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Last updated on Mar 29, 2025

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Latest छन्द MCQ Objective Questions

Top छन्द MCQ Objective Questions

छन्द Question 1:

यगण में कितने लघु और गुरु वर्ण होते हैं?

  1. एक लघु और दो गुरु SSS 
  2. एक लघु एक गुरु और एक लघु
  3. एक लघु दो गुरु
  4. दो गुरु और एक लघु

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : एक लघु दो गुरु

छन्द Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है - एक लघु और दो गुरु

Key Points

  • यगण में एक लघु वर्ण और दो गुरु वर्ण होते हैं। 
  • 'यगण' का सही सूत्र- '।ऽऽ' 
  • उदाहरण- 'हाना, नहाना'

Additional Information

गण-  केवल वर्णिक छंद में प्रयोग होते है।

गणों की संख्या 8 है- यगण (।ऽऽ), मगण (ऽऽऽ), तगण (ऽऽ।), रगण (ऽ।ऽ), जगण (।ऽ।), भगण (ऽ।।), नगण (।।।) और सगण (।।ऽ)।

तगण के लिए सूत्र-  ऽऽ।

  • उदाहरण- चालाक, आधार आदि।

रगण के लिए सूत्र-  ऽ।ऽ

  • उदाहरण- पालना, मारना आदि।

जगण के लिए सूत्र- ।ऽ।

  • उदाहरण- मरीन, समीर आदि।

छन्द Question 2:

'कमला' में कौन-सा गण-रूप है? 

  1. रगण
  2. सगण 
  3. जगण 
  4. मगण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सगण 

छन्द Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है - 'सगण।'

'कमला' में 'सगण' गण-रूप है।

Key Points

गण -

  • मात्राओं और वर्णों की संख्या और क्रम की सुविधा के लिये तीन वर्णों के समूह को एक गण मान लिया जाता है।
  • गणों को आसानी से याद करने के लिए सूत्र - यमाताराजभानसलगा

गणों की संख्या 8 है - 

  1. यगण (।ऽऽ) - कहानी
  2.  मगण (ऽऽऽ) - पांचाली
  3.  तगण (ऽऽ।) - वागीश 
  4.  रगण (ऽ।ऽ) - साधना 
  5.  जगण (।ऽ।) - हरीश 
  6. भगण (ऽ।।) -  गायक 
  7.  नगण (।।।) - नमक 
  8. सगण (।।ऽ) - कविता

छन्द Question 3:

बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। 
सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ।।
अमिय मूरिमय चूरन चारू। 
समन सकल भव रुज परिवारू ।।

उपरोक्त पंक्तियों में कौनसा छंद है?

  1. दोहा
  2. सोरठा
  3. चौपाई
  4. रोला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : चौपाई

छन्द Question 3 Detailed Solution

 Key Pointsचौपाई सम मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं हैं और अंत में दो गुरु वर्ण होते हैं तथा अंत में ज गण तथा त गण का आना अनिवार्य है।

Additional Information 

उदाहरण:-

  • रामु लखनु सिय सुनि मम नाऊँ ।

         उठि जनि अनत जाहिं तजि ठाऊँ॥

  • यह वर माँगउ कृपा निकेता,

         बसहुँ हृदयँ श्री अनुज समेता।

छन्द Question 4:

मुक्तछंद के सर्वाधिक समर्थक छायावादी कवि कौन हैं?

  1. जयशंकर प्रसाद
  2. निराला
  3. सुमित्रानंदन पंत
  4. महादेवी वर्मा
  5. उपर्युक्त में से कोई नही

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : निराला

छन्द Question 4 Detailed Solution

मुक्तछंद के सर्वाधिक समर्थक छायावादी कवि निराला हैं।

Key Pointsमुक्तछन्द कविता का वह रूप है जो किसी छन्दविशेष के अनुसार नहीं रची जाती न ही तुकान्त होती है। मुक्तछन्द की कविता सहज भाषण जैसी प्रतीत होती है। हिन्दी में मुक्तछन्द की परम्परा सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ने आरम्भ की।

निराला: 

  • निराला के व्यक्तित्व में मुक्त छंद ने अपनी सार्थकता उपलब्ध की, इसमें सन्देह नहीं।
  • उनकी 'जागरण' शीर्षक कविता में मुक्त छंद की व्याख्या मुक्त छंद में ही की गयी है- "अलंकार लेश-रहित, श्लेषहीन।
  • शून्य विशेषणों से- "नग्न नीलिमा-सी व्यक्त। भाषा सुरक्षित वह वेदों में आज भी।
  • सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं।

प्रमुख रचनाएँ हैं- 

  • परिमल, अर्चना, सांध्य काकली, अपरा, गीतिका, आराधना, दो शरण, रागविराग, गीत गुंज, अणिमा, कुकुरमुत्ता शामिल है।
  • उन्होंने अपने जीवन में काव्य, उपन्यास, निबंध, पुराण कथा, अनुवाद आदि की रचना की है।

Additional Information

छायावाद के चार स्तंभ हैं - महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, जयशंकर प्रसाद और सुमित्रानंदन पंत।

रचनाकार  परिचय  रचनाएँ
जयशंकर प्रसाद

हिंदी साहित्य में स्थान- युग प्रवर्तक साहित्यकार जयशंकर प्रसाद ने गद्य और काव्य दोनों ही विधाओं में रचना करके हिंदी साहित्य को अत्यंत समृद्ध किया है।'कामायनी' महाकाव्य उनकी कालजयी कृति है, जो आधुनिक काल की सर्वश्रेष्ठ रचना कही जा सकती है।

झरना, ऑसू, लहर, कामायनी, प्रेम पथिक (काव्य) स्कंदगुप्त चंद्रगुप्त, पुवस्वामिनी जन्मेजय का नागयज्ञ राज्यश्री, अजातशत्रु, विशाख, एक घूँट, कामना, करुणालय, कल्याणी परिणय, अग्निमित्र प्रायश्चित सज्जन (नाटक) छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी।
सुमित्रानंदन पंत छायावादी युग के ख्याति प्राप्त कवि सुमित्रानन्दन पन्त सात वर्ष की अल्पायु से ही कविताओं की रचना करने लगे थे । उनकी प्रथम रचना सन् 1916 ई ० में सामने आई । ' गिरजे का घण्टा ' नामक इस रचना के पश्चात् वे निरन्तर काव्य – साधना में तल्लीन रहे । ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि।
उनके जीवनकाल में उनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिनमें कविताएं, पद्य-नाटक और निबंध शामिल हैं।
महादेवी वर्मा महादेवी वर्मा (26 मार्च 1907 — 11 सितम्बर 1987) हिन्दी भाषा की कवयित्री थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, अग्निरेखा, दीपशिखा, सप्तपर्णा, संक्षेप।

छन्द Question 5:

छंद में प्रयुक्त अक्षर को क्या कहा जाता है?

  1. व्यंजन 
  2. चरण
  3. मात्रा
  4. वर्ण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मात्रा

छन्द Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर 'मात्राहै।

Key Points

  • छंद में प्रयुक्त अक्षर को मात्रा कहा जाता है।
  • किसी भी ध्वनि या वर्ण के उच्चारण काल को मात्रा कहते है।

अन्य विकल्प - 

शब्द

परिभाषा

व्यंजन 

जिन वर्णों को बोलने के लिए स्वर की सहायता लेनी पढ़ती है उन्हें व्यंजन कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कण्ठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है उन्हें ‘व्यंजन’ कहा जाता है।

चरण

छंद के प्रायः 4 भाग होते हैं। इनमें से प्रत्येक को 'चरण' कहते हैं। दूसरे शब्दों में छंद के चतुर्थांश (चतुर्थ भाग) को चरण कहते हैं। कुछ छंदों में चरण तो चार होते हैं लेकिन वे लिखे दो ही पंक्तियों में जाते हैं, जैसे- दोहा, सोरठा आदि।

वर्ण

लिखित चिन्हों को वर्ण कहा जाता है। उच्चारित ध्वनियो में स्वर और व्यंजन दोनों शामिल है।

Additional Information

छंद

अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रागणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना 'छन्द' कहलाती है।

छन्द Question 6:

'दोहा के प्रथम चरण में कितनी मात्राएं होती हैं?

  1. 11
  2. 12
  3. 13
  4. 14

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 13

छन्द Question 6 Detailed Solution

'दोहा के प्रथम चरण में १३ मात्राएं होती हैं | अत: सही उत्तर विकल्प 3 13 है. अन्य विकल्प अनुचित  उत्तर हैं. 

Key Points

  • रोला छंद - दोहा अर्द्धमात्रिक छंद  है। यह दो पंक्ति का होता है इसमें चार चरण माने जाते हैं | इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) टालते है, लेकिन इस की आवश्यकता नहीं है। 'बड़ा हुआ तो' पंक्ति का आरम्भ ज-गण से ही होता है। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है।
  • उदाहरण-

    बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागैं अति दूर।।

Additional Information

अक्षर, अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा, मात्रा-गणना तथा यति-गति आदि से सम्बन्धित विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य-रचना ‘छन्द’ कहलाती है। छन्द अनेक प्रकार के होते हैं, किन्तु मात्रा और वर्ण के आधार पर छन्द मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं–

(अ) मात्रिक छन्द- मात्रा की गणना पर आधारित छन्द ‘मात्रिक छन्द’ कहलाते हैं। इनमें वर्णों की संख्या भिन्न हो सकती है, परन्तु उनमें निहित मात्राएँ नियमानुसार होनी चाहिए।

(ब) वर्णिक छन्द केवल वर्ण- गणना के आधार पर रचे गए छन्द ‘वर्णिक छन्द’ कहलाते हैं। वृत्तों की तरह इनमें गुरु-लघु का क्रम निश्चित नहीं होता, केवल वर्ण-संख्या का ही निर्धारण रहता है। इनके दो भेद हैं–साधारण और दण्डक। 1 से 26 तक वर्णवाले छन्द ‘साधारण’ और 26 से अधिक वर्णवाले छन्द ‘दण्डक’ होते हैं। हिन्दी के घनाक्षरी (कवित्त), रूपघनाक्षरी और देवघनाक्षरी ‘वर्णिक छन्द’ हैं।

छन्द Question 7:

'भगण' का सही सूत्र है-

  1.  ऽऽ।
  2. ऽ।।
  3. ऽ।ऽ
  4. ।ऽऽ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ऽ।।

छन्द Question 7 Detailed Solution

'भगण' का सही सूत्र- 'ऽ।।'

  • उदाहरण- 'मीरन'

Key Points

गण-  केवल वर्णिक छंद में प्रयोग होते है।

गणों की संख्या 8 है- यगण (।ऽऽ), मगण (ऽऽऽ), तगण (ऽऽ।), रगण (ऽ।ऽ), जगण (।ऽ।), भगण (ऽ।।), नगण (।।।) और सगण (।।ऽ)।

तगण के लिए सूत्र-  ऽऽ।

  • उदाहरण- चालाक, आधार आदि।

रगण के लिए सूत्र-  ऽ।ऽ

  • उदाहरण- पालना, मारना आदि।

यगण के लिए सूत्र- ।ऽऽ

  • उदाहरण-हाना, नहाना आदि।

Additional Information

छंद परिभाषा-जिस शब्द-योजना में वर्णों या मात्राओं और यति-गति का विशेष नियम हो, उसे छन्द कहते हैंछन्दशास्त्र को ‘पिंगल-शास्त्र’ भी कहते हैं क्योंकि, इसके आदि प्रणेता श्री पिंगलाचार्य थे।

छंद के 7 अंग होते है- 

  1. चरण/पद/पाद 
  2. वर्ण और मात्रा
  3. संख्या और क्रम 
  4. गण 
  5. यति /विराम  
  6. गति 
  7. तुक

छंद के प्रकार- 3।

  1. मात्रिक छंद 
  2. वर्णिक छंद 
  3. मुक्त छंद 

छन्द Question 8:

'उल्लाला' है:

  1. वर्णिक छंद
  2. मुक्त छंद
  3. मात्रिक छंद
  4. पारंपरिक छंद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मात्रिक छंद

छन्द Question 8 Detailed Solution

सही उत्तर है - ‘मात्रिक छंद’।
  • उल्लाला ‘मात्रिक छंद’ है।
  • उल्लाला छन्द हिन्दी छन्दशास्त्र का एक पुरातन छन्द है। इसकी स्वतंत्र रूप से कम ही रचना की गई है।

Key Points

वीरगाथा काल में उल्लाला तथा रोले को मिलाकर छप्पय की रचना किये जाने से इसकी प्राचीनता प्रमाणित है। इसका एक उदाहरण निम्न है:-

  • यों किधर जा रहे हैं बिखर,कुछ बनता इससे कहीं।
    संगठित ऐटमी रूप धर,शक्ति पूर्ण जीतो मही।।

छन्द Question 9:

'कमला' किस गण का उदाहरण है ?

  1. जगण
  2. सगण
  3. रगण
  4. तगण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सगण

छन्द Question 9 Detailed Solution

'कमला' सगण गण का उदाहरण है। 

सगण-

  • एक गण जिसमें दो लघु और एक गुरु अक्षर होते हैं। 
  • चिन्ह-
    • ।।ऽ
  • उदाहरण-
    • ​वसुधा, चमन आदि।  

Key Pointsगण-

  • मात्राओं और वर्णों की संख्या और क्रम की सुविधा के लिये तीन वर्णों के समूह को एक गण मान लिया जाता है।
  • गणों की संख्या 8 है-
    • यगण (।ऽऽ)
    • मगण (ऽऽऽ)
    • तगण (ऽऽ।)
    • रगण (ऽ।ऽ)
    • जगण (।ऽ।)
    • भगण (ऽ।।)
    • नगण (।।।)
    • सगण (।।ऽ)।

Important Pointsजगण-

  • पिंगल में एक गण जिसमें मध्य का अक्षर गुरु और आदि तथा अंत के अक्षर लघु होते हैं।
  • चिन्ह-
    • ।ऽ।
  • उदाहरण-
    • ​प्रभाव, विभाव आदि। 

रगण-

  • आठ गणों में एक गण, जिसका स्वरूप इस प्रकार होता है- गुरु, लघु और गुरु।
  • चिन्ह-
    • ऽ।ऽ
  • उदाहरण-
    • वीरता, चीरना आदि। 

तगण-

  • इसमें दो गुरु और एक लघु वर्ण होता है। 
  • चिन्ह-
    • ऽऽ।
  • उदाहरण-
    • लाचार, बेकार आदि। 

छन्द Question 10:

''श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार।
बरनौ रघुबर बिमल जस, जो दायक फल चार ।।”
में छन्‍द है

  1. दोहा
  2. सोरठा
  3. रोला
  4. बरवै

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : दोहा

छन्द Question 10 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से श्री गुरु चरण सरोज रजनिज मनु मुकर सुधार इन पंक्तियों में दोहा छंद है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प दोहा छंद है।

Important Points

विवरण 

  • दोहा छंद :
  • 13, 11 मात्राओं का मात्रिक छंद
  • चार चरण 
  • अंत में लघु (1) अनिवार्य

Additional Information

 अन्य विकल्प

छंद

परिभाषा

उदाहरण

रोला

* सम मात्रिक छंद       

*  दो पंक्तियों में सम तुकांत आवश्यक 

*  24 (11+13) मात्रिक छंद

*  11, 13 पर यति अनिवार्य 

*  अंत में गुरु(2) या दो लघु(11) अनिवार्य

उठो-उठो हे वीर(11), आज तुम निद्रा त्यागो(13)

करो महासंग्राम(11), नहीं कायर हो भागो(13)

छप्पय

* रोला(4) तथा उल्लाला(2) का संयुक्त रूप या संयुक्त मात्रिक छंद

*  6 पंक्तियाँ ( रोला 4 + उल्लाला 2 )   

 नीलाम्बर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है.

सूर्य-चन्द्र युग-मुकुट, मेखला रत्नाकर है.

नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारा-मंडल हैं

बंदीजन खगवृन्द, शेष-फन सिंहासन है. - रोला

करते अभिषेक पयोद, बलिहारी इस वेश की.

हे मातृभूमि! ही सत्य, सगुण मूर्ति सर्वेश की.. -उल्लाला

सवैया

* 4 पँक्तियों का सम तुकांत वाला छन्द

* 22 से 26 वर्णों (न की मात्रिक) वाला छन्द।

जैसे - “सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै”

सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावै।।

जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुभेद बतावैं॥

नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तौं पुनि पार न पावैं।

ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं।

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