |