प्रत्यय MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for प्रत्यय - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें

Last updated on Mar 9, 2025

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प्रत्यय Question 1:

'पठनीय∶' पद में कौन-सा प्रत्यय है ?

  1. क्तवतु
  2. ल्‍यप्
  3. क्तिन्
  4. अनीयर्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अनीयर्

प्रत्यय Question 1 Detailed Solution

'तव्यततव्यानीयरः' इस सूत्र के ‘चाहिए’ या योग्यता के अर्थ में प्रयोग ‘तव्यत्’ और ‘अनीयर्’ यह दो प्रत्यय मिलते है

जैसे –

  • तव्यत् से पठितव्यम्
  • अनीयर् से पठनीयम्

इनके तिनों लिङ्गों में रूप मिलते हैं -

जै पठनीयः(पु), पठनीयम्(नपु.), पठनीया(स्त्री)

अतः पठनीयः इस पद में 'अनीयर्' इस प्रत्यय का प्रयोग हुआ है

प्रत्यय Question 2:

'दत्त' इत्यस्य प्रत्ययं भवति - 

  1. क्त
  2. शतृ
  3. शानच्
  4. क्तवतु

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : क्त

प्रत्यय Question 2 Detailed Solution

प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'दत्त' में कौन-सा प्रत्यय है?

स्पष्टीकरण -

शब्द – दत्तः

प्रकृति – 'दा' धातु 

प्रत्यय – क्त

  • भूतकाल के अर्थ में धातु से 'क्त' प्रत्यय होता है, 'क्तक्तवतु निष्ठा' से निष्ठा संज्ञा होती है।
  • यह सकर्मक धातुओं से कर्म अर्थ में तथा अकर्मक धातुओं से भाव अर्थ में जुड़ता है। 
  • 'लशक्वतद्धिते' से 'क्त' के 'क्' का लोप हो जाता है और केवल 'त' शेष बचता है। 

'दा + क्त' यहाँ कृदन्त प्रत्यय जुड़ने पर तिनो लिङ्गो में रूप प्राप्त होता है

जैसे - दत्तः - पुंल्लिङ्गदत्ता - स्त्रीलिङ्ग, दत्तम् - नपुंसकलिङ्ग

अतः स्पष्ट है कि दत्तः में क्त प्रत्यय है। 

Additional Information

प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ प्रत्यय होकर प्रत्यय पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा। प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-

नाम

परिभाषा

उदाहरण

विभक्ति

मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं।

पठ् + तिप् = पठति

राम + सु = रामः

कृत्

धातु के अन्त में जुड़ते हैं।

धृ + क्तिन् = धृति

तद्धित

शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं।

श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम्

स्त्रीप्रत्यय

पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग में परिवर्तित करने के लिए स्त्रीप्रत्यय जुड़ता है।

बालक + टाप् = बालिका

धातु-अवयव

प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है।

पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति

पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन्

प्रत्यय Question 3:

"पच्‌ + क्तः" इत्यत्र प्रत्यययुक्तपदं भवति

  1. पक्त∶
  2. पक्वः
  3. पचितः 
  4. पतः 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : पक्वः

प्रत्यय Question 3 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - 'पच् + क्तः' यहाँ प्रत्यययुक्त पद होता है।

स्पष्टीकरण -

'पच् + क्तः' यहाँ 'क्तक्तवतू निष्ठा सूत्र से निष्ठासंज्ञक क्त प्रत्यय लगाया हुआ है। 'क्त' प्रत्यय में 'क्' इत्संज्ञक है। जहाँ त शेष बचता है।

  • 'पचो वः' इस सूत्र से निष्ठा के तकार को वकार होता है। पच् + त = पच् + व
  • 'चोः कुः' इस सूत्र से चकार को ककार होता है। पच् + व = पक् + व = पक्वः

 

अतः यह स्पष्ट होता है कि 'पच् + क्तः' यहाँ 'पक्वः' यह प्रत्यययुक्त पद होता है।

प्रत्यय Question 4:

'अवसादनम्' शब्द के प्रकृति प्रत्यय हैं

  1. अव + साद् + शतृ
  2. अव + सद् + क्तिन् + ल्युट्
  3. अव + सद् + णिच् + ल्युट्
  4. अव् + सद् + शतृ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अव + सद् + णिच् + ल्युट्

प्रत्यय Question 4 Detailed Solution

स्पष्टीकरण - 

'अवसादनम्' शब्द का प्रकृति प्रत्यय - अव + सद् + णिच् + ल्युट्
ल्युट् प्रत्यय -

  • 'नपुंसके भावे क्त:' और 'ल्युट्' सूत्रों से नपुंसकत्व में भाववाचक अर्थ में ल्युट् प्रत्यय लगता है 
  • इनसे बने शब्द नपुंसकलिङ्ग में होते हैं 
  • ल्युट् प्रत्यय के 'ल' और 'ट' की इत्संज्ञा होकर लोप होता है और 'यु' शेष रहता है 
  • य को 'युवोरनाकौ' सूत्र से 'अन्' आदेश होता है

Key Pointsणिच् प्रत्यय 

  • धातु (क्रियावाची शब्द) से प्रेरणा अर्थ को कहने में णिच्‌ प्रत्यय लगता है।
  • जहां कर्ता स्वयं कार्य न करके दूसरे से कार्य करवाता है, वहाँ प्रेरणा अर्थ होता है।

उदाहरण 

  • नन्द् + णिच् + ल्युट् = नन्दनः
  • सिध् + णिच् + ल्युट् = साधनः
  • वृध् + णिच् + ल्युट् = वर्धनः

 

अतः स्पष्ट है यहाँ अव + सद् + णिच् + ल्युट् सही उत्तर है।

प्रत्यय Question 5:

'मति' इत्यस्य क: प्रत्यय: अस्ति?

  1. क्तिन्
  2. ङीप्
  3. शतृ
  4. क्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : क्तिन्

प्रत्यय Question 5 Detailed Solution

शब्द – मति

विग्रह – मन् + क्तिन्

क्तिन् प्रत्यय-

  • ‘स्त्रियां क्तिन्’ सूत्र से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए धातुओं से क्तिन् प्रत्यय होता है।
  • इस प्रत्यय के ‘क’ का लशक्वतद्धिते से तथा ‘न्’ का हलन्त्यम् से लोप हो जाता है और शेष बचता है ति’
  • क्तिन् प्रत्यय से स्त्री प्रत्यय हि बनते है।

अतः 'मति' का विग्रह 'मन् + क्तिन्' तथा 'क्तिन् प्रत्यय' होता है।

Additional Information

प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ प्रत्यय होकर ‘प्रत्यय’ पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं।जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा। प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-

नाम

परिभाषा

उदाहरण

विभक्ति

मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं।

पठ् + तिप् = पठति

राम + सु = रामः

कृत् (कृदन्त प्रत्यय)

धातु के अन्त में जुड़ते हैं।

धृ + क्तिन् = धृति

तद्धित

शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं।

श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम्

स्त्रीप्रत्यय

पुं. स्त्री. में परिवर्तित करने के लिए जुड़ता है।

बालक + टाप् = बालिका

धातु-अवयव

प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है।

पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति

पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन्

 

विकल्पानुशीलन:-

प्रत्यय

प्रत्यय का नाम

प्रत्ययांश

 उदाहरण

क्तिन्

कृदन्त प्रत्यय

ति

मन् + क्तिन् = मति

ङीप्

स्त्रीप्रत्यय

ई (आनागम)

इन्द्र + ङीप् = इन्द्राणी

शतृ

कृदन्त प्रत्यय

अत्

पठ् + शतृ = पठत्

क्त

कृदन्त प्रत्यय

गम् + क्त = गतः

प्रत्यय Question 6:

'बाध्यमानाः' अत्र प्रत्ययः अस्ति?

  1. शानच्
  2. शतृ
  3. क्त
  4. क्तवतु

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : शानच्

प्रत्यय Question 6 Detailed Solution

प्रश्नार्थ - 'बाध्यमानाः' इसमें प्रत्यय है-

शानच् प्रत्यय - 

  • 'लटः शतृशनचावप्रथमासमानाधिकरणे' इस सुत्र से शतृ और शानच् प्रत्यय होता है।
  • 'तौ सत्' सुत्र से शतृ और शानच् प्रत्ययों को सत सज्ञा मिलती है।
  • बादमे शतृ प्रत्यय मे 'अत्' और शानच् प्रत्यय मे 'आन' शेष बचता है।
  • 'लगातार कार्य होना' इस अर्थमे यह प्रत्यय होते है।
  • शतृ परस्मैपदी धातुओंसे एवं शानच् आत्मनेपदी धातुओंसे लगता है।
  • यह सर्व लिंग तथा सात विभक्तियों में चलते है।


उदा.

  • पठ + शतृ(अन्) = पठन् (पुल्लिंग), पठन्ती (स्त्रीलिंग), पठत् (नपुंसकलिङ्ग)
  • बाध् + शानच्(मान) = बाध्यमानः (पुल्लिंग), बाध्यमाना (स्त्रीलिंग), बाध्यमानम् (नपुंसकलिङ्ग)

अतः 'बाध्' धातु से शानच् प्रत्यय से पुल्लिंग में बहुवचन में रूप होता है - बाध्यमानाः 

प्रत्यय Question 7:

तल् प्रत्ययान्तं पदं वर्तते -

  1. गमिता 
  2. पूता 
  3. स्रविता 
  4. लघुता 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : लघुता 

प्रत्यय Question 7 Detailed Solution

प्रश्न का हिंदी भाषांतर : तल् प्रत्ययान्त पद कौन सा है?

स्पष्टीकरण :

  • “तस्य भावः त्व – तलौ” - विशेषणवाची शब्दों से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने के लिए त्व तथा तल प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं।
  • त्व प्रत्ययान्त शब्द नपुंसकलिंग होते हैं तथा उनके रूप ‘फल’ शब्द के समान बनते हैं।
  • तद्धित ‘तल’ प्रत्यय में शब्द के अन्त में ‘ता’ लगता है तथा वे स्त्रीलिङ्ग होते हैं एवं उनके रूप ‘लता’ के समान चलते हैं। 
  • अतः स्पष्ट है, लघुता यह इस प्रश्न का सही उत्तर है। 

Additional Information

अन्य उदाहरण :

पद त्व प्रत्ययान्त रूप तल् प्रत्ययान्त रूप
मनुष्य मनुष्यत्व  मनुष्यता
शिशु शिशुत्व  शिशुता
गुरु गुरुत्व  गुरुता
देव देवत्व  देवता
जड जडत्व  जडता

प्रत्यय Question 8:

'गङ्गा' 'पद में स्त्री प्रत्यय है?

  1. चाप्
  2. डीष्
  3. ङीप
  4. टाप्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : टाप्

प्रत्यय Question 8 Detailed Solution

स्पष्टीकरण - प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- प्रति + अय = प्रत्यय। प्रति का अर्थ है- साथ में परन्तु बाद में और अय का अर्थ है- चलने वाला।

प्रत्यय तीन प्रकार के होते हैं- कृत् प्रत्यय, तध्दित प्रत्यय, स्त्री प्रत्यय। स्त्रीलिंग बनाने वाले प्रत्ययों को ही स्त्री प्रत्यय कहते हैं।

  • स्त्री प्रत्यय धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों, संज्ञा, विशेषण आदि सभी के अंत में जुड़े होते हैं। 
  • अजाघतष्टाप् इस सूत्र से 'टाप्' सूत्र पदों को लगता है, जिसके प्रयोग से पुल्लिंग शब्द स्त्रीलिंग शब्द बन जाते हैं। 
  • टाप् प्रत्यय का अंत में आ शेष रहता है।
  • उदाहरण -
    • शब्द - गङ्ग 
    • प्रत्यय - टाप् 
    • सिद्ध रूप - गङ्ग + टाप् = गङ्गा

अतः गङ्गा इस रूप में 'टाप्' प्रत्यय होता है यहाँ स्पष्ट होता है।

प्रत्यय Question 9:

त्यज् धातोः क्त्वा प्रत्यये रुपं किम्?

  1. यक्त्वा।
  2. त्यक्त्वा।
  3. तक्त्वा।
  4. त्याक्त्वा।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : त्यक्त्वा।

प्रत्यय Question 9 Detailed Solution

प्रश्नार्थत्यज् धातु के क्त्वा प्रत्यय में कौनसा रूप होता है?

उत्तर- त्यक्त्वा।

  • स्पष्टीकरण-
    • शब्द- त्यक्त्वा।
    • प्रकृति- त्यज्
    • प्रत्यय- क्त्वा

Important Pointsक्त्वा प्रत्यय- 
सूत्र = "समानकर्तृकयो: पूर्वकाले"
सूत्रार्थ

  • जब दो क्रियाये एक साथ हो रही हो और दोनो का कर्ता एक ही होI
  • जो क्रिया पूर्वकाल की हो उसे अभिव्यक्त करने वाली धातु से 'क्त्वा' प्रत्यय होता हैI 
  • पूर्वकालिक कियाये दो, तीन आदि भी हो सकती हैI 

क्त्वा का प्रयोग-

  • क्त्वा प्रत्यय मे 'क्' का लोप होकर 'त्वा' शेष रहता हैI
  • क्त्वा से पहले 'इ' का प्रयोग होता हैI यदि अन्तिम वर्ण मे स्वर की मात्रा न होI
उदाहरण 
  • दा + क्त्वा = दत्वा
  • धा + क्त्वा = धात्वा 
  • लिख् + क्त्वा = लिखित्वा
  • त्यज् + क्त्वा = त्यक्त्वा

प्रत्यय Question 10:

'प्रविष्टः' इत्यत्र प्रत्ययः कः?

  1. त्तवा।
  2. क्तः।
  3. षृः।
  4. ल्यप्।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : क्तः।

प्रत्यय Question 10 Detailed Solution

प्रश्नार्थ - 'प्रविष्टा' में कौनसा प्रत्यय है?

स्पष्टीकरण -

शब्द – प्रविष्टा

विग्रह – प्र + विश् + क्त

प्रत्यय – क्त​

  • भूतकाल के अर्थ में धातु से क्त प्रत्यय होता है, 'क्त क्तवतु निष्ठा' से निष्ठा संज्ञा होती है।
  • यह सकर्मक धातुओं से कर्म अर्थ में तथा अकर्मक धातुओं से भाव अर्थ में जुड़ता है। 
  • 'लशक्वतद्धिते' से 'क्त' के 'क्' का लोप हो जाता है और केवल 'त' शेष बचता है। 
  • 'क्त' प्रत्ययान्त शब्द तिनों लिङ्गों में रूप मिलते हैं -
    • जैसे - प्रविष्टः - पुंल्लिङ्ग, प्रविष्टा - स्त्रीलिङ्ग, प्रविष्टम् - नपुंसकलिङ्ग

अतः स्पष्टीकरण से स्पष्ट होता है, 'प्र' इस शब्द में क्त प्रत्यय होता है।

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