भारत में श्रम संहिताओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

कथन I: चार श्रम संहिताओं को संसद द्वारा श्रम कानूनों को सरल बनाने, सामाजिक सुरक्षा लाभों का विस्तार करने और संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए कार्यस्थल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिनियमित किया गया था।

कथन II: श्रम को संविधान की अनुसूची VII के अंतर्गत संघ सूची में सूचीबद्ध किया गया है, जिससे संसद को श्रम से संबंधित मामलों पर कानून बनाने का विशेष अधिकार प्राप्त है।

निम्नलिखित में से कौन सा सही है?

  1. कथन I और कथन II दोनों सही हैं, तथा कथन II, कथन I का सही स्पष्टीकरण है।
  2. कथन I और कथन II दोनों सही हैं, लेकिन कथन II कथन I का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
  3. कथन I सही है, लेकिन कथन II गलत है।
  4. कथन I ग़लत है, लेकिन कथन II सही है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : कथन I सही है, लेकिन कथन II गलत है।

Detailed Solution

Download Solution PDF

सही उत्तर विकल्प 3 है।

In News 

  • केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (CTU) और स्वतंत्र क्षेत्रीय महासंघों द्वारा आयोजित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय सम्मेलन है। यह श्रम संहिताओं के विरुद्ध औद्योगिक हड़ताल पर चर्चा करने के लिए तैयार है। CTU का तर्क है कि केंद्र ने लोकतांत्रिक चर्चा के बिना संहिताओं के लिए नियम बनाए और भारतीय श्रम सम्मेलन को दरकिनार कर दिया, जिसका आयोजन 2015 से नहीं हुआ है।

Key Points 

  • चार श्रम संहिताएँ - वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता - का उद्देश्य भारत के श्रम कानूनों में सुधार और समेकन करना, श्रमिक कल्याण, सामाजिक सुरक्षा और औद्योगिक सद्भाव सुनिश्चित करना है। इसलिए, कथन I सही है।
  • श्रम को संविधान की अनुसूची VII के तहत समवर्ती सूची (प्रविष्टि 22) में सम्मिलित किया गया है। यह केंद्र और राज्यों दोनों को श्रम मामलों पर कानून बनाने की अनुमति देता है। यह संघ सूची का भाग नहीं है। इसका अर्थ है कि संसद के पास इस डोमेन में विशेष शक्तियाँ नहीं हैं। इसलिए, कथन II गलत है।

Additional Information 

  • श्रम संहिताएं और कार्यान्वयन:
    • श्रम संहिताएं 2020 में पारित की गईं, लेकिन राज्य स्तरीय नियमों को अंतिम रूप न दिए जाने के कारण कार्यान्वयन में देरी हुई।
    • कई राज्यों ने अभी तक संहिताओं के अंतर्गत नियमों को अधिसूचित नहीं किया है, जिसके कारण इनके प्रवर्तन में अनिश्चितता बनी हुई है।
  • ट्रेड यूनियनों द्वारा उठाई गई चिंताएं:
    • केंद्र सरकार द्वारा त्रिपक्षीय चर्चा किए बिना श्रम संहिताओं के लिए एकतरफा नियम तैयार करने से विरोध भड़क उठा है।
    • CTU भारतीय श्रम सम्मेलन में चर्चा की मांग कर रहे हैं, जिसका आयोजन 2015 से नहीं किया गया है।
    • कोविड-19 संकट के दौरान जब संहिताएं प्रस्तुत की गईं तो संसदीय चर्चा की अनुपस्थिति की आलोचना की गई है।

More Polity Questions

Get Free Access Now
Hot Links: all teen patti master teen patti rummy teen patti casino teen patti dhani teen patti master new version