भाषा की पाठ्यपुस्तकों में पहेलियों और वर्ग पहेलियों को शामिल करना -

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CTET Paper 1 - 16th Dec 2021 (Eng/Hin/Sans/Ben/Mar/Tel)
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  1. विद्यार्थियों में समालोचनात्मक चिंतन योग्यता का विकास करता है। 
  2. विद्यार्थियों में प्रवाहपूर्ण संप्रेषण की योग्यता विकसित करता है। 
  3. उन्हें कुछ आनंददायक घटकों के साथ पाठ्यपुस्तक को समझने में सहायता करता है। 
  4. कक्षा-कक्ष का परिवेश जीवंत एवं मित्रवत बनाता है। 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विद्यार्थियों में समालोचनात्मक चिंतन योग्यता का विकास करता है। 
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
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10 Questions 10 Marks 8 Mins

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अभ्यास किसी भी पाठ्यपुस्तक का एक महत्वपूर्ण अंग होता है। अभ्यास पाठ्य-सामग्री की प्रकृति के अनुरूप, शैक्षणिक उद्देश्यों की पूर्ति करने वाले, शिक्षार्थी के मानसिक विकास के अनुसार सीखे गये ज्ञान-विज्ञान एवं भाषिक कार्य की पुष्टि करने वाले होने चाहिए।

  • संसार में जितने भी कार्य होते है वे सभी अपने आप में एक समस्या के रूप में होते है और किसी भी समस्या का समाधान प्राप्त करने के लिए उस समस्या पर सोचना पड़ता है तथा सोचना, समझना, विचारना, अपने आप में चिन्तन कहलाता है।
  • समालोचनात्मक चिन्तन एक ऐसी क्षमता है जिससे वस्तुनिष्ठ तरीके से सूचना और अनुभव का विश्लेषण किया जा सकता है।
Key Points
समालोचनात्मक चिन्तन के विकास के उपाय-
  • ज्ञानिक तरीके से नए-नए प्रत्ययों की ओर आकर्षित किया जाना चाहिए। बालकों के ज्ञान का विस्तार करना चाहिए क्योंकि ज्ञान, चिन्तन का मुख्य स्तम्भ है। बालकों को किसी विषय पर उनके विचार व्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
  • शिक्षकों द्वारा बालकों को किसी विषय या पाठ को समझकर तथा सूझ के आधार पर सीखने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, इसके लिए भाषा की पाठ्यपुस्तकों में पहेलियों और वर्ग पहेलियों को शामिल करना चाहिए । इससे बालक यथार्थवादी चिन्तन की ओर अग्रसर होता है।
  • कक्षा में बालकों को शिक्षक द्वारा नए-नए तथ्यों की जानकारी दी जानी चाहिए जो उनके चिन्तन को उत्तेजित करें। शिक्षक द्वारा बालकों को जिज्ञासु बनाना चाहिए। बालकों को बाल्यावस्था से ही चिन्तन हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए।
  • बालकों के चिन्तन की वास्तविकता पर आधारित बनाने के लिए शिक्षकों द्वारा उन्हें वैज्ञानिक तरीके से नए-नए प्रत्ययों की ओर आकर्षित किया जाना चाहिए।​ बालकों के ज्ञान का विस्तार करना चाहिए क्योंकि ज्ञान, चिन्तन का मुख्य स्तम्भ है।
चुँकि समालोचनात्मक चिंतन का संबंध सूझ को आधार बनाकर सीखने से होता है। अतः भाषा की पाठ्यपुस्तकों में पहेलियों और वर्ग पहेलियों को शामिल करना विद्यार्थियों में समालोचनात्मक चिंतन योग्यता का विकास करता हैI

Additional Information 

प्राथमिक स्तर पर विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु निम्न प्रकार की गतिविधियों का समावेशन किया गया है- 

  • शिक्षण को परिवेश से जोड़ने के लिए संस्कृति, परिवेश, पर्यावरण व जीवन शैली को भी स्थान दिया गया है।
  • विषय वस्तु की विविधता के साथ विविध गतिविधियों के माध्यम से अभ्यास कार्य करवाकर बच्चे में लिखित अभिव्यक्ति तार्किक क्षमता, चिंतन का विकास करने हेतु भी अवसर दिया गया है
  • सीखे हुए का मूल्यांकन करने का भी अवसर दिया गया है।
  • पुस्तक में बच्चों की सृजनशीलता का विकास, विश्लेषण की क्षमता बढ़ाने हेतु पेंसिल घुमाकर चित्र बनाओ, रंग भरो आदि गतिविधियों को समाहित किया गया है।
  • भाषा-शिक्षण की परिचित परिधि से बाहर जाकर प्रकृति, समाज, विज्ञान, इतिहास आदि में बच्चे की जिज्ञासा को नए आयाम देने के लिए विभिन्न प्रकार के चिंतनशील प्रश्नों का संकलन किया गया है।
  • बच्चों की भाषिक क्षमता को आसपास के परिवेश में ही विकसित करने हेतु उसके स्वयं द्वारा कुछ करने, लिखने-पढ़ने एवं देखने-सुनने के साथ अन्य गतिविधियों के संवर्धन हेतु 'पाठ से आगे' तथा 'अनुमान और कल्पना' के तहत कुछ नए तरह के प्रश्न-अभ्यासों का निर्माण किया गया है जैसे- पहेलियाँ और वर्ग पहेलियाँ
  • इस प्रकार के अभ्यास समालोचनात्मक चिंतन योग्यता का विकास करने में भी मदद करते हैं।
  • कक्षा-कक्ष का परिवेश जीवंत एवं मित्रवत बनाने क् लिए विभिन्न प्रकार की सामूहिक गतिविधियाँ करायी जाती हैं।
  • विद्यार्थियों में प्रवाहपूर्ण संप्रेषण की योग्यता विकसित करते के लिए वाद-विवाद जैसी गतिविधि करायी जाती हैं।
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