Question
Download Solution PDFकाव्यांश में निहित अलंकार बताओः
स्वारथ सुकृत न स्रम वृथा, देखि बिहंगु बिचारि,
बाज पराये पानि परि, तू पंछी न मारि।
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अन्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 'अन्योक्ति अलंकार है।
Key Points
'स्वारथ सुकृत न स्रम वृथा, देखि बिहंगु बिचारि,
बाज पराये पानि परि, तू पंछी न मारि।'
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उपरोक्त पंक्ति में कवि बिहारी राजा जयशाह को बाज़ का उदाहरण देते हुए कहते उन्हें आगाह कर रहे हैं, अत:अन्योक्ति अलंकार है।
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हिन्दू राजा जयशाह, शाहजहाँ की ओर से हिन्दू राजाओं से युद्ध किया करते थे, यह बात बिहारी कवि को अच्छी नही लगी तो उन्होंने कहा,-हे बाज़ ! दूसरे व्यक्ति के अहम की तुष्टि के लिए तुम अपने पक्षियों अर्थात हिंदू राजाओं को मत मारो।
- अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।
अन्य विकल्प -
- श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
- रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
- उपमा अलंकार - जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है। उपमा का अर्थ है – तुलना।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
Last updated on Feb 6, 2025
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