Question
Download Solution PDF"आषाढ़ का पहला दिन और ऐसी वर्षा माँ! ... ऐसी धारासार वर्षा! दूर-दूर तक की उपत्यकाएँ भीग गईं। ... और मैं भी तो ! देखो न माँ, कैसी भीग गई हूँ।” उपर्युक्त संवाद मोहन राकेश के नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' में किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFआषाढ़ का पहला दिन और ऐसी वर्षा माँ! ... ऐसी धारासार वर्षा! दूर-दूर तक की उपत्यकाएँ भीग गईं। ... और मैं भी तो ! देखो न माँ, कैसी भीग गई हूँ।” उपर्युक्त संवाद मोहन राकेश के नाटक 'आषाढ़ का एक दिन' में यह कथन मल्लिका का है।
Key Pointsआषाढ़ का एक दिन -
- रचनाकार - मोहन राकेश
- प्रकाशन वर्ष - 1958 ई.
- विधा - नाटक
- मुख्य - यह नाटक तीन अंको में विभक्त है।
- इस नाटक में कवि कालिदास की सता एवं सर्जनात्मकता के मध्य अंत: संघर्ष का चित्रण करता है यह केवल कालिदास का द्वंद नहीं बल्कि बल्कि आधुनिक मानव का भी अंतर्द्वद्व है।
- यह कथन अंक 1 में है।
नाटक -
- आषाढ़ का एक दिन (1958 ई.)
- लहरों के राजहंस (1963 ई.)
- आधे - अधूरे (1969 ई.)
- पैर तले की जमीन (अधूरा)
- प्रमुख पात्र - मल्लिका, कालिदास, अंबिका, विलोम
- गोंण पात्र - दंतुल, मातुल, निक्षेप, रंगिणी,संगिनी, अनुस्वार, अनुनासिक, प्रियंगुमंजरी
- अंबिका मल्लिका की मां
- रंगिणी - नागरी,मृदंग और वीणा वादक तथा सुंदर प्रणय गीत लिखती है।
- संगिनी - नागरी,नृत्यांगना तथा नाटक लिखने में रुचि।
Last updated on May 25, 2025
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