काव्य परिभाषा MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for काव्य परिभाषा - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 27, 2025

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Latest काव्य परिभाषा MCQ Objective Questions

Top काव्य परिभाषा MCQ Objective Questions

काव्य परिभाषा Question 1:

वक्रोक्तिवाद के प्रतिपादक आचार्य हैं

  1. कुंतक
  2. मम्मट
  3. हेमचंद्र
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : कुंतक

काव्य परिभाषा Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है - कुंतक। 

Key Pointsकुंतक-

  • अलंकारशास्त्र के एक मौलिक विचारक विद्वान थे।
  • ये अभिधावादी आचार्य थे।
  • उनकी एकमात्र रचना वक्रोक्तिजीवित है जो अधूरी ही उपलब्ध हैं।
  • वक्रोक्ति को वे काव्य का 'जीवित' (जीवन, प्राण) मानते हैं। 
  • वक्रोक्तिरेव वैदग्ध्यभंगीभणितिरुच्यते।

 

Additional Information 

सिद्धांत

आचार्य

वक्रोक्ति सिद्धांत

कुंतक

रीति सिद्धांत

वामन

औचित्य सिद्धांत

क्षेमेंद्र

ध्वनि सिद्धांत

आनंदवर्धन

काव्य परिभाषा Question 2:

दण्डी के काव्यशास्त्रीय ग्रंथ का नाम है:

  1. प्रतिदर्श 
  2. काव्यशास्त्र
  3. काव्यादर्श 
  4. भाषादर्श

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : काव्यादर्श 

काव्य परिभाषा Question 2 Detailed Solution

दण्डी के काव्यशास्त्रीय ग्रंथ का नाम काव्यादर्श है।अतः सही उत्तर काव्यादर्श होगा ।

Additional Information

प्रतिदर्श 

सम्पूर्ण से लिया गया छोटा अंश जिसमें सम्पूर्ण के गुण व लक्षण विद्यमान होते हैं। 

काव्यशास्त्र

'काव्यशास्त्र' काव्य और साहित्य का दर्शन तथा विज्ञान है। यह काव्यकृतियों के विश्लेषण के आधार पर समय-समय पर उद्भावित सिद्धान्तों की ज्ञानराशि है।

भाषादर्श

भाषादर्शन का सम्बन्ध इन चार केन्द्रीय समस्याओं से है- अर्थ की प्रकृति, भाषा प्रयोग, भाषा संज्ञान, तथा भाषा और वास्तविकता के बीच सम्बन्ध।

काव्य परिभाषा Question 3:

'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति किसकी रचना है?

  1. आचार्य वामन
  2. आचार्य दंडी
  3. आचार्य भामह
  4. आचार्य अभिनव गुप्त
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आचार्य वामन

काव्य परिभाषा Question 3 Detailed Solution

'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति रचना है- आचार्य वामन

Key Points

  • 'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति' महान संस्कृत आचार्य वामन द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
  • वामन 8वीं शताब्दी के संस्कृत काव्यशास्त्र के प्रतिष्ठित विद्वान थे।
  • 'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति' में वामन ने काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन किया है,
  • और यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • इसमें काव्य के गुण-दोषों, अलंकारों और रसों के सिद्धांतों की चर्चा की गई है।
  • वामन का यह ग्रंथ संस्कृत काव्य में अलंकार विद्यालय का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।

Additional Informationआचार्य दंडी-

  • यह (7वीं-8वीं शताब्दी) भारतीय काव्यशास्त्र और अलंकारशास्त्र के प्रमुख विद्वान रहे हैं।
  • उन्होंने अपनी रचना 'काव्यादर्श' में काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है।
  • 'काव्यादर्श' एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो संस्कृत काव्यशास्त्र के अध्ययन में आवश्यक माना जाता है।
  • जिसने भारतीय साहित्यिक परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 
  • इसमें काव्य की संरचना, गुण, दोष, और अलंकारों के सिद्धांतों का विस्तृत और वैज्ञानिक रूप से विश्लेषण किया गया है।

आचार्य भामह-

  • यह (7वीं-8वीं शताब्दी) संस्कृत काव्यशास्त्र के एक प्रमुख विद्वान थे।
  • उन्होंने अपने महत्वपूर्ण ग्रंथ 'काव्यालंकार' में काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
  • भामह का 'काव्यालंकार' काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है,
  • जो काव्य के विभिन्न घटकों, गुणों, दोषों और अलंकारों को समझने और परिभाषित करने में महत्वपूर्ण योगदान करता है।
  • उन्होंने काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा की।

आचार्य अभिनव गुप्त-

  • आचार्य अभिनवगुप्त (10वीं शताब्दी) कश्मीर शैवदर्शन के प्रमुख आचार्य और भारतीय सौंदर्यशास्त्र के विद्वान थे।
  • उन्होंने काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों पर व्यापक रूप से चर्चा की है,
  • जिसका मुख्य स्रोत उनका ग्रंथ 'अभिनवभारती' है, जो भरतमुनि के 'नाट्यशास्त्र' की टिप्पणी है। 
  • अभिनवगुप्त की दृष्टि में काव्य की वास्तविक प्रतिष्ठा और इसके रसपूर्ण अनुभव का महत्व सर्वोपरि है।
  • उन्होंने भाषा, भाव और रस के संयोजन पर बल दिया, जिससे काव्यशास्त्र में एक नई गहराई आई।
  • उनके विचार भारतीय काव्य और नाट्यशास्त्र के अध्ययन में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

काव्य परिभाषा Question 4:

'प्रतिभैव च कवीनां काव्यकारणकारणम्' मान्यता है :

  1. भामह 
  2. वामन
  3. हेमचन्द्र
  4. मम्मट

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : हेमचन्द्र

काव्य परिभाषा Question 4 Detailed Solution

'प्रतिभैव च कवीनां काव्यकारणकारणम्' मान्यता है : हेमचन्द्र की। 

  • यह हेमचंद की काव्य सम्बन्धी मान्यता है। 

Key Points हेमचन्द्र -

  • राजा सिद्धराज जयसिंह के दरबारी कवि। 
  • हेमचंद ने शब्दानुशासन तथा अन्य व्याकरण ग्रंथो की रचना की। 
  • हेमचंद ने गुणों की संख्या 10 माना है। 

Additional Information 

भामह - 

  • भामह ने शब्द और अर्थ दोनों का काव्य होना माना। 
  • भामह ने काव्यलंकार ग्रन्थ की रचना की। 

वामन - 

  • वामन रीति संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य हैं। 
  • वामन ने काव्यालंकार सूत्र नमक ग्रन्थ की रचना की। 

मम्मट -

  • मम्मट ने काव्यप्रकाश नमक ध्वनि विरोधी ग्रन्थ की रचना की। 
  • मम्मट ने ध्वनि काव्य के दो भेद माने हैं। 

काव्य परिभाषा Question 5:

'रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् ।' - काव्यलक्षण से संबंधित उक्त कथन किस विद्वान का है ?

  1. पंडितराज जगन्नाथ
  2. आचार्य विश्वनाथ
  3. आचार्य मम्मट
  4. आचार्य वामन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : पंडितराज जगन्नाथ

काव्य परिभाषा Question 5 Detailed Solution

'रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम् ।' - काव्यलक्षण से संबंधित यह कथन पंडितराज जगन्नाथ का है। 

अर्थ-

  • रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाला शब्द काव्य है।

Key Pointsपंडितराज जगन्नाथ-

  • समय-17 वीं शती 
  • ग्रंथ-रसगंगाधर
    •  संस्कृत काव्यशास्त्रीय ग्रंथ है।
    • काव्य के लक्षणों को बताया गया है।
    • तीन काव्य लक्षणों को प्रस्तुत किया है-
    1. सामान्य
    2. परिष्कृत
    3. फलित
  • रसगंगाधर का श्री पुरुषोत्तम चतुर्वेदी द्वारा हिंदी अनुवाद किया गया। 

Important Pointsआचार्य विश्वनाथ-

  • "वाक्यं रसात्मकं काव्यम्।"
    • अर्थात् रस से पूर्ण वाक्य ही काव्य है। 

आचार्य मम्मट-

  • "तद्दोषौ शब्दार्थों सगुणावनलंकृति पुनः क्वापि।"
    • अर्थात् काव्य वह शब्द और अर्थ जो दोष से रहित हो, गुण से रहित हो तथा कभी-कभी अलंकार से रहित भी हो सकता है।

आचार्य वामन-

  • "गुणालंकृतयों शब्दार्थर्यो काव्य शब्दो विद्यते।"
    • अर्थात् गुण और अलंकार से युक्त शब्दार्थ ही काव्य के नाम से जाना जाता है।

Additional Informationकाव्य लक्षण-

  • काव्य की परिभाषा ही काव्य लक्षण है। 

अन्य आचार्यों द्वारा दिए गए काव्य लक्षण हैं-

आचार्य  काव्य लक्षण 
दंडी  शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिना पदावली
भामह  शब्दार्थों सहितौ काव्यम्।
कुंतक  शब्दार्थों सहितौ वक्र कविव्यापारशालिनी।
बन्धे व्यवस्थितौ काव्यं तद्विदाह्लादकारिणी।।

काव्य परिभाषा Question 6:

निम्नलिखित ग्रंथों को कालानुक्रम में व्यवस्थित कीजिये : 

(A) काव्यादर्श 

(B) औचित्य विचारचर्चा

(C) काव्यालंकार सूत्रवृत्ति

(D) अभिनव भारती

नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन चुनिये -

  1. (A), (B),(C), (D)
  2. (A), (C), (D), (B)
  3. (C), (A), (B), (D)
  4. (D), (B), (A), (C)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : (A), (C), (D), (B)

काव्य परिभाषा Question 6 Detailed Solution

विकल्प 2 (A,C,D,B) सही है।

Key Points

काव्यादर्श (6ठी से 7वी शताब्दी) दंडी

काव्य अलंकार सूत्रवृत्ती (8वी - 9वी शताब्दी) :- वामन

अभिनव भारती (9वी- 10वी शताब्दी) :- अभिनव गुप्त

औचित्य-विचार-चर्चा (10वी शताब्दी) :- क्षेमेन्द्र

Additional Information

काव्यादर्श के प्रथम परिच्छेद में काव्य के तीन भेद किए गए हैं– (१) गद्य, (२) पद्य तथा (३) मिश्र।।

गद्य पुन: 'आख्यायिका' और 'कथा' शीर्षक दो उपभेदों में विभाजित है।

औचित्य-विचार-चर्चा में क्षेमेन्द्र ने औचित्य को काव्य का मूलभूत तत्त्व माना है तथा उसकी प्रकृष्ट व्यापकता काव्य प्रत्येक अंग में दिखलाई है।

अभिनवभारती, भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की टीका है। वस्तुत: नाट्यशास्त्र की यह एकमात्र पुरानी टीका है।   

Important Points

क्षेमेन्द्र

  • बोधिसत्त्वावदानकल्पलता में बुद्ध के पूर्व जन्मों से संबद्ध पारमितासूची आख्यानों का पद्यबद्ध वर्णन है।
  • दशावतारचरित इनका उदात्त महाकाव्य है जिसमें भगवान विष्णु से दसों अवतारों का बड़ा ही रमणीय तथा प्रांजल, सरस एवं मुंजुल काव्यात्मक वर्णन किया गया है। 
  • वात्स्यायनसूत्रसार नामक एक कामशास्त्र की भी इन्होने रचना की।

आचार्य वामन

  • (8वीं शताब्दी का उत्तरार्ध - 9वीं शताब्दी का पूर्वार्ध) प्रसिद्ध अलंकारशास्त्री थे।
  • उनके द्वारा प्रतिपादित काव्यलक्षण को रीति-सिद्धान्त कहते हैं।
  • वामन द्वारा रचित काव्यालङ्कारसूत्र, काव्यशास्त्र का दर्शन निर्माण का प्रथम प्रयास है। यह ग्रन्थ सूत्र रूप में है। वे रीति को काव्य की आत्मा कहते हैं।

काव्य परिभाषा Question 7:

साधारणीकरण के विषय में कौन-से कथन सही हैं?

(a) साधारणीकरण रसास्वाद  बाद की प्रक्रिया है।

(b) साधारणीकरण आलम्बनत्व धर्म का होता है।

(c) साधारणीकरण के लिए भोजकत्व व्यापार अनिवार्य है।

(d) साधारणीकरण के बिना भी रसानुभूति संभव है 

  1. (a) और (b) सही
  2. (a) और (c) सही
  3. (b) और (c) सही
  4. (c) और (d) सही

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (b) और (c) सही

काव्य परिभाषा Question 7 Detailed Solution

साधारणीकरण के विषय में-3) (b) और (c) कथन सही हैं। 

(b) साधारणीकरण आलम्बनत्व धर्म का होता है।  

(c) साधारणीकरण के लिए भोजकत्व व्यापार अनिवार्य है। 

Key Points

  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार-साधारणीकरण आलम्बनत्व धर्म का होता है। 
  • भट्ट नायक के अनुसार-साधारणीकरण के लिए भोजकत्व व्यापार अनिवार्य है। 

Important Points

  • रस-निष्पति के प्रसंग में 'साधारणीकरण' शब्द अपना विशेष महत्व रखता है।
  • साधारणीकृत का अर्थ है-किसी वस्तु विशेष को सार्वजनीन वस्तु बनाना।
  • रस सिद्धांत में साधारणीकरण के बिना रसानुभूति नहीं हो सकती   

काव्य परिभाषा Question 8:

इनमें से कौन 13 वीं शती में प्रमुख काव्यशास्त्री के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं?

  1. जगन्नाथ
  2. कुंतक
  3. मम्मट
  4. जयदेव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : जयदेव

काव्य परिभाषा Question 8 Detailed Solution

13 वीं शती में प्रमुख काव्यशास्त्री के रूप में प्रसिद्ध हुए हैं- जयदेव

Key Pointsजयदेव-

  • जन्म- 1200 ई.
  • जयदेव संस्कृत के महाकवि है।
  • इन्होने गीतगोविन्द और रतिमंजरी की रचना की।

Important Pointsमम्मट-

  • जन्म-11वीं शती
  • मम्मट संस्कृत काव्यशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में जाने जाते हैं।
  • वे अपने शास्त्रग्रंथ काव्यप्रकाश के कारण अधिक प्रसिद्ध हुए।

आचार्य कुंतक-

  • समय-10 वीं शती 
  • ग्रंथ-वक्रोक्तिजीवितम् 
  • वक्रोक्ति सिद्धांत के प्रतिपादक है। 
  • इनके अनुसार-
    • वक्रोक्ति ही काव्य की आत्मा है। 

पंडित राज जगन्नाथ-

  • "रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यं।"
  • आचार्य जगन्नाथ ने अपने ग्रंथ 'रसगंगाधर' में यह काव्य लखन दिया है। 
  • अर्थात् रमणीय शब्दों के प्रतिपादन से ही काव्य अच्छा होता है। 

काव्य परिभाषा Question 9:

रूद्रट की रचना का नाम क्या है ?

  1. काव्यालंकार 
  2. काव्यप्रकाश 
  3. काव्यादर्श 
  4. काव्यालंकार सूत्र 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : काव्यालंकार 

काव्य परिभाषा Question 9 Detailed Solution

रूद्रट की रचना का नाम काव्यालंकार है।

Key Pointsरूद्रट-(9वीं शती)

  • रुद्रट अलंकार संप्रदाय के प्रमुख आचार्य।
  • इन्होंने अलंकार शास्त्र के सिद्धांतों की विस्तृत एवं वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचना की है।
  • काव्यालंकार नामक ग्रन्थ के रचयिता संस्कृत साहित्य के एक प्रसिद्ध आचार्य जो 'रुद्रभ' और 'शतानंद' भी कहलाते थे।

Additional Information

रचना रचनाकार

काव्यप्रकाश

आचार्य मम्मट
काव्यादर्श दंडी
काव्यालंकार सूत्र वामन

काव्य परिभाषा Question 10:

नाटक को पंचम वेद किसने कहा?

  1. भरत मुनि
  2. मोहन राकेश
  3. जगदीशचंद्र माथुर
  4. वियोगी हरि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भरत मुनि

काव्य परिभाषा Question 10 Detailed Solution

  • नाटक को पंचम वेद भरत  मुनि ने माना है ।
  • नाटक , काव्य का एक महत्वपूर्ण रूप है ।
  • भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र नामक ग्रन्थ की रचना की ।

Key Points

  • भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र में नाटक को नाट्यवेद और पंचमवेद भी कहा है ।
  • भरतमुनि के समय में ही नाटक के मंचन तथा अन्य महत्वपूर्ण पक्षों का विकास हो चुका था ।

  

  • नाटक के सन्दर्भ में भरतमुनि का कहना है कि - " न ऐसा कोई ज्ञान है , न शिल्प है , न विद्या है , न ऐसी कोई कला है , न कोई योग है न कोई कार्य ही है जो इस नाट्य में प्रदर्शित न किया जाता हो ।"
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