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यूपीएससी के लिए हिंदी व्याकरण नोट्स | Hindi Grammar Notes For UPSC

Last Updated on Oct 25, 2024
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हिंदी व्याकरण एक भाषाभाषी प्रणाली है, जिसके माध्यम से हम हिंदी भाषा का सही और सटीक तरीके से उपयोग करते हैं। यह न केवल भाषा के सही प्रयोग को सुनिश्चित करता है, अपितु हमारे विचारों को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने में भी सहायता करता है। यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में हिंदी व्याकरण का अत्यंत विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल हिंदी भाषा के पेपर में बल्कि सामन्य अध्ययन, निबंध, उत्तर लेखन और साक्षात्कार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम हिंदी व्याकरण के मुख्य भागों की विस्तार से चर्चा करेंगे, जैसे शब्दभेद, वाक्य संरचना, वाक्य के प्रकार, वाच्य, काल, विराम चिह्न, और सामान्य त्रुटियाँ आदि।

सामान्य अध्ययन के लिए पाठ्यक्रम 

निबंध, अनिवार्य हिंदी भाषा परीक्षा

मुख्य परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम 

निबंध लेखन, सारांश लेखन, गद्यांश, मुहावरे और लोकोक्तियां, विराम चिह्न, सामान्य हिंदी व्याकरण संबंधी त्रुटियाँ और सुधार, शब्दावली, शब्द भेद आदि 

 हिंदी व्याकरण का परिचय | Introduction of Hindi Grammar

हिंदी व्याकरण वह सिद्धांत है, जिसके माध्यम से हम शब्दों के रूप, वाक्य संरचना और उनके उपयोग को निर्धारित करते हैं। हिंदी व्याकरण में शब्दों की विभिन्न श्रेणियाँ शामिल होती हैं, जो वाक्य निर्माण और विचारों को व्यक्त करने में मददगार होती हैं। हिंदी व्याकरण के नियमों को समझना और उनका सही उपयोग करना UPSC उम्मीदवारों के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह UPSC अनिवार्य हिंदी भाषा परीक्षा में स्पष्टता और सटीकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शब्दभेद| Parts of Speech in Hindi

हिंदी में शब्दों को उनके कार्य के आधार पर आठ भागों में बांटा जाता है:

संज्ञा

संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव को कहते हैं। उदाहरण: लड़का, पुस्तक, प्रसन्नता इत्यादि। संज्ञा को लिंग (पुरुषवाचक, स्त्रीवाचक) और वचन (एकवचन, बहुवचन) में विभाजित किया जाता है।

सर्वनाम

सर्वनाम वह शब्द है, जो संज्ञा के स्थान पर आता है। उदाहरण: मैं, तुम, वह, यह।

विशेषण

विशेषण, संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। उदाहरण: सुंदर, बड़ा, लाल। 

क्रिया

क्रिया, वह शब्द है जो किसी कार्य, अवस्था या घटना को व्यक्त करता है। उदाहरण: खाना, पढ़ना, दौड़ना। क्रिया का रूप काल, वचन और लिंग के अनुसार बदलता है।

क्रियाविशेषण 

क्रियाविशेषण, क्रिया और विशेषण या अन्य क्रियाविशेषण की विशेषता बताता है। उदाहरण: धीरे, जल्दी, बहुत आदि।

पूर्वसर्ग 

पूर्वसर्ग वह शब्द है, जो संज्ञा या सर्वनाम और अन्य शब्दों के मध्य संबंध को दर्शाता है। उदाहरण: के साथ, के लिए, के अंदर आदि।

संयोजक

संयोजक शब्दों, वाक्यांशों और वाक्यों को जोड़ने का कार्य करता है। उदाहरण: और, लेकिन, या।

विस्मयादिबोधक

विस्मयादिबोधक शब्द त्वरित भावनाओं या प्रतिक्रिया को व्यक्त करते हैं। उदाहरण: अरे!, वाह! इत्यादि।

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वाक्य संरचना 

हिंदी वाक्य की संरचना में सामान्यतः वाक्य में पहले कर्त्ता (subject), फिर क्रिया (verb) और फिर कर्म (object) आता है।

उदाहरण: राम ने किताब पढ़ी।

हिंदी में वाक्य के निर्माण में संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण आदि का उचित स्थान और सही क्रम जरूरी होता है।

वाक्य के प्रकार

वाक्य को मुख्य रूप से चार प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  • सकारात्मक वाक्य: जो किसी तथ्य या जानकारी को प्रस्तुत करता है। उदाहरण: वह स्कूल जाता है।
  • प्रश्नवाचक वाक्य: जो प्रश्न पूछता है। उदाहरण: तुम कहाँ जा रहे हो?
  • आज्ञावाचक वाक्य: जो आदेश या निर्देश देता है। उदाहरण: मुझे पानी दो।
  • विस्मयादिबोधक वाक्य: जो भावनाओं या प्रतिक्रिया को व्यक्त करता है। उदाहरण: क्या सुंदर दृश्य है!

 गद्य और वाक्यांश 

  • गद्य: गद्य एक वाक्य का वह हिस्सा होता है जिसमें कर्ता और क्रिया होते हैं। गद्य को स्वतंत्र और आश्रित दोनों प्रकार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण: जब मैं स्कूल गया, तब वह घर पर था।
  • वाक्यांश: वाक्यांश वह समूह होता है जिसमें शब्दों का एक समूह होता है, लेकिन उसमें कर्ता और क्रिया नहीं होते। उदाहरण: चमकते सूरज के नीचे।

वाक्य के प्रमुख घटक 

वाक्य के निम्नलिखित मुख्य घटक होते हैं:

  • कर्त्ता: वाक्य में वह करक जो कार्य करता है, कर्त्ता कहलाता है। उदाहरण: राम ने किताब पढ़ी। इस वाक्य में ‘राम’ कर्त्ता है।
  • कर्म: वाक्य में वह कारक जिससे कार्य प्रभावित का होना पता चलता है, कर्म कहलाता है। उदाहरण: राम ने किताब पढ़ी। इस वाक्य में ‘पढ़ना’ कर्म है।
  • कृदंत: वाक्य का वह हिस्सा जिसमें क्रिया और उसके परिणाम का विवरण होता है, कृदंत कहलाता है। उदाहरण: राम ने किताब पढ़ी।

काल 

काल, क्रिया के समय को व्यक्त करता है।इससे कार्य की स्थिति का पता चलता है, हिंदी में प्रमुखतः तीन काल होते हैं:

  • वर्तमान काल: मैं खाना खा रहा हूँ।
  • भूतकाल: मैंने खाना खाया।
  • भविष्यकाल: मैं खाना खाऊँगा।

काल का प्रयोग वाक्य में समय का सही निर्धारण करता है और इसके बिना वाक्य का अर्थ अधूरा रह सकता है।

वाच्य

हिंदी में वाच्य दो प्रकार के होते हैं:

  • कर्तृवाच्य: जब वाक्य में कर्ता द्वारा क्रिया की जाती है तो उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। उदाहरण: राम ने किताब पढ़ी।
  • कर्मवाच्य: जब वाक्य में क्रिया का प्रभाव किसी और पर पड़ता है तो उसे कर्मवाच्य कहते हैं। उदाहरण: किताब राम द्वारा पढ़ी गई।

विराम चिह्न

विराम चिह्न वाक्य की स्पष्टता को दर्शाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। हिंदी में प्रमुख विराम चिह्न निम्नलिखित हैं:

  • पूर्ण विराम (।): वाक्य के अंत में।
  • अल्पविराम (,): वाक्य के अंदर छोटे विराम के लिए।
  • प्रश्नवाचक चिन्ह (?): प्रश्न पूछने के लिए।
  • विस्मयादिबोधक चिन्ह (!): भावनाओं को व्यक्त करने के लिए।

सामान्य त्रुटियाँ: हिंदी व्याकरण में होने वाली त्रुटियाँ, हिंदी व्याकरण का अहम विषय है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि किसी भी शब्द को लिखते समय हम कई तरह की गलतियां कर देते है, जिसे नजरअंदाज करने की बजाय ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए। हिंदी व्याकरण में निम्नलिखित त्रुटियाँ संभावित है:

  • लिंगसंबंधी त्रुटियाँ: जैसे किताब (स्त्रीलिंग) के साथ पुल्लिंग क्रिया का प्रयोग।
  • काल संबंधी त्रुटियाँ: जैसे वाक्य में एक ही काल के मिश्रण का प्रयोग।
  • वर्तनी संबंधी त्रुटियाँ: जैसे अपार के स्थान पर अपर।
  • वाक्य संरचना संबंधी त्रुटियाँ: जिससे वाक्य का अर्थ अस्पष्ट हो जाता है।

विलोम शब्द

विलोम शब्द वे होते हैं, जिनका अर्थ विपरीत होता है। विलोम शब्द वह शब्द होते हैं जो अपने अर्थ के विपरीत या उल्टे होते हैं। इन शब्दों का उपयोग भाषा में विविधता और व्यंग्य को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग उच्च स्तरीय लेखन, कविता, और भाषा कला में किया जाता है।

जैसे: गर्म-ठंडा, उठना-बैठना।

पर्यायवाची शब्द 

पर्यायवाची शब्द एक ही अर्थ वाले विभिन्न शब्द होते हैं। जैसे: पानी के पर्यावाची शब्द हैं जल, नीर, आप।

वाक्यांश के लिए एक शब्द

वाक्यांश के लिए एक शब्द में कई शब्दों का संक्षिप्त रूप होता है। जैसे अतिवृष्टि (बहुत बारिश) के लिए वृष्टि शब्द का प्रयोग किया जाता है। 

संधि

संधि दो शब्दों के मेल से बनता है, जिससे नया शब्द उत्पन्न होता है। जैसे राम + आयण= रामायण।

समास

समास में दो या दो से अधिक शब्द मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं। समास-प्रक्रिया में जिन दो शब्दों को जोड़ा जाता है, उनके अलग-अलग अर्थ होते हैं और इन दोनों के मेल से एक नया शब्द बनता है; इसका अर्थ इन दोनों से अलग होता है। जैसे नदी + तट = नदीतट (नदी का किनारा)।

तद्भव-तत्सम

तत्सम और तद्भव शब्दों का प्रयोग हिंदी भाषा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये दोनों ही शब्द विभिन्न शब्द-संस्कृतों से हिंदी में लिए गए हैं और इसीलिए हमारे भाषा को विशेषता और धर्मिकता प्रदान करते हैं। तद्भव और तत्सम शब्दों के बीच मुख्य अंतर यह है कि तत्सम शब्द संस्कृत के मूल रूप में होते हैं, जबकि तद्भव शब्द में संस्कृत से बदलाव होता है। जैसे राजा (तत्सम) और राजा का राजा (तद्भव)।

इन शब्दों के अध्ययन से भाषा की गहराई और विविधता समझी जा सकती है। हिंदी की इन विशेषताओं से भाषा का प्रयोग और भी सजीव और प्रभावशाली बनता है।

उपसर्ग 

उपसर्ग शब्द के मूल शब्द के पहले जोड़े जाते हैं ताकि उसका अर्थ परिवर्तित हो सके। उपसर्ग शब्द का अर्थ बड़े परिवर्तन के साथ बदल सकता है। उदाहरण: "उपागम" (मूल शब्द) का अर्थ "निकट जाना" होता है, जहाँ "उप-" उपसर्ग है।

प्रत्यय 

प्रत्यय शब्द के मूल शब्द के बाद जोड़े जाते हैं ताकि उसका व्याकरणिक या संदर्भिक अर्थ बदला जा सके। प्रत्यय शब्द के काल, कारक, लिंग, वचन आदि को बदल सकते हैं। उदाहरण: "बालक" (मूल शब्द) का अर्थ "बच्चा" होता है, और "बालका" में "-का" प्रत्यय है।

यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए मुख्य बातें:

संज्ञा:

  • संज्ञा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, गुण या विचार के नाम को कहते हैं। उदाहरण: राम, भारत, घर, साहस।
  • संज्ञा के प्रकार: व्यक्तिवाचक संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, भाववाचक संज्ञा, सामूहिक संज्ञा आदि।

सर्वनाम:

  • सर्वनाम शब्द जो संज्ञा के स्थान पर आता है। उदाहरण: मैं, तुम, वह, यह। 
  • सर्वनाम के प्रकार: व्यक्तिवाचक, नियतिवाचक, प्रश्नवाचक, संबोधनवाचक आदि।

क्रिया:

  • क्रिया वह शब्द है जो किसी काम या क्रिया को व्यक्त करता है। उदाहरण: खाना, पढ़ना, लिखना, सोचना। 
  • क्रिया के प्रकार: सामान्य क्रिया, सहायक क्रिया, दृष्टिक्रिया आदि।

विशेषण:

  • विशेषण शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। उदाहरण: सुंदर, वृद्ध, तृप्त, लंबा।
  • विशेषण के प्रकार: गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक आदि।

क्रियाविशेषण:

  • क्रियाविशेषण शब्द जो क्रिया, विशेषण या अन्य क्रियाविशेषण की स्थिति, समय, स्थान या प्रकार को बताता है। उदाहरण: धीरे, जल्दी, बहुत, अभी।

संबंधसूचक अव्यय:

  • संबंधसूचक अव्यय शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ संबंध व्यक्त करता है।उदाहरण: के साथ, में, से, पर।

समुच्चयबोधक अव्यय:

  • समुच्चयबोधक अव्यय दो वाक्य या शब्दों को जोड़ने का कार्य करता है। उदाहरण: और, किंतु, तथा, परंतु।

विस्मयादिबोधक:

  • विस्मयादिबोधक शब्द जो किसी भावना या अभिव्यक्ति को प्रकट करता है। उदाहरण: अरे!, वाह!, अहा!, ओह!।

 वचन:

  • एकवचन और बहुवचन का ज्ञान।
  • संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया का वचन के अनुसार रूप बदलना।

 लिंग:

  • पुल्लिंग और स्त्रीलिंग के भेद को पहचानना।
  • शब्दों के लिंग पहचानने और परिवर्तित करने की क्षमता।

 कारक (Case):

  • प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ कारक की पहचान।
  • शब्दों का विभक्ति के अनुसार रूप परिवर्तन।

 वचन और लिंग का सम्बन्ध:

  • क्रिया और संज्ञा के लिंग एवं वचन के अनुसार रूप बदलना।

समास:

  • समास के प्रकार: द्वंद्व, तत्पुरुष, तत्प्रथम आदि।
  • समास के निर्माण और प्रयोग की समझ।

अलंकार और छंद:

  • वृत्त (माप) और छंद का सही प्रयोग।
  • अलंकार: अनुप्रास, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि।

वचन और काल:

  • वर्तमान, भूत, भविष्य काल का सही प्रयोग।
  • क्रिया के समय के अनुसार वाक्य रचना।

उपसर्ग और प्रत्यय:

  • उपसर्ग और प्रत्यय के माध्यम से शब्दों का रूपांतरण।
  • अर्थ स्पष्ट करने में सहायक।

वाक्य के प्रकार:

  • सकारात्मक वाक्य
  • प्रश्नवाचक वाक्य 
  • आज्ञावाचक वाक्य 
  • विस्मयादिबोधक वाक्य

वाच्य:

  • कर्तृवाच्य: जब वाक्य में कर्ता द्वारा क्रिया की जाती है। उदाहरण: राम ने किताब पढ़ी।
  • कर्मवाच्य: जब वाक्य में क्रिया का प्रभाव किसी और पर पड़ता है। उदाहरण: किताब राम द्वारा पढ़ी गई।

 UPSC उम्मीदवारों के लिए हिंदी व्याकरण का महत्व

UPSC उम्मीदवारों के लिए हिंदी व्याकरण(Hindi Grammar notes for UPSC) की समझ बेहद महत्वपूर्ण है। सही व्याकरण का ज्ञान परीक्षा में स्पष्टता, सटीकता और प्रभावी लेखन की क्षमता प्रदान करता है। यूपीएससी की हिंदी भाषा के पेपर में और अन्य परीक्षाओं में वाक्य की सही संरचना, शब्दों का सही प्रयोग, और विचारों की स्पष्टता परीक्षा के परिणाम को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, साक्षात्कार में भी उम्मीदवार को अपनी बात सही और स्पष्ट रूप से रखने की आवश्यकता होती है। यहां हिंदी व्याकरण की सही समझ उम्मीदवार के आत्मविश्वास को बढ़ाती है और जटिल विचारों को सरल और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करने में मदद करती है।

निष्कर्ष

हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) की सही समझ UPSC उम्मीदवारों के लिए न केवल हिंदी भाषा के पेपर में सफलता पाने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह अन्य सभी विषयों में भी विचारों को स्पष्ट और प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने के लिए महत्वपूर्ण है। हिंदी व्याकरण के सभी प्रमुख पहलुओं जैसे शब्दभेद, वाक्य संरचना, काल, वाच्य, विराम चिह्न आदि के बारे में यहां जानें।

हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद हिंदी व्याकरण से संबंधित आपके सभी संदेह दूर हो गए होंगे। Testbook विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए व्यापक नोट्स प्रदान करता है। टेस्टबुक ऐप के साथ अपनी तैयारी को बेहतर बनाएँ! अपनी IAS तैयारी को बढ़ावा देने के लिए UPSC CSE Coaching प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से किफायती मूल्य पर UPSC ऑनलाइन कक्षाओं के लिए पंजीकरण करें।

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हिंदी व्याकरण नोट्स UPSC FAQs

हिंदी व्याकरण का प्रभाव UPSC के सामान्य अध्ययन (GS) पत्र और वैकल्पिक विषय में प्रमुख होता है। यह न केवल संपूर्ण लेखन और साक्षात्कार में स्पष्टता प्रदान करता है, बल्कि सही भाषा प्रयोग से आपकी सोच और समझ को भी दर्शाता है।

वचन, लिंग, समास, कारक, क्रिया जैसे बुनियादी विषयों को अच्छी तरह से समझना चाहिए। इसके अलावा, अलंकार, उपसर्ग और प्रत्यय पर भी ध्यान देना चाहिए, क्योंकि ये साहित्यिक प्रश्नों और भाषा की सूक्ष्मता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

हां, नियमित अभ्यास से हिंदी व्याकरण पर आपकी पकड़ मजबूत होगी। वाचन, लेखन, और अभ्यास के माध्यम से आपके व्याकरण में सुधार होगा, जिससे परीक्षा में भाषा और लेखन की गुणवत्ता बेहतर होगी। इससे न सिर्फ प्रश्न पत्र, बल्कि निबंध लेखन और साक्षात्कार में भी लाभ होगा।

समास, सर्वनाम और अलंकार ऐसे महत्वपूर्ण टॉपिक हैं, जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही, वचन और लिंग का सही उपयोग वाक्य को स्पष्ट और प्रभावी बनाता है।

हिंदी व्याकरण से संबंधित सवाल संपूर्ण वाक्य रचना, शब्दार्थ और विभक्ति आदि पर आधारित होते हैं। इसके अलावा, शुद्ध लेखन के मापदंड और रूपांतर से संबंधित सवाल भी पूछे जा सकते हैं। व्याकरण की संक्षिप्तता और व्यावहारिकता पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है।

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