नीचे दो कथन दिए गए हैं:

कथन I: संप्रेषण के कतिपय पश्चिमी दृष्टिकोण भाषा और उसके प्रयोग से संबंधित हैं।

कथन II: एशिया में विद्वान संप्रेषण में मौन के तत्व को महत्व देते हैं।

उपर्युक्त कथनों के आलोक में निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

This question was previously asked in
UGC NET Paper 1: Held on 11th Mar 2023 Shift 1
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  1. कथन I और II दोनों सत्य हैं।
  2. कथन I और II दोनों असत्य हैं।
  3. कथन I सत्य है लेकिन कथन II गलत है।
  4. कथन I असत्य है लेकिन कथन II सत्य है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : कथन I और II दोनों सत्य हैं।
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UGC NET Paper 1: Held on 21st August 2024 Shift 1
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Detailed Solution

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सही उत्तर यह है कि कथन I और II दोनों सत्य हैं।

Key Points
दिए गए कथनों के आधार पर सही उत्तर निम्न है:

कथन I: सम्प्रेषण के कतिपय पश्चिमी दृष्टिकोण भाषा और उसके प्रयोग से संबंधित हैं।

कथन II: एशिया में विद्वान सम्प्रेषण में मौन के तत्व को महत्ता देते हैं।

सही उत्तर यह है कि दोनों कथन सत्य हैं।

व्याख्या:

कथन I: सम्प्रेषण के कतिपय पश्चिमी दृष्टिकोण भाषा और उसके प्रयोग से संबंधित हैं।

  • यह कथन सत्य है। संप्रेषण पर कई पश्चिमी दृष्टिकोणों में, भाषा एक केंद्रीय भूमिका निभाती है।
  • भाषा को संप्रेषण के प्राथमिक साधन के रूप में देखा जाता है, और इसके उपयोग, संरचना और प्रभावशीलता पर प्रायः बल दिया जाता है।
  • पश्चिमी संप्रेषण सिद्धांत और मॉडल अक्सर संचार प्रक्रियाओं को समझने और अध्ययन करने में मौखिक संचार, प्रवचन विश्लेषण और भाषाई तत्वों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

कथन II: एशिया में विद्वान सम्प्रेषण में मौन के तत्व को महत्ता देते हैं।

  • यह कथन सत्य है। विभिन्न एशियाई संस्कृतियों में, संप्रेषण के विद्वान और व्यवसायी संचार में मौन के तत्व को महत्व देते हैं। मौन को संचार का एक अभिन्न अंग माना जाता है और इसके अर्थ व निहितार्थों का पता लगाया जाता है एवं उन्हें महत्व दिया जाता है।
  • मौन एशियाई सांस्कृतिक संदर्भ में सम्मान, ध्यान, चिंतन और अशाब्दिक संकेतों को पढ़ने की क्षमता व्यक्त कर सकता है।

ये दो कथन संचार पर सांस्कृतिक अंतर और दृष्टिकोण को उजागर करते हैं। जबकि पश्चिमी विचार अक्सर मौखिक संप्रेषण व भाषा पर बल देते हैं, एशियाई दृष्टिकोण मौन और अशाब्दिक संकेतों को संचार के महत्वपूर्ण घटकों के रूप में मान सकते हैं। इन सांस्कृतिक विविधताओं को पहचानने और समझने से प्रभावी क्रॉस-सांस्कृतिक संचार कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।

संक्षेप में:

कथन I और कथन II दोनों सत्य हैं। सम्प्रेषण के कतिपय पश्चिमी दृष्टिकोण भाषा और उसके प्रयोग से संबंधित हैं, जबकि एशिया में विद्वान सम्प्रेषण में मौन के तत्व को महत्ता देते हैं।

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