निम्नलिखित ऊष्मा उपचारों में से कौन-से उपचार में शीतलन केवल उस भट्ठी में किया जाता है जहाँ इसे गर्म किया जाता है?

This question was previously asked in
NHPC JE Mechanical 6 April 2022 (Shift 1) Official Paper
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  1. नार्मलन
  2. कठोरण
  3. अनीलन
  4. शमन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अनीलन
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NHPC & THDC JE Civil Full Test 1
200 Qs. 200 Marks 180 Mins

Detailed Solution

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वर्णन:-

ऊष्मा उपचार प्रक्रिया - ऊष्मा उपचार को संघटन परिवर्तित किये बिना विशिष्ट वांछनीय गुणों को प्राप्त करने के लिए ठोस अवस्था में एक धातु या मिश्रधातु के तापन और शीतलन वाली एक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है।

ऊष्मा उपचार की प्रक्रिया का वहन कण आकार को परिवर्तित करने, पदार्थ की संरचना को संशोधित करने और तप्त या अतप्त कार्य के बाद पदार्थ में निर्दिष्ट प्रतिबलों को पुनःप्राप्त करने के लिए किया जाता है।

ऊष्मा उपचार में इसके क्रांतिक तापमान के निकट या उससे ऊपर धातु का तापन शामिल होता है, जिसमें उसे उस तापमान पर एक विशिष्ट समय के लिए रखा जाता है, और फिर अंतिम में कुछ माध्यम में धातु को ठंडा किया जाता है जो वायु, पानी, खारा या पिघला हुआ नमक हो सकता है।

ऊष्मा उपचार प्रक्रियाओं के प्रकार:

  1. तापानुशीतन - यह एक मृदूकरण प्रक्रिया है जिसमें अधिकतम क्रांतिक तापमान से ऊपर 30- 50C तक धातु का तापन और इसे भट्टी में खोज कर बहुत धीमी गति से ठंडा करना शामिल होता है। तापानुशीतन का मुख्य उद्देश्य इस्पात को अधिक नम्य और आघातवर्धनीय बनाना और आंतरिक प्रतिबलों को हटाना होता है।
  2. सामान्यीकरण - सामान्यीकरण का मुख्य उद्देश्य अतप्त कर्मण प्रक्रिया के बाद विकसित आंतरिक प्रतिबलों को हटाना होता है। इसमें इस्पात को इसके अधिकतम क्रांतिक तापमान से ऊपर 30- 50C पर गर्म किया जाता है और इसे वायु में ठंडा किया जाता है।
  3. दृढ़ीकरण - दृढ़ीकरण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य इस्पात को कठोर और दृढ़ बनाना होता है। इस प्रक्रिया में इस्पात को अधिकतम क्रांतिक तापमान से ऊपर 30- 40C तक गर्म किया जाता है और फिर इसके बाद तेल या पानी में शमन द्वारा कमरे के तापमान पर निरंतर शीलतन किया जाता है।
  4. टेंपरिंग - दृढ़ीकरण प्रक्रिया में शमन किये जाने के बाद इस्पात को उस तापमान सीमा से थोड़े ऊपर के तापमान पर पुनःतापित किया जाता है जिसपर इसका उपयोग किया जाना होता है, लेकिन न्यूनतम क्रांतिक तापमान से ऊपर। यहाँ तापमान 100oC से 700oC तक अलग होता है। पुनःतापन तेल या पिघले हुए सीसे या पिघले हुए नमक के प्रक्षालन में किया जाता है। नमूने को एक समयावधि के लिए प्रक्षालन में तब तक रखा जाता है जब तक कि एकसमान रूप से तापमान प्राप्त ना हो जाये, समय इस्पात के संघटन और वांछनीय गुणवत्ता पर निर्भर करता है। अब नमूने को प्रक्षालन से हटाया जाता है और शांत वायु में धीरे-धीरे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है।

शमन - शमन विशिष्ट वांछनीय पदार्थ के गुणों को प्राप्त करने के लिए तीव्र शीलतन प्रक्रिया के बाद पुन:क्रिस्टलन चरण से ऊपर उच्च तापमान पर धातु का शोषण किया जाता है।

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