खेमा का अभियोजन कालू इसलिये करता है कि उसने कालू की कार चुराई है। खेमा दोषसिद्ध किया जाता है। तत्पश्चात कालू उस कार के लिये, जिसे खेमा ने दोषसिद्ध होने से पूर्व गणेश को बेच दिया था, गणेश पर वाद लाता है। खेमा की दोषसिद्धि का उक्त निर्णय कालू और गणेश के वाद में;

  1. असंगत है।
  2. सुसंगत है।
  3. न्यायालय की पूर्व अनुमति से ही सुसंगत है।
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : असंगत है।

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 1 है। Key Points 

  • हां, कालू और गणेश के बीच मुकदमे में खेमा को दोषी ठहराने का निर्णय सुसंगत है।
  • इस परिदृश्य में, कालू गणेश पर उस कार के लिए मुकदमा कर रहा है जिसे खेमा ने उसे दोषी ठहराए जाने से पहले बेचा था। यह तथ्य कि खेमा को कार चोरी के लिए दोषी ठहराया गया था, गणेश के खिलाफ कालू के दावे को मजबूत करता है।
  • दोषसिद्धि का निर्णय इस बात का सबूत है कि खेमा के पास कार का कानूनी स्वामित्व नहीं था, जब उसने इसे गणेश को बेचा था। यह जानकारी कालू और गणेश के बीच कार के स्वामित्व को लेकर हुए विवाद के लिए सुसंगत है।
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