प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन - Download Free PDF
Last updated on Jul 2, 2025
Latest प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1:
"सिद्धों की कविता जनता की भाषा से सम्बन्ध रखती थी अतएव साहित्य क्षेत्र में वह उपेक्षा की दृष्टि से देखी गई।" यह कथन किस आलोचक का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1 Detailed Solution
"सिद्धों की कविता जनता की भाषा से सम्बन्ध रखती थी अतएव साहित्य क्षेत्र में वह उपेक्षा की दृष्टि से देखी गई।" यह कथन रामकुमार वर्मा आलोचक का है
Key Pointsमुख्य-
- सिद्ध साहित्य, जो 84 सिद्धों द्वारा रचा गया था, मुख्य रूप से बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा से जुड़ा हुआ है।
- इन सिद्धों ने आम जनता तक अपने विचारों और साधना पद्धतियों को पहुंचाने के लिए उस समय की लोकभाषा का प्रयोग किया।
- डॉ. रामकुमार वर्मा ने सिद्धों की भाषा को "जनसमुदाय की भाषा" माना है, जो संस्कृत और अपभ्रंश से प्रभावित थी, लेकिन आम लोगों के लिए सुलभ थी।
Important Pointsडॉ. रामकुमार वर्मा-(1905-1990)
- डॉ रामकुमार वर्मा हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- इन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है।
- पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. रामकुमार वर्मा के इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- वीर हमीर (काव्य; सन 1922 ई.)
- चित्तौड़ की चिन्ता (काव्य सन् 1929 ई.)
- साहित्य समालोचना (सन 1929 ई.)
- अंजलि (काव्य; सन 1930 ई.)
- अभिशाप (कविता; सन 1931 ई.) आदि।
राहुल सांकृत्यायन-
- जन्म-1893-1963 ई.
- अन्य यात्रा-वृतांत-
- मेरी तिब्बत यात्रा(1937 ई.)
- मेरी लद्दाख यात्रा(1939 ई.)
- किन्नर देश में(1948 ई.)
- घुमक्कड़ शास्त्र(1948 ई.)
- यात्रा के कुछ पन्ने(1952 ई.)
- चीन में कम्यून(1959 ई.) आदि।
धर्मवीर भारती-
- जन्म-1926-1997 ई.
- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था।
- आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
- वे साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक भी रहे।
- डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि है।
- काव्य रचनाएँ-
- ठंडा लोहा (1952 ई.)
- कनुप्रिया (1959 ई.)
- सात गीत वर्ष (1959 ई.)
- देशान्तर (1960 ई.) आदि।
Additional Information
- हजारी प्रसाद द्विवेदी ने सिद्ध साहित्य की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि, "जो जनता तात्कालिक नरेशों की स्वेच्छाचारिता, पराजय त्रस्त होकर निराशा के गर्त में गिरी हुई थी, उनके लिए इन सिद्धों की वाणी ने संजीवनी का कार्य किया।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2:
‘जबकि प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब होता है, तब यह निश्चित है कि जनता की चित्तवृत्ति में परिवर्तन के साथ-साथ साहित्य के स्वरूप में भी परिवर्तन होता चला जाता है। ____' प्रस्तुत पंक्तियाँ किस इतिहासकार की हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
Key Pointsरामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।
Important Pointsआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907 - 1979 ईo
- हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- सूर साहित्य (1936)
- हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940)
- प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
- कबीर (1942)
- हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952)
- लालित्य तत्त्व (1962)
- साहित्य सहचर (1965)
- कालिदास की लालित्य योजना (1965)
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970)
- सहज साधना (1963)
डॉ. रामकुमार वर्मा-(1905-1990)
- डॉ रामकुमार वर्मा हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- इन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है।
- पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. रामकुमार वर्मा के इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- वीर हमीर (काव्य; सन 1922 ई.)
- चित्तौड़ की चिन्ता (काव्य सन् 1929 ई.)
- साहित्य समालोचना (सन 1929 ई.)
- अंजलि (काव्य; सन 1930 ई.)
- अभिशाप (कविता; सन 1931 ई.) आदि।
नगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सुमित्रानंदन पंत (1938 ई.)
- साकेत:एक अध्ययन (1939 ई.)
- रीतिकाव्य की भूमिका (1949 ई.) आदि।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3:
“यद्यपि साहित्य के मौलिक प्रतिमान अधिक नहीं बदलते, फिर भी बदलते हुए युग - बोध के कारण परिप्रेक्ष्य, प्रविधि - प्रक्रिया आदि में परिवर्तन निश्चय ही होता है ।" यह किसका कथन है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है- डॉ. नगेंद्र
Key Pointsडॉ. नगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- सुमित्रानंदन पंत(1938 ई.)
- साकेत:एक अध्ययन(1939 ई.)
- विचार और विवेचन(1944 ई.)
- रीतिकाव्य की भूमिका(1949 ई.)
- अनुसंधान और आलोचना(1961 ई.) आदि।
Important Pointsहजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907 - 1979 ई.
- आलोचना ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की लालित्य योजना (1965)
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) आदि।
रामकुमार वर्मा-
- जन्म-1905-1990 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- साहित्य समालोचना(1938 ई.)
- साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि।
डॉ० बच्चन सिंह-
- जन्म- 1919 - 2008 ईo
- एक हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे।
- रचना-
- कांतिकारी कवि निराला (1947-48 ई.)
- रीतिकालीन कवियों की प्रेमव्यंजना (1958 ई.)
- हिन्दी नाटक (1958 ई.)
- बिहारी का नया मूल्यांकन' (1960 ई.)
- आलोचक और आलोचना' (1970 ई.)
- समकालीन साहित्य आलोचन को चुनौती
- हिन्दी आलोचना के बीज-शब्द (1985)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4:
'अनेक कवियों के काव्य-सौंदर्य का आख्यान करते समय लेखक की लेखनी काव्यमय हो उठी है, जो कि डॉ. वर्मा के कवि पक्ष का संकेत देती है।' डॉ. रामकुमार वर्मा के संबंध में यह कथन किस इतिहासकार का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- डॉ. नगेन्द्र
Key Pointsनगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सुमित्रानंदन पंत (1938 ई.)
- साकेत:एक अध्ययन (1939 ई.)
- रीतिकाव्य की भूमिका (1949 ई.) आदि।
Important Pointsडॉ० बच्चन सिंह-
- जन्म- 1919 - 2008 ईo
- एक हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे।
- रचना-
- कांतिकारी कवि निराला (1947-48 ई.)
- रीतिकालीन कवियों की प्रेमव्यंजना (1958 ई.)
- हिन्दी नाटक (1958 ई.)
- बिहारी का नया मूल्यांकन' (1960 ई.)
- आलोचक और आलोचना' (1970 ई.)
- समकालीन साहित्य आलोचन को चुनौती
- हिन्दी आलोचना के बीज-शब्द (1985)
नामवर सिंह-
- जन्म-1926-2019ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- छायावाद(1955ई.)
- इतिहास और आलोचना(1957ई.)
- कहानी:नयी कहानी(1965ई.)
- कविता के नये प्रतिमान(1968ई.)
- दूसरी परंपरा की खोज(1982ई.) आदि।
डॉ. वृशिष्ठ अनूप-
- जन्म- 1962 ई.
- उन्होंने गीत, गजल, छंदमुक्त कविता और आलोचना विधाओं में लिखा है।
- उनके कुछ प्रसिद्ध गजल संग्रहों में "स्वप्न के बाद", "बंजारे नयन", "रोशनी खतरे में है", और "बेटियों के पक्ष में" शामिल हैं।
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5:
‘ग्रियर्सन की दूसरी विशेषता यह है कि उन्होंने अपने ग्रंथ के आधार स्रोत के रूप में तासी एवं शिवसिंह सेंगर के ग्रंथों के अतिरिक्त भक्तमाल, गोसाईचरित्र, हज़ारा, काव्य-संग्रह आदि सत्रह रचनाओं का उल्लेख करते हुए स्थान-स्थान पर मूलाधारों के संदर्भ-संकेत भी दिए हैं।' यह कथन किस इतिहासकार का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- रामचन्द्र शुक्ल
Key Pointsरामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।
Important Pointsरामकुमार वर्मा-
- जन्म-1905-1990ई.
- मुख्य रचनाएँ-
- वीर हमीर(1922ई.)
- चित्तौड़ की चिंता(1929ई.)
- साहित्य समालोचना(1929ई.)
- अंजलि1930 ई.)
- अभिशाप(1931ई.) आदि।
हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907 - 1979 ई.
- आलोचना ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की लालित्य योजना (1965)
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) आदि।
नगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सुमित्रानंदन पंत (1938 ई.)
- साकेत:एक अध्ययन (1939 ई.)
- रीतिकाव्य की भूमिका (1949 ई.) आदि।
Top प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions
'दोहा अपभ्रंश का लाडला छन्द है।' यह किस विद्वान का कथन है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF'दोहा अपभ्रंश का लाडला छन्द है।' यह विद्वान का कथन है- पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी
Key Pointsहजारीप्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979 ई.
- आलोचनात्मक रचनाएँ-
- अशोक के फूल (1948)
- विचार और वितर्क (1957)
- साहित्य सहचर (1965) आदि।
Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।
राहुल सांकृत्यायन-
- जन्म-1893-1963 ई.
- अन्य यात्रा-वृतांत-
- मेरी तिब्बत यात्रा(1937 ई.)
- मेरी लद्दाख यात्रा(1939 ई.)
- किन्नर देश में(1948 ई.)
- घुमक्कड़ शास्त्र(1948 ई.)
- यात्रा के कुछ पन्ने(1952 ई.)
- चीन में कम्यून(1959 ई.) आदि।
नगेंद्र-
- जन्म-1915-1999 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सुमित्रानंदन पंत (1938 ई.)
- साकेत:एक अध्ययन (1939 ई.)
- रीतिकाव्य की भूमिका (1949 ई.) आदि।
"चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य- परम्परा के साथ सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है।” यह विचार किस विद्वान् का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF"चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य- परम्परा के साथ सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है।” यह विचार रामचंद्र शुक्ल विद्वान् का है।
Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
Important Pointsहजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907 - 1979 ई.
- आलोचना ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की लालित्य योजना (1965)
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) आदि।
रामकुमार वर्मा-
- जन्म-1905-1990 ई.
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- साहित्य समालोचना(1938 ई.)
- साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि।
"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन किसका है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन है- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
Key Points
- यह कथन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का है। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।
- उन्होंने हिन्दी के प्रचार और राष्ट्रभाषा के प्रसार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग माना।
अन्य विकल्प -
- पुरुषोत्तमदास टंडन का कथन - "यदि हिन्दी भारतीय स्वतंत्रता के आड़े आयेगी तो मैं स्वयं उसका गला घोंट दूँगा।"
Additional Informationडॉ. राजेन्द्र प्रसाद-
- जन्म - 3 दिसंबर 1884 - 28 फरवरी 1963
- भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
- वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे;
- और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
- रचनाएँ- बापू के कदमों में बाबू (1954), इण्डिया डिवाइडेड (1946),
- सत्याग्रह ऐट चम्पारण (1922), गान्धीजी की देन, भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र इत्यादि।
पुरुषोत्तमदास टंडन-
- जन्म - 1 अगस्त 1882 - 1 जुलाई 1962
- भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं राजनेता थे।
- वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे।
- वे 'राजर्षि' के नाम से भी विख्यात थे।
- वर्ष 1950 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे।
लाला लाजपत राय-
- जन्म - 28 जनवरी 1865 -17 नवम्बर 1928
- भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है।
- इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी
- ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे।
सी. राजगोपालाचारी-
- जन्म - 10 दिसम्बर 1878 - 25 दिसम्बर 1972
- जिन्हें राजाजी या सीआर के नाम से जाना जाता है ,
- जिन्हें मूथरिगनार राजाजी के नाम से भी जाना जाता है,
- एक भारतीय राजनेता, लेखक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
- राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल थे।
"आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है।" यह कथन किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF"आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है।" यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
Important Pointsनंददुलारे वाजपेयी-
- जन्म- 1906-1967ई.
- रचनाएँ-
- हिंदी साहित्य:बीसवीं शताब्दी(1942)
- जयशंकर प्रसाद(1940)
- आधुनिक साहित्य(1950)
- नया साहित्य:नये प्रश्न(1955) आदि।
रामविलास शर्मा-
- जन्म- 1912-2000 ई.
- मुख्य रचनाएँ-
- प्रेमचन्द(1941)
- भारतेन्दु युग(1943)
- निराला(1946)
- प्रेमचन्द और उनका युग(1952)
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र(1953)
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना(1955) आदि।
"ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। यह किसकी प्रसिद्ध उक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF"ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। यह प्रसिद्ध उक्ति है- महावीर प्रसाद द्विवेदी
Key Pointsमहावीर प्रसाद द्विवेदी:
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे।
- उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की।
- उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' के नाम से जाना जाता है।
Important Pointsरामविलास शर्मा:
- डॉ॰ रामविलास शर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
- पेशे से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिन्दी के प्रकांड पंडित और गहरे विचारक।
- ऋग्वेद और मार्क्स के अध्येता, कवि, आलोचक, इतिहासवेत्ता, भाषाविद, राजनीति-विशारद ये सब विशेषण उन पर समान रूप से लागू होते हैं।
"पद्माकर की भाषा में बुंदेलखंडी रंग और मैदानी नदी का प्रवाह है।"
उपरोक्त कथन इनमें से किसका है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है- बच्चन सिंह
Key Pointsबच्चन सिंह-
- जन्म- 1919 - 2008 ईo
- एक हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे।
- रचना-
- कांतिकारी कवि निराला (1947-48 ई.)
- रीतिकालीन कवियों की प्रेमव्यंजना (1958 ई.)
- हिन्दी नाटक (1958 ई.)
- बिहारी का नया मूल्यांकन' (1960 ई.)
- आलोचक और आलोचना' (1970 ई.)
- समकालीन साहित्य आलोचन को चुनौती
- हिन्दी आलोचना के बीज-शब्द (1985) आदि।
Important Pointsआचार्य शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
डॉ. नगेन्द्र -
- जन्म -1915-1999 ई.
- रचनाएँ -
- सुमित्रानंदन पंत(1938 ई.)
- साकेत: एक अध्ययन(1939 ई.)
- आधुनिक हिंदी नाटक(1949 ई.)
- रस-सिद्धांत(1964 ई.) आदि।
रामविलास शर्मा-
- जन्म- 1912-2000 ई.
- मुख्य रचनाएँ-
- प्रेमचन्द(1941)
- भारतेन्दु युग(1943)
- निराला(1946)
- प्रेमचन्द और उनका युग(1952)
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र(1953)
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना(1955) आदि।
“इनकी भाषा बहुत चलती सरल और शब्दाडंबर मुक्त होती थी। शुद्ध ब्रजभाषा का जो चलतापन और सफाई इनकी और घनानंद की रचनाओं में है वह अन्यत्र दुर्लभ है।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने यह किस रचनाकार के लिए कहा ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFरसखान
Key Pointsरसखान-
- जन्म - 1533-1618 ई.
- मूल नाम - सैयद इब्राहिम
- गोस्वामी विट्ठलनाथ से इन्होंने दीक्षा प्राप्त की।
- तुलसीदास के समकालीन थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दानलीला
- अष्टयाम आदि।
- रसखान के काव्य में श्रृंगार रस की प्रधानता मिलती है।
- इन्हें 'पीयूषवर्षी' अथवा 'अमृत की वर्षा करने वाला कवि' कहा जाता है।
- भारतेंदु-
- "इस मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिंदु वारिए"
Important Pointsजायसी-
- जन्म-1446-1542 ई.
- पूरा नाम-मलिक मोहम्मद जायसी
- गुरु-सूफी फकीर शेख मोहिदी
- रचनाएँ-
- अखरावट
- आखिरी कलाम
- कहरनामा
- कान्हावत
- चित्ररेखा आदि।
सूरदास-
- जन्म- 1478-1583 ई.
- भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुखक कवि है।
- रचनाएँ-
- सूरसागर
- सुरसरावली(1548 ई.)
- साहित्य लहरी(1550 ई.) आदि।
नंददास-
- जन्म- 1572 ई.
- नन्ददास ब्रजभाषा के एक सन्त कवि थे। वे वल्लभ संप्रदाय के आठ कवियों में से एक प्रमुख कवि थे।
- ये गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- रास पंचाध्यायी
- सिद्धान्त पंचाध्यायी
- अनेकार्थ मंजरी
- मान मंजरी आदि।
Additional Informationआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
'भारतेन्दु युगीन साहित्य केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य है ।' यह कथन किस आलोचक का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF'भारतेन्दु युगीन साहित्य केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य है ।' यह कथन आलोचक का है - डॉ. राम विलास शर्मा
Key Pointsडॉ. राम विलास शर्मा-
- जन्म- 1912 - 2000 ई.
- आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- प्रेमचन्द (1941)
- भारतेन्दु युग (1943)
- निराला (1946)
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (1953)
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1955)
- निराला की साहित्य साधना-1 (जीवनी) (1969)
- महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977)
- नयी कविता और अस्तित्ववाद (1978) आदि।
Additional Information आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार,
- साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979ई.
- हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सूर साहित्य (1936ई.)
- हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940ई.)
- हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952ई.)
- अशोक के फूल (1948ई.)
- कल्पलता (1951ई.) आदि।
डॉ. नामवर सिंह-
- जन्म - 1926 - 2019 ई.
- एक भारतीय साहित्यिक आलोचक, भाषाविद्, शिक्षाविद और सिद्धांतकार थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ (1954 ई.)
- छायावाद (1955 ई.)
- इतिहास और आलोचना (1957 ई.)
- कहानी: नयी कहानी (1964 ई.)
- कविता के नए प्रतिमान (1968 ई.)
- दूसरी परंपरा की खोज (1982 ई.)
- वाद विवाद संवाद (1989 ई.)
"सिद्धों और योगियों की रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक अनुभूतियों और दशाओं से कोई सम्बन्ध नहीं है।" यह विचार किसका है ?
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प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF"सिद्धों और योगियों की रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक अनुभूतियों और दशाओं से कोई सम्बन्ध नहीं है।" यह विचार है - रामचन्द्र शुक्ल
Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार,
- साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
Additional Informationहजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979ई.
- हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सूर साहित्य (1936ई.)
- हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940ई.)
- हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952ई.)
- अशोक के फूल (1948ई.)
- कल्पलता (1951ई.) आदि।
श्यामसुन्दर दास-
- जन्म-1875 - 1945 ई.
- हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ -
- साहित्यालोचन (1922),
- हिंदी भाषा और साहित्य (1930)
- रूपकहस्य (1931),
- भाषारहस्य भाग 1 (1935),
- मेरी आत्मकहानी (1941),
- कबीर ग्रंथावली (1928) आदि।
डॉ. रामकुमार वर्मा-
- जन्म-1905-1990 ई.
- हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- उन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है।
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- साहित्य समालोचना(1938 ई.)
- साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि।
"नयी कहानी आग्रहों की कहानी नहीं है, प्रवृत्तियों की हो सकती है और उसका मूल स्रोत है - जीवन का यथार्थबोध और इस यथार्थ को लेकर चलने वाला वह विराट मध्य और निम्न मध्य वर्ग है जो अपनी जीवन - शक्ति से आज के दुर्दात संकट को जाने - अनजाने झेल रहा है।" नयी कहानी के संदर्भ में उपर्युक्त कथन किस लेखक का है?
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प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFनयी कहानी के संदर्भ में उपर्युक्त कथन दिए गए विकल्पों में से किसी का भी नहीं है। अतः सही उत्तर होगा - उपर्युक्त में से कोई नहीं।
- यह कथन कमलेश्वर का है।
-
- समय 1956 ई
- प्रवर्तक - राजेंद्र यादव, मोहन राकेश और कमलेश्वर।
- नयी कहानी नाम का दुष्यंत कुमार ने सर्वप्रथम प्रयोग किया।
कमलेश्वर (1932 - 2007 ई.)
- यह नई कहानी के लेखक है।
- 2005 ई. में कमलेश्वर को पद्म भूषण से नवाजा गया।
- 2003 ई. में इन्हें कितने पाकिस्तान उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- राजा निरबंसिया (1957 ई.)
- कस्बे का आदमी (1958 ई.)
- खोई हुई दिशाएं (1963 ई.)
- मांस का दरिया (1966 ई.)
- बयान (1973 ई.)
- आजादी मुबारक (2002 ई.)
- भाग्य रेखा (1953 ई.)
- पहला पाठ (1957 ई.)
- भटकती राख (1966 ई.)
- पटरिया (1973 ई.)
- देवताओं की मूर्तियां (1952 ई.)
- जहां लक्ष्मी कैद (1957 ई.)
- अभिमन्यु की आत्महत्या (1959 ई.)
- छोटे-छोटे ताजमहल (1962 ई.)
- टूटना (1966 ई.)
- आर पार की माला (1955 ई.)
- कर्मनाशा की हार (1958 ई.)
- मुर्दा सारी (1966 ई.)
- अंधेरा हंसता है (1975 ई.)
- भेड़िया (1977 ई.)