Question
Download Solution PDF“इनकी भाषा बहुत चलती सरल और शब्दाडंबर मुक्त होती थी। शुद्ध ब्रजभाषा का जो चलतापन और सफाई इनकी और घनानंद की रचनाओं में है वह अन्यत्र दुर्लभ है।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने यह किस रचनाकार के लिए कहा ?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFरसखान
Key Pointsरसखान-
- जन्म - 1533-1618 ई.
- मूल नाम - सैयद इब्राहिम
- गोस्वामी विट्ठलनाथ से इन्होंने दीक्षा प्राप्त की।
- तुलसीदास के समकालीन थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दानलीला
- अष्टयाम आदि।
- रसखान के काव्य में श्रृंगार रस की प्रधानता मिलती है।
- इन्हें 'पीयूषवर्षी' अथवा 'अमृत की वर्षा करने वाला कवि' कहा जाता है।
- भारतेंदु-
- "इस मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिंदु वारिए"
Important Pointsजायसी-
- जन्म-1446-1542 ई.
- पूरा नाम-मलिक मोहम्मद जायसी
- गुरु-सूफी फकीर शेख मोहिदी
- रचनाएँ-
- अखरावट
- आखिरी कलाम
- कहरनामा
- कान्हावत
- चित्ररेखा आदि।
सूरदास-
- जन्म- 1478-1583 ई.
- भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुखक कवि है।
- रचनाएँ-
- सूरसागर
- सुरसरावली(1548 ई.)
- साहित्य लहरी(1550 ई.) आदि।
नंददास-
- जन्म- 1572 ई.
- नन्ददास ब्रजभाषा के एक सन्त कवि थे। वे वल्लभ संप्रदाय के आठ कवियों में से एक प्रमुख कवि थे।
- ये गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- रास पंचाध्यायी
- सिद्धान्त पंचाध्यायी
- अनेकार्थ मंजरी
- मान मंजरी आदि।
Additional Informationआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
Last updated on Jul 7, 2025
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