जब किसी संविदा के लिए सहमति प्रपीड़न के कारण होती है, तो संविदा होता है:

  1. शून्यकरणीय
  2. वैध
  3. शून्य
  4. गैरकानूनी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : शून्यकरणीय

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सही उत्तर शून्यकरणीय है।

Key Points भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 15 के अंतर्गत "प्रपीड़न" से भारतीय दंड संहिता द्वारा निषिद्ध कोई कार्य करना या करने की धमकी देना, या किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने के लिए किसी संपत्ति को अवैध रूप से रोकना या रोकने की धमकी देना है, जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को किसी करारे में प्रवेश कराना हो।

भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 19 स्वतंत्र सहमति के बिना किये गये करारों की शून्यता से संबंधित है।

यह कहता है की:
जब किसी करारे के लिए सहमति प्रपीड़न, कपट या गलत बयानी के कारण प्राप्त होती है, तो वह करार एक संविदा होता है, जिसे उस पक्षकार के विकल्प पर रद्द किया जा सकता है जिसकी सहमति से ऐसा किया गया था।
संविदा का कोई पक्षकार, जिसकी सहमति कपट या मिथ्याव्यवहार के कारण हुई हो, यदि वह ठीक समझे तो इस बात पर बल दे सकता है कि संविदा का पालन किया जाए, तथा उसे उस स्थिति में रखा जाए जिसमें वह होता यदि किए गए अभ्यावेदन सही होते हैं।
अपवाद — यदि ऐसी सहमति मिथ्याव्यय या मौन द्वारा, जो धारा 17 के अर्थ में कपटपूर्ण है, दी गई हो, तो भी संविदा शून्यकरणीय नहीं है, यदि जिस पक्षकार की सहमति इस प्रकार दी गई थी, उसके पास सामान्य परिश्रम से सत्य का पता लगाने के साधन थे।
स्पष्टीकरण — कोई कपट या दुर्व्यपदेशन, जिसके कारण उस पक्षकार की, जिसके साथ ऐसा कपट किया गया था या जिसके साथ ऐसा दुर्व्यपदेशन किया गया था, सहमति नहीं हुई, किसी संविदा को शून्यकरणीय नहीं बनाता है।

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