Question
Download Solution PDFComprehension
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए और सम्बंधित पांच प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
एक प्रौढ के रूप में हम अपने स्वयं की संवेगात्मक अभिव्यक्तियों और अविरत बोध एवं दूसरे की संवेगात्मक अवस्थाओं का एक संश्लिष्ट प्रवृत्ति का विकास करते हैं। शिशु में दो नैसर्गिक अल्पविकसित संवेगात्मक उद्भोधन की अनुक्रिया होती हैं जो उद्दीपन करती हैं जिसे उपागम और और परिवर्जन/परिहार के रूप में सदर्भित किया जाता है। शिशु के संवेगात्मक जीवन में इन दो उद्बोधनों से अधिक कुछ और होता है: एक प्रीतिकर उत्प्रेरणा के प्रति आकर्षण, इस कारण उपागम और प्रत्याहार या अप्रीतिकर उत्प्रेरणा का परिहार निष्कर्षतः प्राप्त होना है। इससे प्राप्त होता है कि यह संवेगात्मक उद्बोधन की प्रकृति है और एक नवजात में विद्यमान होती है, उपागम-परिहार अनुक्रिया पूर्ण क्रम विकास संवेदना निर्मित करती है। यह सब नवजात की आवश्यकताए हैं और उनके जीवन पर्यत विकास का संयोजन है। यह भी सुझाव दिया जा सकता है कि नवजात दूसरों की संवेगात्मक आनन अभिव्यक्ति में निहित अर्थो के नैसर्गिक बोधगम्यता के साथ पैदा होते हैं। इसलिए यदि देखभालकर्ता विनोदशील भंगिमा बनाता है और प्रसन्नचित आनन अभिव्यक्ति करता है तब शिशु भी उद्बोधनात्मक अवस्था के उपागम में होगा और अभिनीत अभिव्यक्ति का प्रतिबिंबन करते हुए प्राय सकारात्मक रूप से अनुक्रिया करेगा। यद्यपि इसके विपरीत भी हों सकता है। जब माता-पिता अवसादपूर्ण भंगिमा बनाते हैं, तब शिशु में परिहार उद्भोधन की स्थिति दिखाई देती है। इन परिस्थितियों के अंतर्गत शिशु असहज महसूस करेगा और स्थिति में परिवर्तन की चाह करेगा। परिहार उद्बोधन की दशा में शिशु माता-पिता/ अभिभावक के व्यवहार में परिवर्तन के लिए ध्यानाकर्षण हेतु प्रदर्शित व्यवहारों जैसे चिल्लाना 'मुझे गोदी में उठालो' का सकेतन या वस्तु जैसे शमक या कबल के किनारे को चूसने का प्रयोग करता है। माता-पिता के सतत अवसाद का शिशु के सामान्य सामाजिक-संवेदनात्मक विकास पर गंभीर प्रभाव पड सकता है। इससे बच्चे की नींद प्रवृत्ति (शयन प्रतिरूप) चिड़चिडापन के स्तर में वृद्धि, क्रोध तथा चिन्ताग्रस्तता में परिवर्तन हो सकता है। एक शिशु की प्रतिकूल स्थितियों का परिहार सीमित है क्योंकि उसका शारीरिक विकास अपरिपक्व होता है, इसलिए वे सामान्य परिहार युक्तियों जैसे सिर घुमाना, एक टक देखते हुए परिहार प्रदर्शित करना और चिल्लाने के व्यवहार का सहारा लेते हैं। व्यवहारों के ये रूप उनके संवेदात्मक उद्बोधन अवस्था के अनुकूलन के प्रयास हैं। अनुकूलन या संवेगात्मक आत्मनियमन का संदर्भ उन रणनीतियों के लिए किया जाता है जिनका अपने को सहज महसूस करने हेतु अपने संवेगात्मक तीव्रता स्तर को समायोजित करने के लिए हम प्रय्रोग करते हैं।
माता-पिता की क्रोधमय आनन अभिव्यक्ति से एक नवजात शिशु में कौन-सी अधिक संभावित अनुक्रिया प्रकट होगी?
A. चिल्लाना
B. माता-पिता को शांत करने हेतु मुस्कुराहट भरा चेहरा
C. कंबल के किनारे को चूसना
D. 'मुझे गोदी में उठालो' का संकेत
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर चिल्लाना, कंबल के किनारे को चूसना, मुझे गोदी में उठालो' का संकेत है।
Key Points
- गद्यांश वर्णन करता है कि जब शिशु परिहार उत्तेजना की स्थिति में होते हैं, तो वे रोना, 'मुझे गोदी में उठा लो' का संकेत करना, या शांत करने वाला या कंबल के किनारे जैसी किसी वस्तु को चूसना जैसे व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं।
- माता-पिता के गुस्से वाले चेहरे के जवाब में, जो एक टालने वाली प्रतिक्रिया उत्पन्न करेगा, एक नवजात बच्चे के मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ प्रतिक्रिया करने की संभावना नहीं है, क्योंकि यह एक सुखद उत्तेजना के दृष्टिकोण की प्रतिक्रिया से अधिक जुड़ा होगा।
- गद्यांश में कहा गया है: "परिहार उत्तेजना की स्थिति में शिशु माता-पिता के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए डिज़ाइन किए गए व्यवहार प्रदर्शित करेगा जैसे रोना और 'मुझे गोदी में उठालो'का संकेत करना या शांत करनेवाला या कंबल के किनारे जैसी किसी वस्तु को चूसना आदि।"
इसलिए, सही उत्तर विकल्प 2 है।
Last updated on Jun 12, 2025
-> The UGC NET June 2025 exam will be conducted from 25th to 29th June 2025.
-> The UGC-NET exam takes place for 85 subjects, to determine the eligibility for 'Junior Research Fellowship’ and ‘Assistant Professor’ posts, as well as for PhD. admissions.
-> The exam is conducted bi-annually - in June and December cycles.
-> The exam comprises two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions.
-> The candidates who are preparing for the exam can check the UGC NET Previous Year Papers and UGC NET Test Series to boost their preparations.