कवि और रचना MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for कवि और रचना - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Mar 22, 2025
Latest कवि और रचना MCQ Objective Questions
Top कवि और रचना MCQ Objective Questions
कवि और रचना Question 1:
''कलिकौतुक' के रचयिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 1 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 2 है।
- प्रताप नारायण मिश्र
- कलि कौतुक - 1886 (प्रहसन)
- प्रताप नारायण मिश्र - भारतेंदु मंडल के कवि, लेखक और पत्रकार
- आचार्य शुक्ल ने हिंदी का एडीसन कहा।
- महत्त्वपूर्ण रचनाएँ
- नाटक: गो संकट, कलिकौतुक, कलिप्रभाव, हठी हम्मीर।
- निबंध संग्रह -, प्रताप पीयूष, प्रताप समीक्षा
- अनूदित गद्य कृतियाँ: राजसिंह, अमरसिंह, इन्दिरा, राधारानी, चरिताष्टक, पंचामृत, नीतिरत्नमाला,
- कविता : प्रेम पुष्पावली, मन की लहर,
- हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान का नारा दिया।
कवि और रचना Question 2:
''कलिकौतुक' के रचयिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 2 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 2 है।
- प्रताप नारायण मिश्र
- कलि कौतुक - 1886 (प्रहसन)
- प्रताप नारायण मिश्र - भारतेंदु मंडल के कवि, लेखक और पत्रकार
- आचार्य शुक्ल ने हिंदी का एडीसन कहा।
- महत्त्वपूर्ण रचनाएँ
- नाटक: गो संकट, कलिकौतुक, कलिप्रभाव, हठी हम्मीर।
- निबंध संग्रह -, प्रताप पीयूष, प्रताप समीक्षा
- अनूदित गद्य कृतियाँ: राजसिंह, अमरसिंह, इन्दिरा, राधारानी, चरिताष्टक, पंचामृत, नीतिरत्नमाला,
- कविता : प्रेम पुष्पावली, मन की लहर,
- हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान का नारा दिया।
कवि और रचना Question 3:
भारतेन्दु कृत 'प्रेम सरोवर' क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 3 Detailed Solution
भारतेन्दु कृत 'प्रेम सरोवर' : कविता अथवा काव्य संग्रह है।
Key Points
- काव्य रचनाएँ हैं:
- भक्तसर्वस्व, प्रेममालिका (१८७१)
- प्रेम माधुरी (१८७५)
- प्रेम-तरंग (१८७७), उत्तरार्द्ध भक्तमाल (१८७६-७७)
- प्रेम-प्रलाप (१८७७)
- मधुमुकुल (१८८१), राग-संग्रह (१८८०), वर्षा-विनोद (१८८०)
- विनय प्रेम पचासा (१८८१), फूलों का गुच्छा (१८८२), प्रेम-फुलवारी (१८८३)
- प्रेमाश्रु-वर्षण, कृष्णचरित्र (१८८३), दानलीला, तन्मय लीला
- नये ज़माने की मुकरी, सुमनांजलि, बन्दर सभा (हास्य व्यंग) और बकरी विलाप (हास्य व्यंग)।
Additional Information
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र रचित नाटक
- मौलिक व अनुदित नाट्य रचनाएं –
- १. रत्नावली (1868), संस्कृत से अनुवाद
- २. विद्या सुन्दर (1868), बंगला से छायानुवाद
- ३. पाखंड विडम्बन (1872) कृष्ण मिश्र रचित प्रबोध चन्द्रोदय के तृतीय अंक का अनुवाद
- ४. धनंजय विजय (1873), कांचन कवि के संस्कृत नाटक का अनुवाद।
- ५. वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (1873),
- ६. प्रेमयोगिनी (1875),
- ७. सत्यहरिश्चन्द्र (1875),
- ८. कर्पूर मंजरी (1875), प्राकृत में राजशेखर रचित सट्टक का अनुवाद
- ९. विषस्य विषमौषधम् (1876),
- १०. चन्द्रावली (1876),
- ११. मुद्रा राक्षस (1878), संस्कृत के विख्यात नाटककार विशाखदत्त के मुद्राराक्षस का अनुवाद
- १२. दुर्लभ बन्धु (1880) शेक्सपियर के नाटक ‘मर्चेण्ट आफ वेनिस’ का अनुवाद।
- १३. भारत दुर्दशा (1880),
- १४. अंधेर नगरी (1881)
- १५. नील देवी (1881), गीति रूपक
- १६. भारत जननी (1877)
कवि और रचना Question 4:
बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन उर्दू में किस नाम से कविता लिखते थे ?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 4 Detailed Solution
बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन उर्दू में 'अब्र' नाम से कविता लिखते थे।
बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन-
- जन्म-1855-1922 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि हैं।
- रचनाएँ-
- जीर्ण जनपद
- आनंद अरुणोदय
- मयंक महिमा
- वर्षा बिन्दु
- लालित्य लहरी आदि।
- इनकी समस्त कविताओं का संकलन 'प्रेमघन-सर्वस्व' शीर्षक से किया गया है।
Key Points
- रसा-
- रसा उपनाम से भारतेन्दु हरिश्चंद्र कविताएँ लिखते थे।
- नियाज-
- यह उपनाम सदासुखलाल 'नियाज' का है।
Important Pointsभारतेन्दु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885 ई.
- रचनाएँ-
- भक्ति सर्वस्व(1870 ई.)
- प्रेम मालिका(1871 ई.)
- प्रेम माधुरी(1875 ई.)
- प्रेम तरंग(1877 ई.)
- प्रेम प्रलाप(1877 ई.)
- मधु मुकुल(1881 ई.) आदि।
मुंशी सदासुखलाल 'नियाज'-
- जन्म - 1756-1828 ई.
- रचनाएँ-
- सुख सागर
- मुंतखबुत्तवारीख आदि।
कवि और रचना Question 5:
इनमें से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 5 Detailed Solution
सही सुमेलित युग्म नहीं हैं-कानन कुसुम - कामता प्रसाद गुरु
कानन कुसुम-
- रचनाकार-जयशंकर प्रसाद
- विधा-काव्य
- प्रकाशन वर्ष-1913 ई.
- यह प्रसाद का खड़ी बोली में पहला काव्य संग्रह है।
Key Pointsकामता प्रसाद गुरु-
- जन्म-1875-1947 ई.
- द्विवेदी युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- भौमासुर वध
- विनय पचासा
- पद्य पुष्पावली आदि।
Additional Information अन्य रचनाएँ-
रचना | रचनाकार | विधा | प्रकाशन वर्ष |
मिलन | रामनरेश त्रिपाठी | काव्य | 1917 ई. |
वसंत वियोग | राय देवीप्रसाद पूर्ण | काव्य | 1912 ई. |
उद्धव शतक | जगन्नाथदास रत्नाकर | काव्य | 1929 ई. |
Important Pointsजयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- प्रमुख छायावादी कवि है।
- रचनाएँ-
- उर्वशी(1909 ई.)
- वन मिलन(!909 ई.)
- प्रेमपथिक(1913 ई.)
- चित्राधर(1918 ई.)
- झरना(1918 ई.)
- आँसू(1925 ई.) आदि।
रामनरेश त्रिपाठी-
- जन्म-1889-1962 ई.
- द्विवेदीयुगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- पथिक(1920 ई.)
- मानसी(1927 ई.)
- स्वप्न(1929 ई.) आदि।
राय देवीप्रसाद पूर्ण-
- जन्म-1873-1920 ई.
- द्विवेदीयुगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- स्वदेशी कुंडल(1910 ई.)
- मृत्युंजय(1904 ई.)
- अमलतास
- धाराधरधावन आदि।
जगन्नाथदास रत्नाकर-
- जन्म-1866-1932 ई.
- द्विवेदीयुगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- हिंडोला(1894 ई.)
- हरिश्चंद्र
- शृंगार मंजरी
- गंगावतरण(1927 ई.) आदि।
कवि और रचना Question 6:
निम्न में कौन सा सही सुमेलित नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 6 Detailed Solution
सही सुमेलित नहीं है-वैशाख माहात्म्य -भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
वैशाख माहात्म्य-
- रचनाकार-बालकृष्ण भारद्वाज
Key Pointsभारतेन्दु हरिश्चन्द्र-
- जन्म-1850-1885 ई.
- रचनाएँ-
- भक्ति सर्वस्व
- प्रेम मालिका
- प्रेम माधुरी
- प्रेम तरंग
- प्रेम प्रलाप
- मधु मुकुल
- विनय प्रेम पचासा
- फूलों का गुच्छा आदि।
Important Pointsनवभक्तमाल-
- रचनाकार-राधाचरण गोस्वामी
- विधा-काव्य
सूर्यस्तोत्र-
- रचनाकार-बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन
- विधा-काव्य
कंस वध-
- रचनाकार-अम्बिकादत्त व्यास
- यह अपूर्ण रचना है।
- यह खड़ी बोली में लिखित प्रबंध काव्य है।
Additional Informationबदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन-
- जन्म-1855-1922 ई.
- रचनाएँ-
- जीर्ण जनपद
- आनंद अरुणोदय
- मयंक महिमा
- वर्षा बिन्दु आदि।
अम्बिकादत्त व्यास-
- जन्म-1858-1900 ई.
- रचनाएँ-
- पावस पचासा(1886 ई.)
- सुकबी सतसई(1887 ई.)
- हो हो होरी(1891 ई.)
- बिहारी बिहार(1898 ई.) आदि।
राधाचरण गोस्वामी-
- जन्म-1859-1925 ई.
- रचना-नवभक्तमाल
कवि और रचना Question 7:
निम्न रचनाओं में से कौन सी भारतेन्दु हरिशचन्द्र की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 7 Detailed Solution
भारतेन्दु हरिशचन्द्र की रचना नहीं है- प्रेम पचीसी
प्रेम पचीसी-
- रचनाकार-गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- विधा-काव्य
Key Pointsगयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
- जन्म-1883-1972 ई.
- द्विवेदी युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- कुसुमांजलि
- कृषक क्रंदन
- राष्ट्रीय वीणा
- त्रिशूल तरंग आदि।
Important Pointsभारतेन्दु हरिश्चंद्र-
- जन्म-1850-1885 ई.
- उर्दू में 'रसा' उपनाम से लिखते थे।
- रचनाएँ-
- भक्ति सर्वस्व(1870 ई.)
- प्रेम मालिका(1871 ई.)
- प्रेम माधुरी(1875 ई.)
- प्रेम तरंग(1877 ई.)
- प्रेम प्रलाप(1877 ई.)
- मधु मुकुल(1881 ई.)
- विनय प्रेम पचासा(1881 ई.)
- फूलों का गुच्छा(1882 ई.) आदि।
कवि और रचना Question 8:
प्रकाशन वर्ष के अनुसार निम्नलिखित रचनाओं का सही अनुक्रम है :
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 8 Detailed Solution
प्रेममाधुरी, श्रांतपथिक, प्रियप्रवास, मिलन क्रम सही है।
प्रेम माधुरी
लेखक :- भारतेंदु हरिश्चंद्र
इसमें उद्धव व गोपियों का संवाद है।
उदाहरण
- कूजत कहुँ कलहंस कहूँ मज्जत पारावत।।
- कहुँ कारण्डव उड़त कहूँ जल कुक्कुट धावत।।
- चक्रवाक कहुँ बसत कहूँ बक ध्यान लगावत
- सुक पिक जल कहुँ पियत कहूँ भ्रमरावलि गावत।।
- एकहुँ तट पर नाचत मोर बहु रोर बिबिध पच्छी करता।
- जल पान नहान करि सुख भरे, तट सोभा सब जिय धरत।।
कला पक्ष
- भाषा : ब्रज शैली
- मुक्तक छन्द छप्पय
- अलंकार :- अनुप्रास
- गुण :- प्रसाद
- शब्द शक्ति :- अभिधा
श्रांत पथिक
- यह ट्रेवलर - (गोल्ड स्मिथ) का हिंदी अनुवाद है।
- इसमें प्रयुक्त छंद रोला है।
प्रियप्रवास
- अयोध्यासिंह "हरिऔध" की हिन्दी काव्य रचना है।
यह खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है।
- प्रथम सर्ग इसमें संध्या वर्णन है।
- द्वितीय सर्ग इसमें गोकुलवासियों का कृष्ण से विरह होने पर उनका व्यथित होना है।
- तृतीय सर्ग इसमें नन्द की व्याकुलता एवं यशोदा को कृष्ण की कुशलता के लिए की गई मनौतियाँ हैं।
- चतुर्थ सर्ग इसमें राधा के सौन्दर्य का चित्रण है।
दीपशिखा
- दीपशिखा महादेवी वर्मा का पाँचवाँ कविता-संग्रह है।
- इस संग्रह के गीतों का मुख्य प्रतिपाद्य स्वयं मिटकर दूसरे को सुखी बनाना है।
- जो स्थान महाकाव्यों में प्रसादजी की 'कामायनी' एवम् प्रबंधात्मक कविताओं में निरालाजी की 'राम की शक्ति पूजा' को प्राप्त है, वही स्थान आधुनिक गीतिकाव्य में 'दीपशिखा' को प्राप्त है।
दीपशिखा की प्रमुख कविताएँ-
- दीप मेरे जल अकम्पित
- पंथ होने दो अपरिचित
- ओ चिर नीरव
- प्राण हँस कर ले चला जब
- सब बुझे दीपक जला लूँ
- हुए शूल अक्षत
- आज तार मिला चुकी हूँ
- कहाँ से आये बादल काले
कवि और रचना Question 9:
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने काव्य धारा को किस और मोड़ा?
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 9 Detailed Solution
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने काव्य धारा को 'स्वदेश प्रेम की ओर मोडा' है।
Key Pointsभारतेंदु (1850-1885) के काव्य की प्रमुख विशेषताः-
- समाज सुधार की भावना
- राष्ट्र प्रेम आदि नवीन विषयों को भी अपनाया है।
- श्रृंगार-रस प्रधान
- भक्ति-रस प्रधान
- समाजिक समस्या प्रधान
- राष्ट्र प्रेम प्रधान आदि।
भारतेंदु की प्रमुख रचनाएँः-
- भक्ति सर्वस्व (1870)
- प्रेम मालिका (1871)
- प्रेम प्रलाप( 1877)
- फूलों का गुच्छा ((1882)
- कृष्णचरित्र (1883)
- प्रेम-फुलवारी (1883)
- विजयिनी विजय वैजयंती
- नीलदेवी (1881)
- विनय प्रेम पचास (1881)
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति(1873)
- सत्य हरिश्चंद(1876)
Additional Information
- निर्णुन भक्ति की ओर भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा तथा प्रेमाश्रयी शाखा के कवि हैं।
- शृंगार प्रियता की ओर रीतिकाल के कवि हैं।
- रीति ग्रंथो की ओर रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि हैं।
कवि और रचना Question 10:
इनमें से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
कवि और रचना Question 10 Detailed Solution
सुमेलित युग्म नहीं हैं-प्रेम पुष्पावली - राधाकृष्ण दास
प्रेम पुष्पावली-
- रचनाकार-प्रतापनारायण मिश्र
- विधा-काव्य
Key Pointsराधाकृष्ण दास-
- जन्म-1865-1907 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- भारत बारहमासा
- देश दशा आदि।
Important Pointsअंबिकादत्त व्यास-
- जन्म-1858-1900 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- पावस पचासा(1886 ई.)
- हो हो होरी(1891 ई.)
- बिहारी बिहार(1898 ई.) आदि।
ठाकुर जगमोहन सिंह-
- जन्म-1857-1899 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- प्रेमसंपत्तिलता(1885 ई.)
- श्यामलता(1885 ई.)
- श्यामा सरोजिनी(1886 ई.)
- ऋतु संहार(1876 ई.) आदि।
प्रताप नारायण मिश्र-
- जन्म-1856-1894 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- मन की लहर
- लोकोक्ति शतक
- शृंगार विलास
- हरगंगा आदि।