2009 में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने जैव ईंधन पर एक राष्ट्रीय नीति बनाई। यह नीति घरेलू खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित कच्चे तेल पर भारत की भारी निर्भरता के जवाब में विकसित की गई थी।
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2018 यूपीएससी परीक्षा के जीएस-2 पेपर के लिए एक प्रासंगिक विषय है।
हाल के दिनों में जैव ईंधन में वैश्विक रुचि काफी बढ़ गई है। ऐसे में, जैव ईंधन के क्षेत्र में नवीनतम विकास से अवगत रहना महत्वपूर्ण है। भारत में जैव ईंधन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और सरकार की पहलों के साथ अच्छी तरह से संरेखित हैं। असल में देश के विशाल ऊर्जा संसाधनों के बावजूद, भारत अपनी घरेलू खपत की जरूरतों के लिए कच्चे तेल के आयात पर बहुत अधिक निर्भर है। जबकि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का विकासशील देशों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ऐसे में भारत भी इससे अछूता नहीं रहता है। भारत में जैव ईंधन कार्यक्रम, जैव ईंधन उत्पादन के लिए घरेलू फीडस्टॉक की निरंतर और महत्वपूर्ण अनुपलब्धता के कारण काफी हद तक प्रभावित हुआ है, जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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जैव ईंधन एक हाइड्रोकार्बन ईंधन है जो कार्बनिक पदार्थों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्पादित होता है। जैव ईंधन आमतौर पर बायोमास से एक समकालीन प्रक्रिया (धीमी भूवैज्ञानिक प्रक्रिया के बजाय) के माध्यम से उत्पादित होते हैं। वे पारंपरिक जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में काम करते हैं। तेल की बढ़ती कीमतें, जीवाश्म ईंधनों से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, तथा गैर-नवीकरणीय ईंधन स्रोतों का खत्म होना, अधिक टिकाऊ ईंधन विकल्पों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। यही कारण है कि जैव ईंधन आज के समय महत्वपूर्ण हो गए हैं। बता दें कि 'जैव ईंधन' शब्द सामान्यतः परिवहन के लिए प्रयुक्त तरल या गैसीय ईंधन के लिए आरक्षित है।
जैव ईंधन को प्रथम पीढ़ी के जैव ईंधन, द्वितीय पीढ़ी के जैव ईंधन, तृतीय पीढ़ी के जैव ईंधन और चतुर्थ पीढ़ी के जैव ईंधन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
नीति का लक्ष्य 2030 तक जीवाश्म आधारित ईंधन के साथ जैव ईंधन का 20% सम्मिश्रण प्राप्त करना था। हालाँकि अब इसे 2025-26 कर दिया गया है। नीति का दूसरा उद्देश्य जैव ईंधन उत्पादन के लिए घरेलू फीडस्टॉक की पर्याप्त और निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करना, किसानों की आय बढ़ाना, आयात कम करना, रोजगार सृजन करना और अपशिष्ट को संपदा में बदलना है। यह नीति स्पष्ट रूप से स्थिरता को बढ़ावा देते हुए देश की ऊर्जा अवसंरचना को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 में कई उल्लेखनीय विशेषताएं हैं। जैसे कि
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सरकार जैव ईंधन के उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के कच्चे माल (फीडस्टॉक) के उपयोग की अनुमति देगी। इससे फीडस्टॉक के स्रोत के विकल्प बढ़ेंगे। इससे जैव ईंधन उत्पादन के लिए कच्चे माल की उपलब्धता भी बढ़ेगी। इसके अलावा संशोधन के अन्य बिन्दुओं में शामिल हैं-
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जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 कई लाभ प्रदान करती है। इससे जहाँ देश की आयात पर निर्भरता कम हो जाती है। वहीं यह फसल जलाने में कमी लाकर स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देता है, क्योंकि कृषि अपशिष्ट/अवशेष को बायोएथेनॉल में परिवर्तित कर दिया जाता है। इसकी अन्य विशेषताओं में शामिल हैं-
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