अतिशयोक्ति MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for अतिशयोक्ति - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 29, 2025
Latest अतिशयोक्ति MCQ Objective Questions
Top अतिशयोक्ति MCQ Objective Questions
अतिशयोक्ति Question 1:
‘पानी परात को हाथ छुयौ नहिं
नैनन के जल सों पग धोए ||’
इसमें कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 1 Detailed Solution
उपरोक्त पंक्तियों में 'अतिश्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 1 'अतिश्योक्ति अलंकार है।
Key Points
'पानी परात को हाथ छुयौ नहिं
नैनन के जल सों पग धोए ||’
-
उपरोक्त पंक्ति में कृष्ण द्वारा अपने सखा सुदामा के पैर धोने की क्रिया का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, अत: अतिश्योक्ति अलंकर है।
- जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- दोहे का अर्थ- प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि सुदामा की दीनदशा को देखकर श्रीकृष्ण व्याकुल हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ कि वे स्वयं रो पड़े और उनके आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए।
अन्य विकल्प -
- श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
-
उपमा अलंकार - उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
- रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
काली घटा का घमंड घटा (यमक) - शब्दालंकार जैसे - सिंधु से अथाह (उपमा) - अर्थालंकार |
अतिशयोक्ति Question 2:
"लहरें व्योम चूमती उठतीं।" निम्नलिखित पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 2 Detailed Solution
दि गयी पंक्ति मे 'अतिशयोक्ति अलंकार' है। अत: इसका विकल्प 1 सही है। अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
अतिशयोक्ति अलंकार - जहाँ लोक सीमा का अतिक्रमण करके किसी बात को बढ़ा चढाकर पेश किया जाये वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अन्य विकल्प :
अलंकार |
परिभाषा एव उदाहरण |
श्लेष अलंकार |
जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ निकलते हों। जैसे - रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ‘पानी’ गए न ऊबरे मोती मानस चून’ यहाँ ‘पानी’ मोती के सन्दर्भ में ‘चमक’, मनुष्य के सन्दर्भ में ‘विनम्रता’ तथा ‘चून (आटा)’ के सन्दर्भ में ‘जल अर्थात पानी’ है। |
रूपक अलंकार |
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। जैसे - मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
मानवीकरण अलंकार |
जब प्राकृतिक चीज़ों में मानवीय भावनाओं के होने का वर्णन हो। जैसे - फूल हँसे कलियाँ मुस्कराई यहाँ फूलों के हँसने के बारे में बोला गया है जो मनुष्य करते हैं। |
अतिशयोक्ति Question 3:
बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से। मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरों से।
इस काव्य-पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 3 Detailed Solution
सही विकल्प 4 अतिशयोक्ति है।
Key Points
- 'बांधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से। मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।' -
- इन पंक्तियों में चन्द्र से मुख का, काली जंजीरों से बालों का तथा मणिवाले फणियों से मोती भरी मांग की प्रतीति होती है। अत: मोतियों से भरी हुई प्रिया की मांग का अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन किए जाने के कारण यहां अतिशयोक्ति अलंकार है।
- अतिशयोक्ति अलंकार- जहां किसी विषय वस्तु का उक्ति चमत्कार द्वारा लोक मर्यादा के विरुद्ध बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाता है, वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष |
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
अनुप्रास |
जब किसी व्यंजन वर्ण को बार बार दुहराया जाता है तो वहा अनुप्रास अलंकार होता है। |
लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल। |
यमक |
जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। |
कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय। |
अतिशयोक्ति Question 4:
'बाँधा है विधु को किसने इन काली जंजीरों से'- पंक्ति में है :
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर अतिशयोक्ति अलंकार है।
Key Points
- 'बाँधा है विधु को किसने इन काली जंजीरों से'- पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है।
- अतिश्योक्ति अलंकार में किसी बात का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाता है।
- अतिश्योक्ति अलंकार में उपमेय को छुपाकर उपामान से उसकी समानता की प्रतिति कराना ही अतिश्योक्ति अलंकार है।
- प्रस्तुत पंक्तियो में चाँद का मुख से, काली ज़ंज़ीर का बालों से तथा मणि वाले फणियों से मोती भरी मांग का अतिश्योक्ति पूर्ण वर्णन किया गया है।
- इन पंक्तियों में उपमेय रूपी मुख, मांग तथा बाल का उल्लेख किये बिना ही उपमान से समानता की गयी है।
- अतिश्योक्ति अलंकार परिभाषा- जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण -परवल पाक फाट हिय गोहूँ।
Additional Information
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
उपमा अलंकार | उपमा अलंकार उपमा शब्द का अर्थ होता है– तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। |
“हरि पद कोमल कमल से” यहाँ हरि (भगवान) के पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है। |
अन्योक्ति अलंकार | जहां उपमान के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो। उपमान अप्रस्तुत एवं उपमेय प्रस्तुत हो , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है। | महल सा घर। |
सहोक्ति अलंकार | जहाँ कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है वहाँ सहोक्ति अलंकार होता है। | 'कीरति अरि कुल संग ही जलनिधि पहुंची जाय।' 'नाक पिनकहीं संग सिधाई।' |
अतिशयोक्ति Question 5:
'देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन को जा रही' - पंक्ति में है :
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 5 Detailed Solution
सही विकल्प है - अतिश्योक्ति अलंकार।
- "देख लो साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन को जा रही" पंक्ति में साकेत नगरी स्वर्ग के समकक्ष बताया है जो कि अतिश्योक्ति है।
Key Point
अतिश्योक्ति अलंकार -
- जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन बढ़ा चढ़ा किए जाए तो उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते है।
उदाहरण -
- "धनुष उठाया ज्यों ही उसने, और चढ़ाया उस पर बाण, धरा–सिन्धु नभ काँपे सहसा, विकल हुए जीवों के प्राण।"
- पंक्ति में अर्जुन के सामर्थ्य का बड़ा चढ़ा कर वर्णन किया गया है, इसलिए इसमें अतिश्योक्ति अलंकार है।
Additional Information
अन्योक्ति अलंकार - इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है। जैसे -
- जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सु बीति बहार। अब, अलि रही गुलाब में, अपत कॅटीली डार।।
- यहाँ गुलाब के सूखने के माध्यम से आश्रयदाता के उजड़ने की व्यथा कही गई है।
सहोक्ति अलंकार - जहां कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है। इसमें सह, समेत, साथ, संग आदि शब्दों के द्वारा एक शब्द दो पक्षों में लगता है। जैसे-
- जस, प्रताप, वीरता, बड़ाई। नाक, पिनाकहिं संग सीधाई।।
- यहाँ नाक और धनुष दोनों को एक ही क्रिया सीधाई का उपयोग किया गया है।
वक्रोक्ति अलंकार- जहाँ शब्द केवल एक बार उपयोग हो लेकिन कहने वाले और सुनने वाले के लिए उसका अर्थ अलग - अलग हो तो वहन श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता हैं।जैसे -
- "कौन द्वार पर? राधे! मैं हरि, क्या वानर का काम यहाँ?"
- यहाँ 'राधे! मैं हरि' में हरि का अर्थ भगवान कृष्ण से हैं लेकिन दूसरे वाक्य 'क्या वानर का काम यहाँ?' में राधा जी ने हरि का अर्थ जन बूझकर वानर समझ लिया हैं।
अतिशयोक्ति Question 6:
भूप सहस दस एकहि बारा। लगे उठावन टरइ न टारा॥ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर- अतिश्योक्ति अलंकार होगा।
Key Points
- भूप सहस दस एकहि बारा। लगे उठावन टरइ न टारा॥ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है।
- जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये तो वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
- जैसे-
लहरें व्योम चूमती उठती
देख लो साकेत नगरी है यही!
स्वर्ग से मिलने गगन जा रही हैं!!
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
रूपक |
जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
चरण-कमल बंदौ हरि राई! |
संदेह |
जहां उपमेय और उपमान के निर्धारण में दुविधा बनी रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है। |
सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है। कि सारी है की नारी है, कि नारी है की सारी है। |
अतिशयोक्ति Question 7:
एक दिन राम पतंग उड़ाई। देवलोक में पहुँची जाई।। पंक्ति किस अलंकार का उदाहरण है।
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 7 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 4 अतिशयोक्ति अलंकार इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
- ‘एक दिन राम पतंग उड़ाई। देवलोक में पहुँची जाई।। ’ पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।
- उपर्युक्त उदाहरण में राम द्वारा पतंग उड़ाने का वर्णन तो ठीक है पर पतंग का उड़ते-उड़ते स्वर्ग में पहुँच जाने का वर्णन बहुत बढ़ाकर किया गया। इस पर विश्वास करना कठिन हो रहा है। अत: अतिशयोक्ति अलंकार है।
- जहाँ किसी विषयवस्तु का उक्ति चमत्कार द्वारा लोकमर्यादा के विरुद्ध बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाता है, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
विशेषोक्ति अलंकार |
जहाँ कारण के रहने पर भी कार्य नहीं होता है वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। |
पानी बिच मीन पियासी। मोहि सुनि सुनि आवै हासी।। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जब उपमेय में गुण-धर्म की समानता के कारण उपमान की संभावना कर ली जाए, तो उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते हैं। |
कहती हुई यूँ उत्तरा के नेत्र जल से भर गए। हिम कणों से पूर्ण मानों हो गए पंकज नए।। |
मानवीकरण अलंकार |
जब प्राकृतिक चीज़ों में मानवीय भावनाओं के होने का वर्णन हो तब वहां मानवीकरण अलंकार होता है। |
हरषाया ताल लाया पानी परात भरके। |
अतिशयोक्ति Question 8:
'मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार, दुख ने दुख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार'- पंक्ति में है:
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 8 Detailed Solution
सही उत्तर 'अतिशयोक्ति अलंकार' है।
Key Points
- ''मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार, दुख ने दुख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार" इस काव्य पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।
- इसमें 'प्यार' का बहुत बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया गया है।
- जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।
अन्य विकल्प:
- अन्योक्ति अलंकार - जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- जैसे - नहि पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहिं काल।
अली कली ही सौं बँध्यौ, आगे कौन हवाल।
- जैसे - नहि पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहिं काल।
- वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ न ग्रहण कर सुनने वाला व्यक्ति अन्य ही चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, तब उसे वक्रोक्ति अलंकार कहते हैं।
- जैसे - मैं सुकुमारी नाथ बन जोगु। तुमही उचित तप मो कह भोगू।
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण या गहना’ जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है।
- अलंकार के तीन प्रकार अथवा भेद होते हैं, किन्तु प्रधान रूप से अलंकार के दो भेद माने जाते हैं — शब्दालंकार तथा अर्थालंकार
अतिशयोक्ति Question 9:
‘देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही’ पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 9 Detailed Solution
अतिशयोक्ति अलंकार सही उत्तर है।
Key Points
- ‘देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से मिलने गगन में जा रही’ पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।
- यहां एक नगरी की सुंदरता का वर्णन किया जा रहा है। यह वर्णन बहुत ही बढ़ा चढ़ाकर किया जा रहा है।
- जब किसी चीज़ का बहुत बढ़ा चढाकर वर्णन किया जाता है तो वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
· अतः ऊपर दी गयी पंक्ति अतिशयोक्ति अलंकार के अंतर्गत आएगी।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहाँ एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में |
यमक |
जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है। |
तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं। |
अतिशयोक्ति Question 10:
'आगे नदियाँ पड़ी अपार घोड़ा उतरे कैसे पार। राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार। पंक्ति में कौन सा अलंकार समाहित है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 10 Detailed Solution
- परिभाषा - साहित्य में एक अलंकार जिसमें दो वस्तुओं में भेद रहते हुए भी उन्हें समान बतलाया जाता है।
- वाक्य में प्रयोग - चरण कमल बंदौ हरिराई में उपमा अलंकार है ।
- समानार्थी शब्द - उपमा अलंकार , उपमालंकार , अर्थोपमा।
- लिंग - स्त्रीलिंग।
- एक तरह का - अर्थालंकार।
उत्प्रेक्षा
- परिभाषा - एक अर्थालंकार जिसमें भेदज्ञान पर भी उपमेय में उपमान की प्रतीति होती है।
- वाक्य में प्रयोग - कविता की इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा है ।
- समानार्थी शब्द - उत्प्रेक्षा अलंकार।
- लिंग - स्त्रीलिंग।
अतिशयोक्ति
- परिभाषा - एक अलंकार जिसमें भेद में अभेद, असंबंध में संबंध आदि दिखाकर किसी वस्तु का बहुत बढ़ाकर वर्णन होता है।
- वाक्य में प्रयोग - आदिकालीन कवियों की रचनाएँ अतिशयोक्ति अलंकार से भरी पड़ी हैं ।
- समानार्थी शब्द - अतिशयोक्ति अलंकार।
- लिंग - स्त्रीलिंग।
रूपक
- परिभाषा - जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में उपमान का अभेद आरोपण हो।
- वाक्य में प्रयोग - मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों में चंद्रमा में खिलौना का आरोप होने से रुपकालंकार है ।
- समानार्थी शब्द - रूपकालंकार , रूपक अलंकार।
- लिंग - पुल्लिंग।.